ब्रह्म पुराण - 31|Brahm Purana - 31| मार्कण्डेयेश्वर शिव, वटवृक्ष कृष्ण, बलभद्र सुभद्रा दर्शन पूजन

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  • เผยแพร่เมื่อ 10 ก.พ. 2025
  • ब्रह्म पुराण - 31|Brahm Purana - 31मार्कण्डेयेश्वर शिव, वट वृक्ष श्री कृष्ण, बलभद्र एवम सुभद्रा के दर्शन पूजन का माहात्म्य ।
    भारतीय संस्कृति और शास्त्रोंमें पुराणोंकी बड़ी महिमा है। पुराण अनन्त ज्ञान-राशिके भण्डार हैं। इनके श्रवण, मनन, पठन, पारायण और अनुशीलनसे अन्तःकरणकी परिशुद्धिके साथ,विषयोंसे विरक्ति, वैराग्यमें प्रवृत्ति तथा भगवान्में स्वाभाविक रति अनुरागा भक्ति उत्पन्न होती है।ब्रह्म पुराण 18 पुराणों में प्रथम पुराण है इसलिए इसे आदि पुराण भी कहते हैं। इसे पुराणों में महापुराण भी कहते हैं। इसे सर्वप्रथम ब्रह्माजी ने देवताओं को सुनाया था इसमें ब्रह्माजी को समस्त सृस्टि का निर्माता बताया गया है उन्होंने सृस्टि की रचना कैसे की इसका विस्तार से वर्णन किया है इसमें विस्तार से सृष्टि जन्म, जल की उत्पत्ति, ब्रह्म का आविर्भाव तथा देव-दानव जन्मों के विषय में बताया गया है। इसमें सूर्य और चन्द्र वंशों के विषय में भी वर्णन किया गया है। इसमें ययाति या पुरु के वंश-वर्णन से मानव-विकास के विषय में बताकर राम-कृष्ण-कथा भी वर्णित है।
    प्राचीन पवित्र भूमि नैमिष अरण्य में व्यास शिष्य सूत मुनि ने यह पुराण समाहित ऋषि वृन्द में सुनाया था। इसमें सृष्टि, मनुवंश, देव देवता, प्राणि, पुथ्वी, भूगोल, नरक, स्वर्ग, मंदिर, तीर्थ आदि का निरूपण है। शिव-पार्वती विवाह, कृष्ण लीला, विष्णु अवतार, विष्णु पूजन, वर्णाश्रम, श्राद्धकर्म, आदि का विचार है। इसमें सृष्टि के आरंभ में हुए महाप्रलय के विषय में भी बताया गया है। इसमें मोक्ष-धर्म, ब्रह्म का स्वरूप और योग-विधि की भी विस्तृत जानकारी दी गई है।
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    Declaimer : We tried a lot to keep the pronunciation of the words and sentence to be accurate, then also we are very sorry if there is any mistake.
    The matter may fully or partly match as taken from the data available on public domain, this is a Hindu Ancient Script which is freely available on the public domain. We pay our special regards and thanks to all unknown and known, special thanks to Gita Press, Gorakhpur.
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