धार्मिक ग्रंथ किसे मानते है क्षत्रिय ? || क्या राजपूत वैदिक क्षत्रियों की संतान हैं ?
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- เผยแพร่เมื่อ 4 ต.ค. 2024
- धार्मिक ग्रंथ किसे मानते है क्षत्रिय ? || क्या राजपूत वैदिक क्षत्रियों की संतान हैं ?@The History
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इस वीडियो में जो भी जानकारी दी गई है वो राजस्थान की पाठ्य पुस्तक से ली गई है और यह राजपूतों की उत्त्पति के बारे में विदेशी इतिहासकारों और भारतीय इतिहासकारों के दिए हुए अपने अपने मत है, इस चैनल की तरफ से व्यूज के चक्कर में कभी भी और कोई भी गलत जानकारी नहीं दी जाएगी जो भी जानकारी दी जाएगी वो राजस्थान मे प्रचलित पुस्तकों में से ही दी जाएगी, वीडियो को लाइक शेयर और चैनल को सबस्क्राइब जरूर करें धन्यवाद 🙏
राजपूत ( राजपुत्र )शब्द के प्राचीन उल्लेख
एते रुक्सरथानाम राजपुत्रा महारथाः ( महाभारत 7 . 112 . 2 )
राजपूत शब्द नवीन नही है, यह संस्कृत के राजपुत्र शब्द का अपभ्रंस है ।
महाभारत के बाद भी, कौटिल्य के अर्थशास्त्र में , हर्षचरित्र ओर कादम्बरी ( बाण ) में भी राजपूत उर्फ राजपुत्र शब्द का उल्लेख हुआ है । यहां तक कि अभिलेखों में भी राजपूत शब्द का प्रयोग हुआ है -- विक्रम संवत 1287 के तेजपाल अभिलेख में भी राजपूत उर्फ राजपुत्र शब्द का उल्लेख हुआ है , ओर इस अभिलेख में राजपूत शब्द का प्रयोग " प्रतिहारो " के लिए ही हुआ है ।
(" भालिभाडा प्रभति ग्रामेसी संतिष्ठमान श्रीप्रतिहारवंशीय सर्वराजपुत्रेश्च ।। ")
इस तेजपाल मंदिर के अभिलेख में भी राजपुत्र / राजपूत शब्द का प्रयोग हुआ है ।
राजपूत हिन्दी का शब्द है। यह संस्कृत शब्द राजपुत्र शब्द का अपभ्रंश है। यह भाषाविज्ञान से प्रमाणित होता है की पुत्र शब्द का अपभ्रंश 'पूत' है। प्राचीन ग्रन्थों मे राजपूतों के लिय राजपुत्र, रजन्य, बाहुज आदि शब्द भी मिलते हैं। यजुर्वेद जो सायं ईश्वरकृत रचना है मे भी राजपूतों की खूब चर्चा हुई है।
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ब्रध्यतां राजपुत्राश्च बाहू राजन्य कृतः
बध्यतां राजपुत्राणाम क्रंदता मिततेरम .... यजुर्वेद अध्याय 3
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महाराज विक्रमादित्य के कवि अमरसिंघ अपनी रचना अमरकोश मे राजपूत या रजन्य के निम्नलिखित पर्यायवाची शब्द बताते हैं।
भूधारमिषिक्त राजन्यों बाहुज क्षत्रियो विरोट
राजा राट पार्थिव क्षमाभृनृय भूप महिक्षितः
अर्थात मूर्धाभिषिक्त, रजन्य, बहुज, क्षत्रिय, विरोट, राजा, पार्थिव, क्षमाभृनृय भूप और महीक्षित यह सभी क्षत्रियों के ही पर्यायवाची शब्द हैं। इसके बाद पुराणों मे सूर्य और चन्द्र वंश के राजपूतों के वंश हैं, की उत्पत्ति भी क्षत्रियों से मानी गयी हैं
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चंद्रादित्य मनुनांच प्रवाराः क्षत्रियाः स्मृतः
..... ब्रह्मावैवर्त पुराण, 10-15
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इसके अतिरिक्त कालीदास के माल्विकाग्निमित्रम कौटिल्य के अर्थशास्त्र अश्वघोष कृत सौंदरानंद तथा बाण के हर्ष चरित मे भी राजपुत्र शब्द का उल्लेख किया गया है। कवि बाण लिखते हैं -
अभिजात राजपुत्र प्रेष्यमाण कुप्यमुक्ता कुल कुलीन कुल पुत्र वाहने
... सप्तम उच्छ्वास पृष्ठ 364
अर्थात सेना के साथ आभिजात्य राजपूतों द्वारा भेजे गए पीतल पत्रों से मढ़े वाहनों मे कुलीन राजपुत्रों की स्त्रियाँ जा रही हैं ।
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ॠगवेद में
‘कस्य धतधवस्ता भवथ: कस्य बानरा,।
राजपुत्रेव सवनाय गच्छद’॥
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यजुर्वेद में
‘पश्वी राजपुत्रो गोपायति राजन्यों वै प्रजानामधिपति रायुध्रुंव आयुरेव
गोपात्यथो क्षेत्रमेव गोवायते’॥
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तथा ॠगवेद में ही ''ब्राह्मणोस्य मुखमासीद्वाहू राजन्य कृत्य:'', के गहरे काले शब्द यह प्रकट करते हैं कि 'राजपुत्र' तथा 'राजन्य' समानार्थक रुप में प्रयुक्त हुवे हैं ||
*) = कल्हड़ की राज तरंगिनी, ज्योतिरिश्वर ठाकुर के वर्ण रत्नाकर और जेन आचार्य हेम चंद्र सूरी के कुमार पाल चरित ग्रन्थ में 36 राजपुत्र / क्षत्रिय कुलों का वर्णन है,
*) = नयन चंद सूरी का हम्मीर महाकाव्य, पद्म गुप्त के नवसहृसांक चरित और पृथ्वीराज रासो ग्रन्थ के अनुसार राजपूतों की उत्पति अग्नि कूल से हुई है |
Bhai hum chaturvarn ko nhi maante.
Hum sirf rajput hai, naa angrejo k hun-scythian or naahi tathakathit brahmano k kshatriya.
Hum pandit-purohit ko jaante hai-kisi brahman ko nhi, Hum baniya ko jaante hai-kisi vaishya ko nhi, Hum har hindu jaatiyo or unke paramparik karm ko jaante hai par koi shudra ko nhi.
Hamara paramparik karm rajao or yoddhao ka hai.
Jo bhi ye brahman, kshatriya, vaishya, shudra k naam par hamare bhoomi ko khandit karne wale shaant ho jaaye.
Rajput vaidik Khatriyon ki nahi White Hounds ki santane hai .
Sab gapoda hai.koivedic kaal nahi tha. Brahmano ne sare granth mugal kaal me likhe.