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Osho dhara AANAND AMRIT UTSAV KI DHARA

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  • เผยแพร่เมื่อ 13 พ.ย. 2018

ความคิดเห็น • 23

  • @prakashnasurde6623
    @prakashnasurde6623 2 ปีที่แล้ว +1

    Jay Osho

  • @kailashrajputrajputkailash6004
    @kailashrajputrajputkailash6004 3 ปีที่แล้ว +2

    अति सुन्दर वीडियो

  • @neelamsurbhi3879
    @neelamsurbhi3879 2 ปีที่แล้ว +1

    Vary nice sweeat beautiful geeat he jay osho oummm thanks nlove

  • @makbulkhankayamkhanihistor7675
    @makbulkhankayamkhanihistor7675  5 ปีที่แล้ว +5

    संसार की पूरी दौड़ के बाद आदमी के चेहरे को देखो, सिवाय थकान के तुम वहां कुछ भी न पाओगे। मरने के पहले ही लोग मर गए होते हैं। बिलकुल थक गए होते हैं। विश्राम की तलाश होती है कि किसी तरह विश्राम कर लें। क्यों इतने थक जाते हो!
    आदमी बूढ़ा होता है, कुरूप हो जाता है। तुमने जंगल के जानवरों को देखा? बूढ़े होते हैं, लेकिन कुरूप नहीं होते। बुढ़ापे में भी वही सौंदर्य होता है। तुमने बूढ़े वृक्षों को देखा है? हजार साल पुराना वृक्ष! मृत्यु करीब आ रही है, लेकिन सौंदर्य में रत्तीभर कमी नहीं होती। और बढ़ गया होता है। उसके नीचे अब हजारों लोग छाया में बैठ सकते हैं। सौंदर्य में कोई फर्क नहीं पड़ता। सौंदर्य और गहन हो गया होता है।
    बूढ़े वृक्ष के पास बैठने का मजा ही और है। वह जवान वृक्ष के पास बैठने से नहीं मिलेगा। अभी जवान को कोई अनुभव नहीं है। बूढ़े वृक्ष ने न मालूम कितने मौसम देखे। कितनी वर्षाएं, कितनी सर्दियां, कितनी धूप, कितने लोग ठहरे और गए, कितना संसार बहा, कितनी हवाएं गुजरीं, कितने बादल गुजरे, कितने सूरज आए और गए, कितने चांदों से मिलन हुआ, कितनी अंधेरी रातें--वह सब लिखा है। वह सब उसमें भरा है। बूढ़े वृक्ष के पास बैठना इतिहास के पास बैठना है। बड़ी गहरी परंपरा उसमें से बही है।
    बौद्धों ने, जिस वृक्ष के नीचे बुद्ध को ज्ञान हुआ, उसे बचाने की अब तक कोशिश की है। वह इसीलिए कि उसके नीचे एक परम घटना घटी है। वह वृक्ष उस अनुभव से अभी आपूरित है। वह वृक्ष अभी भी उस स्पंदन से स्पंदित है। वह जो महोत्सव उसके नीचे हुआ था, वह जो बुद्ध परम ज्ञान को उपलब्ध हुए थे, वह जो प्रकाश बुद्ध में जला था, उस प्रकाश की कुछ किरणें अभी भी उसे याद हैं। और अगर तुम बोधिवृक्ष के पास शांत होकर बैठ जाओ, तो तुम अचानक पाओगे ऐसी शांति, जो तुम्हें कहीं भी न मिली थी। क्योंकि तुम अकेले ही शांत नहीं हो रहे हो। उस वृक्ष ने एक अपरिसीम शांति जानी है। वह अपने अनुभव में तुम्हें भागीदार बनाएगा।
    बूढ़े वृक्ष सुंदर हो जाते हैं। बूढ़े सिंह में और ही सौंदर्य होता है, जो जवान में नहीं होता। जवान में एक उत्तेजना होती है, जल्दबाजी होती है, अधैर्य होता है, वासना होती है। बूढ़े में सब शांत हो गया होता है। लेकिन आदमी कुरूप हो जाता है। क्योंकि आदमी थक जाता है। वृक्ष परमात्मा के खिलाफ नहीं लड़ रहे हैं। उन्होंने पाल खोल रखे हैं। जहां उसकी हवा ले जाए, वे वहीं जाने को राजी हैं। तुम उसके खिलाफ लड़ रहे हो।
    आदमी अकेला उसके खिलाफ लड़ता है। इसलिए थकता है, टूटता है, जराजीर्ण होता है। अगर जीवन एक संघर्ष है तो यह होगा ही।
    ओशो

  • @hanumarwadi97
    @hanumarwadi97 5 ปีที่แล้ว +2

    Very very nyc

  • @user-sf5hk4iv3n
    @user-sf5hk4iv3n 5 ปีที่แล้ว +3

    very nice

  • @livershrma1134
    @livershrma1134 5 ปีที่แล้ว +1

    Super swami ji

  • @makbulkhankhokharofficialj9953
    @makbulkhankhokharofficialj9953 3 ปีที่แล้ว +1

    Osho dhara

  • @maheshcharan7990
    @maheshcharan7990 3 ปีที่แล้ว +2

    Must must must
    Thank u...ma...

  • @harunmohammadjnvu4564
    @harunmohammadjnvu4564 5 ปีที่แล้ว +2

    Fantastic sir ji

  • @harunmohammadjnvu4564
    @harunmohammadjnvu4564 5 ปีที่แล้ว +2

    Super

  • @roushansharma5565
    @roushansharma5565 5 ปีที่แล้ว +2

    A masterpiece handfcraft🙏🙏👌👌👌

  • @makbulkhankayamkhanihistor7675
    @makbulkhankayamkhanihistor7675  3 ปีที่แล้ว +2

    th-cam.com/video/q2UHkDpjaNg/w-d-xo.html
    ओशोधारा
    At मुरथल
    सत्य की खोज में कुछ दिन की यात्रा

  • @makbulkhankayamkhanihistor7675
    @makbulkhankayamkhanihistor7675  3 ปีที่แล้ว +1

    th-cam.com/video/q2UHkDpjaNg/w-d-xo.html
    Tour at मुरथल (सोनीपत)
    Just for enjoy and search truth of life
    🤝🏻🌹❤️💐👏