विरहिणी || कविता || कवयित्री प्रेमा नडु़विनमनी || कर्नाटक
ฝัง
- เผยแพร่เมื่อ 11 พ.ย. 2024
- #विरहिणी कवयित्री प्रेमा जी द्वारा रचित कविता है। इस कविता में कवयित्री यह कहना चाहती है कि सच्चा प्रेम कोई किसिसे करता है तो उसको जरूर विरह वियोग में अपने दिन काटने पड़ेंगे। अपने वाक्य की समर्थन करने के लिए वें अनेक उदाहरण प्रस्तुत करती है। कमल से सच्चा प्रेम करके भ्रमर के तड़पना,दीपक से प्रेम करके पतंग अपने प्राण ही छोड़ना और हिरण भी संगीत से प्रेम करके अपने छाती पे तीर गुसा लेना यह सब उदाहरण देती है। सच्चा प्रेम करके कोई सुखी नहीं हो सकता यह बताते कहती है कि मैं अपने पिय से सच्चा प्रेम करती हूँ और इसीलिए सदा तड़पती ही रहती हूँ ।
कवयित्री का कहना यह है कि जो कोई भी सच्चा प्रेम करता है वह सदैव अपने प्रेमी से मिलने के लिए बेचैन रहता है। उसे बेचैनी रहती है इसलिए वह सुखी नहीं हो सकता ।
कवयित्री प्रेमा नडु़विनमनी
poetry #VIRAHINI written by poetesses Prema Naduvinamani.
She living in Dharwad it's belongs to Karnataka state..
you can also visit
Facebook : Prema Naduvinamani
Instagram : kanasukangalcheluve
Facebook page : ಕನಸು ಕಂಗಳ ಚೆಲುವೆ
blogspot : kanasukangalcheluveblogspot
ಕನಸು ಕಂಗಳ ಚೆಲುವೆ
💓 💓
Thank you
Thanks
आदरणीय बहुत ही बेहतरीन रचना है आपकी बधाई
Thanks ji
Thanks
Thank you
अति सुंदर, बधाई प्रेमा जी
पवन जी नमस्कार । आभार आपको ।
Thank you ji
Nice🙏
Thanks
बहुत खूब
Thanks
Thank you