उस्मान सैफी जी आप भी पक्के मुसलमान निकले छोड़ दीजिए नमस्कार और सत श्री अकाल कहना केवल सलाम वालिकुम कहिए इस डॉक्टर ने 300 टुकड़े किए या 3000 टुकड़े ये मायने नहीं रखता। हत्या के बाद 3 टुकड़े करो, 30 टुकड़े करो, 300 या 3000 टुकड़े, शव को कोई फर्क नहीं पड़ता। हत्या हुई है यह माइने रखता है। टुकड़े तो लाश को बिना नजर में आए ठिकाने लगाने के लिए किए गए दोनों ही केस में। आफताब और इस डॉक्टर के केस की कोई समानता नहीं है। इस डॉक्टर ने अपनी पूरी जिन्दगी उसी महिला के साथ गुजार दी, 71 वर्ष की आयु में फ्रस्ट्रेशन में टार्च मारने पर पत्नी की हत्या हो गई बहुत दुखद निन्दनीय है। अपने बच्चों को सेटल किया। अपना कर्तव्य निभाया। अपनी पत्नी को मारने के लिए कोई हथियार नहीं अरेंज किया। पूरा जीवन दिया अपनी पत्नी को। दुर्घटनावश, भावावेश, या तात्कालिक नाराजगी में हुई दुर्घनावश मृत्यु भी निंदनीय है किन्तु आफताब के केस से तुलना नहीं की जा सकती। आफताब, श्रद्धा को साथ रखता है मारता-पीटता है, उसके बाद भी बेचारी लड़की प्रेम में या मजबूरी में उसके साथ रहती है। वह तो आफताब से शादी करना चाहती थी क्योंकि प्रेम करती थी। इसी कारण तो समाज और परिवार के विरोध के बावजूद उसके साथ रह रही थी। आफताब उसके शरीर को भोग चुका था अब उसके उसमें कोई इंटरेस्ट नहीं रह गया। उसने श्रद्धा को मार कर काट कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया। उसे मारने के बाद भी 15 से अधिक हिन्दू लड़कियों के साथ रंगरलियां मनाता रहा। आफताब श्रद्धा तो क्या किसी भी हिन्दू लड़की से प्रेम नहीं करता उन्हें भोगता है। एक बूढ़ा डॉक्टर सारी उम्र अपनी जिम्मेदारियां निभाता रहा, पत्नी के साथ रहा, बच्चों का जीवन संवारा, किन्तु एक दिन दुर्घटनावश, क्लिनिक से आते ही पत्नी ने चिल्लाना शुरू कर दिया। ये पत्नी को भी सोचना चाहिए था कि दिनभर के काम, थकान, परेशानियों के बाद पति यादि घर आया तो उसे म से कम घर में तो शांति मिले। सारी दुनिया में शोर-शराबा, समस्याएं, परेशानियां, तकलीफ, और भी अन्य परिस्थिति से जूझने के बाद इंसान को अपने घर में शांति और सुकून मिलता है यदि यहां भी उसे, सुकून न मिले तो क्रोध आना स्वाभाविक है। अब डॉक्टर की आयु 71 वर्ष थी तो क्रोध पर काबू न रख सके और उनसे यह कृत्य हो गया। यहां में उनके कृत्य को उचित नहीं ठहरा रहा हूं। उन्होंने जो किया वह गलत किया। लेकिन उनकी किसी किताब में उनकी पत्नी या दुनिया की किसी स्त्री के प्रति ऐसे कृत्य को करने का कोई हुक्म नहीं। लेकिन आफताब जिस किताब को मानता है उसमें तो ऊपर वाला औरत को आधी अक्ल की कहता है। और जो महिलाएं और पुरुष उनके धर्म को नहीं मानते उन्हें सीधे कत्ल करने की इजाजत देता है। इसलिए आफताब ने सोच समझकर प्लानिंग करके श्रद्धा को मारा इसलिए वह बहुत बड़ा अपराधी है और ये बूढ़ा डॉक्टर उसके मुकाबले कुछ भी नहीं। सैफी साहब अपनी किताब को अर्थ के साथ पढ़िए फिर देखिए कि इंसान किसे कहते हैं।
बात सिर्फ दर्दनाक कत्ल की ही नहीं है, इसके पीछे आदमी के सारे जीवन के पीछे का वो दर्द है, जो प्यार से जिंदगी बिताना चाहते है मगर किस्मत से उन्हें हर रोज खून पीने वाली औरतें मिल जाती है, जो सुबह काम पर जाते वक्त भी क्लेश करती है और रात को सोने से पहले भी, मैं इस केस की बात नहीं कर रहा, आदमियों की उस मानसिक दुर्दशा की बात कर रहा हूँ जिसे जिंदगीभर संवारने के लिए एक औरत उसके जीवन मे आती है मगर उसको जीने ही नहीं देती, तन्हाई में आदमी कितने के आँसू गिराता है हर रोज कितने सुबह घर से लेकर काम पर उसके बाद वापस घर पर भी उसे सिर्फ एक सुकून नहीं मिलता। ये किस्सा उसी का परिणाम है।
प्रकाश चन्द्र मेघवाल मंडेसरा चित्तौड़ गढ़ से हूं मेरा नाम लिया जाय उस्मान जी आपको बहुत बहुत बधाई में आपकी कहानी हर रोज 1घंटे तक सुनता हूं।यह कहानी सुनकर आंख भर आ जाती हैं मुझे और मेरे परिवार को बहुत अच्छा लगता है बल्कि इस कहानी के माध्यम से प्रेम वयहार और आपस में मिलजुल कर रहने का संदेश मिलता है। आपके मुंह बोलने वाली हर एक बात बहुत अच्छी लगती मेरे प्यार और दिल से आपको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम
उस्मान सैफी जी आप भी पक्के मुसलमान निकले छोड़ दीजिए नमस्कार और सत श्री अकाल कहना केवल सलाम वालिकुम कहिए इस डॉक्टर ने 300 टुकड़े किए या 3000 टुकड़े ये मायने नहीं रखता। हत्या के बाद 3 टुकड़े करो, 30 टुकड़े करो, 300 या 3000 टुकड़े, शव को कोई फर्क नहीं पड़ता। हत्या हुई है यह माइने रखता है। टुकड़े तो लाश को बिना नजर में आए ठिकाने लगाने के लिए किए गए दोनों ही केस में। आफताब और इस डॉक्टर के केस की कोई समानता नहीं है। इस डॉक्टर ने अपनी पूरी जिन्दगी उसी महिला के साथ गुजार दी, 71 वर्ष की आयु में फ्रस्ट्रेशन में टार्च मारने पर पत्नी की हत्या हो गई बहुत दुखद निन्दनीय है। अपने बच्चों को सेटल किया। अपना कर्तव्य निभाया। अपनी पत्नी को मारने के लिए कोई हथियार नहीं अरेंज किया। पूरा जीवन दिया अपनी पत्नी को। दुर्घटनावश, भावावेश, या तात्कालिक नाराजगी में हुई दुर्घनावश मृत्यु भी निंदनीय है किन्तु आफताब के केस से तुलना नहीं की जा सकती। आफताब, श्रद्धा को साथ रखता है मारता-पीटता है, उसके बाद भी बेचारी लड़की प्रेम में या मजबूरी में उसके साथ रहती है। वह तो आफताब से शादी करना चाहती थी क्योंकि प्रेम करती थी। इसी कारण तो समाज और परिवार के विरोध के बावजूद उसके साथ रह रही थी। आफताब उसके शरीर को भोग चुका था अब उसके उसमें कोई इंटरेस्ट नहीं रह गया। उसने श्रद्धा को मार कर काट कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया। उसे मारने के बाद भी 15 से अधिक हिन्दू लड़कियों के साथ रंगरलियां मनाता रहा। आफताब श्रद्धा तो क्या किसी भी हिन्दू लड़की से प्रेम नहीं करता उन्हें भोगता है। एक बूढ़ा डॉक्टर सारी उम्र अपनी जिम्मेदारियां निभाता रहा, पत्नी के साथ रहा, बच्चों का जीवन संवारा, किन्तु एक दिन दुर्घटनावश, क्लिनिक से आते ही पत्नी ने चिल्लाना शुरू कर दिया। ये पत्नी को भी सोचना चाहिए था कि दिनभर के काम, थकान, परेशानियों के बाद पति यादि घर आया तो उसे म से कम घर में तो शांति मिले। सारी दुनिया में शोर-शराबा, समस्याएं, परेशानियां, तकलीफ, और भी अन्य परिस्थिति से जूझने के बाद इंसान को अपने घर में शांति और सुकून मिलता है यदि यहां भी उसे, सुकून न मिले तो क्रोध आना स्वाभाविक है। अब डॉक्टर की आयु 71 वर्ष थी तो क्रोध पर काबू न रख सके और उनसे यह कृत्य हो गया। यहां में उनके कृत्य को उचित नहीं ठहरा रहा हूं। उन्होंने जो किया वह गलत किया। लेकिन उनकी किसी किताब में उनकी पत्नी या दुनिया की किसी स्त्री के प्रति ऐसे कृत्य को करने का कोई हुक्म नहीं। लेकिन आफताब जिस किताब को मानता है उसमें तो ऊपर वाला औरत को आधी अक्ल की कहता है। और जो महिलाएं और पुरुष उनके धर्म को नहीं मानते उन्हें सीधे कत्ल करने की इजाजत देता है। इसलिए आफताब ने सोच समझकर प्लानिंग करके श्रद्धा को मारा इसलिए वह बहुत बड़ा अपराधी है और ये बूढ़ा डॉक्टर उसके मुकाबले कुछ भी नहीं। सैफी साहब अपनी किताब को अर्थ के साथ पढ़िए फिर देखिए कि इंसान किसे कहते हैं।
।।मेरा भी नाम लीजिए सर।। मैं राम सिंह सोहड़ राठौड़ (पांचू) बीकानेर राजस्थान से मैं एक कारपेंटर सुपरवाइजर हूं मैं आपकी जो भी कहानी जब शुरू करता हूं तो पत्ता भी नहीं चलता है की कब मेरा काम खत्म होता है,, जय हिंद सर 🙏🙏
उस्मान सैफी जी आप भी पक्के मुसलमान निकले छोड़ दीजिए नमस्कार और सत श्री अकाल कहना केवल सलाम वालिकुम कहिए इस डॉक्टर ने 300 टुकड़े किए या 3000 टुकड़े ये मायने नहीं रखता। हत्या के बाद 3 टुकड़े करो, 30 टुकड़े करो, 300 या 3000 टुकड़े, शव को कोई फर्क नहीं पड़ता। हत्या हुई है यह माइने रखता है। टुकड़े तो लाश को बिना नजर में आए ठिकाने लगाने के लिए किए गए दोनों ही केस में। आफताब और इस डॉक्टर के केस की कोई समानता नहीं है। इस डॉक्टर ने अपनी पूरी जिन्दगी उसी महिला के साथ गुजार दी, 71 वर्ष की आयु में फ्रस्ट्रेशन में टार्च मारने पर पत्नी की हत्या हो गई बहुत दुखद निन्दनीय है। अपने बच्चों को सेटल किया। अपना कर्तव्य निभाया। अपनी पत्नी को मारने के लिए कोई हथियार नहीं अरेंज किया। पूरा जीवन दिया अपनी पत्नी को। दुर्घटनावश, भावावेश, या तात्कालिक नाराजगी में हुई दुर्घनावश मृत्यु भी निंदनीय है किन्तु आफताब के केस से तुलना नहीं की जा सकती। आफताब, श्रद्धा को साथ रखता है मारता-पीटता है, उसके बाद भी बेचारी लड़की प्रेम में या मजबूरी में उसके साथ रहती है। वह तो आफताब से शादी करना चाहती थी क्योंकि प्रेम करती थी। इसी कारण तो समाज और परिवार के विरोध के बावजूद उसके साथ रह रही थी। आफताब उसके शरीर को भोग चुका था अब उसके उसमें कोई इंटरेस्ट नहीं रह गया। उसने श्रद्धा को मार कर काट कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया। उसे मारने के बाद भी 15 से अधिक हिन्दू लड़कियों के साथ रंगरलियां मनाता रहा। आफताब श्रद्धा तो क्या किसी भी हिन्दू लड़की से प्रेम नहीं करता उन्हें भोगता है। एक बूढ़ा डॉक्टर सारी उम्र अपनी जिम्मेदारियां निभाता रहा, पत्नी के साथ रहा, बच्चों का जीवन संवारा, किन्तु एक दिन दुर्घटनावश, क्लिनिक से आते ही पत्नी ने चिल्लाना शुरू कर दिया। ये पत्नी को भी सोचना चाहिए था कि दिनभर के काम, थकान, परेशानियों के बाद पति यादि घर आया तो उसे म से कम घर में तो शांति मिले। सारी दुनिया में शोर-शराबा, समस्याएं, परेशानियां, तकलीफ, और भी अन्य परिस्थिति से जूझने के बाद इंसान को अपने घर में शांति और सुकून मिलता है यदि यहां भी उसे, सुकून न मिले तो क्रोध आना स्वाभाविक है। अब डॉक्टर की आयु 71 वर्ष थी तो क्रोध पर काबू न रख सके और उनसे यह कृत्य हो गया। यहां में उनके कृत्य को उचित नहीं ठहरा रहा हूं। उन्होंने जो किया वह गलत किया। लेकिन उनकी किसी किताब में उनकी पत्नी या दुनिया की किसी स्त्री के प्रति ऐसे कृत्य को करने का कोई हुक्म नहीं। लेकिन आफताब जिस किताब को मानता है उसमें तो ऊपर वाला औरत को आधी अक्ल की कहता है। और जो महिलाएं और पुरुष उनके धर्म को नहीं मानते उन्हें सीधे कत्ल करने की इजाजत देता है। इसलिए आफताब ने सोच समझकर प्लानिंग करके श्रद्धा को मारा इसलिए वह बहुत बड़ा अपराधी है और ये बूढ़ा डॉक्टर उसके मुकाबले कुछ भी नहीं। सैफी साहब अपनी किताब को अर्थ के साथ पढ़िए फिर देखिए कि इंसान किसे कहते हैं।
Dosto es kahani se ek sikh milti hai ke aap kabhi kisi se ladai jhagda na kare .pyar se rahe aur man ko shant rakhe .kiyuki man ki shanti se badakar koi dhulat nahi hai?
This case is very dangerous in Odisha. Who culprit is a retired army doctor. This case is a old case. 2010, 11 . Myself from Odisha. Jay shree jagannath 🙏🙏
सेफी साहब आपका स्वागत है ओर आपकी कहानी सुनकर बहुत खुश होते हैं और मैं मोहनलाल बिश्नोई समाज से गुड़ामालानी नया नगर से धन्यवाद देता हूं धन्यवाद साहब आपका वन्देमातरम
उस्मान सैफी जी आप भी पक्के मुसलमान निकले छोड़ दीजिए नमस्कार और सत श्री अकाल कहना केवल सलाम वालिकुम कहिए इस डॉक्टर ने 300 टुकड़े किए या 3000 टुकड़े ये मायने नहीं रखता। हत्या के बाद 3 टुकड़े करो, 30 टुकड़े करो, 300 या 3000 टुकड़े, शव को कोई फर्क नहीं पड़ता। हत्या हुई है यह माइने रखता है। टुकड़े तो लाश को बिना नजर में आए ठिकाने लगाने के लिए किए गए दोनों ही केस में। आफताब और इस डॉक्टर के केस की कोई समानता नहीं है। इस डॉक्टर ने अपनी पूरी जिन्दगी उसी महिला के साथ गुजार दी, 71 वर्ष की आयु में फ्रस्ट्रेशन में टार्च मारने पर पत्नी की हत्या हो गई बहुत दुखद निन्दनीय है। अपने बच्चों को सेटल किया। अपना कर्तव्य निभाया। अपनी पत्नी को मारने के लिए कोई हथियार नहीं अरेंज किया। पूरा जीवन दिया अपनी पत्नी को। दुर्घटनावश, भावावेश, या तात्कालिक नाराजगी में हुई दुर्घनावश मृत्यु भी निंदनीय है किन्तु आफताब के केस से तुलना नहीं की जा सकती। आफताब, श्रद्धा को साथ रखता है मारता-पीटता है, उसके बाद भी बेचारी लड़की प्रेम में या मजबूरी में उसके साथ रहती है। वह तो आफताब से शादी करना चाहती थी क्योंकि प्रेम करती थी। इसी कारण तो समाज और परिवार के विरोध के बावजूद उसके साथ रह रही थी। आफताब उसके शरीर को भोग चुका था अब उसके उसमें कोई इंटरेस्ट नहीं रह गया। उसने श्रद्धा को मार कर काट कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया। उसे मारने के बाद भी 15 से अधिक हिन्दू लड़कियों के साथ रंगरलियां मनाता रहा। आफताब श्रद्धा तो क्या किसी भी हिन्दू लड़की से प्रेम नहीं करता उन्हें भोगता है। एक बूढ़ा डॉक्टर सारी उम्र अपनी जिम्मेदारियां निभाता रहा, पत्नी के साथ रहा, बच्चों का जीवन संवारा, किन्तु एक दिन दुर्घटनावश, क्लिनिक से आते ही पत्नी ने चिल्लाना शुरू कर दिया। ये पत्नी को भी सोचना चाहिए था कि दिनभर के काम, थकान, परेशानियों के बाद पति यादि घर आया तो उसे म से कम घर में तो शांति मिले। सारी दुनिया में शोर-शराबा, समस्याएं, परेशानियां, तकलीफ, और भी अन्य परिस्थिति से जूझने के बाद इंसान को अपने घर में शांति और सुकून मिलता है यदि यहां भी उसे, सुकून न मिले तो क्रोध आना स्वाभाविक है। अब डॉक्टर की आयु 71 वर्ष थी तो क्रोध पर काबू न रख सके और उनसे यह कृत्य हो गया। यहां में उनके कृत्य को उचित नहीं ठहरा रहा हूं। उन्होंने जो किया वह गलत किया। लेकिन उनकी किसी किताब में उनकी पत्नी या दुनिया की किसी स्त्री के प्रति ऐसे कृत्य को करने का कोई हुक्म नहीं। लेकिन आफताब जिस किताब को मानता है उसमें तो ऊपर वाला औरत को आधी अक्ल की कहता है। और जो महिलाएं और पुरुष उनके धर्म को नहीं मानते उन्हें सीधे कत्ल करने की इजाजत देता है। इसलिए आफताब ने सोच समझकर प्लानिंग करके श्रद्धा को मारा इसलिए वह बहुत बड़ा अपराधी है और ये बूढ़ा डॉक्टर उसके मुकाबले कुछ भी नहीं। सैफी साहब अपनी किताब को अर्थ के साथ पढ़िए फिर देखिए कि इंसान किसे कहते हैं।
namskar usman saifi sir mai aap ke har video dekta hu mai har roj 8 baje aap ke video ka besbri se intjar rahta hai aap ke har video se hame ek nai shik Shiksha milati hai satk Rahane ka sir mai aap se request hai ki agali video mein mera naam jarur le (name- dujram mandavi dhamtari Chhattisgarh )🙏🙏🙏🙏🙏
उस्मान सैफी जी आप भी पक्के मुसलमान निकले छोड़ दीजिए नमस्कार और सत श्री अकाल कहना केवल सलाम वालिकुम कहिए इस डॉक्टर ने 300 टुकड़े किए या 3000 टुकड़े ये मायने नहीं रखता। हत्या के बाद 3 टुकड़े करो, 30 टुकड़े करो, 300 या 3000 टुकड़े, शव को कोई फर्क नहीं पड़ता। हत्या हुई है यह माइने रखता है। टुकड़े तो लाश को बिना नजर में आए ठिकाने लगाने के लिए किए गए दोनों ही केस में। आफताब और इस डॉक्टर के केस की कोई समानता नहीं है। इस डॉक्टर ने अपनी पूरी जिन्दगी उसी महिला के साथ गुजार दी, 71 वर्ष की आयु में फ्रस्ट्रेशन में टार्च मारने पर पत्नी की हत्या हो गई बहुत दुखद निन्दनीय है। अपने बच्चों को सेटल किया। अपना कर्तव्य निभाया। अपनी पत्नी को मारने के लिए कोई हथियार नहीं अरेंज किया। पूरा जीवन दिया अपनी पत्नी को। दुर्घटनावश, भावावेश, या तात्कालिक नाराजगी में हुई दुर्घनावश मृत्यु भी निंदनीय है किन्तु आफताब के केस से तुलना नहीं की जा सकती। आफताब, श्रद्धा को साथ रखता है मारता-पीटता है, उसके बाद भी बेचारी लड़की प्रेम में या मजबूरी में उसके साथ रहती है। वह तो आफताब से शादी करना चाहती थी क्योंकि प्रेम करती थी। इसी कारण तो समाज और परिवार के विरोध के बावजूद उसके साथ रह रही थी। आफताब उसके शरीर को भोग चुका था अब उसके उसमें कोई इंटरेस्ट नहीं रह गया। उसने श्रद्धा को मार कर काट कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया। उसे मारने के बाद भी 15 से अधिक हिन्दू लड़कियों के साथ रंगरलियां मनाता रहा। आफताब श्रद्धा तो क्या किसी भी हिन्दू लड़की से प्रेम नहीं करता उन्हें भोगता है। एक बूढ़ा डॉक्टर सारी उम्र अपनी जिम्मेदारियां निभाता रहा, पत्नी के साथ रहा, बच्चों का जीवन संवारा, किन्तु एक दिन दुर्घटनावश, क्लिनिक से आते ही पत्नी ने चिल्लाना शुरू कर दिया। ये पत्नी को भी सोचना चाहिए था कि दिनभर के काम, थकान, परेशानियों के बाद पति यादि घर आया तो उसे म से कम घर में तो शांति मिले। सारी दुनिया में शोर-शराबा, समस्याएं, परेशानियां, तकलीफ, और भी अन्य परिस्थिति से जूझने के बाद इंसान को अपने घर में शांति और सुकून मिलता है यदि यहां भी उसे, सुकून न मिले तो क्रोध आना स्वाभाविक है। अब डॉक्टर की आयु 71 वर्ष थी तो क्रोध पर काबू न रख सके और उनसे यह कृत्य हो गया। यहां में उनके कृत्य को उचित नहीं ठहरा रहा हूं। उन्होंने जो किया वह गलत किया। लेकिन उनकी किसी किताब में उनकी पत्नी या दुनिया की किसी स्त्री के प्रति ऐसे कृत्य को करने का कोई हुक्म नहीं। लेकिन आफताब जिस किताब को मानता है उसमें तो ऊपर वाला औरत को आधी अक्ल की कहता है। और जो महिलाएं और पुरुष उनके धर्म को नहीं मानते उन्हें सीधे कत्ल करने की इजाजत देता है। इसलिए आफताब ने सोच समझकर प्लानिंग करके श्रद्धा को मारा इसलिए वह बहुत बड़ा अपराधी है और ये बूढ़ा डॉक्टर उसके मुकाबले कुछ भी नहीं। सैफी साहब अपनी किताब को अर्थ के साथ पढ़िए फिर देखिए कि इंसान किसे कहते हैं।
Dear sir Abhi WhatsApp per ek bahut bada black meaning ka racket chal raha hai jismein yuvaon ko blackmail karne ka nude video ke tarike se Kiya jata hai sir main chahta Hun ki is baat ka pata har ek aadami Ko chale taki FIR koi blackmailing mein nahin fansi aap iska khulasa Karen taki police bhi harkat mein a jaaye aur blackmail pakda jaaye please sir 🙏🙏
उस्मान सैफी जी आप भी पक्के मुसलमान निकले छोड़ दीजिए नमस्कार और सत श्री अकाल कहना केवल सलाम वालिकुम कहिए इस डॉक्टर ने 300 टुकड़े किए या 3000 टुकड़े ये मायने नहीं रखता। हत्या के बाद 3 टुकड़े करो, 30 टुकड़े करो, 300 या 3000 टुकड़े, शव को कोई फर्क नहीं पड़ता। हत्या हुई है यह माइने रखता है। टुकड़े तो लाश को बिना नजर में आए ठिकाने लगाने के लिए किए गए दोनों ही केस में। आफताब और इस डॉक्टर के केस की कोई समानता नहीं है। इस डॉक्टर ने अपनी पूरी जिन्दगी उसी महिला के साथ गुजार दी, 71 वर्ष की आयु में फ्रस्ट्रेशन में टार्च मारने पर पत्नी की हत्या हो गई बहुत दुखद निन्दनीय है। अपने बच्चों को सेटल किया। अपना कर्तव्य निभाया। अपनी पत्नी को मारने के लिए कोई हथियार नहीं अरेंज किया। पूरा जीवन दिया अपनी पत्नी को। दुर्घटनावश, भावावेश, या तात्कालिक नाराजगी में हुई दुर्घनावश मृत्यु भी निंदनीय है किन्तु आफताब के केस से तुलना नहीं की जा सकती। आफताब, श्रद्धा को साथ रखता है मारता-पीटता है, उसके बाद भी बेचारी लड़की प्रेम में या मजबूरी में उसके साथ रहती है। वह तो आफताब से शादी करना चाहती थी क्योंकि प्रेम करती थी। इसी कारण तो समाज और परिवार के विरोध के बावजूद उसके साथ रह रही थी। आफताब उसके शरीर को भोग चुका था अब उसके उसमें कोई इंटरेस्ट नहीं रह गया। उसने श्रद्धा को मार कर काट कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया। उसे मारने के बाद भी 15 से अधिक हिन्दू लड़कियों के साथ रंगरलियां मनाता रहा। आफताब श्रद्धा तो क्या किसी भी हिन्दू लड़की से प्रेम नहीं करता उन्हें भोगता है। एक बूढ़ा डॉक्टर सारी उम्र अपनी जिम्मेदारियां निभाता रहा, पत्नी के साथ रहा, बच्चों का जीवन संवारा, किन्तु एक दिन दुर्घटनावश, क्लिनिक से आते ही पत्नी ने चिल्लाना शुरू कर दिया। ये पत्नी को भी सोचना चाहिए था कि दिनभर के काम, थकान, परेशानियों के बाद पति यादि घर आया तो उसे म से कम घर में तो शांति मिले। सारी दुनिया में शोर-शराबा, समस्याएं, परेशानियां, तकलीफ, और भी अन्य परिस्थिति से जूझने के बाद इंसान को अपने घर में शांति और सुकून मिलता है यदि यहां भी उसे, सुकून न मिले तो क्रोध आना स्वाभाविक है। अब डॉक्टर की आयु 71 वर्ष थी तो क्रोध पर काबू न रख सके और उनसे यह कृत्य हो गया। यहां में उनके कृत्य को उचित नहीं ठहरा रहा हूं। उन्होंने जो किया वह गलत किया। लेकिन उनकी किसी किताब में उनकी पत्नी या दुनिया की किसी स्त्री के प्रति ऐसे कृत्य को करने का कोई हुक्म नहीं। लेकिन आफताब जिस किताब को मानता है उसमें तो ऊपर वाला औरत को आधी अक्ल की कहता है। और जो महिलाएं और पुरुष उनके धर्म को नहीं मानते उन्हें सीधे कत्ल करने की इजाजत देता है। इसलिए आफताब ने सोच समझकर प्लानिंग करके श्रद्धा को मारा इसलिए वह बहुत बड़ा अपराधी है और ये बूढ़ा डॉक्टर उसके मुकाबले कुछ भी नहीं। सैफी साहब अपनी किताब को अर्थ के साथ पढ़िए फिर देखिए कि इंसान किसे कहते हैं।
उस्मान सैफी जी आप भी पक्के मुसलमान निकले छोड़ दीजिए नमस्कार और सत श्री अकाल कहना केवल सलाम वालिकुम कहिए इस डॉक्टर ने 300 टुकड़े किए या 3000 टुकड़े ये मायने नहीं रखता। हत्या के बाद 3 टुकड़े करो, 30 टुकड़े करो, 300 या 3000 टुकड़े, शव को कोई फर्क नहीं पड़ता। हत्या हुई है यह माइने रखता है। टुकड़े तो लाश को बिना नजर में आए ठिकाने लगाने के लिए किए गए दोनों ही केस में। आफताब और इस डॉक्टर के केस की कोई समानता नहीं है। इस डॉक्टर ने अपनी पूरी जिन्दगी उसी महिला के साथ गुजार दी, 71 वर्ष की आयु में फ्रस्ट्रेशन में टार्च मारने पर पत्नी की हत्या हो गई बहुत दुखद निन्दनीय है। अपने बच्चों को सेटल किया। अपना कर्तव्य निभाया। अपनी पत्नी को मारने के लिए कोई हथियार नहीं अरेंज किया। पूरा जीवन दिया अपनी पत्नी को। दुर्घटनावश, भावावेश, या तात्कालिक नाराजगी में हुई दुर्घनावश मृत्यु भी निंदनीय है किन्तु आफताब के केस से तुलना नहीं की जा सकती। आफताब, श्रद्धा को साथ रखता है मारता-पीटता है, उसके बाद भी बेचारी लड़की प्रेम में या मजबूरी में उसके साथ रहती है। वह तो आफताब से शादी करना चाहती थी क्योंकि प्रेम करती थी। इसी कारण तो समाज और परिवार के विरोध के बावजूद उसके साथ रह रही थी। आफताब उसके शरीर को भोग चुका था अब उसके उसमें कोई इंटरेस्ट नहीं रह गया। उसने श्रद्धा को मार कर काट कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया। उसे मारने के बाद भी 15 से अधिक हिन्दू लड़कियों के साथ रंगरलियां मनाता रहा। आफताब श्रद्धा तो क्या किसी भी हिन्दू लड़की से प्रेम नहीं करता उन्हें भोगता है। एक बूढ़ा डॉक्टर सारी उम्र अपनी जिम्मेदारियां निभाता रहा, पत्नी के साथ रहा, बच्चों का जीवन संवारा, किन्तु एक दिन दुर्घटनावश, क्लिनिक से आते ही पत्नी ने चिल्लाना शुरू कर दिया। ये पत्नी को भी सोचना चाहिए था कि दिनभर के काम, थकान, परेशानियों के बाद पति यादि घर आया तो उसे म से कम घर में तो शांति मिले। सारी दुनिया में शोर-शराबा, समस्याएं, परेशानियां, तकलीफ, और भी अन्य परिस्थिति से जूझने के बाद इंसान को अपने घर में शांति और सुकून मिलता है यदि यहां भी उसे, सुकून न मिले तो क्रोध आना स्वाभाविक है। अब डॉक्टर की आयु 71 वर्ष थी तो क्रोध पर काबू न रख सके और उनसे यह कृत्य हो गया। यहां में उनके कृत्य को उचित नहीं ठहरा रहा हूं। उन्होंने जो किया वह गलत किया। लेकिन उनकी किसी किताब में उनकी पत्नी या दुनिया की किसी स्त्री के प्रति ऐसे कृत्य को करने का कोई हुक्म नहीं। लेकिन आफताब जिस किताब को मानता है उसमें तो ऊपर वाला औरत को आधी अक्ल की कहता है। और जो महिलाएं और पुरुष उनके धर्म को नहीं मानते उन्हें सीधे कत्ल करने की इजाजत देता है। इसलिए आफताब ने सोच समझकर प्लानिंग करके श्रद्धा को मारा इसलिए वह बहुत बड़ा अपराधी है और ये बूढ़ा डॉक्टर उसके मुकाबले कुछ भी नहीं। सैफी साहब अपनी किताब को अर्थ के साथ पढ़िए फिर देखिए कि इंसान किसे कहते हैं।
Sir आपके बोलने कि जो अदा है उसका कोई जवाब नहीं!और ज़ो आपकी 13/14 मिनट कि कहानी तो 👌👌
उस्मान सैफी जी आप भी पक्के मुसलमान निकले
छोड़ दीजिए नमस्कार और सत श्री अकाल कहना केवल सलाम वालिकुम कहिए
इस डॉक्टर ने 300 टुकड़े किए या 3000 टुकड़े ये मायने नहीं रखता। हत्या के बाद 3 टुकड़े करो, 30 टुकड़े करो, 300 या 3000 टुकड़े, शव को कोई फर्क नहीं पड़ता। हत्या हुई है यह माइने रखता है। टुकड़े तो लाश को बिना नजर में आए ठिकाने लगाने के लिए किए गए दोनों ही केस में।
आफताब और इस डॉक्टर के केस की कोई समानता नहीं है।
इस डॉक्टर ने अपनी पूरी जिन्दगी उसी महिला के साथ गुजार दी, 71 वर्ष की आयु में फ्रस्ट्रेशन में टार्च मारने पर पत्नी की हत्या हो गई बहुत दुखद निन्दनीय है। अपने बच्चों को सेटल किया। अपना कर्तव्य निभाया। अपनी पत्नी को मारने के लिए कोई हथियार नहीं अरेंज किया। पूरा जीवन दिया अपनी पत्नी को। दुर्घटनावश, भावावेश, या तात्कालिक नाराजगी में हुई दुर्घनावश मृत्यु भी निंदनीय है किन्तु आफताब के केस से तुलना नहीं की जा सकती।
आफताब, श्रद्धा को साथ रखता है मारता-पीटता है, उसके बाद भी बेचारी लड़की प्रेम में या मजबूरी में उसके साथ रहती है। वह तो आफताब से शादी करना चाहती थी क्योंकि प्रेम करती थी। इसी कारण तो समाज और परिवार के विरोध के बावजूद उसके साथ रह रही थी। आफताब उसके शरीर को भोग चुका था अब उसके उसमें कोई इंटरेस्ट नहीं रह गया। उसने श्रद्धा को मार कर काट कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया। उसे मारने के बाद भी 15 से अधिक हिन्दू लड़कियों के साथ रंगरलियां मनाता रहा। आफताब श्रद्धा तो क्या किसी भी हिन्दू लड़की से प्रेम नहीं करता उन्हें भोगता है।
एक बूढ़ा डॉक्टर सारी उम्र अपनी जिम्मेदारियां निभाता रहा, पत्नी के साथ रहा, बच्चों का जीवन संवारा, किन्तु एक दिन दुर्घटनावश, क्लिनिक से आते ही पत्नी ने चिल्लाना शुरू कर दिया। ये पत्नी को भी सोचना चाहिए था कि दिनभर के काम, थकान, परेशानियों के बाद पति यादि घर आया तो उसे म से कम घर में तो शांति मिले। सारी दुनिया में शोर-शराबा, समस्याएं, परेशानियां, तकलीफ, और भी अन्य परिस्थिति से जूझने के बाद इंसान को अपने घर में शांति और सुकून मिलता है यदि यहां भी उसे, सुकून न मिले तो क्रोध आना स्वाभाविक है। अब डॉक्टर की आयु 71 वर्ष थी तो क्रोध पर काबू न रख सके और उनसे यह कृत्य हो गया। यहां में उनके कृत्य को उचित नहीं ठहरा रहा हूं। उन्होंने जो किया वह गलत किया। लेकिन उनकी किसी किताब में उनकी पत्नी या दुनिया की किसी स्त्री के प्रति ऐसे कृत्य को करने का कोई हुक्म नहीं।
लेकिन आफताब
जिस किताब को मानता है उसमें तो ऊपर वाला औरत को आधी अक्ल की कहता है। और जो महिलाएं और पुरुष उनके धर्म को नहीं मानते उन्हें सीधे कत्ल करने की इजाजत देता है। इसलिए आफताब ने सोच समझकर प्लानिंग करके श्रद्धा को मारा इसलिए वह बहुत बड़ा अपराधी है और ये बूढ़ा डॉक्टर उसके मुकाबले कुछ भी नहीं।
सैफी साहब अपनी किताब को अर्थ के साथ पढ़िए फिर देखिए कि इंसान किसे कहते हैं।
@@dev10008 इतनी लंबी कहानी
आपकी हर कहानी होती है दिल को छू लेने वाली लेकिन आज की कहानी 😭😭😭रुला ही दिया 😭
Hi
Hello
Love ❤️ you sir.
I m from Odisha
आपका कहानी बताने का अंदाज़ बहुत प्यारा है
बात सिर्फ दर्दनाक कत्ल की ही नहीं है, इसके पीछे आदमी के सारे जीवन के पीछे का वो दर्द है,
जो प्यार से जिंदगी बिताना चाहते है मगर किस्मत से उन्हें हर रोज खून पीने वाली औरतें मिल जाती है,
जो सुबह काम पर जाते वक्त भी क्लेश करती है और रात को सोने से पहले भी,
मैं इस केस की बात नहीं कर रहा,
आदमियों की उस मानसिक दुर्दशा की बात कर रहा हूँ जिसे जिंदगीभर संवारने के लिए एक औरत उसके जीवन मे आती है मगर उसको जीने ही नहीं देती,
तन्हाई में आदमी कितने के आँसू गिराता है हर रोज कितने सुबह घर से लेकर काम पर उसके बाद वापस घर पर भी उसे सिर्फ एक सुकून नहीं मिलता।
ये किस्सा उसी का परिणाम है।
बिल्कुल सही 💯👍👍
👍
जी बिलकुल सही बात
यू आर राइट
Allah ka shukr m bhai m toh bilkul esi nahi hu Mere hsbnd kuch bolte h toh ekdm chuo rehti hu
बहुत ही दर्द भरी कहानी है।😔
प्रकाश चन्द्र मेघवाल मंडेसरा चित्तौड़ गढ़ से हूं मेरा नाम लिया जाय उस्मान जी आपको बहुत बहुत बधाई में आपकी कहानी हर रोज 1घंटे तक सुनता हूं।यह कहानी सुनकर आंख भर आ जाती हैं मुझे और मेरे परिवार को बहुत अच्छा लगता है बल्कि इस कहानी के माध्यम से प्रेम वयहार और आपस में मिलजुल कर रहने का संदेश मिलता है। आपके मुंह बोलने वाली हर एक बात बहुत अच्छी लगती मेरे प्यार और दिल से आपको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम
Bahut dukhad ghatna huaa hai bahut bahut shukriya Usman Bhai 💞💞💞💞👌👌
Bohut hi dard nak kahani
G haa beshak bilkul sahi Bohut hi dard nak afsos nak kahani hai 😭😭😭😭🙏🙏
Sahi kha
Good feeling dearest
@@santsamaj0886 hi
@@syedfarooqali5057 qkil;we're
bahut dard bhara hai 👍👌 Usman sir ye kahani me ❤
Ek Doctor hokar koi itna haivan kaise ho sakta . Inka mansik santulan bilkul theek nahin tha.
Bohot hi bhayanak kahani hai.
Good narration Usman sir.
सत्य घटना है, हमारे उडिसा मे, हमको पता है
उस्मान सैफी जी आप भी पक्के मुसलमान निकले
छोड़ दीजिए नमस्कार और सत श्री अकाल कहना केवल सलाम वालिकुम कहिए
इस डॉक्टर ने 300 टुकड़े किए या 3000 टुकड़े ये मायने नहीं रखता। हत्या के बाद 3 टुकड़े करो, 30 टुकड़े करो, 300 या 3000 टुकड़े, शव को कोई फर्क नहीं पड़ता। हत्या हुई है यह माइने रखता है। टुकड़े तो लाश को बिना नजर में आए ठिकाने लगाने के लिए किए गए दोनों ही केस में।
आफताब और इस डॉक्टर के केस की कोई समानता नहीं है।
इस डॉक्टर ने अपनी पूरी जिन्दगी उसी महिला के साथ गुजार दी, 71 वर्ष की आयु में फ्रस्ट्रेशन में टार्च मारने पर पत्नी की हत्या हो गई बहुत दुखद निन्दनीय है। अपने बच्चों को सेटल किया। अपना कर्तव्य निभाया। अपनी पत्नी को मारने के लिए कोई हथियार नहीं अरेंज किया। पूरा जीवन दिया अपनी पत्नी को। दुर्घटनावश, भावावेश, या तात्कालिक नाराजगी में हुई दुर्घनावश मृत्यु भी निंदनीय है किन्तु आफताब के केस से तुलना नहीं की जा सकती।
आफताब, श्रद्धा को साथ रखता है मारता-पीटता है, उसके बाद भी बेचारी लड़की प्रेम में या मजबूरी में उसके साथ रहती है। वह तो आफताब से शादी करना चाहती थी क्योंकि प्रेम करती थी। इसी कारण तो समाज और परिवार के विरोध के बावजूद उसके साथ रह रही थी। आफताब उसके शरीर को भोग चुका था अब उसके उसमें कोई इंटरेस्ट नहीं रह गया। उसने श्रद्धा को मार कर काट कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया। उसे मारने के बाद भी 15 से अधिक हिन्दू लड़कियों के साथ रंगरलियां मनाता रहा। आफताब श्रद्धा तो क्या किसी भी हिन्दू लड़की से प्रेम नहीं करता उन्हें भोगता है।
एक बूढ़ा डॉक्टर सारी उम्र अपनी जिम्मेदारियां निभाता रहा, पत्नी के साथ रहा, बच्चों का जीवन संवारा, किन्तु एक दिन दुर्घटनावश, क्लिनिक से आते ही पत्नी ने चिल्लाना शुरू कर दिया। ये पत्नी को भी सोचना चाहिए था कि दिनभर के काम, थकान, परेशानियों के बाद पति यादि घर आया तो उसे म से कम घर में तो शांति मिले। सारी दुनिया में शोर-शराबा, समस्याएं, परेशानियां, तकलीफ, और भी अन्य परिस्थिति से जूझने के बाद इंसान को अपने घर में शांति और सुकून मिलता है यदि यहां भी उसे, सुकून न मिले तो क्रोध आना स्वाभाविक है। अब डॉक्टर की आयु 71 वर्ष थी तो क्रोध पर काबू न रख सके और उनसे यह कृत्य हो गया। यहां में उनके कृत्य को उचित नहीं ठहरा रहा हूं। उन्होंने जो किया वह गलत किया। लेकिन उनकी किसी किताब में उनकी पत्नी या दुनिया की किसी स्त्री के प्रति ऐसे कृत्य को करने का कोई हुक्म नहीं।
लेकिन आफताब
जिस किताब को मानता है उसमें तो ऊपर वाला औरत को आधी अक्ल की कहता है। और जो महिलाएं और पुरुष उनके धर्म को नहीं मानते उन्हें सीधे कत्ल करने की इजाजत देता है। इसलिए आफताब ने सोच समझकर प्लानिंग करके श्रद्धा को मारा इसलिए वह बहुत बड़ा अपराधी है और ये बूढ़ा डॉक्टर उसके मुकाबले कुछ भी नहीं।
सैफी साहब अपनी किताब को अर्थ के साथ पढ़िए फिर देखिए कि इंसान किसे कहते हैं।
Namo Budha sir 👍🔥🔥🙏
।।मेरा भी नाम लीजिए सर।। मैं राम सिंह सोहड़ राठौड़ (पांचू) बीकानेर राजस्थान से मैं एक कारपेंटर सुपरवाइजर हूं मैं आपकी जो भी कहानी जब शुरू करता हूं तो पत्ता भी नहीं चलता है की कब मेरा काम खत्म होता है,, जय हिंद सर 🙏🙏
Excellent reporting sir.
Thank you Sir Hamare Orissa K Baremein Sunane K Liye.Ye Case Orissa K High profile Case He Sarji
Sir सच घटनाओं तक पहुंच ही जाता है 👍🙏
हे भगवान इंसानों को सद्बुद्धि दें
Hello
Usman sir bahut entrance sting kahani thi aap jo samjhate ho bahot hi ache se bhagwan aap ko humesha khus rakkhe🙏🙏🙏
Samjane ka najarriya bhot acha h inka
उस्मान सैफी जी आप भी पक्के मुसलमान निकले
छोड़ दीजिए नमस्कार और सत श्री अकाल कहना केवल सलाम वालिकुम कहिए
इस डॉक्टर ने 300 टुकड़े किए या 3000 टुकड़े ये मायने नहीं रखता। हत्या के बाद 3 टुकड़े करो, 30 टुकड़े करो, 300 या 3000 टुकड़े, शव को कोई फर्क नहीं पड़ता। हत्या हुई है यह माइने रखता है। टुकड़े तो लाश को बिना नजर में आए ठिकाने लगाने के लिए किए गए दोनों ही केस में।
आफताब और इस डॉक्टर के केस की कोई समानता नहीं है।
इस डॉक्टर ने अपनी पूरी जिन्दगी उसी महिला के साथ गुजार दी, 71 वर्ष की आयु में फ्रस्ट्रेशन में टार्च मारने पर पत्नी की हत्या हो गई बहुत दुखद निन्दनीय है। अपने बच्चों को सेटल किया। अपना कर्तव्य निभाया। अपनी पत्नी को मारने के लिए कोई हथियार नहीं अरेंज किया। पूरा जीवन दिया अपनी पत्नी को। दुर्घटनावश, भावावेश, या तात्कालिक नाराजगी में हुई दुर्घनावश मृत्यु भी निंदनीय है किन्तु आफताब के केस से तुलना नहीं की जा सकती।
आफताब, श्रद्धा को साथ रखता है मारता-पीटता है, उसके बाद भी बेचारी लड़की प्रेम में या मजबूरी में उसके साथ रहती है। वह तो आफताब से शादी करना चाहती थी क्योंकि प्रेम करती थी। इसी कारण तो समाज और परिवार के विरोध के बावजूद उसके साथ रह रही थी। आफताब उसके शरीर को भोग चुका था अब उसके उसमें कोई इंटरेस्ट नहीं रह गया। उसने श्रद्धा को मार कर काट कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया। उसे मारने के बाद भी 15 से अधिक हिन्दू लड़कियों के साथ रंगरलियां मनाता रहा। आफताब श्रद्धा तो क्या किसी भी हिन्दू लड़की से प्रेम नहीं करता उन्हें भोगता है।
एक बूढ़ा डॉक्टर सारी उम्र अपनी जिम्मेदारियां निभाता रहा, पत्नी के साथ रहा, बच्चों का जीवन संवारा, किन्तु एक दिन दुर्घटनावश, क्लिनिक से आते ही पत्नी ने चिल्लाना शुरू कर दिया। ये पत्नी को भी सोचना चाहिए था कि दिनभर के काम, थकान, परेशानियों के बाद पति यादि घर आया तो उसे म से कम घर में तो शांति मिले। सारी दुनिया में शोर-शराबा, समस्याएं, परेशानियां, तकलीफ, और भी अन्य परिस्थिति से जूझने के बाद इंसान को अपने घर में शांति और सुकून मिलता है यदि यहां भी उसे, सुकून न मिले तो क्रोध आना स्वाभाविक है। अब डॉक्टर की आयु 71 वर्ष थी तो क्रोध पर काबू न रख सके और उनसे यह कृत्य हो गया। यहां में उनके कृत्य को उचित नहीं ठहरा रहा हूं। उन्होंने जो किया वह गलत किया। लेकिन उनकी किसी किताब में उनकी पत्नी या दुनिया की किसी स्त्री के प्रति ऐसे कृत्य को करने का कोई हुक्म नहीं।
लेकिन आफताब
जिस किताब को मानता है उसमें तो ऊपर वाला औरत को आधी अक्ल की कहता है। और जो महिलाएं और पुरुष उनके धर्म को नहीं मानते उन्हें सीधे कत्ल करने की इजाजत देता है। इसलिए आफताब ने सोच समझकर प्लानिंग करके श्रद्धा को मारा इसलिए वह बहुत बड़ा अपराधी है और ये बूढ़ा डॉक्टर उसके मुकाबले कुछ भी नहीं।
सैफी साहब अपनी किताब को अर्थ के साथ पढ़िए फिर देखिए कि इंसान किसे कहते हैं।
First view
Thanks Didi🙏
🤗
Dosto es kahani se ek sikh milti hai ke aap kabhi kisi se ladai jhagda na kare .pyar se rahe aur man ko shant rakhe .kiyuki man ki shanti se badakar koi dhulat nahi hai?
This case is very dangerous in Odisha. Who culprit is a retired army doctor. This case is a old case. 2010, 11 . Myself from Odisha. Jay shree jagannath 🙏🙏
सेफी साहब आपका स्वागत है ओर आपकी कहानी सुनकर बहुत खुश होते हैं और मैं मोहनलाल बिश्नोई समाज से गुड़ामालानी नया नगर से धन्यवाद देता हूं धन्यवाद साहब आपका वन्देमातरम
Assalam Walekum बहुत-बहुत Shukriya aapka Jo aapane video play Kiya aur mera janmdin 12-12 1970 hai Allah Hafiz
Aapka main har roj ka kahani Sun raha Hun bahut achcha aap baat karte hain
Our way of expalning is very nice
Assalamu alaikum Usman bhai aap kaise ho
Very nice kahani hai
Thank you sir mera name video me lene ke liye🥰🥰🥰
Kaise karte hai ye log aisa😢😢
नमस्ते उसमान सेफी भाई साहब,आपकी सच्ची कहानी अच्छी लगती है,
मेरा नाम भी लेना जी, भईयाजी
kishnaram ghaswa .didwana nagaur Rajasthan से हू
नमस्कार उस्मान भाई
बहुत दुखत घटना
गुड शानदार बहुत बहुत आभार आपका.,
छबीलपुर = गुन्नौर, उत्तर प्रदेश से
हरवेश कश्यप.!
उस्मान सैफी जी आप भी पक्के मुसलमान निकले
छोड़ दीजिए नमस्कार और सत श्री अकाल कहना केवल सलाम वालिकुम कहिए
इस डॉक्टर ने 300 टुकड़े किए या 3000 टुकड़े ये मायने नहीं रखता। हत्या के बाद 3 टुकड़े करो, 30 टुकड़े करो, 300 या 3000 टुकड़े, शव को कोई फर्क नहीं पड़ता। हत्या हुई है यह माइने रखता है। टुकड़े तो लाश को बिना नजर में आए ठिकाने लगाने के लिए किए गए दोनों ही केस में।
आफताब और इस डॉक्टर के केस की कोई समानता नहीं है।
इस डॉक्टर ने अपनी पूरी जिन्दगी उसी महिला के साथ गुजार दी, 71 वर्ष की आयु में फ्रस्ट्रेशन में टार्च मारने पर पत्नी की हत्या हो गई बहुत दुखद निन्दनीय है। अपने बच्चों को सेटल किया। अपना कर्तव्य निभाया। अपनी पत्नी को मारने के लिए कोई हथियार नहीं अरेंज किया। पूरा जीवन दिया अपनी पत्नी को। दुर्घटनावश, भावावेश, या तात्कालिक नाराजगी में हुई दुर्घनावश मृत्यु भी निंदनीय है किन्तु आफताब के केस से तुलना नहीं की जा सकती।
आफताब, श्रद्धा को साथ रखता है मारता-पीटता है, उसके बाद भी बेचारी लड़की प्रेम में या मजबूरी में उसके साथ रहती है। वह तो आफताब से शादी करना चाहती थी क्योंकि प्रेम करती थी। इसी कारण तो समाज और परिवार के विरोध के बावजूद उसके साथ रह रही थी। आफताब उसके शरीर को भोग चुका था अब उसके उसमें कोई इंटरेस्ट नहीं रह गया। उसने श्रद्धा को मार कर काट कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया। उसे मारने के बाद भी 15 से अधिक हिन्दू लड़कियों के साथ रंगरलियां मनाता रहा। आफताब श्रद्धा तो क्या किसी भी हिन्दू लड़की से प्रेम नहीं करता उन्हें भोगता है।
एक बूढ़ा डॉक्टर सारी उम्र अपनी जिम्मेदारियां निभाता रहा, पत्नी के साथ रहा, बच्चों का जीवन संवारा, किन्तु एक दिन दुर्घटनावश, क्लिनिक से आते ही पत्नी ने चिल्लाना शुरू कर दिया। ये पत्नी को भी सोचना चाहिए था कि दिनभर के काम, थकान, परेशानियों के बाद पति यादि घर आया तो उसे म से कम घर में तो शांति मिले। सारी दुनिया में शोर-शराबा, समस्याएं, परेशानियां, तकलीफ, और भी अन्य परिस्थिति से जूझने के बाद इंसान को अपने घर में शांति और सुकून मिलता है यदि यहां भी उसे, सुकून न मिले तो क्रोध आना स्वाभाविक है। अब डॉक्टर की आयु 71 वर्ष थी तो क्रोध पर काबू न रख सके और उनसे यह कृत्य हो गया। यहां में उनके कृत्य को उचित नहीं ठहरा रहा हूं। उन्होंने जो किया वह गलत किया। लेकिन उनकी किसी किताब में उनकी पत्नी या दुनिया की किसी स्त्री के प्रति ऐसे कृत्य को करने का कोई हुक्म नहीं।
लेकिन आफताब
जिस किताब को मानता है उसमें तो ऊपर वाला औरत को आधी अक्ल की कहता है। और जो महिलाएं और पुरुष उनके धर्म को नहीं मानते उन्हें सीधे कत्ल करने की इजाजत देता है। इसलिए आफताब ने सोच समझकर प्लानिंग करके श्रद्धा को मारा इसलिए वह बहुत बड़ा अपराधी है और ये बूढ़ा डॉक्टर उसके मुकाबले कुछ भी नहीं।
सैफी साहब अपनी किताब को अर्थ के साथ पढ़िए फिर देखिए कि इंसान किसे कहते हैं।
Radhe.radhe.Khan.sahav
Assalawalaikum Usman saifi Bhai
Jai hind sir
Nice...
Jay Jagannath sir 🙏💞🙂
namskar usman saifi sir mai aap ke har video dekta hu mai har roj 8 baje aap ke video ka besbri se intjar rahta hai aap ke har video se hame ek nai shik Shiksha milati hai satk Rahane ka sir mai aap se request hai ki agali video mein mera naam jarur le (name- dujram mandavi dhamtari Chhattisgarh )🙏🙏🙏🙏🙏
Sach mein Bahut Dukh Ki Baat Hai
Mera b’day 10 th December ko hai please mujhe wish kar dijiyega mai apke crime stories bahaut shiddat se sunnti hu Toronto se Khuda hafiz
sir ji app ese good news late rahu
जनाब नमस्कार ,, हम को भी आप ने आखिर कार अपना डाईहार्ड फैन बना ही लिया ( प्रणाम ) BHANU SHARMA HARDUAGANJ MORTHAL ALIGARH
Fast cament
Wo no bahot hi dard nak ghatana tha
mysteriou duniya par ye kahani pehle hi sun chuka hoon
Hlo Sir a case bbsr ki Nayapalli ki hei
उस्मान सर एक बार हमारा भी नाम लेना रीवा एमपी से हो गुड्डू साकेत
Ji bhai
bahut achha
Danger Episode hia sir g
Usman bhai mane episode craim patrol ma dakh liya
Aapka lambi umra ho Usman bhai
Bhai saab his surname is parida not prida please get perfect details 🙏🏻
Sorry dear 🙏
Are bhai ye odissa ke thodi hain jo inhe sab jagah ka title yaad rahega
बहुत ही दुखद घटना है, इंसान इतना हैवान हो गया है ।
Very nice
I am from odisha
Tera Name Ricky Hai 🤣 Pagle Khan Q Laga Rakha Hai
Sor next video me mera name lijiye plz plz plz (Arjun kumar) from varanasi(up) plzz plzz🙏🙏🙏🙏
Bahut khoufnak kahani h
Good night sir
Jila Etawah koi khabar hai
Wakeel ahmad mewat se
जो अपनी पत्नी से ही ऐसा व्यवहार कर सक्ता हो वो अपनी ड्यूटी पर रहते जवानो को कितनी यातना दे चुका होगा?
हाथरस के विधायक कुलदीप सेंगर का वीडियो बनाये
Koi sabji bachne ka sound aaraha hai sir
So sad yaar
Kerala ki ek story 6 muder over 14 years
Uspein video banao
Sir gee good evening
Aap se namra nivedan hai agle video mai Mera bhee nam lena bhai jee
Devendra Singh agra up
Bhut dardnak
2020 की तुलना 2022 से लोग कर रहे थे या आप इस वीडियो में कर रहे हैं?
Sir hmare ghar beti hui h pls apni wishes dena
Isame kaise sachet krna hua
पत्रकार मेराज शेख कौशाम्बी से
Ye Story पहले बताये आपने
Usman sar ji hamara bhi Naam lijiye .... Kolkata mahashtala
🙏🙏
It's Parida not Prida.
Good story hai sir
उस्मान सैफी जी आप भी पक्के मुसलमान निकले
छोड़ दीजिए नमस्कार और सत श्री अकाल कहना केवल सलाम वालिकुम कहिए
इस डॉक्टर ने 300 टुकड़े किए या 3000 टुकड़े ये मायने नहीं रखता। हत्या के बाद 3 टुकड़े करो, 30 टुकड़े करो, 300 या 3000 टुकड़े, शव को कोई फर्क नहीं पड़ता। हत्या हुई है यह माइने रखता है। टुकड़े तो लाश को बिना नजर में आए ठिकाने लगाने के लिए किए गए दोनों ही केस में।
आफताब और इस डॉक्टर के केस की कोई समानता नहीं है।
इस डॉक्टर ने अपनी पूरी जिन्दगी उसी महिला के साथ गुजार दी, 71 वर्ष की आयु में फ्रस्ट्रेशन में टार्च मारने पर पत्नी की हत्या हो गई बहुत दुखद निन्दनीय है। अपने बच्चों को सेटल किया। अपना कर्तव्य निभाया। अपनी पत्नी को मारने के लिए कोई हथियार नहीं अरेंज किया। पूरा जीवन दिया अपनी पत्नी को। दुर्घटनावश, भावावेश, या तात्कालिक नाराजगी में हुई दुर्घनावश मृत्यु भी निंदनीय है किन्तु आफताब के केस से तुलना नहीं की जा सकती।
आफताब, श्रद्धा को साथ रखता है मारता-पीटता है, उसके बाद भी बेचारी लड़की प्रेम में या मजबूरी में उसके साथ रहती है। वह तो आफताब से शादी करना चाहती थी क्योंकि प्रेम करती थी। इसी कारण तो समाज और परिवार के विरोध के बावजूद उसके साथ रह रही थी। आफताब उसके शरीर को भोग चुका था अब उसके उसमें कोई इंटरेस्ट नहीं रह गया। उसने श्रद्धा को मार कर काट कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया। उसे मारने के बाद भी 15 से अधिक हिन्दू लड़कियों के साथ रंगरलियां मनाता रहा। आफताब श्रद्धा तो क्या किसी भी हिन्दू लड़की से प्रेम नहीं करता उन्हें भोगता है।
एक बूढ़ा डॉक्टर सारी उम्र अपनी जिम्मेदारियां निभाता रहा, पत्नी के साथ रहा, बच्चों का जीवन संवारा, किन्तु एक दिन दुर्घटनावश, क्लिनिक से आते ही पत्नी ने चिल्लाना शुरू कर दिया। ये पत्नी को भी सोचना चाहिए था कि दिनभर के काम, थकान, परेशानियों के बाद पति यादि घर आया तो उसे म से कम घर में तो शांति मिले। सारी दुनिया में शोर-शराबा, समस्याएं, परेशानियां, तकलीफ, और भी अन्य परिस्थिति से जूझने के बाद इंसान को अपने घर में शांति और सुकून मिलता है यदि यहां भी उसे, सुकून न मिले तो क्रोध आना स्वाभाविक है। अब डॉक्टर की आयु 71 वर्ष थी तो क्रोध पर काबू न रख सके और उनसे यह कृत्य हो गया। यहां में उनके कृत्य को उचित नहीं ठहरा रहा हूं। उन्होंने जो किया वह गलत किया। लेकिन उनकी किसी किताब में उनकी पत्नी या दुनिया की किसी स्त्री के प्रति ऐसे कृत्य को करने का कोई हुक्म नहीं।
लेकिन आफताब
जिस किताब को मानता है उसमें तो ऊपर वाला औरत को आधी अक्ल की कहता है। और जो महिलाएं और पुरुष उनके धर्म को नहीं मानते उन्हें सीधे कत्ल करने की इजाजत देता है। इसलिए आफताब ने सोच समझकर प्लानिंग करके श्रद्धा को मारा इसलिए वह बहुत बड़ा अपराधी है और ये बूढ़ा डॉक्टर उसके मुकाबले कुछ भी नहीं।
सैफी साहब अपनी किताब को अर्थ के साथ पढ़िए फिर देखिए कि इंसान किसे कहते हैं।
Usman ji Mera bhi Naam lijiye
dard nak ghatna
भारतीय संविधान में हर बार संसोधन होता रहता है, क्यों नहीं भारत में भी रैप ओर मर्डर करने वाले को फांसी दी जाए
Sar ye vedio myne kla hi anikhi Kahani me dekha
ओहो भगवान पता नहीं दुनिया में कैसे कैसे लोग रहते हैं
Usman ji aap ka news har bar dekhta hun aap bahut ashe se kahani sunte ho jagrook karte ho bahrat ke logo ko
Dear sir
Abhi WhatsApp per ek bahut bada black meaning ka racket chal raha hai jismein yuvaon ko blackmail karne ka nude video ke tarike se Kiya jata hai sir main chahta Hun ki is baat ka pata har ek aadami Ko chale taki FIR koi blackmailing mein nahin fansi aap iska khulasa Karen taki police bhi harkat mein a jaaye aur blackmail pakda jaaye please sir 🙏🙏
Please narrate the story in simple hindustani language not in hard sanskritaze hindi. Thanks Shikshicha ?
😱😢😢😢😢
Aiso logo ko to Bich Sadak
Faasi de deni chahiye😅
Allahuakbar
U.m.s........ I LOVE YOU SAR
Excellent style Usman sir. And amezing voice bhayya. Love you. Love from UP ❤️ Moradabad ❤️
मेरा नाम आप नहीं बोलते हैं सर।
धर्मेन्द्र कुमार लालगंज सासाराम रोहतास बिहार से हूँ।
I AM BIG FAN USMAN SAIFI SAFAR❤️👑👍❤️❤️❤️❤️❤️👍👍👍👍👍
Sar mai bhi siddharth nagar se hu sar aap mera bhi naam bol do sar mai bhi apka video hamesa dekhta hu sar
Aapka aik aik program hum apne baccho ko dikhate hain
Aap is kahani ke madhayam se chah rahe hai ki aftab ko km we km saja mile😫😫😫😫😫😫😫😫😫
उस्मान सैफी जी आप भी पक्के मुसलमान निकले
छोड़ दीजिए नमस्कार और सत श्री अकाल कहना केवल सलाम वालिकुम कहिए
इस डॉक्टर ने 300 टुकड़े किए या 3000 टुकड़े ये मायने नहीं रखता। हत्या के बाद 3 टुकड़े करो, 30 टुकड़े करो, 300 या 3000 टुकड़े, शव को कोई फर्क नहीं पड़ता। हत्या हुई है यह माइने रखता है। टुकड़े तो लाश को बिना नजर में आए ठिकाने लगाने के लिए किए गए दोनों ही केस में।
आफताब और इस डॉक्टर के केस की कोई समानता नहीं है।
इस डॉक्टर ने अपनी पूरी जिन्दगी उसी महिला के साथ गुजार दी, 71 वर्ष की आयु में फ्रस्ट्रेशन में टार्च मारने पर पत्नी की हत्या हो गई बहुत दुखद निन्दनीय है। अपने बच्चों को सेटल किया। अपना कर्तव्य निभाया। अपनी पत्नी को मारने के लिए कोई हथियार नहीं अरेंज किया। पूरा जीवन दिया अपनी पत्नी को। दुर्घटनावश, भावावेश, या तात्कालिक नाराजगी में हुई दुर्घनावश मृत्यु भी निंदनीय है किन्तु आफताब के केस से तुलना नहीं की जा सकती।
आफताब, श्रद्धा को साथ रखता है मारता-पीटता है, उसके बाद भी बेचारी लड़की प्रेम में या मजबूरी में उसके साथ रहती है। वह तो आफताब से शादी करना चाहती थी क्योंकि प्रेम करती थी। इसी कारण तो समाज और परिवार के विरोध के बावजूद उसके साथ रह रही थी। आफताब उसके शरीर को भोग चुका था अब उसके उसमें कोई इंटरेस्ट नहीं रह गया। उसने श्रद्धा को मार कर काट कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया। उसे मारने के बाद भी 15 से अधिक हिन्दू लड़कियों के साथ रंगरलियां मनाता रहा। आफताब श्रद्धा तो क्या किसी भी हिन्दू लड़की से प्रेम नहीं करता उन्हें भोगता है।
एक बूढ़ा डॉक्टर सारी उम्र अपनी जिम्मेदारियां निभाता रहा, पत्नी के साथ रहा, बच्चों का जीवन संवारा, किन्तु एक दिन दुर्घटनावश, क्लिनिक से आते ही पत्नी ने चिल्लाना शुरू कर दिया। ये पत्नी को भी सोचना चाहिए था कि दिनभर के काम, थकान, परेशानियों के बाद पति यादि घर आया तो उसे म से कम घर में तो शांति मिले। सारी दुनिया में शोर-शराबा, समस्याएं, परेशानियां, तकलीफ, और भी अन्य परिस्थिति से जूझने के बाद इंसान को अपने घर में शांति और सुकून मिलता है यदि यहां भी उसे, सुकून न मिले तो क्रोध आना स्वाभाविक है। अब डॉक्टर की आयु 71 वर्ष थी तो क्रोध पर काबू न रख सके और उनसे यह कृत्य हो गया। यहां में उनके कृत्य को उचित नहीं ठहरा रहा हूं। उन्होंने जो किया वह गलत किया। लेकिन उनकी किसी किताब में उनकी पत्नी या दुनिया की किसी स्त्री के प्रति ऐसे कृत्य को करने का कोई हुक्म नहीं।
लेकिन आफताब
जिस किताब को मानता है उसमें तो ऊपर वाला औरत को आधी अक्ल की कहता है। और जो महिलाएं और पुरुष उनके धर्म को नहीं मानते उन्हें सीधे कत्ल करने की इजाजत देता है। इसलिए आफताब ने सोच समझकर प्लानिंग करके श्रद्धा को मारा इसलिए वह बहुत बड़ा अपराधी है और ये बूढ़ा डॉक्टर उसके मुकाबले कुछ भी नहीं।
सैफी साहब अपनी किताब को अर्थ के साथ पढ़िए फिर देखिए कि इंसान किसे कहते हैं।
ये हत्या के एक जैसे मामले अचानक ऐसे आइडिया सबके दिमाग में एक साथ 🤔😰😰❓
Sir kabhi hamara bhi nam .le.lijiye.vakil.sahani
Insan itna gir sakta hai khwab me bhi socha nhi thaa😢🙏
बहन कुरान को तर्जुमे के साथ पढ़िए आपको और भी बहुत कुछ ज्ञान की बातों को इल्म होगा।
Moral of story:::: पति बाहर से आए तो chik chik न करो
उस्मानभाई। मरावी नाम एना लेना। मैं ओमान से
Aap aaj samrt lg rhe h
😍
Sar Manjesh Kumar muzaffarpur Bihar se
Itna din se aap soye hue the sar
उस्मान सैफी जी आप भी पक्के मुसलमान निकले
छोड़ दीजिए नमस्कार और सत श्री अकाल कहना केवल सलाम वालिकुम कहिए
इस डॉक्टर ने 300 टुकड़े किए या 3000 टुकड़े ये मायने नहीं रखता। हत्या के बाद 3 टुकड़े करो, 30 टुकड़े करो, 300 या 3000 टुकड़े, शव को कोई फर्क नहीं पड़ता। हत्या हुई है यह माइने रखता है। टुकड़े तो लाश को बिना नजर में आए ठिकाने लगाने के लिए किए गए दोनों ही केस में।
आफताब और इस डॉक्टर के केस की कोई समानता नहीं है।
इस डॉक्टर ने अपनी पूरी जिन्दगी उसी महिला के साथ गुजार दी, 71 वर्ष की आयु में फ्रस्ट्रेशन में टार्च मारने पर पत्नी की हत्या हो गई बहुत दुखद निन्दनीय है। अपने बच्चों को सेटल किया। अपना कर्तव्य निभाया। अपनी पत्नी को मारने के लिए कोई हथियार नहीं अरेंज किया। पूरा जीवन दिया अपनी पत्नी को। दुर्घटनावश, भावावेश, या तात्कालिक नाराजगी में हुई दुर्घनावश मृत्यु भी निंदनीय है किन्तु आफताब के केस से तुलना नहीं की जा सकती।
आफताब, श्रद्धा को साथ रखता है मारता-पीटता है, उसके बाद भी बेचारी लड़की प्रेम में या मजबूरी में उसके साथ रहती है। वह तो आफताब से शादी करना चाहती थी क्योंकि प्रेम करती थी। इसी कारण तो समाज और परिवार के विरोध के बावजूद उसके साथ रह रही थी। आफताब उसके शरीर को भोग चुका था अब उसके उसमें कोई इंटरेस्ट नहीं रह गया। उसने श्रद्धा को मार कर काट कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया। उसे मारने के बाद भी 15 से अधिक हिन्दू लड़कियों के साथ रंगरलियां मनाता रहा। आफताब श्रद्धा तो क्या किसी भी हिन्दू लड़की से प्रेम नहीं करता उन्हें भोगता है।
एक बूढ़ा डॉक्टर सारी उम्र अपनी जिम्मेदारियां निभाता रहा, पत्नी के साथ रहा, बच्चों का जीवन संवारा, किन्तु एक दिन दुर्घटनावश, क्लिनिक से आते ही पत्नी ने चिल्लाना शुरू कर दिया। ये पत्नी को भी सोचना चाहिए था कि दिनभर के काम, थकान, परेशानियों के बाद पति यादि घर आया तो उसे म से कम घर में तो शांति मिले। सारी दुनिया में शोर-शराबा, समस्याएं, परेशानियां, तकलीफ, और भी अन्य परिस्थिति से जूझने के बाद इंसान को अपने घर में शांति और सुकून मिलता है यदि यहां भी उसे, सुकून न मिले तो क्रोध आना स्वाभाविक है। अब डॉक्टर की आयु 71 वर्ष थी तो क्रोध पर काबू न रख सके और उनसे यह कृत्य हो गया। यहां में उनके कृत्य को उचित नहीं ठहरा रहा हूं। उन्होंने जो किया वह गलत किया। लेकिन उनकी किसी किताब में उनकी पत्नी या दुनिया की किसी स्त्री के प्रति ऐसे कृत्य को करने का कोई हुक्म नहीं।
लेकिन आफताब
जिस किताब को मानता है उसमें तो ऊपर वाला औरत को आधी अक्ल की कहता है। और जो महिलाएं और पुरुष उनके धर्म को नहीं मानते उन्हें सीधे कत्ल करने की इजाजत देता है। इसलिए आफताब ने सोच समझकर प्लानिंग करके श्रद्धा को मारा इसलिए वह बहुत बड़ा अपराधी है और ये बूढ़ा डॉक्टर उसके मुकाबले कुछ भी नहीं।
सैफी साहब अपनी किताब को अर्थ के साथ पढ़िए फिर देखिए कि इंसान किसे कहते हैं।