मेरे पुत्र का विवाह 26 अक्टूबर2024 को हरिद्वार के शांतिकुंज आश्रम में है। मैं चाहता हूं कि आप जैसा कोई वैदिक पद्धति से ही विवाह संपन्न कराए। आप इस संबंध में कैसे उपलब्ध हो सकतेहैं
आचार्या जी नमस्ते। आग्रह है खड़े होकर संस्कार न कराऐं। राजनीतिक नेताओं काम है। अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग कम करें। मधुपर्क कन्यादान कन्या के माता-पिता द्वारा होता है। संस्कारों की विधि की पवित्रता एवं परम्पराओं का भी ध्यान देना भी आवश्यक है।
व्याख्या शुद्ध नहीं है. जन्म जन्मान्तर तक हम दोनों में प्रेम बना रहे... ये वैदिक संस्कार नहीं कह सकते... अगले जन्म का ये ही जीवनसाथी हो, ये निश्चित नहीं होता, तो ये वैदिक सिद्धांत से विरुद्ध है देवी। 🙏🏼
ये ही विडंबना है हम मनुष्यो की. सत्य बताने की इच्छा है पर जानने की नहीं. वैदिक सिद्धांत में जाति आयु और भोग ईश्वर के संज्ञान में हैँ, कब कहां किसे कौन जन्म मिलेगा निश्चित नहीं है केवल ईश्वर जानता है,, तब ये कहना कि जन्म जन्मान्तर तक यानि अनेक जन्मों तक हमारा प्रेम पति पत्नी के रूप में बना रहेगा ये कथन सिद्धांत के विरुद्ध है... अपने वैदिक सिद्धांत के शुद्ध ज्ञानियों से चर्चा करके तब प्रचार करें....😊वरना अशुद्ध प्रचार का पाप भी कमाओगे
@@Spritual-b9kनिश्चित तो कुछ भी नहीं सिवाय मौत के।तो फिर कुछ भी करना छोड़ दो।घर में बैठे रही।निश्चित तो ये भी नहीं कि हम जो कुछ खा रहे हैं वो पचेगा की भी नही तो क्या खाना छोड़ दोगे?
ये ठीक है कि आप बहुतों से ठीक हैं, लेकिन ये भी सत्य है कि विवाह संस्कार आपका ठीक नही है। बहुत सी त्रुटियां हैं। विवाह के मामले में आचार्य रविंद्र आर्य जी कानपुर वालों का कोई जवाब नही है। आपको भी उनसे इस विषय में विमर्श करना चाहिए।
या तो हिन्दी में ही समझाए या अंग्रेजी में ही बताए क्यों मिक्चर कर रही है आप हम चाहेंगे कि अगले कार्य में आप हिन्दी में ही समझाएं वैदिक मंत्रों के बाद नमस्ते
दर्शन व अध्यात्म के ज्ञान न होने से ऐसे प्रचारक ज्ञान देकर जनता को bhrmit कर देते हैँ... जीव स्वतंत्र कहां हुआ फिर देवी इसी video में 20:38 पर आप ज्ञान दे रही हैँ. ईश्वर चुनता है उसका चुना हुआ टूटता नहीं है......तो जब टूटना ही नहीं है तो ये सब वचन.. एक साथ मिलकर चलो ये वाली बात की आवश्यकता नहीं हैं.....
दुःखद है आर्यसमाज में आकर, हल्दी की गांठ से ही पूरे पंसारी बन रहे हैँ. आम जनता इन्ही को सुनकर वैसा ही सिद्धांत मानती है। खुद पत्थर की नाव पर बैठें है ओर बाकियों को भी डूबा रहे हैँ।
यह तो ग़लत प्रारंभ किया गया है। सबसे पहले गौरी-गणेश स्मरण आवाहन स्थापन पूजन आदि कलश स्थापन पूजन आदि देव गणों का स्वागत आदि किया जाता है। इसमें कम से कम ढाई से तीन घंटे लगना ही लगना है।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति दीदी
Aap great ho aap ko dil se naman hi💕💕💕💕
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
बहुत अच्छा दीदी
बहुत सुन्दर
Bahut hi sunder di 👍🙏🚩🔥
अति उत्तम विचार
Bahut sunder 🙏🙏
बहुत अच्छा लगा है।❤❤❤
Bahut acha.... namaste jiii
Bahut achha
Fantastic 🎉
Om
खुब सरस
बहुत बहुत सुंदर
🙏
Very nice
Good work
मेरे पुत्र का विवाह 26 अक्टूबर2024 को हरिद्वार के शांतिकुंज आश्रम में है। मैं चाहता हूं कि आप जैसा कोई वैदिक पद्धति से ही विवाह संपन्न कराए।
आप इस संबंध में कैसे उपलब्ध हो सकतेहैं
vary good
Hamari bahan Ji Ne bahut badhiya Karya Kiya
🚩🕉️🚩🪔⚖️🎤💐
आचार्या जी नमस्ते। आग्रह है खड़े होकर
संस्कार न कराऐं। राजनीतिक नेताओं काम है। अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग कम करें। मधुपर्क कन्यादान कन्या के माता-पिता द्वारा होता है। संस्कारों की विधि की पवित्रता एवं परम्पराओं का
भी ध्यान देना भी आवश्यक है।
व्याख्या शुद्ध नहीं है. जन्म जन्मान्तर तक हम दोनों में प्रेम बना रहे... ये वैदिक संस्कार नहीं कह सकते... अगले जन्म का ये ही जीवनसाथी हो, ये निश्चित नहीं होता, तो ये वैदिक सिद्धांत से विरुद्ध है देवी। 🙏🏼
कृपया सही वैदिक व्याख्या बताएं।❤❤
तुम्हारे कल्चर में तो शादी भी नहीं करते बिना बाप के ही ईसा मसीह पैदा हो गया था कि
ये ही विडंबना है हम मनुष्यो की. सत्य बताने की इच्छा है पर जानने की नहीं.
वैदिक सिद्धांत में जाति आयु और भोग ईश्वर के संज्ञान में हैँ, कब कहां किसे कौन जन्म मिलेगा निश्चित नहीं है केवल ईश्वर जानता है,, तब ये कहना कि जन्म जन्मान्तर तक यानि अनेक जन्मों तक हमारा प्रेम पति पत्नी के रूप में बना रहेगा ये कथन सिद्धांत के विरुद्ध है... अपने वैदिक सिद्धांत के शुद्ध ज्ञानियों से चर्चा करके तब प्रचार करें....😊वरना अशुद्ध प्रचार का पाप भी कमाओगे
@@Spritual-b9kनिश्चित तो कुछ भी नहीं सिवाय मौत के।तो फिर कुछ भी करना छोड़ दो।घर में बैठे रही।निश्चित तो ये भी नहीं कि हम जो कुछ खा रहे हैं वो पचेगा की भी नही तो क्या खाना छोड़ दोगे?
आपकी बात सही है निश्चित नहीं है पर करना है, पर जो विषय लिया गया है उसपर रहें... विषयान्तर न हों।@@opverma1938
ये ठीक है कि आप बहुतों से ठीक हैं, लेकिन ये भी सत्य है कि विवाह संस्कार आपका ठीक नही है। बहुत सी त्रुटियां हैं। विवाह के मामले में आचार्य रविंद्र आर्य जी कानपुर वालों का कोई जवाब नही है। आपको भी उनसे इस विषय में विमर्श करना चाहिए।
या तो हिन्दी में ही समझाए या अंग्रेजी में ही बताए क्यों मिक्चर कर रही है आप हम चाहेंगे कि अगले कार्य में आप हिन्दी में ही समझाएं वैदिक मंत्रों के बाद नमस्ते
दर्शन व अध्यात्म के ज्ञान न होने से ऐसे प्रचारक ज्ञान देकर जनता को bhrmit कर देते हैँ... जीव स्वतंत्र कहां हुआ फिर देवी इसी video में 20:38 पर आप ज्ञान दे रही हैँ. ईश्वर चुनता है उसका चुना हुआ टूटता नहीं है......तो जब टूटना ही नहीं है तो ये सब वचन.. एक साथ मिलकर चलो ये वाली बात की आवश्यकता नहीं हैं.....
मैंने उनके कई सारे वीडियो देखे हैं। कोई एक वीडियो भी ऐसा नहीं है जिसमें सैद्धांतिक त्रुटि न पाई गई हो।
दुःखद है आर्यसमाज में आकर, हल्दी की गांठ से ही पूरे पंसारी बन रहे हैँ. आम जनता इन्ही को सुनकर वैसा ही सिद्धांत मानती है। खुद पत्थर की नाव पर बैठें है ओर बाकियों को भी डूबा रहे हैँ।
आर्य समाज की तरह पहले पढ़कर ऐसा मंत्र तो बोलकर तो बताइए@@Spritual-b9k
यह तो ग़लत प्रारंभ किया गया है। सबसे पहले गौरी-गणेश स्मरण आवाहन स्थापन पूजन आदि कलश स्थापन पूजन आदि देव गणों का स्वागत आदि किया जाता है। इसमें कम से कम ढाई से तीन घंटे लगना ही लगना है।
बहुत सुन्दर