#आषाढ़
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- เผยแพร่เมื่อ 10 ก.พ. 2025
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अंक एक- • #आषाढ़ का एक दिन,अंक एक...
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मोहन राकेश कृत ‘आषाढ़ का एक दिन’ नाटक | Ashaad ka ek din by Mohan Rakesh,
नाटककार मोहन राकेश ने आषाढ़ का एक दिन १९५८ में प्रकाशित किया,
मोहन राकेश
नई कहानी’ के दौर के अग्रणी रचनाकारों में एक मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी, 1925 को जंडीवाली गली, अमृतसर में हुआ।
आषाढ़ का एक दिन सन 1958 में प्रकाशित नाटककार मोहन राकेश द्वारा रचित एक हिंदी नाटक है। इसे कभी-कभी हिंदी नाटक के आधुनिक युग का प्रथम नाटक कहा जाता है। 1959 में इसे वर्ष का सर्वश्रेष्ठ नाटक होने के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया और कईं प्रसिद्ध निर्देशक इसे मंच पर ला चुकें हैं। 1971 में निर्देशक मणि कौल ने इस पर आधारित एक फ़िल्म बनाई जिसने आगे जाकर साल की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीत लिया। आषाढ़ का एक दिन महाकवि कालिदास के निजी जीवन पर केन्द्रित है, जो 100 ई॰पू॰ से 500 ईसवी के अनुमानित काल में व्यतीत हुआ।
मोहन राकेश ने ’ आषाढ़ का एक दिन ’ नाटक में जीवन स्पन्दन को पकडते हुए मूल्य - बोध द्वारा नाटक को समग्रता प्रदान की है। नाटक के पात्र जीवन्त और स्वाभाविक हैं। व्यक्ति मन का विश्लेषण बड़े ही सूक्ष्म और हृदयग्राही ढंग से किया गया है। राकेश को स्त्री - पुरुष के सम्बन्धों की विडम्बना को अलग - अलग स्तरों पर पकड़ने के प्रयत्न में सफलता मिलती है।
नाटक का नायक कालिदास मल्लिका को छोड़कर उज्जैन नहीं जाना चाहता , लेकिन मल्लिका कालिदास को प्रेरित कर उज्जैन जाने के लिए विवश कर देती है। कालिदास उज्जैन जाने के बाद हमेशा मल्लिका के अभाव को महसूस करता रहा लेकिन एक बार ग्राम्य प्रान्त में आने पर भी मल्लिका से नहीं मिल पाता और मिलता है तो एक अजनबी और परायेपन के धरातल पर ही।
बहुत अच्छा
Dhnyvad ❤
❤️❤️
बहुत ही सुन्दर है। सीमा जी इस तरह के नाटक सुनाने के लिए और आपके वाचन स्वर को सुनाने के लिए आपको बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं दूसरा अंक सुनाये
sab suna diye...description box Links mil jayenge
आप अपना कितना समय लगा रहीं हैं ,इसके लिए साधुवाद ।
विदिशा जी..किन शब्दों में धन्यवाद दूँ....आपने मुझे ढूँढ लिया. आप लोग मेरे श्रोता बुद्धिजीवी हैं.... निस्संदेह ।आप ने सुना समझिए मेरी मेहनत सार्थक हुई. ये चैनल मैंने विद्यार्थियों को ध्यान में रख कर बनाया है. 🙏🙏
@@Sahitya-Nidhi कहावत है तन मन धन से आप तो स्वर और समय से भी अपना श्रेष्ठ दे रही हैं
Mmpmmmmmmmmmml
Finally today i started with it and finished the first part... thankyou so much for this. Mohan Rakesh is one of my favourite writter. Dr Narendra kohli ji ki pratiksha mein iska jikar tha, tab se was desparately trying to start it. And mam, u have nailed so perfectly...even it is a play, i was wondering it will be tough to get in audio form...but it is too good, many thanks 🙏
It's my pleasure n big compliment for me..Thank you Ankita ji 🙏
What a beautiful voice ❤
🙏🙏
बहुत दिनों से प्रतीक्षा थी इसे सुनने की । तहे दिल से शुक्रिया सीमा जी
😍💕❤
Ati sajiv chitran hai natak ka thanks
@@neelamkhurana1644 जी धन्यवाद नीलम जी.
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
विवेक।
🙏🙏 आभार विवेक जी
अभी शुरु नहीं की, कल से शुरु करूंगी। लिंक भेजने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत अच्छा...धन्यवाद जी ❤️
Thanku so much mam🥰🥰🥰 bahut hi achhe se samjh aaya 🙏🙏🙏👍👍
Thank you Arti❤️
Seema ji sab jhuthi tareef karte is kahani me apki awaj gunj rahi jabki kahani ek slow voice ya sleep voice me sunayi jaati isliye plz next time dhiyan rakhna plz
जी आपने बिलकुल सही कहा...परंतु मैं नींद लाने के लिए कहानी सुना नहीं रही हूँ बल्कि पाठन कर रही हूँ जिससे कहानी के भाव और शब्दों को श्रोता स्पष्ट सुन सकें और पढने का आनंद ले सके. सोते हुए व्यक्ति के लिए उच्च स्तरीय साहित्य सुनने का कोई मतलब नहीं है...उसके लिए हल्की-फुल्की कहानियां पर्याप्त हैं...
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आपने मुझे मेरी कमियों से अवगत कराया...पर आपको जो असुविधा हुई उसके लिए क्षमा चाहती हूँ कि मेरी आवाज़ भारी है और मधुर नहीं है इससे आपको जो कष्ट हुआ...🙏🙏🙏
❤❤