नया जीवन को सनदेश दूसरी मृत्यु का अधिकार नहीं

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  • เผยแพร่เมื่อ 5 ก.พ. 2025
  • प्रकाशित वाक्य 20:6 धन्य और पवित्र वह है, जो इस पहिले पुनरुत्थान का भागी है, ऐसों पर दूसरी मृत्यु का कुछ भी अधिकार नहीं, पर वे परमेश्वर और मसीह के याजक होंगे, और उसके साथ हजार वर्ष तक राज्य करेंगे॥
    1. धन्य और पवित्र होने का अर्थ
    यह पद कहता है कि "धन्य और पवित्र वह है, जो पहिले पुनरुत्थान का भागी है।"
    धन्य: इसका अर्थ है परमेश्वर के द्वारा आशीषित और उसका प्रिय। यह केवल वे लोग हो सकते हैं जिन्होंने अपने जीवन को मसीह को समर्पित किया है।
    पवित्र: इसका अर्थ है पाप से अलग और परमेश्वर के लिए समर्पित। पवित्रता का जीवन जीना एक आंतरिक परिवर्तन और आत्मिक समर्पण को दर्शाता है।
    आवश्यकता: मसीह में विश्वास रखने वालों को अपने जीवन को धन्य और पवित्र बनाने का प्रयास करना चाहिए।
    मत्ती 5:8
    "धन्य हैं वे, जिनके मन शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे।"
    2. पहिले पुनरुत्थान का भागी होना
    "पहिले पुनरुत्थान" उन विश्वासियों को संदर्भित करता है जो मसीह में मृत हो चुके हैं और मसीह के पुनरागमन पर जीवित किए जाएंगे।
    यह पुनरुत्थान परमेश्वर के चुने हुए लोगों के लिए है।
    केवल वे ही लोग इस पुनरुत्थान में भाग ले सकते हैं जो मसीह के प्रति विश्वासयोग्य हैं।
    प्रेरणा: इस पुनरुत्थान में भाग लेने के लिए विश्वासियों को अपना विश्वास मसीह पर दृढ़ रखना चाहिए।
    थिस्सलुनीकियों 4:16-17
    "क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा, और जो मसीह में मरे हैं, वे पहले जी उठेंगे। तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे, उनके साथ बादलों पर उठा लिए जाएंगे।"
    3. दूसरी मृत्यु का अधिकार नहीं
    "दूसरी मृत्यु" का तात्पर्य है आत्मा का परमेश्वर से हमेशा के लिए अलग होना, जो नरक की पीड़ा में अंततः होता है।
    पहिले पुनरुत्थान के भागी होने वाले इस दूसरी मृत्यु से बचाए जाएंगे।
    यह परमेश्वर की महिमा में हमेशा के लिए जीवित रहने का वादा है।
    संदेश: मसीह में विश्वास रखने से हम दूसरी मृत्यु से बच सकते हैं और अनन्त जीवन प्राप्त कर सकते हैं।
    रोमियों 6:23
    "क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है।"
    4. परमेश्वर और मसीह के साथ राज्य करना
    यह पद कहता है कि वे परमेश्वर और मसीह के याजक होंगे और उसके साथ हजार वर्ष तक राज्य करेंगे।
    याजक होना परमेश्वर के लिए सेवा और आराधना का प्रतीक है।
    यह शासन आत्मिक और नैतिक सत्ता को दर्शाता है।
    अभ्यास: विश्वासियों को इस पृथ्वी पर मसीह के याजक की तरह जीवन जीना चाहिए, ताकि वे उसके साथ भविष्य में राज्य कर सकें।
    2 तीमुथियुस 2:12
    "यदि हम उसके साथ सहते रहेंगे तो उसके साथ राज्य भी करेंगे। यदि हम उसका इन्कार करेंगे, तो वह भी हमें इन्कार करेगा।"
    निष्कर्ष:
    ये बाइबल पद प्रकाशित वाक्य 20:6 के संदेश को और अधिक स्पष्ट करते हैं, जिससे हम धन्य और पवित्र जीवन जीने, पुनरुत्थान में भाग लेने, दूसरी मृत्यु से बचने, और मसीह के साथ राज्य करने की तैयारी कर सकें।

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