ईस संसार मे जोभी गुरु(गोड मैसेंजर)बने हुये हैं सब परमात्मा की आङ मे खुद कोही चमकाते हैं चेलों की कमाई पर संसार के सुख भोगते हैं और ब्रैन वाश करके चेलों को ताजीवन गुलाम बनाकर उनपर राज करते हैं।क्या कल्याण होगा मन घङंत ग्रंथ शास्त्रों की कहानी और चुटकुले सुनकर ?? परम गुरु तो परमात्मा(नि:शब्द) ही है वह बिमारी का ज्ञान नहीं देता सम्मुख होते ही बिमारी को जङ से समाप्त कर देता है... परमात्मा का कोई ज्ञान नहीं होता जिसे लेकर दुकान चलायी जा सके .. ज्ञान नहीं वह तो समाधान है जो बिना किसी भी तरह के भेद भाव के मनुष्य ही नहीं समस्त चराचर के शुन्य ,तत्त्व ,अतत्व,सजीव निर्जीव पिंड ब्रह्मंड जोभी उसकी शरण मे आजाये उसे निरबन्ध करके प्रकर्ति के माया जाल से मुक्त कर देते हैं। शरीर व मन से अनुभव में आनेवाले सब शुन्य से उत्पन्न होकर शुन्य में ही समाजाते हैं। सजीव या निर्जीव --जीव अवस्था ही है जो ऐक दूसरे पर आधारित हैं अर्थात सब परजीवी।आत्मनिर्भर कोई नहीं।जीव अवस्था द्वैत तथा अद्वैत वाली होती है पर आत्मिक अवस्था द्वैत अद्वैत से पार की अवस्था है। समरस,भेदभाव रहित, अजर,अमर,अखन्ड, अविनाशी, अजन्मा, विदेही, सर्व व्यापक, सर्व समर्थ,अकर्ता, सबका आधार सर्जन विसर्जन से परे,निर्लिप्त, निर्मोही अवस्था है। *नि: शब्द* ही ऐसा हैअन्य कोई नहीं। सावधान परमात्मा स्वयं परम गुरु है उसके लिए किसी मनुष्य देवी देवता पीर पैगम्बर अवतार को गुरु बना वो गे तो जबरदस्त धोका खाओगे। जितना जल्दी हो सके मन से इस तरह के गुरूवों को त्याग दें इसी में आपका कल्याण है नहीं तो गुरु महिमा पढा पढा कर जीवन का अमुल्य समय बर्बाद करके परमात्मा से बहुत दूर कर देंगे वस्तव मे नि:शब्द ,आत्मा, परमात्मा भगवान,गोड,वाहे गुरु, ईश्वर,अल्हा,व्याकरण के शब्द हैं यह मन को समझाने के लिए उस परम सत्य को बताने के ईसारे मात्र ही हैं।सत्य को तो बताया जा ही नहीं सकतावह मन बुद्धि के लिये अलख है और मन की औकात नहीं उसको अपने प्रयत्न से जान सके पर *नि:शब्द*अन्य समस्त ईसारों से ज्यादा सत्य को अच्छी तरह दर्शाता है क्योंकि परमात्मा कम्पलीट साईलेंस (पूर्ण शान्त) अवस्था है जिसे कोई भी परिस्थिति विचलित नहीं कर सके परम शांत अचल,अविचल,स्थित-प्रज्ञ,भावातीत और जो समष्टि का आधार है,समरस,भेदभाव रहित,सर्वव्यापक, अजर,अमर,अखन्ड, अविनाशी, अजन्मा, विदेही, सर्व व्यापक, सर्व समर्थ,अकर्ता, सर्जन विसर्जन से परे,निर्लिप्त, निर्मोही अवस्था है।ऐसी अवस्था नि:शब्द के अतिरिक्त क्या हो सकती है???? अन्य कुछ भी हो ही नहीं सकती। जितने भी पंथ, धर्म, ग्रंथ किताबें हैं यह मनुष्य क्रत हैं इनमें कभी भी आपको पूर्ण सत्य नहीं मिलेगा। पूर्ण सत्य का अनुभव मन के पार ही होता है। इस प्रथ्वी पर सबसे निक्रष्ट प्राणी मनुष्य ही है जिसने अपने स्वार्थ के लिए हवा, पानी,जमीन को प्रदूषित करदी उसकी क्रतियों पर विश्वास करते हो भयंकर धोका खावोगे अब भी चेत जावो। *नि: शब्द*आत्मा, परमात्मा ऐक ही हैै इसके अतिरिक्त कोई सत्य नहीं।
Wow ji bhut sundar 🙏🙏🙏🙏🙏
पिलुराम
बहुत-बहुत धन्यवाद जी
सत साहेब
Bhoot pyari bani hai
Sat sahib ji
bahut khub
Nice baniya muladash no>.
वाह वाह मुलदास कामङ
जय हो मूलदास जी की
Ram Ram sa
Ram Ram sa
bhut bdiya bhajan
Bahot khub ji
Anand aa gya ji
Jai guru dev ri sa
,,
@@गजेन्द्रमिश्री ,etc
D
Kya khub Gaya h ji muldss ji
Gjb
Super bhajan
Bhut Sundar awaz Ram Ram ji
Ramramramram
Nice bhajn muldas ji
नाईस भजन
Sh Grwaji maharaj ki jai ho ram
Very good vinod
Nice bhajan
😊😊😊
😅
Bhuat nice ji
Wah.ji.mooldas.ji
ओम प्रकाश पंवार
वाह जी मूलदास जी
Nice 👌👌👌👌
Very very nice
Very nice
सतगुरु दयाल की जय हो
Bahut khoob dil khush ker diya. Nice bhajan
Sat Sahib ji
Satsaheb
Doulatram Nandiwal -Dholkio
Very nice beautiful and Rajasthani bhajan muldas Kamad thank you very much thank you very much
🙏🙏
Very nice bhajan
देवर। जभील
देवर। जभील
देवर। जभील
जय श्री नाथ जी की आदेश आदेश
Super song
Very good
Aasa गायक nhi hoga enke jane k bad bhut achha gate h
Thank u g
ल। ईक
ल। ईक
Kya baat verry nice dadaji prnam h aapko randev ji ke bhajan bhi sunao muldas kamer ji ke
Very quiet bhajan
Sat saheb ji
nice
राम राम जी
Ram Ram g
जय संता की जय
Nice Bajan
राम राम जय श्री राम
Dharmpal Sen Kheri barki hissr haryana goad nice vani
बहुत-बहुत धन्यवाद आपका चैनल को सब्सक्राइब करें वह अपने जानकारों से सब्सक्राइब करवाएं
Nice
बणा रहीयो संता
Sat saheb
Super ji
ईस संसार मे जोभी गुरु(गोड मैसेंजर)बने हुये हैं सब परमात्मा की आङ मे खुद कोही चमकाते हैं चेलों की कमाई पर संसार के सुख भोगते हैं और ब्रैन वाश करके चेलों को ताजीवन गुलाम बनाकर उनपर राज करते हैं।क्या कल्याण होगा मन घङंत ग्रंथ शास्त्रों की कहानी और चुटकुले सुनकर ??
परम गुरु तो परमात्मा(नि:शब्द) ही है वह बिमारी का ज्ञान नहीं देता सम्मुख होते ही बिमारी को जङ से समाप्त कर देता है... परमात्मा का कोई ज्ञान नहीं होता जिसे लेकर दुकान चलायी जा सके .. ज्ञान नहीं वह तो समाधान है जो बिना किसी भी तरह के भेद भाव के मनुष्य ही नहीं समस्त चराचर के शुन्य ,तत्त्व ,अतत्व,सजीव निर्जीव पिंड ब्रह्मंड जोभी उसकी शरण मे आजाये उसे निरबन्ध करके प्रकर्ति के माया जाल से मुक्त कर देते हैं।
शरीर व मन से अनुभव में आनेवाले सब शुन्य से उत्पन्न होकर शुन्य में ही समाजाते हैं। सजीव या निर्जीव --जीव अवस्था ही है जो ऐक दूसरे पर आधारित हैं अर्थात सब परजीवी।आत्मनिर्भर कोई नहीं।जीव अवस्था द्वैत तथा अद्वैत वाली होती है पर आत्मिक अवस्था द्वैत अद्वैत से पार की अवस्था है।
समरस,भेदभाव रहित, अजर,अमर,अखन्ड, अविनाशी, अजन्मा, विदेही, सर्व व्यापक, सर्व समर्थ,अकर्ता, सबका आधार सर्जन विसर्जन से परे,निर्लिप्त, निर्मोही अवस्था है। *नि: शब्द* ही ऐसा हैअन्य कोई नहीं।
सावधान परमात्मा स्वयं परम गुरु है उसके लिए किसी मनुष्य देवी देवता पीर पैगम्बर अवतार को गुरु बना वो गे तो जबरदस्त धोका खाओगे। जितना जल्दी हो सके मन से इस तरह के गुरूवों को त्याग दें इसी में आपका कल्याण है नहीं तो गुरु महिमा पढा पढा कर जीवन का अमुल्य समय बर्बाद करके परमात्मा से बहुत दूर कर देंगे
वस्तव मे नि:शब्द ,आत्मा, परमात्मा भगवान,गोड,वाहे गुरु, ईश्वर,अल्हा,व्याकरण के शब्द हैं यह मन को समझाने के लिए उस परम सत्य को बताने के ईसारे मात्र ही हैं।सत्य को तो बताया जा ही नहीं सकतावह मन बुद्धि के लिये अलख है और मन की औकात नहीं उसको अपने प्रयत्न से जान सके पर *नि:शब्द*अन्य समस्त ईसारों से ज्यादा सत्य को अच्छी तरह दर्शाता है क्योंकि परमात्मा कम्पलीट साईलेंस (पूर्ण शान्त) अवस्था है जिसे कोई भी परिस्थिति विचलित नहीं कर सके परम शांत अचल,अविचल,स्थित-प्रज्ञ,भावातीत
और जो समष्टि का आधार है,समरस,भेदभाव रहित,सर्वव्यापक, अजर,अमर,अखन्ड, अविनाशी, अजन्मा, विदेही, सर्व व्यापक, सर्व समर्थ,अकर्ता, सर्जन विसर्जन से परे,निर्लिप्त, निर्मोही अवस्था है।ऐसी अवस्था नि:शब्द के अतिरिक्त क्या हो सकती है????
अन्य कुछ भी हो ही नहीं सकती।
जितने भी पंथ, धर्म, ग्रंथ किताबें हैं यह मनुष्य क्रत हैं
इनमें कभी भी आपको पूर्ण सत्य नहीं मिलेगा।
पूर्ण सत्य का अनुभव मन के पार ही होता है।
इस प्रथ्वी पर सबसे निक्रष्ट प्राणी मनुष्य ही है जिसने अपने स्वार्थ के लिए हवा, पानी,जमीन को प्रदूषित करदी
उसकी क्रतियों पर विश्वास करते हो भयंकर धोका
खावोगे अब भी चेत जावो।
*नि: शब्द*आत्मा, परमात्मा ऐक ही हैै इसके अतिरिक्त कोई सत्य नहीं।
Baba Ramdev g ga bhajan b sunao muldas g ga
OK try krunga
Jay shri ram
K bat h
७^०८
धन्यवाद
Tordi bhajan aplod kro
Tordi MIL Nhi rhi Aapke ppas kessate h kya
Nice
.
वाह वाह क्या खूब लिखा है आपने इस रचना के लिए हार्दिक बधाई 9950543259
धन्यवाद
धन्यवाद
मोबाइल नम्बर दो जी
Sat saheb ji
Very nice
Sh Grwaji maharaj ki jai ho ram
Nice
nice
Nice
Very nice
Nice jogoya bhajan