अगर आप भी
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- เผยแพร่เมื่อ 1 ธ.ค. 2024
- अगर आप भी #भाग्य को देते हैं #दोष तो कर रहे हैं बड़ी #गलती #bhagwan #maya #pita #dosh #shiv #krishan #ishwar
मनुष्य के भाग्य को कौन बदल सकता है?
जो भाग्य में लिखा होता है वही होता है क्या
दिव्य संत श्री घनश्याम दास जी: एक परिचय
श्री घनश्याम दास जी महाराज पंचम मूल जगद्गुरू श्री कृपालु जी महाराज के आत्मज हैं। वे ब्रज के एक दिव्य संत हैं जो श्री राधा कृष्ण की उपासना करने की शिक्षा साधकों को देते हैं।
वे माँ पद्मा के ज्येष्ठ सुपुत्र के रूप में अवतरित हुए। उन्हें अपनी पद्मा माँ का विशेष स्नेह और आशीर्वाद भी प्राप्त है। माता और पिता दोनों के अधिकांश गुण उन्हें प्राप्त हैं। उनसे मिलकर स्पष्ट आभास हो जाता है कि वे श्री महाराज जी के प्रतीकात्मक स्वरूप हैं। उनके संग से भक्तों को अत्यंत आनंद और शांति का अनुभव होता है।
श्री कृष्ण की असीम कृपा से उनका बाल्य काल ब्रज की गलियों में ही व्यतीत हुआ है। संस्कृत भाषा का मूलभूत अध्ययन उन्होंने संस्कृत पाठशाला "वृंदावन निंबार्क पाठशाला" (गुरुकुल) से ही प्रारंभ की थी। उन्हें 8 वर्ष की आयु में ही "भगवद्गीता" और "लघु सिद्धांत कौमुदी" कंठस्थ हो गई थी।
उन्होंने दर्शनशास्त्र से MA तथा विधि स्नातक की शिक्षा भी प्राप्त की है किंतु संसार के समस्त जंजालों का परित्याग कर मुक्त हृदय से वृंदावन वास करके श्री कृष्ण भक्ति में लीन रहे।
उन्हें चारों वेद, गीता, भागवत सहित 18 पुराण, रामायण आदि ग्रंथों का ज्ञान उनके पिता एवं गुरु श्री पंचम मूल जगद्गुरू कृपालु जी महाराज की कृपा से जन्मतः सहज ही प्राप्त है।
श्री घनश्याम दास जी की प्रकाशित सिद्धांत की पुस्तकें: "भक्ति तत्व विधा", जगद्गुरू श्री कृपालु जी महाराज की जीवनी की पुस्तक : "जगद्गुरू कृपालु चरितामृत", पद संग्रह पुस्तकें: "प्यारो लगे नंदलाला", "भक्ति रस विधा", "घनश्याम भजन रस", "प्रेम संकीर्तन", "संक्षिप्त रामायण", "जगद्गुरू चालीसा" आदि साधकों के हृदय को बरबस द्रवित करती हैं। उनका भावपूर्ण काव्य साधकों के हृदय में भक्ति का संचार कराता है।
श्री घनश्याम दास जी महाराज ने अपने पूज्य पिता एवं गुरु श्री जगद्गुरू कृपालु जी महाराज के अवतार काल में अपनी भक्ति तथा अपने दिव्य प्रतिभा और दिव्य ज्ञान के भंडार को अपने पिता के सम्मान हेतु प्रदर्शित नहीं होने दिया। श्री कृपालु जी महाराज के गोलोक गमन के पश्चात् श्री कृष्ण भक्ति के प्रचार कार्य हेतु उन्होंने अपना जीवन समर्पित किया है।
उनका बालवत् सरल स्वभाव जीवों को बरबस आकर्षित करता है। उनके द्वारा जीवों की समस्त आध्यात्मिक जिज्ञासाओं का समाधान किया जाता है। उनके कीर्तनों में तो साक्षात् ब्रज रस बरसता ही है। यह केवल अनुभवगम्य विषय है, इसका शब्दों में वर्णन करना असंभव है। साधक जन उनके दिव्य सत्संग का लाभ अवश्य ही लें।
Divine Saint Shri Ghanshyam Das Ji is a saint of the highest order who inspires and guides aspiring souls to attain the Selfless Divine Love of Shri Radha Krishna. He is the eldest son of the fifth Original Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj and Maa Padma. He received his boundless knowledge and divine blessings from his parents and continues to shower the same on the souls seeking the Divine Love of Shri Radha Krishna. He was born on the auspicious occasion of Nagpanchmi. At the tender age of six years, he could recite the entire Bhagavad Gita. Even as a child when he used to sing, people would flock around to listen to his soul-stirring kirtans. He obtained the divine knowledge of scriptures - Vedas, Upanishads, Puranas, Gita, Bhagwat, and Ramayana effortlessly by the grace of his father Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj. His poetry is imbued with the nectar of Divine Love and is musically mesmerizing which touches the heart of everyone. His ability to pen divine prose and poetry is incredible and this got reflected from the early days of His childhood. His published books/ compositions are “Jagadguru Kripalu Charitaamrita - Remembrance of My Father and Guru”, “Pyaro Lage Nandlala”, “Bhakti Ras Vidha”, etc. His child-like simple nature attracts everyone, people naturally feel happy and carefree in his divine presence. He resolves the spiritual queries of seekers with amazing clarity and unfailing wisdom based on Vedic scriptures. Any person in his association and devotional singing can’t help but feel spiritual bliss. This is only a subject of experience - it is impossible to describe it in words. His discourses light up the minds with divine knowledge and his soulful poetry softens the hearts of even the most lost souls. Aspirants of divine bliss (sadhaks) are blessed every day with his divine Satsang in Vrindavan. We, Sadhaks are immensely fortunate to get continuous guidance from an extraordinary saint like Him.
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Shri radhe radhe🙏
त्मेव माता च पिता त्मेव 👣🙇♂️
Jagadguru Shri kripalu Ji mahaprabhu ki jay ho mere pyare pyare maharaj ji ki jai ho 🙇🌹🙇🌹🙇...... Radhe Radhe pyare bade bheiya 🙇🙇🙇
Radhe Radhe Guruwar Bhalihar Bhalihar
Shri Ghanshyam Kripaluji Maharaj ki Jaiii 🙏🌹❤️🥰
Radhey Radhey💖💖🌹🌹🙏🙏
राधा गोविंद गीत/मनगढ़ ऐसा जा में गोविंद राधे
❤️🌹हरि ही है कर्म फल दाता बता दे🌹🙏
❤️ हरि साथी बने का हे गोविंद राधे 🌹 ❤️ 🌹गुरु साथी बिगरे का बिगरि बना दे😂🙏
❤️🌹गुरु की कृपा बिनु गोविंद राधे🌹❤️
🙏कोई ऐसी शक्ति नहि माया से बचा दे😂
❤️🌹 गुरु मेरो कृपालु सुभाग हमारो😂🙏
❤️🌹श्रीमद् सद्गुरु सरकार की जय हो🙏
❤️🌹परम धन गुरु सेवा ही धर्म हमारो🙏
हमारे प्यारे भैया जी के चरणों में नमन 🙏 राधे राधे🙏🌹श्री कृपालु धाम भक्तिधाम की जय हो🌹🙏 राधे राधे 🙏❤️