Very intrestig presentation..your non biased style is much appreciated. Infact u have induced a new force within me to start again reading books. Long back I was an edictive type of reader, but due to tight job schedule, have almost stopped...Now definately I will try to read this book. Do tell us more about new book releases.
सर जी मैने ये किताब की पड़ना शुरू किया और मुझे बहुत अच्छी लगी मैने इसके बारे में जानना चाहा तो आप अपने आ गए बहुत अच्छा लगा पूरी किताब के बारे में 20मिनट में बता दिया।
सौरभ, वाह, वाह, वाह किताब का रस आस्वाद क्या खूबी से करवाया!!! माशाअल्लाह, सुभानल्लाह, Superb , superb, superb, आपने बहुत अच्छी तरह से तटस्थ रूप में बताया। ऐसे हुआ जैसे हमने किताब पढ़ ही ली। बहुत बहुत धन्यवाद। अगले हफ्ते के इंतजार में.... इंद्रवदन....
Saurabh Dwedi .. you and your channel has come as a breath of fresh air . After being exposed to toxin TV news and talk shows , watching such intellectual and clean programmes works as a soothing balm for one’s mind and body . I love this particular programme of yours .. You have awaken curiosity and I am surely going to read Arundatti Roy’s new fiction novel .
My friend the lalantop i appreciate the work very much, in this era representing any thing unbiased is a big deal. Congratulations. I want to suggest the team to work on small issues on which no body talks. Distict level issues. Thank you.
Reviewing a Book by Lallantop is a very good initiative, & a big applause to the team.Keep it up! Mr. saurabh dwivedi I am a big fan of yours and I appreciate the way you connect different perspectives of current issues to the history, poem, and much more.Kepp going!!!
Dwevedi Ji Dhanyavad. Aap ka Kitabwala programme mujhe bahut pasand hai aur aapki shaili bhi. Shastrartha wala prasang suna kar ek seekh aap se mujhe bhi mili. Is tarah aap mere Guru bhi ho gaye hain.
Nice book. I used to be in love with Arundati Roy, when in teenage, and hated Modi in those days from the reading of her non-fiction books. Still, there is appreciation, while being a big fan of Modi govt. We are living in great times.
I had read this book when it first came out and I remember stopping and researching throughout the process of reading and I was once again forced to acknowledge her brilliance of bringing together fiction and history. I found the experience enriching. Also, I remember remember reading God of Small Things a few years back and then I was able to connect the themes of castism and patriarchy, which have become synonymous with our family values and actual way of life to my own observations and experiences. The book seemed to have come from the personal domain. The Ministry of Utmost Happiness seems to widen the scope of story telling, as it's no longer telling the story of a family, but rather of a nation.
Sir I think you don't know ,how you helping our society with your ideological engineering. One you will definitely become statesman. Thank you so much sir
आपने पुस्तक की शानदार समीक्षा की है । इससे पुस्तक को पढ़ने वालों मैं एक रुचि पैदा होगी तथा तटस्थ रहकर पुस्तक को पढ़ेंगे। लेखक अपना अमूल्य समय देकर अपने विचार को लिखता है इसका ध्यान रखते हुए यदि हम पुस्तक पढ़ते हैं तो इससे साहित्य एवं विचारों की अभिव्यक्ति को मजबूती मिलती हैं। जिससे बेहतर राष्ट्र के निर्माण की ओर हम अग्रसर होते हैं।
I was in LKJ, there was a rich Muslim boy who was in UKJ ,we use to leave together in the hostel . His family was regular visitor in the hostel & use to give him biscuits , cheeps & other edibles. He was generous and use to give us those things to eat, but the way to get each pieces were to recite a verse " La ilha il Allah Moham madar rasul Allah". We Kids didn't new what was the meaning of it. Today after listing U, I actually understood the meaning of this verse (Kalma). Dukh bhi hai aise khubsurat yad ko jirn sirn hote dekh kar aur hairani bhi ki itne chote se bache ke dimag me is tarah ki bat kaise a sakti hai.
Arundhati roy is REALY A third rate author, who is liked by Indians ONLY because she was recognised y the whites they do that once in a way to have a sample of the 3rd world to show that they too are SECULAR & TOLERANT
लेखक के परिचय से ही मालूम हो जाता है कि पुस्तक में क्या होगा। वामपंथी विचारधारा की यह लेखिका सदैव ऐसी किताबें लिखती रही है जो सदैव देश में असंतोष और अविश्वास पैदा करने में सहायक हो अच्छा लेखक होना अच्छी बात है लेकिन अच्छा राष्ट्र भक्त होना ज्यादा अच्छा है
समाचारों की विविधता और प्रस्तुती आपको मैच्योर बना रही है शौरभ, धन्यवाद। बुरा नहीं मानना एक खाश समुदाय का होने के कारण, एक पक्छीय न होना, शिकार बन जाते हो कभी कभी, शुभकामनायें।
bharat vaasi koshish kar lo jitna dam ho. Satyamev jayati Nannritam aur Satya dharm ka paryayvachi hota Hai. jise tum brahmanvad kahte ho wo Sanatan Dharm Hai aur uska Surya humesha Uncha Chamkega.
bharat vaasi ek to tum Ambedkarwadiyon ke Sath samasya ye Hai ke tum logon ne padhne likhne ke bajay Anpadh Andh Virodh me apna samay lagana shuru Kar Diya Hai. VarnaVayavastha aur Jatiwad dono alag cheezen Hai lekin tum log padho aur chintan Karo tab to antar Kar pao. waise Dr Ambedkar ka daliton siksha ko le Kar Jo vichar the aaj use manne ki bajay wo TahaKathit dalit Dr Ambedkar ka hi AtiManavikaran aur Sanatan Dharm virodh me lage Hai padhai kya khak karenge. aur jab padhe likhenge nahi to Aise hi gali galauch karenge jaise tum Napunsak gairNapunsak Kar rahe ho. ye bhasha Apko Mubarak ho. namaste.
bharat vaasi @ bhai maine gali nahi dena is vishay ko achaa kahata.nato mai Brahman vadi hu na Ambedkar virodhi. par har baat me jat dekhana ye bhi sahi soch nahi.
bharat vaasi ghanta private jobs me to katai aarakshan nahi hone denge ...Agar talent hai to apne dam par lo job Govt. Job padhaai sarkari naukari promotion aur scholarship me aarakshan kam pda ho ab private me bhi chahiye tumko Tum mansik roop se beemar ho ilaaj karo apna
saurabh dwiwedi bhai, mai aapki is baat se sahmat hoon ki aapko apne virodhi ko janne k liye uske baare me hr ek baat janni chahiye, usse door nhi bhagna chahiye. Door bhagenge to aap kayar hain.
यदि कोई लेखक अपने जमाने की , या अपने पैदा किये किरदारों के जीवन की खामोशियों को मुखर कर दे तो वो लेखक अपने लेखन में सफल है ,,,आपकी बात से लगता है ,अरुंधति रॉय अपने मिशन में सफल हुई है
Mostly Musa's quote surprised me thoroughly "One day Kashmir will make India self destructive in the same way, you may have blinded all of us". उपर्युक्त कथन में पात्र मूसा के द्वारा कहे गए शब्द: एक दिन कश्मीर भारत को स्वतः ही विनाशकारी बना देगा, तुम हम सब को बेवकूफ बना सकते हो . . .। यहाँ पर पात्र तो मूसा है लेकिन शब्द और सोच तो अरुन्धती राय की है। उनके हिसाब से कश्मीर जो कि भारत का ही हिस्सा है और जो कि अंतत: भारत में ही विलय हो गया, उससे कश्मीर को क्या हानि हो सकती है, क्या वो ये चाहती थीं कि कश्मीर भी PoK की तरहआज मैं सोचने पर मजबूर हो गया हूँ कि एक लेखिका भी दहशतगर्दी का पक्षधर हो सकती है, क्योंकि जिस कश्मीर के लिए भारत ने इतने बलिदान दिये अपने सिपाहियों के उस कश्मीर का विलय इन कपटी लेखिका को सहन नहीं हो रहा है। कश्मीर विलय का इतिहास तो सभी जानते हैं, जिसके विलय में वस्तुतः कोई भी उलझन नहीं आनी चाहिए थी, लेकिन अरुन्धती जैसे धर्मनिरपेक्ष लोगों के कारण इतना नुकसान हुआ। अब सोचने वाली बात यह है कि यदि यही कश्मीर अगर पाकिस्तान में चला जाता भारत के बजाय तो फिर अरुन्धती क्या कहतीं? और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर जो पाकिस्तान ने अवैध कब्जा कर रखा है उस पर भी कोई उपन्यास लिखिए अरुन्धती। यदि कश्मीर पर भारत का नियंत्रण अवैध है या कब्जा है, तो पाकिस्तान का कब्जा कैसे वैध हो सकता है, तो फिर पाकिस्तान का जो कब्जा कर रखा है PoK पर वो तो कहीं से भी वैध हो ही नहीं सकता है और आज जो कश्मीर भारत में विलय हो चुका है उस पर भी पाकिस्तान अपना अधिकार दिखाता है, तो क्या वह जा़यज है, वैध है। इस उपन्यास के रूप में ये तो अरुन्धती का उन भारत तोड़ो कुप्रयासों के लिए उनका एक सहयोग है। ऐसे लेखक भारत में रह कर लिखते हैं, यहीं खा कर बड़े होते हैं, यहीं लोगों को ठग कर उन्हीं से प्रसिद्धि पाते हैं, भारत तोड़ो कुशक्तियों का साथ दे कर पश्चिम देशों से लेखन क्षेत्र में पुरस्कार पाना चाहती हैं। समझ में नहीं आता है कि राष्ट्र आंतरिक शत्रुओं पर कैसे विजय प्राप्त कर सकता है, इनसे कैसे लड सकता है, बहुत कठिन है लेकिन फिर भी असंभव नहीं, इनका बहिष्कार किया जा सकता है, इनको बेनकाब करके, जहाँ पर भी हो सके इनका कड़ा विरोध करके। यदि इस चैनल ने यर कार्य निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए किया है तो यह समाज के लिए ठीक है कम-से-कम ये बेनकाब तो हुईं। निष्पक्ष पत्रकारिता किया कीजिए लल्लनटाप के पत्रकारों, यही हम सब के लिए उचित है होगा।
सौरभ जो, आपकी बातों से इत्तेफाक रखते हुए, मैं कहना चाहुंगा कि अगर यह पुस्तक कहीं लोकल लाईब्रेरी में मिल गयी तो जरूर पढ़ुंगा, पर अरुन्धति जैसी लेखिका के लिए५९९/- रू खर्च करनै से अच्छा है कहीं दान कर देना।
she is a frustrated lady and there could be several reasons of her frustration, which i do not know, being a doctor and psychologist i can say that her get-up, her speech . her expressions and her writings are full of controversial matching and extra-ordinary kind of emotional expressions, which is coming out just like the person who is full of unfulfilled suppressive desires and incompleteness, this may be a cause of her background of writings.
सौरभ भाई मैं आपको नियमित सुन रहा हूँ। बौद्धिकता, देशिकता और साहित्यिकता का मणिकंचनामृत संयोग है आपकी शैली में। चूंकि मैं एक हिन्दी साहित्य का शिक्षक हूँ, पर वास्तविकता यह है कि आज भी साहित्य का विद्यार्थी हूँ और आपकी ही गांव माटी के निकट का हूँ इसलिए इस महानगरीय संस्कृति के बीच आपकी सीधे संवाद की शैली को बहुत पसंद करताहूँ। पर आपकी शैली में प्रायः मैं निर्वेयक्तिता की कुछ कमी महसूस करता हूँ ,ऐसा लगता है कि JNU के प्रभाव आप पर बहुत गहरा है।, एक पत्रकार या कथावाचक को पूर्णतः निर्वेयक्तितक होना चाहिए।
Very nice review Saurab ji. What i like the most is " gaaliyan wo dete hain jinke tark kamjore hote hain" well said & very nicely linked with shankracharya's example. Great.
I have not read this book yet...but wanted to read...but.....change my mind i will not take it home....i dont want to give my single penny to this type of 'anti national' personality...don't try to mix it with rss and modi..its my humble request..bcoz its our right...i have read the 'god of small things' when i was in college bcoz of great english literature..and booker ...lab lab...lab....but after several years 'we' really understand real picture behind this intellectual heroism personality in which we believed...thanks to social media to provide 'globalised' knoledge to us.....u r personaly fantastic explainer..i like ur way of explaination.
एक देश के गद्दार की किताब का प्रचार आपको नहीं करना चाहिए यह सरासर गलत है आप भी एक तरह से देश के गद्दार का साथ दे रही मैं आशा करता हूं भविष्य में ऐसे गद्दार लोगों की किताब का प्रचार नहीं करेंगे आप और गद्दार का साथ देकर आप भी गद्दार कहलाने का का कष्ट नहीं करेंगे
I read books, unfortunately know only Urdu (read/wright/ speak) English can read and speak (weak). I suggest you to emphasize her to publish Urdu translate book. many people will buy & read.
I was a subscriber of Lalantop since beginning n I was admire of your style of presentation.. But during election period, I felt you are becoming little bit partial n so I have unsubscribe.. Be impartial that is the moral duty of every news reporter.. I like your analysis of novel..
सौरभ जी प्रणाम, मैं आपकी समीक्षा का दीवाना हूं, मैं रवीश कुमार अजीत भारती, राठी को सुनता हूं, मैं मोना आलम, नूर उल आर्फीन को ही सुनता हूं, अरुंधति रॉय मणि शंकर अय्यर विनोद दुआ जो अपनी एक अलग सोच रखता है सत्ता के दूर या पास रहते हैं लेकिन सत्ता में नहीं रहते या नहीं रह सकते हैं, क्योंकि चुनाव लड़ने का लंबा रास्ता तय नहीं करना चाहते, अरुंधति रॉय, मोहम्मद तुगलक की सी थोड़ी-थोड़ी, चमड़े के सिक्के चलवाये, दारुल इस्लाम को दखन में ले गया, खुद और मुल्क दोनों को नुक्सान पहुंचाया,भी ऐसी ही है, शायद विद्वान मगर अप्रासंगिक,, मैं चाहता भी यही था कि वह बेवफा निकले, उसे समझने का कोई तो मौका निकले,
अंतिम में जो आपने बात की आप गालियां न दे तर्क करे अच्छी लगी अगर हमारे देश मे लोग तर्क करना सीख जाए तो देश को आगे बढ़ने से कोई नही रोक सकता। धन्यवाद।
is video me bdi khubsurti se ek arban nksli mhila ki book ka prchar kiya gya hai jo army ko gali deti hai
Absolutely Truth
Isgr channel n.k Sood raw officer ko subscribe kre...
आप जिस तरह से किसी भी किताब के बारे में बात करते हैं उसपर चर्चा करते हैं बहुत अच्छा लगता है
Very intrestig presentation..your non biased style is much appreciated. Infact u have induced a new force within me to start again reading books. Long back I was an edictive type of reader, but due to tight job schedule, have almost stopped...Now definately I will try to read this book. Do tell us more about new book releases.
सर जी मैने ये किताब की पड़ना शुरू किया और मुझे बहुत अच्छी लगी मैने इसके बारे में जानना चाहा तो आप अपने आ गए बहुत अच्छा लगा पूरी किताब के बारे में 20मिनट में बता दिया।
सौरभ, वाह, वाह, वाह
किताब का रस आस्वाद क्या खूबी से करवाया!!!
माशाअल्लाह, सुभानल्लाह,
Superb , superb, superb, आपने बहुत अच्छी तरह से तटस्थ रूप में बताया। ऐसे हुआ जैसे हमने किताब पढ़ ही ली।
बहुत बहुत धन्यवाद। अगले हफ्ते के इंतजार में.... इंद्रवदन....
हर एक मनुष्य के जीवन में कुछ वर्ष सफलता का चरम समय आता है , उसके बाद वो अपनी उस तथाकथित महानता की आत्म मुग्ध जुगाली करता रहता है
देसी बोलचाल में बताने वाले हमारे गांव घर के पत्रकार हैं सभी के ऊपर बोलते हैं और सच्चाई के बारे में बोलते हैं किसी को नहीं छोड़ते हैं सब की बात करते हो
बहुत ख़ूब सौरभजी ! आपके और लल्लन टाॅप के क्या कहने ! अगली किताब की राह देख रहा हु !
Saurabh Dwedi .. you and your channel has come as a breath of fresh air .
After being exposed to toxin TV news and talk shows , watching such intellectual and clean programmes works as a soothing balm for one’s mind and body .
I love this particular programme of yours .. You have awaken curiosity and I am surely going to read Arundatti Roy’s new fiction novel .
2 ghante mobile mein Aankhen gadaedikhteRahane ke bad finly kuch acchi chij dekhne ko Mili Achcha Laga man khush ho gaya thank you sir🙏
Thank you for this. Keep reading and posting about books....I'll read what you recommend.
बहुत अच्छा विश्लेषण सौरभ जी
My friend the lalantop i appreciate the work very much, in this era representing any thing unbiased is a big deal. Congratulations. I want to suggest the team to work on small issues on which no body talks. Distict level issues. Thank you.
she is outstanding and best writer in India.Global entity.
Catalyst of Destructive Force Arundhati Roy..
nahi karega yeh sourab dewadi
बुरे समय की अच्छी किताब। आप बहुत अच्छे से रिव्यु किये हैं 👍👍...
फ़लसफ़े सारे किताबों में उलझ कर रह गए
दर्स-गाहों में निसाबों की थकन बाक़ी रही
Reviewing a Book by Lallantop is a very good initiative, & a big applause to the team.Keep it up! Mr. saurabh dwivedi I am a big fan of yours and I appreciate the way you connect different perspectives of current issues to the history, poem, and much more.Kepp going!!!
#one ghatiya keetab hai ..AAJ ye ghatiya aurat chhupee KAHAAN HAI ???
अरुंधती राय हमेशा मन वचन और कर्म से विवादों में ही रही हैं ।
Lallantop please don't mind these people who are abusing you did a wonderful job varna tv pe tu news k naam me bakwasbazi ho rahi h
Dwevedi Ji Dhanyavad. Aap ka Kitabwala programme mujhe bahut pasand hai aur aapki shaili bhi. Shastrartha wala prasang suna kar ek seekh aap se mujhe bhi mili. Is tarah aap mere Guru bhi ho gaye hain.
aap dil jit lete ho sir......... madhur muskan aur kahani batane ka dhang lajwab hai sir.........
सराहनीय विश्लेषण सौरभजी
I think she is good intellectual person.👍
सर जी पुस्तक की समीक्ष करने के अंदाज को सलाम ।
when a young boy discussed about the books really I feel good.
बहुत बढ़िया विश्लेषण!
पाकिस्तान या आतंकवादियों के बारे में इनके मन में भारत के विरुद्ध बहुत दर्द मालूम पड़ता हैं । जिनके बयान बहुत मुश्किल है, समझने के हिसाब से ।
Arundhati bharat ki ninda karti hai
Sourabhji Aaj is book ka review sunkar me isko jarur prhna chahungi Lekin, self independent hone ke baad.
Thanks Sir.
वाह सौरव आपने दिल जीत लिया । आपका यह कहना कि गालियां वो लिखेंगे जिनका तर्क कमजोर होते है ।।
Arundhato roy very good actor
very well explained Saurabh well done no matter how the book is i love the way u tell the tale (Y)
अच्छा लगता है,आप किताबों की समीक्षा जारी रखिए गुरूजी।
I just love this episode....I love books thanks for giving me the choice ....
भाई! बस इतनी सी गुजारिश है कि पत्रकार से
' ठेकेदार ' मत बन जाना....
pawan suthar 👍🏻
hamare priya ravish ji ki tarah ...
@@I6eeikahdu38 🤣🤣
Bhai, yeah patrkar nhi bache.. Ye bike hue pattalkar he...
Nice book. I used to be in love with Arundati Roy, when in teenage, and hated Modi in those days from the reading of her non-fiction books. Still, there is appreciation, while being a big fan of Modi govt. We are living in great times.
I had read this book when it first came out and I remember stopping and researching throughout the process of reading and I was once again forced to acknowledge her brilliance of bringing together fiction and history. I found the experience enriching. Also, I remember remember reading God of Small Things a few years back and then I was able to connect the themes of castism and patriarchy, which have become synonymous with our family values and actual way of life to my own observations and experiences. The book seemed to have come from the personal domain. The Ministry of Utmost Happiness seems to widen the scope of story telling, as it's no longer telling the story of a family, but rather of a nation.
खूबसूरत विवेचना की आप ने, किताव तो पढ़नी ही पड़ेगी।।
We Appreciate LallanTop for your efforts, God bless you.
I am with you and completely support you and proud of you.
Sir I think you don't know ,how you helping our society with your ideological engineering. One you will definitely become statesman.
Thank you so much sir
आपने पुस्तक की शानदार समीक्षा की है । इससे पुस्तक को पढ़ने वालों मैं एक रुचि पैदा होगी तथा तटस्थ रहकर पुस्तक को पढ़ेंगे। लेखक अपना अमूल्य समय देकर अपने विचार को लिखता है इसका ध्यान रखते हुए यदि हम पुस्तक पढ़ते हैं तो इससे साहित्य एवं विचारों की अभिव्यक्ति को मजबूती मिलती हैं। जिससे बेहतर राष्ट्र के निर्माण की ओर हम अग्रसर होते हैं।
Theek hai aisy he imaandari se patrkarta krte rho,God bless you
I was in LKJ, there was a rich Muslim boy who was in UKJ ,we use to leave together in the hostel .
His family was regular visitor in the hostel & use to give him biscuits , cheeps & other edibles.
He was generous and use to give us those things to eat, but the way to get each pieces were to recite a verse " La ilha il Allah Moham madar rasul Allah". We Kids didn't new what was the meaning of it.
Today after listing U, I actually understood the meaning of this verse (Kalma).
Dukh bhi hai aise khubsurat yad ko jirn sirn hote dekh kar aur hairani bhi ki itne chote se bache ke dimag me is tarah ki bat kaise a sakti hai.
Sir, i always keep my ears open to write and remember all the footnotes of your videos.
बहुत सुन्दर सफर ... सौरभ भाई जी|
the doctor and the saint
Kitna bhi sun lo aapko ...kitna hi bachaa hua lagta h..Thank You LT
Since 370 is now removed and kashmir issue is hot, on this occasion please invite person like Adhik Kadam who works on ground in kashmir.
I have read all her books. Fortunate that I am her contemporary. The greatest Indian political writer.
I don't like this novel...but I like your way of story telling sir...lots of love...
Arundhati roy is REALY A third rate author, who is liked by Indians ONLY because she was recognised y the whites they do that once in a way to have a sample of the 3rd world to show that they too are SECULAR & TOLERANT
Apki tarif hai jo aap ne Arundhati ko kitab ke jariye explain kar sake
Bohot achhe se explain kiya
अब 26 जनवरी को रायसिना हिल्स पर वन्दे मातरम् गाने की परम्परा शुरू होगी। ये है नया भारत।
Bhot hi interesting tarike se aapne poori novel ko humare saamne khol kar rakh diya... Kaafi achha lga... Nice😊👌
लेखक के परिचय से ही मालूम हो जाता है कि पुस्तक में क्या होगा।
वामपंथी विचारधारा की यह लेखिका सदैव ऐसी किताबें लिखती रही है जो सदैव देश में असंतोष और अविश्वास पैदा करने में सहायक हो
अच्छा लेखक होना अच्छी बात है लेकिन अच्छा राष्ट्र भक्त होना ज्यादा अच्छा है
समाचारों की विविधता और प्रस्तुती आपको मैच्योर बना रही है शौरभ, धन्यवाद। बुरा नहीं मानना एक खाश समुदाय का होने के कारण, एक पक्छीय न होना, शिकार बन जाते हो कभी कभी, शुभकामनायें।
Arundhati Roy is very good writer very positive always
Saurabh ji aap bahut aacha Kam Kar rahe hai... App ka bahut shukriya aaur aabhar...
Arundhati ne Gujarat k Dange kyon hue uski jad ( main reason) bataya kya?
mai is kitab padi aur apka mat ke sath sahmat hu ! kafi achi analysis
bhai shankracharya wali baat sach me bahut kuch sikhati hai
bharat vaasi koshish kar lo jitna dam ho. Satyamev jayati Nannritam aur Satya dharm ka paryayvachi hota Hai. jise tum brahmanvad kahte ho wo Sanatan Dharm Hai aur uska Surya humesha Uncha Chamkega.
bharat vaasi ek to tum Ambedkarwadiyon ke Sath samasya ye Hai ke tum logon ne padhne likhne ke bajay Anpadh Andh Virodh me apna samay lagana shuru Kar Diya Hai.
VarnaVayavastha aur Jatiwad dono alag cheezen Hai lekin tum log padho aur chintan Karo tab to antar Kar pao.
waise Dr Ambedkar ka daliton siksha ko le Kar Jo vichar the aaj use manne ki bajay wo TahaKathit dalit Dr Ambedkar ka hi AtiManavikaran aur Sanatan Dharm virodh me lage Hai padhai kya khak karenge. aur jab padhe likhenge nahi to Aise hi gali galauch karenge jaise tum Napunsak gairNapunsak Kar rahe ho. ye bhasha Apko Mubarak ho. namaste.
bharat vaasi @ bhai maine gali nahi dena is vishay ko achaa kahata.nato mai Brahman vadi hu na Ambedkar virodhi. par har baat me jat dekhana ye bhi sahi soch nahi.
bharat vaasi ghanta private jobs me to katai aarakshan nahi hone denge ...Agar talent hai to apne dam par lo job
Govt. Job padhaai sarkari naukari promotion aur scholarship me aarakshan kam pda ho ab private me bhi chahiye tumko
Tum mansik roop se beemar ho ilaaj karo apna
@bharat vaasi ESA nahi hai bhai ye sab baad mai aaya pahle varn vavasta thi mai bhi ek dalit hu lekin vo varn vavsta bapis lane chaiye jai ibhim
बहुत बेहतरीन समीक्षा.....
saurabh dwiwedi bhai, mai aapki is baat se sahmat hoon ki aapko apne virodhi ko janne k liye uske baare me hr ek baat janni chahiye, usse door nhi bhagna chahiye. Door bhagenge to aap kayar hain.
Wow kitni khoobsurati se aap ne is book ki summary di h❤️
औरंगजेब की जानकारी जो दी
वह सच और आपकी निष्पक्षता दर्शाता है
Aranjeb mahan man
यदि कोई लेखक अपने जमाने की , या अपने पैदा किये किरदारों के जीवन की खामोशियों को मुखर कर दे तो वो लेखक अपने लेखन में सफल है ,,,आपकी बात से लगता है ,अरुंधति रॉय अपने मिशन में सफल हुई है
I have read The god of small things, i liked the book, as you have reviewed the ministry of utmost happiness, i think the book would be a good read.
Mostly Musa's quote surprised me thoroughly "One day Kashmir will make India self destructive in the same way, you may have blinded all of us".
उपर्युक्त कथन में पात्र मूसा के द्वारा कहे गए शब्द: एक दिन कश्मीर भारत को स्वतः ही विनाशकारी बना देगा, तुम हम सब को बेवकूफ बना सकते हो . . .। यहाँ पर पात्र तो मूसा है लेकिन शब्द और सोच तो अरुन्धती राय की है। उनके हिसाब से कश्मीर जो कि भारत का ही हिस्सा है और जो कि अंतत: भारत में ही विलय हो गया, उससे कश्मीर को क्या हानि हो सकती है, क्या वो ये चाहती थीं कि कश्मीर भी PoK की तरहआज मैं सोचने पर मजबूर हो गया हूँ कि एक लेखिका भी दहशतगर्दी का पक्षधर हो सकती है, क्योंकि जिस कश्मीर के लिए भारत ने इतने बलिदान दिये अपने सिपाहियों के उस कश्मीर का विलय इन कपटी लेखिका को सहन नहीं हो रहा है। कश्मीर विलय का इतिहास तो सभी जानते हैं, जिसके विलय में वस्तुतः कोई भी उलझन नहीं आनी चाहिए थी, लेकिन अरुन्धती जैसे धर्मनिरपेक्ष लोगों के कारण इतना नुकसान हुआ। अब सोचने वाली बात यह है कि यदि यही कश्मीर अगर पाकिस्तान में चला जाता भारत के बजाय तो फिर अरुन्धती क्या कहतीं? और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर जो पाकिस्तान ने अवैध कब्जा कर रखा है उस पर भी कोई उपन्यास लिखिए अरुन्धती। यदि कश्मीर पर भारत का नियंत्रण अवैध है या कब्जा है, तो पाकिस्तान का कब्जा कैसे वैध हो सकता है, तो फिर पाकिस्तान का जो कब्जा कर रखा है PoK पर वो तो कहीं से भी वैध हो ही नहीं सकता है और आज जो कश्मीर भारत में विलय हो चुका है उस पर भी पाकिस्तान अपना अधिकार दिखाता है, तो क्या वह जा़यज है, वैध है। इस उपन्यास के रूप में ये तो अरुन्धती का उन भारत तोड़ो कुप्रयासों के लिए उनका एक सहयोग है।
ऐसे लेखक भारत में रह कर लिखते हैं, यहीं खा कर बड़े होते हैं, यहीं लोगों को ठग कर उन्हीं से प्रसिद्धि पाते हैं, भारत तोड़ो कुशक्तियों का साथ दे कर पश्चिम देशों से लेखन क्षेत्र में पुरस्कार पाना चाहती हैं। समझ में नहीं आता है कि राष्ट्र आंतरिक शत्रुओं पर कैसे विजय प्राप्त कर सकता है, इनसे कैसे लड सकता है, बहुत कठिन है लेकिन फिर भी असंभव नहीं, इनका बहिष्कार किया जा सकता है, इनको बेनकाब करके, जहाँ पर भी हो सके इनका कड़ा विरोध करके।
यदि इस चैनल ने यर कार्य निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए किया है तो यह समाज के लिए ठीक है कम-से-कम ये बेनकाब तो हुईं।
निष्पक्ष पत्रकारिता किया कीजिए लल्लनटाप के पत्रकारों, यही हम सब के लिए उचित है होगा।
सौरभ जो, आपकी बातों से इत्तेफाक रखते हुए, मैं कहना चाहुंगा कि अगर यह पुस्तक कहीं लोकल लाईब्रेरी में मिल गयी तो जरूर पढ़ुंगा, पर अरुन्धति जैसी लेखिका के लिए५९९/- रू खर्च करनै से अच्छा है कहीं दान कर देना।
He is the most balanced journalist I have ever seen. Long live Saurabh Dwivedi
Rahul Kanwal is balanced too.
your presentation is excellent
बेहतरीन प्रस्तुतिकरण...!!
she is a frustrated lady and there could be several reasons of her frustration, which i do not know, being a doctor and psychologist i can say that her get-up, her speech . her expressions and her writings are full of controversial matching and extra-ordinary kind of emotional expressions, which is coming out just like the person who is full of unfulfilled suppressive desires and incompleteness, this may be a cause of her background
of writings.
you are a psychologist? Where do you practice?
And what about the person commenting above on a person whom he don't know? What does psychology of this person says??
Will surely read this book.. your last sentence was very true, no one have rights to abuse anyone 👍
सौरभ जी आपके रिव्यु को पढ़कर ऐसा लगा मानो 2000 में आए कमलेश्वर के उपन्यास " कितने पाकिस्तान "की शैली को अरुंधति रॉय ने अपनाया है!
Wah wah saurab ji, pehli baar dekha book ka review bhot accha laga ,aage bhi kijiye please.thanks
सौरभ भाई मैं आपको नियमित सुन रहा हूँ। बौद्धिकता, देशिकता और साहित्यिकता का मणिकंचनामृत संयोग है आपकी शैली में। चूंकि मैं एक हिन्दी साहित्य का शिक्षक हूँ, पर वास्तविकता यह है कि आज भी साहित्य का विद्यार्थी हूँ और आपकी ही गांव माटी के निकट का हूँ इसलिए इस महानगरीय संस्कृति के बीच आपकी सीधे संवाद की शैली को बहुत पसंद करताहूँ। पर आपकी शैली में प्रायः मैं निर्वेयक्तिता की कुछ कमी महसूस करता हूँ ,ऐसा लगता है कि JNU के प्रभाव आप पर बहुत गहरा है।, एक पत्रकार या कथावाचक को पूर्णतः निर्वेयक्तितक होना चाहिए।
You described the Novel as if I would have read it....
Very nice review Saurab ji. What i like the most is " gaaliyan wo dete hain jinke tark kamjore hote hain" well said & very nicely linked with shankracharya's example. Great.
अनपढ़ और अंधभक्त; अरुंधती राय के साहित्य को पचा पाने में असमर्थ हैं। बौद्धिक स्तर ऊंचा चाहिए।
I have not read this book yet...but wanted to read...but.....change my mind i will not take it home....i dont want to give my single penny to this type of 'anti national' personality...don't try to mix it with rss and modi..its my humble request..bcoz its our right...i have read the 'god of small things' when i was in college bcoz of great english literature..and booker ...lab lab...lab....but after several years 'we' really understand real picture behind this intellectual heroism personality in which we believed...thanks to social media to provide 'globalised' knoledge to us.....u r personaly fantastic explainer..i like ur way of explaination.
एक देश के गद्दार की किताब का प्रचार आपको नहीं करना चाहिए यह सरासर गलत है आप भी एक तरह से देश के गद्दार का साथ दे रही मैं आशा करता हूं भविष्य में ऐसे गद्दार लोगों की किताब का प्रचार नहीं करेंगे आप और गद्दार का साथ देकर आप भी गद्दार कहलाने का का कष्ट नहीं करेंगे
भारत देश में सामान्य से उल्टा या विरोधी प्रतीक्रीया को अधिक ध्यान मीलता है
I read books, unfortunately know only Urdu (read/wright/ speak) English can read and speak (weak).
I suggest you to emphasize her to publish Urdu translate book. many people will buy & read.
In the view of of your comments in English you can read and write English I guess.
Aakhiri baat bht sahi boli h sir.
Very well done Sir..keep doing this
आप स्पष्टवादी, बेवाक और ईमानदार पत्रकार हैं, लगे रहें, शालीनता आप का गहना है, उसे कभी न छोड़ें
Agar padhenge nahi to tark witark kaise karenge.
Excellent Saurabh.
Mr Saurabh...is it worth discussing Arundhati's book? No wonder afterall u r Rajdeep sir fan..
Arundatti roy is great writter,and honest woman
I love the format and presentation of this show.
Truth delivery style is very fantastic.
I was a subscriber of Lalantop since beginning n I was admire of your style of presentation..
But during election period, I felt you are becoming little bit partial n so I have unsubscribe..
Be impartial that is the moral duty of every news reporter..
I like your analysis of novel..
Tu bhi atnki hai saurabh
You are very right
Yes, I am fully agree with you .
Lalantop is softcore naxals.
They glorifies Hindus and divertes when important thinks comes.
Sir , for the same reason I have also unsubscribed
सौरभ आप बहुत अच्छे हैं
दुकनदारी चला रहें सब लोगां, जहां से पैइसा बनें उ धंधा अपनाई लेत है, बाकी सब गई तेल लेने
सौरभ जी प्रणाम, मैं आपकी समीक्षा का दीवाना हूं, मैं रवीश कुमार अजीत भारती, राठी को सुनता हूं, मैं मोना आलम, नूर उल आर्फीन को ही सुनता हूं, अरुंधति रॉय मणि शंकर अय्यर विनोद दुआ जो अपनी एक अलग सोच रखता है सत्ता के दूर या पास रहते हैं लेकिन सत्ता में नहीं रहते या नहीं रह सकते हैं, क्योंकि चुनाव लड़ने का लंबा रास्ता तय नहीं करना चाहते, अरुंधति रॉय, मोहम्मद तुगलक की सी थोड़ी-थोड़ी, चमड़े के सिक्के चलवाये, दारुल इस्लाम को दखन में ले गया, खुद और मुल्क दोनों को नुक्सान पहुंचाया,भी ऐसी ही है, शायद विद्वान मगर अप्रासंगिक,, मैं चाहता भी यही था कि वह बेवफा निकले, उसे समझने का कोई तो मौका निकले,
zabardast ज़बरदस्त जुनियर रवीश
Ha ha 👍
सौरभ जी मैं आपको सुनता हूँ। सुनते-सुनते आपका फैन हो गया हूँ।
Sir ending Jai Hind k sath krtey to mja aa jata. 😅 #wellexplainedthanx
Going to read the book of Arundhati Roy, the most common name in Quiz Programmes of our times.. Respect u always Brother. Waiting for the next book
"ब्राह्मण - श्रमण संघर्ष " auther - राजेंद्र प्रसाद सिंह के बुक का एक्सप्लनेशन एपिसोड लाइए sir.. 🙏
I am a fan of your book reviews. The Kitabwala session is good. But the way you review them on your own, is another level.