Choiceless awareness, it happens with me many times , but keeps changing the seat. Never mind, I have already got the grace , can practice it at any moment. Namaskar from kadi town of Gujarat state.
ब्रह्म का यह सारा प्रपंच रचा हुआ है। ब्रह्म ने इच्छा किया एको अहम् बहुश्याम । संसार बन गया।ब्रह्म का स्वरूप सत् चित् आनन्द है और संसारिक सुख , दुःख से अलग नहीं है। तो ब्रह्म का अंश पुरुष एक समय पश्चात संसार से पृथक होना चाहता है।जब तक साक्षी दृष्टा बने रहेंगे तो संसार का अस्तित्व शून्य हो जाएगा।जब इच्छा करेंगे तो ब्रह्म का अंश हैं इसलिए इच्छा का फलीभूत होना तय है। संसार मिलेगा।इस सत्य को समझना चाहिए।
वेदों में कहा गया है, ब्रह्म एक था, उसमें इच्छा हुई, एक से अनेक होने की, और इस सृष्टि का निर्माण हुआ. किंतु अनेक होने के बाद भी उसके एकत्व में कोई अंतर नहीं पड़ा. जैसे कोई बीज एक होता है, किंतु समय पाकर एक से अनेक हो जाता है. पहले अंकुर फूटता है, फिर तना, डालियाँ, पत्ते, फूल, फल और अंत में बीज रूप में वह अनेक हो जाता है, किंतु हर बीज उस पूर्व बीज के ही समान है. उसमें भी अनेक होने की पूरी सम्भावनाएं हैं. जैसे अंकुर, तना, या डालियाँ, फूल आदि सभी उस बीज में से ही निकले हैं, पर वे बीज नहीं हैं, इसी प्रकार ब्रह्म से ही जड़ जगत, वृक्ष, पशु, पंछी आदि हुए हैं पर वे ब्रह्म के एकत्व का अनुभव नहीं कर सकते, केवल मानव को ही यह सामर्थ्य है कि वह फूल की तरह खिले, फिर उसमें भक्ति व ज्ञान के फल लगें और उसके भीतर ब्रह्म रूपी बीज का निर्माण हो सके.
पहले अद्वैत दर्शन को श्रद्धा से समझना होगा फिर समझना होगा कि हम पुरुष अविकारी हैं और दृष्टिगोचर प्रकृति विकारी जड़ है। फिर स्वयं को साक्षी दृष्टा समझने में आसान हो जाएगा।
परम् पूज्य ब्रह्मज्ञानी युगपुरुष गुरुदेव भगवान जी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम 🙏🙏🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻 चरण स्पर्श 🙏🙏🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻
ॐ
साष्टांग नमन
गुरू वर महान
Ram Ram Ram Ram Ram Ram
ॐ श्री गुरु चरण कमलेभ्यो नमः।🙏🌹🌹🙏🌹🌹🙏🌹🌹🙏🌹🌹🙏
જય
Naman mahraj ji🌹🙏
DaduRam Satram 🙏
Guru ji ke charno mein koti koti pranam 🙏🙏🙏
Shri sadgurudev Bhagwan ki jai 🙏🙏
ॐ परम पूज्यनीय श्री सद्गुरु देव भगवान जी के पावन श्री चरणों में सादर कोटि - कोटि नमन
Jai gurudev bhagwan ❤❤
Jai gurudev
परम् पूज्य श्रद्धेय सदगुरु श्री युग पुरूष स्वामी परमानंद गिरी महाराज जी के पावन चरणों में कोटि कोटि प्रणाम
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Hey gurudev kirpa karo
श्री राम, जय राम, जय जय राम
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Jai Guru Dev ji ki 🎉
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Choiceless awareness, it happens with me many times , but keeps changing the seat. Never mind, I have already got the grace , can practice it at any moment.
Namaskar from kadi town of Gujarat state.
❤❤❤❤❤❤ guru dev ke charno m koti koti parnam ji om hari om ji ❤❤❤❤❤❤
हम जब हर क्षण अपने मन वचन कर्म पर ध्यान रखते हैं तो आप दृष्टा के साथ दर्श्य भी होते हैं। इस क्रिया को जानने का नाम ही साक्षी है। जय श्री कृष्णा।
Guruprasad
ब्रह्म का यह सारा प्रपंच रचा हुआ है। ब्रह्म ने इच्छा किया एको अहम् बहुश्याम । संसार बन गया।ब्रह्म का स्वरूप सत् चित् आनन्द है और संसारिक सुख , दुःख से अलग नहीं है। तो ब्रह्म का अंश पुरुष एक समय पश्चात संसार से पृथक होना चाहता है।जब तक साक्षी दृष्टा बने रहेंगे तो संसार का अस्तित्व शून्य हो जाएगा।जब इच्छा करेंगे तो ब्रह्म का अंश हैं इसलिए इच्छा का फलीभूत होना तय है। संसार मिलेगा।इस सत्य को समझना चाहिए।
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वेदों में कहा गया है, ब्रह्म एक था, उसमें इच्छा हुई, एक से अनेक होने की, और इस सृष्टि का निर्माण हुआ. किंतु अनेक होने के बाद भी उसके एकत्व में कोई अंतर नहीं पड़ा. जैसे कोई बीज एक होता है, किंतु समय पाकर एक से अनेक हो जाता है. पहले अंकुर फूटता है, फिर तना, डालियाँ, पत्ते, फूल, फल और अंत में बीज रूप में वह अनेक हो जाता है, किंतु हर बीज उस पूर्व बीज के ही समान है. उसमें भी अनेक होने की पूरी सम्भावनाएं हैं. जैसे अंकुर, तना, या डालियाँ, फूल आदि सभी उस बीज में से ही निकले हैं, पर वे बीज नहीं हैं, इसी प्रकार ब्रह्म से ही जड़ जगत, वृक्ष, पशु, पंछी आदि हुए हैं पर वे ब्रह्म के एकत्व का अनुभव नहीं कर सकते, केवल मानव को ही यह सामर्थ्य है कि वह फूल की तरह खिले, फिर उसमें भक्ति व ज्ञान के फल लगें और उसके भीतर ब्रह्म रूपी बीज का निर्माण हो सके.
पहले अद्वैत दर्शन को श्रद्धा से समझना होगा फिर समझना होगा कि हम पुरुष अविकारी हैं और दृष्टिगोचर प्रकृति विकारी जड़ है। फिर स्वयं को साक्षी दृष्टा समझने में आसान हो जाएगा।
सदैव साष्टांग नमन
गुरू वर महान
🙏🙏🌹🌹 jai sadguru dev bhagwan 🌹🌹🙏🙏
Jai gurudev bhagwan ❤❤
Param pujay gurudev ji ke pawan charno mai koti koti naman 🌹🌹🙏🙏