Kohram Mach Gya | Anjuman Sipah-e-Hussaini Bhanauli Sadat
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- เผยแพร่เมื่อ 12 ต.ค. 2024
- Nauha- Kohram Mach Gaya
کہرام مچ گیا
कोहराम मच गया
Poet - Waiz Sultanpuri
Recited by - Anjuman Sipah-e-Hussaini - Bhanauli Sadat
10 Moharram 1446/2024
Lyrics (Hindi)
खैमे में आके शाह ने जब अलविदा कहा
कोहराम मच गया
सर पीट पीट रोने लगी बिन्ते मुर्तज़ा
कोहराम मच गया
1.
एक सिम्त रो रही थी सकीना झुकाए सर
जाते हो बाबा जान मुझे किस पे छोड़कर
अच्छी तरह से आप को बाबा है ये ख़बर
सोती नही मैं आपका सीना ना हो अगर
सोऊंगी मैं कहाँ ये सकीना ने जब कहा
कोहराम मच गया...
2.
आगोश में हुसैन ने बच्ची को ले लिया
कहने लगे की सब्र करो मेरी महलका
मैं वक़्त का इमाम हूँ तुमको भी है पता
जाऊं मैं कत्ल गाह यही रब की है रज़ा
बेटी तुम्हारे साथ रहेगा मेरा खुदा
कोहराम मच गया...
3
साबिर की लाडली हो सकीना रहे ये ध्यान
बुन्दे छीनेंगे होवेंगे ज़ख़्मी तुम्हारे कान
रस्सी बंधे गले मे तो डरना न मेरी जान
है मेरे साथ साथ तुम्हरा भी इम्तेहान
जब ये कहा कि देना न उम्मत को बददुआ
कोहराम मच गया...
4.
बेटी हमारे बाद तमाचे भी खाओगी
सीना हमारा सोने की खातिर न पाओगी
कैदी बनोगी शाम के जिन्दां में जाओगी
ईज़ा सफर में सबसे ज़्यादा उठाओगी
रस्सी से बांधा जाएगा नन्हा सा ये गला
कोहराम मच गया...
5.
बेटी से रो के कहने लगा फ़ातेमा का लाल
रहना फुफी के साथ रखेगी तेरा ख़याल
ग़ुरबत है तुम फुफी से न करना कोई सवाल
वरना तेरे पदर को बहुत होवेगा मलाल
फिर सर पे हाथ रख के जो देने लगे दुआ
कोहराम मच गया...
6.
रुख ज़ैनबे हज़ी की तरफ शाह ने किया
आगोश में बहन की सकीना को दे दिया
ज़ैनब से रोके कहने लगे शाहे कर्बला
बहेना हमारी प्यारी सकीना को देखना
मैं रन को जा रहा हूँ की नज़दीक है कज़ा
कोहराम मच गया...
7.
बेटी को जब सुपुर्दे बहेन कर चुके इमाम
रो कर बहेन से कहने लगे आसमा मक़ाम
जाना वतन जो कैद से छुटकर के नेक नाम
कहना मेरे शियों से मेरा आख़री सलाम
कहना की याद करते थे तुमको शहे होदा
कोहराम मच गया...
8.
बोले हुसैन बाज़ू बढ़ाओ मेरी बहेन
मैं बोसे लुँ वहाँ के बंधेगी जहाँ रसन
बाज़ू बढ़ा के रोई जो हमशीर खस्तातन
बोसे लिए तो रोने लगे खुद शहे ज़मन
अहले हरम में एक क़यामत हुई बपा
कोहराम मच गया...
9.
ये सुन के बिन्ते फ़ातेमा ज़हरा तड़प गई
बोली गला बढ़ाओ बस अब जल्द या अखी
अम्मा की बात आज मुझे याद आ गई
मैं बोसे लुँ वहाँ के चलेगी जहाँ छुरी
ख़ाहर ने बढ़ के चूमा बरादर का जब गला
कोहराम मच गया...
10.
आबिद के पास आए शहेंशाहे बहरोबर
मुँह देख देख बाप का रोने लगा पिसर
बीमार रो के कहने लगा अए मेरे पदर
जाऊं मैं रज़्म गाह इजाज़त मिले अगर
जब ये सुना तो शाह ने सर को झुका लिया
कोहराम मच गया...
11.
आबिद से रोके कहने लगे शाहे कर्बला
रण्डों का और यतीमों का बस तुम हो आसरा
जो मेरा इम्तेहान था सब मैंने दे दिया
आगे तेरा जेहाद है बीमारे कर्बला
ये कह के लाडले को गले से लगा लिया
कोहराम मच गया...
12.
बैतुस शरफ से निकले जो सुल्ताने कर्बला
सर को झुका के रोने लगा अस्पे बावफ़ा
दरिया की सिम्त देख के शब्बीर ने कहा
बैठूँ मैं ज़ुलजनाह पे अब्बास किस तरह
ये बैन सुन के हिलने लगी अर्ज़े कर्बला
कोहराम मच गया...
13.
भाई को तन्हा देख के ज़ैनब तड़प गई
रोती हुई हुसैन के नज़दीक आ गई
और फिर रक़ाब थाम के बोली की शाहेदीं
लो मैं सवार करती हूँ अब्बास गर नहीं
वाएज़ हुआ सवार जो ज़हरा का लाडला
कोहराम मच गया...
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