।।मुक्तक छंद कविता।।:+:साल दो हजार बीस से फिर, सारशबद अखण्ड की गूंज उठी। यही घडी यही बेला संतो, सही घडी शुभ बेला जी। लाख खर्च फिर हाथ ना आवे, मानुष जनम दुहेला जी। ना कोई संगी ना कोई साथी, जाना हंस अकेला जी-यही घडी सही बेला--।।01।।क्यो सोया उठ जाग मुसाफिर, काल मार रहा हेला जी। सारशबद की संगत करलो, सुरति शबद मिलान का खेला जी। दो दिन का जगत झमेला जी झूठी माया ठगनी का खेला जी। सतधामी सत साहेब को शीश झुकाऊं, भवसिधु के उस पार उतारा जी-यही घडी सही बेला--।।02।।काल पकड चेला कर डाला, भय के कतरे कान जी। हम सारशबद अखण्ड चित्त मे धरे, किसको करे सलाम जी। साँई अरुण जी कमाल के सतसंग की बलिहारी, संत करे जय जयकार जी। सतगुरु सत कबीर सुजान से हमे मिला कर, किया हम पर बडा उपकार जी-यही घडी सही बेला संतो--।।03।।शबद निरंतर मे मन लागा, मलिन वासना त्यागी जी। उठते बैठते भी नही टूटे, ऐसी लगन हमे लागी जी,-हुआ हमारा जीवन कृतार्थ जी--यही घडी सही बेला संतो--।।04।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को समर्पित,,सालिकराम सोनी।।,,।।
❤❤sat Nam saheb ❤❤
Stnam shaheb
❤❤❤❤❤satnam Saheb
Sahab satnam yaise hi ham par kripa banaye rakhna svami ji 🎉🎉🎉🎉🎉🎉
Satnam Saheb🙏🙏🙏
Sat nam saheb
सतनाम साहेब-🌹🌹🌹हरि🕉🕉🕉
जय मां भारती
सतनाम साहेब।
saty Hi ishavar hai manav manav ek saman ki updesh Dena Wale chhattisgarh ke mahan sant Shri baba guru ghasi das ji ki Jai saheb satnam ji 🏳️🙏
सात सातनमन7
सतनाम साहेब।
सद्गुरु सरकार के चरणों की बंदगी।
🙏🙏❣️
Satnam saheb
Sat nam saheb 🙏
महेंद्र यादव
।।मुक्तक छंद कविता।।:+:साल दो हजार बीस से फिर, सारशबद अखण्ड की गूंज उठी। यही घडी यही बेला संतो, सही घडी शुभ बेला जी। लाख खर्च फिर हाथ ना आवे, मानुष जनम दुहेला जी। ना कोई संगी ना कोई साथी, जाना हंस अकेला जी-यही घडी सही बेला--।।01।।क्यो सोया उठ जाग मुसाफिर, काल मार रहा हेला जी। सारशबद की संगत करलो, सुरति शबद मिलान का खेला जी। दो दिन का जगत झमेला जी झूठी माया ठगनी का खेला जी। सतधामी सत साहेब को शीश झुकाऊं, भवसिधु के उस पार उतारा जी-यही घडी सही बेला--।।02।।काल पकड चेला कर डाला, भय के कतरे कान जी। हम सारशबद अखण्ड चित्त मे धरे, किसको करे सलाम जी। साँई अरुण जी कमाल के सतसंग की बलिहारी, संत करे जय जयकार जी। सतगुरु सत कबीर सुजान से हमे मिला कर, किया हम पर बडा उपकार जी-यही घडी सही बेला संतो--।।03।।शबद निरंतर मे मन लागा, मलिन वासना त्यागी जी। उठते बैठते भी नही टूटे, ऐसी लगन हमे लागी जी,-हुआ हमारा जीवन कृतार्थ जी--यही घडी सही बेला संतो--।।04।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को समर्पित,,सालिकराम सोनी।।,,।।
Saheb satnam ❤❤❤❤❤
Sahab satnam
❤ satnam sahab
साहेब सत् नाम 🙏🙏❣️
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Satnam Saheb Baba ❤❤❤
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Satnam saheb 🙏
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Satnam Sahib
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