भारत की आजादी में मुसलमानों का योगदान संक्षिप्त इतिहास जरूर पढ़ें। 15 अगस्त को करोड़ों देशवासी भारत की आजादी का जश्न मनाते हैं, इस दिन हम उन स्वतंत्रता सेनानियों को भी याद करते हैं जिन्होंने देश को गुलामी की बेड़ियों से आज़ाद कराया. महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस समेत अनगिनत लोगों ने अलग-अलग तरह से देश को आजाद कराने में अपना योगदान दिया। अपनी बहादुरी की ही वजह से उन्हें 'शेर-ए-मैसूर' कहा जाने लगा. सर सैय्यद अहमद खां ने 'अलीगढ़ मुस्लिम आंदोलन' का नेतृत्व किया भारत में मुसलमानों ने सभी पृष्ठभूमियों के व्यक्तियों के साथ-साथ स्वतंत्रता की लड़ाई में एक अभिन्न भूमिका निभाई। नेतृत्व की भूमिकाओं से लेकर जन-आंदोलन के प्रयासों तक, स्वतंत्रता की साझा खोज में विविध समुदायों को एकजुट करने में उनका योगदान बहुआयामी था। आजादी की लड़ाई में मुस्लिम महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. इनमें से सबसे बड़ा नाम था बेगम हजरत महल का. वो अवध के नवाब वाजिद अली शाह की पत्नी थीं, जिन्हें अंग्रेजों ने बंगाल निर्वासित कर दिया था. पति के निर्वासन के बाद बेगम हजरत महल ने अवध की बागडोर संभाली और 1857 की क्रांति में अहम भूमिका निभाई। इंकलाब ज़िंदाबाद' का नारा मौलाना हसरत मोहानी भारतीय इतिहास भारत की आजादी में मुसलम महिलाओं का योगदान संक्षिप्त इतिहास जरूर पढ़ें मौलाना हसरत मोहानी: आज़ादी का वो ग़ुमनाम सिपाही जिसने दिया 'इंकलाब ज़िंदाबाद' का नारा मौलाना हसरत मोहानी भारतीय इतिहास के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 'पूर्ण स्वतंत्रता' (आज़ादी-ए-कामिल) की मांग की थी. हसरत मोहानी ने स्वदेशी आंदोलन में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. लोगों को इसके लिए जागरूक किया, 'हम कौल के हैं सादिक अगर जान भी जाती है, वल्लाह कभी खिदमत-ए-अंग्रेज न करते' - मौलाना हसरत मोहानी. 15 अगस्त 1947 में भारत को ब्रिटिश राज से आज़ादी मिली थी. इस दिन ना सिर्फ देश की आज़ादी की खुशी बल्कि देश के लिए अपनी जान देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के समर्पण और कुर्बानी को भी याद किया जाता है. देश को आजादी दिलाने वाले एक-एक शख्स की भूमिका अहम है. इस मौके पर हम आज आपको आज़ादी के उस ग़ुमनाम सिपाही की कहानी बताएंगे जिसने 'इंकलाब ज़िंदाबाद’ का नारा दिया था. 'इंकलाब ज़िंदाबाद’ वही नारा है जिसे भगत सिंह ने हमेशा के लिए अमर कर दिया. मौलाना हसरत मोहानी ने अपनी शायरी और साहित्य से लोगों में आज़ादी की अलख जगाई. उन्होंने विभिन्न आंदोलनों में अपना सक्रिय हिस्सा लिया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ बखूबी लड़ाई लड़ी. देश की लड़ाई में हिस्सा लेने वाले कई नाम मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानियों के भी हैं जिन्होंने आजादी की लड़ाई में न केवल बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया बल्कि अपना जीवन भी कुर्बान कर दिया. आज हम बात करेंगे ऐसे ही मुस्लिम फ्रीडम फाइटर्स की जिन्होंने भारत की आजादी में अहम योगदान दिया है।
میرے پیارے ہندوستان سنی مسلمان بھائیوں پاکستان انہیں علامہ فضلِ حق خیر آبادی اور علماء اہلِ سنت کا وہ خواب ہے جو انہوں نے دیکھا تھا اور جو پیر جماعت علی شاہ کی قیادت میں مسلمانوں نے خون دے کر پاکستان بنایا تھا اپنی تاریخ نہ بھولو پاکستان اسلام کی درسگاہ کے طور پر بنایا گیا تھا اور یہ علماء اہلِ حق علماء اہلِ سنت کی قاوشوں کا نتیجہ ہے اب سادشیں کی جاتی ہیں ہندوستان بٹ گیا فلان ہو گیا فلان ہو گیا حالانکہ آپ سے بہتر حالات کون جان سکتا ہے جو ہندوستان میں رہتے ہیں آپ کو دوسرے درجے کا شہری بنا دیا ہے
ارے یہ زہر کا پیالہ پۓ گا لیکن کبھی بھی علماءِ حق علماءِ دیوبند کا نام نہیں لینگے علماءِ دیوبند کا نام اور انکی قربانیاں یاد دلانے کیلئے کچھ شرائط ہیں اور ان میں سے سب سے پہلی شرط یہ پائ جاتی ہے کی باپ کا ایک ہونا اور ماں کا نیک ہونا شرط ہے یہ بیچارے ان دونوں نعمت سے محروم ہیں ، کسکے نطفے سے اس دنیا میں آنکھ کھولی ہے یہ بتا نہیں تو علماءِ دیوبند نام نام کیسے لے سکتے ہی😂😂😂
اے دیواندی کتاب پر کتاب تو نہ چھاپ ایک کتاب ریکمینڈ کرتا ہوں ضرور گوگل سے ڈاؤنڈوڈ کر کے پڑھ اٹھارہ سو ستاون کی کہانی اختر شاہ جہانبوری کی زبانی پھر حق و باطل فرق سابنے آ جائے گا
Mashallah subhanallah bhut khoob zabardast 🌹🌹🌹🌿🌿🌿❤❤❤
Maslake Aala Hazrat zindabad zindabad zindabad,,,isi pr qaymo dayam rho
ماشاءاللہ ❤❤❤
Subhanallah MashaAllah alhamdulillah Haq Islam sawade aazam ahle sunnat wa jamat maslake aalahazrat haqqaniyat ki buniyad hai zindabad
Aye Mufty Salman Ajhari Sahab Ko Ijjat Ke Sath Rihy Ata Farma
Ameen
Labbaik ya Rasool Allah
اللہ تبارک و تعالی اپنے محبوب کے صدقے مفتی صاحب کے دشمنوں کو زیر فرمائے مفتی صاحب کے علم میں ان کی عمر میں برکتیں عطا فرمائے
Maulana. Haq baat hai
Massallah
Beshak❤❤❤❤❤❤
भारत की आजादी में मुसलमानों का योगदान संक्षिप्त इतिहास जरूर पढ़ें।
15 अगस्त को करोड़ों देशवासी भारत की आजादी का जश्न मनाते हैं, इस दिन हम उन स्वतंत्रता सेनानियों को भी याद करते हैं जिन्होंने देश को गुलामी की बेड़ियों से आज़ाद कराया. महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस समेत अनगिनत लोगों ने अलग-अलग तरह से देश को आजाद कराने में अपना योगदान दिया।
अपनी बहादुरी की ही वजह से उन्हें 'शेर-ए-मैसूर' कहा जाने लगा. सर सैय्यद अहमद खां ने 'अलीगढ़ मुस्लिम आंदोलन' का नेतृत्व किया भारत में मुसलमानों ने सभी पृष्ठभूमियों के व्यक्तियों के साथ-साथ स्वतंत्रता की लड़ाई में एक अभिन्न भूमिका निभाई। नेतृत्व की भूमिकाओं से लेकर जन-आंदोलन के प्रयासों तक, स्वतंत्रता की साझा खोज में विविध समुदायों को एकजुट करने में उनका योगदान बहुआयामी था।
आजादी की लड़ाई में मुस्लिम महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. इनमें से सबसे बड़ा नाम था बेगम हजरत महल का. वो अवध के नवाब वाजिद अली शाह की पत्नी थीं, जिन्हें अंग्रेजों ने बंगाल निर्वासित कर दिया था. पति के निर्वासन के बाद बेगम हजरत महल ने अवध की बागडोर संभाली और 1857 की क्रांति में अहम भूमिका निभाई।
इंकलाब ज़िंदाबाद' का नारा मौलाना हसरत मोहानी भारतीय इतिहास
भारत की आजादी में मुसलम महिलाओं का योगदान संक्षिप्त इतिहास जरूर पढ़ें
मौलाना हसरत मोहानी: आज़ादी का वो ग़ुमनाम सिपाही जिसने दिया 'इंकलाब ज़िंदाबाद' का नारा मौलाना हसरत मोहानी भारतीय इतिहास के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 'पूर्ण स्वतंत्रता' (आज़ादी-ए-कामिल) की मांग की थी. हसरत मोहानी ने स्वदेशी आंदोलन में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. लोगों को इसके लिए जागरूक किया, 'हम कौल के हैं सादिक अगर जान भी जाती है, वल्लाह कभी खिदमत-ए-अंग्रेज न करते' - मौलाना हसरत मोहानी. 15 अगस्त 1947 में भारत को ब्रिटिश राज से आज़ादी मिली थी. इस दिन ना सिर्फ देश की आज़ादी की खुशी बल्कि देश के लिए अपनी जान देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के समर्पण और कुर्बानी को भी याद किया जाता है. देश को आजादी दिलाने वाले एक-एक शख्स की भूमिका अहम है. इस मौके पर हम आज आपको आज़ादी के उस ग़ुमनाम सिपाही की कहानी बताएंगे जिसने 'इंकलाब ज़िंदाबाद’ का नारा दिया था. 'इंकलाब ज़िंदाबाद’ वही नारा है जिसे भगत सिंह ने हमेशा के लिए अमर कर दिया. मौलाना हसरत मोहानी ने अपनी शायरी और साहित्य से लोगों में आज़ादी की अलख जगाई. उन्होंने विभिन्न आंदोलनों में अपना सक्रिय हिस्सा लिया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ बखूबी लड़ाई लड़ी.
देश की लड़ाई में हिस्सा लेने वाले कई नाम मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानियों के भी हैं जिन्होंने आजादी की लड़ाई में न केवल बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया बल्कि अपना जीवन भी कुर्बान कर दिया. आज हम बात करेंगे ऐसे ही मुस्लिम फ्रीडम फाइटर्स की जिन्होंने भारत की आजादी में अहम योगदान दिया है।
Dal di qalb me azmate mustafa
Hazaron sal. Nargis apni be noori pe roti he badi mushkil se hota he chaman me deeda war peda💪
Labbaaik ya Rasool Allah
Subhanallah
Haq hai
مولانا حفظ الرحمن سیوہاروی۔ مولانا حسین احمد مدنی۔ د اللہ مہاجر مکی۔ بھائی ان لوگوں نے قربانیاں دی ہیں ان کا بھی نام پیش کیا
वापस शेर धहेड़ा गा
Ulame dewbond ki qurbaniya he hajrat
اگر کربلا کا واقعہ نہ ہو تا تو بیان کرنا ان کے بس کی بات نہیں
میرے پیارے ہندوستان سنی مسلمان بھائیوں پاکستان انہیں علامہ فضلِ حق خیر آبادی اور علماء اہلِ سنت کا وہ خواب ہے جو انہوں نے دیکھا تھا اور جو پیر جماعت علی شاہ کی قیادت میں مسلمانوں نے خون دے کر پاکستان بنایا تھا اپنی تاریخ نہ بھولو پاکستان اسلام کی درسگاہ کے طور پر بنایا گیا تھا اور یہ علماء اہلِ حق علماء اہلِ سنت کی قاوشوں کا نتیجہ ہے اب سادشیں کی جاتی ہیں ہندوستان بٹ گیا فلان ہو گیا فلان ہو گیا حالانکہ آپ سے بہتر حالات کون جان سکتا ہے جو ہندوستان میں رہتے ہیں آپ کو دوسرے درجے کا شہری بنا دیا ہے
Ye Kyun nahi bata rahe ke ulmae deoband ke Maulana the
بھائی تاریخ بیانی میں فرقہ پرستی 😢😢
Kon ulmaye sunnat the jra unka nam bhi bta do hajrat
Allama kifayat Ali kafi
Whi ala hazrat jisne fatwa diya tha ki gihad karne k liye amir hona shart hai or amir qureshi ho wo koe nhi to gihad bhi nhi
ارے یہ زہر کا پیالہ پۓ گا لیکن کبھی بھی علماءِ حق علماءِ دیوبند کا نام نہیں لینگے
علماءِ دیوبند کا نام اور انکی قربانیاں یاد دلانے کیلئے کچھ شرائط ہیں اور ان میں سے سب سے پہلی شرط یہ پائ جاتی ہے
کی باپ کا ایک ہونا
اور ماں کا نیک ہونا شرط ہے
یہ بیچارے ان دونوں نعمت سے محروم ہیں ،
کسکے نطفے سے اس دنیا میں آنکھ کھولی ہے یہ بتا نہیں
تو علماءِ دیوبند نام نام کیسے لے سکتے ہی😂😂😂
@@RahbarDanishi-o4h Hamari billi hami ko miyun 🤥
@@mohdraza9582
جواب دو کہاوت نہیں
بولا نا کی تو الٹا لٹک سکتا ہے
پر نام نہیں لے سکتا
نا میری بات کا جواب دے سکتا ہے
बेशक
Naam to bol nhi sakte agar hum ulma e deoband k ulma o ka naam gina na shru krde na to kitabo pr kitabe likhe jaaege sirf unke naamo pr
Tuzse Or jannat se kya mtlb wahabi door ho ham rasoolallah ke janat rasoolallah ki❤
सही बात है
इतनी gaddariyan ki हैं ulmaye deoband ne
اے دیواندی کتاب پر کتاب تو نہ چھاپ ایک کتاب ریکمینڈ کرتا ہوں ضرور گوگل سے ڈاؤنڈوڈ کر کے پڑھ اٹھارہ سو ستاون کی کہانی اختر شاہ جہانبوری کی زبانی پھر حق و باطل فرق سابنے آ جائے گا
Abe tu dew ka banda lagta hai
😂😂😂
حضرت یہ تو بتاؤ مولانا محمود الحسن دیوبندی کون تھے جو جزیرہ انڈو مین جیل میں گئے وہ مسلمان تھے
یا نہیں
Beshak❤❤❤
Labbaaik ya Rasool Allah