पाखंडी सबसे मूर्ख होते हैं अंबेडकरवादी सबसे बुद्धिमान होते हैं बुध की शरण में जाने वाला सबसे महान होता है जय मूलनिवासी जय भारत जय भीम जय संध्या नमो बुद्धाय
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे- 1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है। अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं। कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. इनके लिए मूलनिवासी का अर्थ है। अर्थात लोगों को गुमराह करके वोट बैंक तैयार करना। इसलिए ये लोग सत्ता की खातिर वंचित वर्गों को मूलनिवासी के बहाने लगातार गुमराह कर रहे हैं। मूलनिवासी शब्द के बहाने ये लोग केवल खुद को अर्थात एक विशेष तबके को भारत के मूलवासी घोषित करना चाहते हैं। इनसे मेरा सीधा सवाल है कि यदि वास्तव में इनके पूर्वज भारत के मूलवासी थे तो मूलनिवासी जैसे हल्के शब्द को गढ़ने की क्या जरूरत है?
Bhai san एक बात बताओ 28 budho me se एक भी budh ap ले samjh se kyu nahi peda hua सारे बौद्ध राजपूतों ke ghar kyu peda हुए kya ap log सच मे raksash wansh se हो kya a bat राजकुमार hi बोलते है
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे- 1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है। अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं। कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
डा.आम्बेडकर ने अपनी पुस्तक “शूद्र कौन थे” में लिखा है कि आर्य कोई प्रजाति नहीं है. आर्य एक भाषा है. यह भाषा भारत और उसके इर्द-गिर्द बोली जाती थी. इसके बोलने वालों को आर्य कहा जाने लगा. इस तरह दलित व ब्राह्मण दोनों ही आर्य हैं. बाबा साहब ने तिलक के सिद्धान्त को गलत साबित किया कि आर्य यूरेशिया व काकेशिया से भारत में आए हैं. बाबा साहब ने लिखा है कि शूद्रों की तरह ब्राह्मण भी भारत के मूलनिवासी हैं. डा.आम्बेडकर के इस सिद्धांत के विरूद्ध बामन मेश्राम साहब ने अमेरिका के साल्टलेक सिटी, उटाह विश्वविद्यालय के मानवीय आनुवंशिक एकलिस संस्थान के विद्वान बामसाद ने भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्यों के DNA का मिलान यूरेशिया के लोगों से किया जो क्रमशः 99.9, 99.88 और 99.86 प्रतिशत मिलता है. अर्थात भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्य युरेशियन है. यही नहीं बामन मेश्राम साहब ने उद्घोषणा किया है कि अब हमें दूसरी आजादी की लड़ाई लड़नी पड़ेगी. जिस तरह भारत से अंग्रेजों को खदेड़कर आजादी प्राप्त की गई है, ठीक वैसे ही युरेशियन ब्राह्मणों को भारत से निष्कासित कर दलितों (उनके शब्दों में मूलनिवासियों को) को आजादी दिलाना बामसेफ और बीएमपी-मेश्राम का उद्देश्य है. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. ओबीसी वर्ग के शासक ने 70 हजार दलितों को नौकरियों में उनके पदों से रिवर्ट कर निम्न पदों पर पुनर्स्थापित करने का ऐतिहासिक पाप किया है. यही वर्ग है जो दलितों की पिटाई में सबसे अग्रणी रहता है. उसे शूद्र मानता है और उससे शूद्र मनवाने के चक्कर में दलित उसे मूलनिवासी मानता हुआ दोस्त मानता रहता है. यह भी हास्यास्पद लगता है कि सछूत वर्ग अछूत की श्रेणी में आकर अपने को पतित जाति में क्यों शामिल करेगा?
Teri 1000 pedhi aayegi tab bhi tu brahmin ko nahi mita shake.teri koi okat nahi he..brahmino ko mitane se pahele tum logo ko xatriyo ka samana karna padega. Ager xatriya brahmi na hote to..aaj kanhi bhi namaj padhate hote..yad rakhna. Ye xatriyoka balidan ke badolat aap aaj...buddh banke bach haye he.
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे- 1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है। अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं। कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. इनके लिए मूलनिवासी का अर्थ है। अर्थात लोगों को गुमराह करके वोट बैंक तैयार करना। इसलिए ये लोग सत्ता की खातिर वंचित वर्गों को मूलनिवासी के बहाने लगातार गुमराह कर रहे हैं। मूलनिवासी शब्द के बहाने ये लोग केवल खुद को अर्थात एक विशेष तबके को भारत के मूलवासी घोषित करना चाहते हैं। इनसे मेरा सीधा सवाल है कि यदि वास्तव में इनके पूर्वज भारत के मूलवासी थे तो मूलनिवासी जैसे हल्के शब्द को गढ़ने की क्या जरूरत है?
Raj kumar Aap sahi bhasha ka istemal karo AAp ke mukh se ye Landbak shabd Accha nahi Laga aap ye no ke maha murkh ho duniya men dhudhne ke baad murkh agar koi milega to tum hi ho pakhandi shirt jo chutiya bhi ho ye no ke
सच में इनका व्यवहार ब्राह्मणों से कई गुना अधिक दुराग्रही और तानाशाही है। इनके लिए वंचित वर्गों के महान लोग, जैसे ज्योतिराव फ़ूले, बिरसा मुंडा, पेरियार, बाबा साहब, कांशीराम आदि के विचार, काम और नाम केवल सत्ता पाने की सीढ़ी मात्र हैं। इनको इतनी सी बात समझ में नहीं आती कि आज भारत का प्रत्येक वह व्यक्ति भारत का मूलनिवासी है, जिसके पास मूलनिवास प्रमाण-पत्र है! ये लोग प्रायोजित और तथाकथित डीएनए को आधार बनाकर तर्क करते हैं, इनका मकसद केवल सत्ता है
श्राफ वह वरदान की बात छोड़ो लेकिन हाय जरूर लगती हैं। तू बड़ा ज्ञानी है तू कैसे पैदा हुआ?भीमराव आंबेडकर को आंबेडकर किसने बनाया।भीमराव आंबेडकर नही था भीमराव सकपाल थे।एक ब्राह्मण,एक राजपूत राजा ने पढ़ाई करने विदेश भेजा गया था
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे- 1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है। अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं। कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
डा.आम्बेडकर ने अपनी पुस्तक “शूद्र कौन थे” में लिखा है कि आर्य कोई प्रजाति नहीं है. आर्य एक भाषा है. यह भाषा भारत और उसके इर्द-गिर्द बोली जाती थी. इसके बोलने वालों को आर्य कहा जाने लगा. इस तरह दलित व ब्राह्मण दोनों ही आर्य हैं. बाबा साहब ने तिलक के सिद्धान्त को गलत साबित किया कि आर्य यूरेशिया व काकेशिया से भारत में आए हैं. बाबा साहब ने लिखा है कि शूद्रों की तरह ब्राह्मण भी भारत के मूलनिवासी हैं. डा.आम्बेडकर के इस सिद्धांत के विरूद्ध बामन मेश्राम साहब ने अमेरिका के साल्टलेक सिटी, उटाह विश्वविद्यालय के मानवीय आनुवंशिक एकलिस संस्थान के विद्वान बामसाद ने भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्यों के DNA का मिलान यूरेशिया के लोगों से किया जो क्रमशः 99.9, 99.88 और 99.86 प्रतिशत मिलता है. अर्थात भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्य युरेशियन है. यही नहीं बामन मेश्राम साहब ने उद्घोषणा किया है कि अब हमें दूसरी आजादी की लड़ाई लड़नी पड़ेगी. जिस तरह भारत से अंग्रेजों को खदेड़कर आजादी प्राप्त की गई है, ठीक वैसे ही युरेशियन ब्राह्मणों को भारत से निष्कासित कर दलितों (उनके शब्दों में मूलनिवासियों को) को आजादी दिलाना बामसेफ और बीएमपी-मेश्राम का उद्देश्य है. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. ओबीसी वर्ग के शासक ने 70 हजार दलितों को नौकरियों में उनके पदों से रिवर्ट कर निम्न पदों पर पुनर्स्थापित करने का ऐतिहासिक पाप किया है. यही वर्ग है जो दलितों की पिटाई में सबसे अग्रणी रहता है. उसे शूद्र मानता है और उससे शूद्र मनवाने के चक्कर में दलित उसे मूलनिवासी मानता हुआ दोस्त मानता रहता है. यह भी हास्यास्पद लगता है कि सछूत वर्ग अछूत की श्रेणी में आकर अपने को पतित जाति में क्यों शामिल करेगा?
@THE MAURYA च में इनका व्यवहार ब्राह्मणों से कई गुना अधिक दुराग्रही और तानाशाही है। इनके लिए वंचित वर्गों के महान लोग, जैसे ज्योतिराव फ़ूले, बिरसा मुंडा, पेरियार, बाबा साहब, कांशीराम आदि के विचार, काम और नाम केवल सत्ता पाने की सीढ़ी मात्र हैं।
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे- 1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है। अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं। कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
डा.आम्बेडकर ने अपनी पुस्तक “शूद्र कौन थे” में लिखा है कि आर्य कोई प्रजाति नहीं है. आर्य एक भाषा है. यह भाषा भारत और उसके इर्द-गिर्द बोली जाती थी. इसके बोलने वालों को आर्य कहा जाने लगा. इस तरह दलित व ब्राह्मण दोनों ही आर्य हैं. बाबा साहब ने तिलक के सिद्धान्त को गलत साबित किया कि आर्य यूरेशिया व काकेशिया से भारत में आए हैं. बाबा साहब ने लिखा है कि शूद्रों की तरह ब्राह्मण भी भारत के मूलनिवासी हैं. डा.आम्बेडकर के इस सिद्धांत के विरूद्ध बामन मेश्राम साहब ने अमेरिका के साल्टलेक सिटी, उटाह विश्वविद्यालय के मानवीय आनुवंशिक एकलिस संस्थान के विद्वान बामसाद ने भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्यों के DNA का मिलान यूरेशिया के लोगों से किया जो क्रमशः 99.9, 99.88 और 99.86 प्रतिशत मिलता है. अर्थात भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्य युरेशियन है. यही नहीं बामन मेश्राम साहब ने उद्घोषणा किया है कि अब हमें दूसरी आजादी की लड़ाई लड़नी पड़ेगी. जिस तरह भारत से अंग्रेजों को खदेड़कर आजादी प्राप्त की गई है, ठीक वैसे ही युरेशियन ब्राह्मणों को भारत से निष्कासित कर दलितों (उनके शब्दों में मूलनिवासियों को) को आजादी दिलाना बामसेफ और बीएमपी-मेश्राम का उद्देश्य है. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. ओबीसी वर्ग के शासक ने 70 हजार दलितों को नौकरियों में उनके पदों से रिवर्ट कर निम्न पदों पर पुनर्स्थापित करने का ऐतिहासिक पाप किया है. यही वर्ग है जो दलितों की पिटाई में सबसे अग्रणी रहता है. उसे शूद्र मानता है और उससे शूद्र मनवाने के चक्कर में दलित उसे मूलनिवासी मानता हुआ दोस्त मानता रहता है. यह भी हास्यास्पद लगता है कि सछूत वर्ग अछूत की श्रेणी में आकर अपने को पतित जाति में क्यों शामिल करेगा?
भाई कोई आपको श्राप नहीं देने वाला , किसके पास टाइम नहीं और आप आज के जमाने में श्राप जैसे वाहियात बात कर रहे है और बस बरह्मणो को गाली दे के खुश होते रहो I और बस बरह्मणो को गाली दे के खुश होते रहो , बाबा शब् ने सविधान कब लिखा था पता है 1947 , तब से आज तक कितने लोग पढ़े और नौकरी पे लगे , बाबा साहब किसी जाती के खिलाफ नहीं थे जातिवाद के खिलाफ थे , क्या ब्राह्मण जबरदस्ती नौकरी ले रहे है , वो पढ़ रहे है और बढ़ रहे है , आप भी पढ़ो और बढ़ो ,बाबा साहब ने खा थे की शिक्षा शेरनी का वो दूध है जो पिए गए वो दहाड़ेगा , ऐसे बुराइया नहीं करेगा
इस समय श्री राज कुमार यादव जी ने चारों तरफ धूम मचा रखा है आपके समझाने का तरीका बहुत ही सुन्दर है साधारण है आसानी से लोगों की समझ में आ रहा है लोग बुद्ध धर्म की ओर बढ़ रहे हैं आपके वीडियो लोग तेजी से देख रहे हैं नमो बुद्धाय
बहुत-बहुत धन्यवाद जो समाज सुधारने की सेवा कर रहे हैं मैं आपका परिवार सहित स्वागत करते जय भीम नमो बुद्धाय हम लोग अब देवी देवता की पूजा नहीं करते नहीं तो पंडित को दान गरीब और असहाय को खाना है रोगी को इच्छा अनुसार पैसे भी देते हैं
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे- 1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है। अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं। कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. इनके लिए मूलनिवासी का अर्थ है। अर्थात लोगों को गुमराह करके वोट बैंक तैयार करना। इसलिए ये लोग सत्ता की खातिर वंचित वर्गों को मूलनिवासी के बहाने लगातार गुमराह कर रहे हैं। मूलनिवासी शब्द के बहाने ये लोग केवल खुद को अर्थात एक विशेष तबके को भारत के मूलवासी घोषित करना चाहते हैं। इनसे मेरा सीधा सवाल है कि यदि वास्तव में इनके पूर्वज भारत के मूलवासी थे तो मूलनिवासी जैसे हल्के शब्द को गढ़ने की क्या जरूरत है?
सर् आपका विडियो बहुत ही प्रेरणा दायक है इस विडियो से अस्पृश्य समुदाय, बहुजन समाज को सिखने की जरूरत है जो लोग जाति व्यवस्था में जकड़े हुए हैं और काल्पनिक देवी देवताओं की भक्ति में मानसिक रूप से गूलाम है।
संविधान भी बदल जाते हैं आदमी भी बदल जाते हैं कोई मुस्लिम बन जाता है कोई बुद्धाय बन जाता है कोई हिंदू बन जाता है कोई आशिक बन जाता है कोई ईसाई बन जाता है ऐसे मूर्ख दुनिया में बहुत पड़े
राजकुमार यादव जी आपको सादर प्रणाम 🙏🏻🙏🏻🙏🏻 . पाखँवाद पर बोलने के लिये सच्चाई तो सच्चाई है शिक्षा जरूरी है वर्णा हम किसी ना किसी रूप मे लुटते रहेंगे .🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏🏻
जो भीम को नहीं ओ लोग पंडित के सर आप से डरते हैं और आपके स्टूडियो वाला भी भीम को नहीं जानते हैं तो राजकुमार यादव जी आप पहले अपने स्टूडियो को पहले समझाएं जय भीम नमो बुद्धाय
राजकुमार तू मुझे मिल सरापकैसे लगती है अगर एक साल के भीतर लगे तो कहना सामने आना पड़ेगा सतयुग में तुरन्त तिरेतामे एक दिन मेंदुवापर में। एक महिनेमे कलयुग में एक साल में तू अपना फोन नंबर भेज अगरतूअसली बाप का है तो नंबर जरूर भेजना
@@phulbandh2020 jo lagata hai o to others county se aaye hai unke wajah se ham Bhagwat geeta ya sanatan sanskriti ko kyu bhul jaye . Jo galat karta hai unka bycott kare n ki sanskriti ya dharm ki .kisi ko sanskriti ya dharm tang nahi n karta bhaiyo .🙏
पाखंडी सबसे मूर्ख होते हैं अंबेडकरवादी सबसे बुद्धिमान होते हैं बुध की शरण में जाने वाला सबसे महान होता है जय मूलनिवासी जय भारत जय भीम जय संध्या नमो बुद्धाय
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी
एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे-
1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है।
अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं।
कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं.
इनके लिए मूलनिवासी का अर्थ है। अर्थात लोगों को गुमराह करके वोट बैंक तैयार करना। इसलिए ये लोग सत्ता की खातिर वंचित वर्गों को मूलनिवासी के बहाने लगातार गुमराह कर रहे हैं। मूलनिवासी शब्द के बहाने ये लोग केवल खुद को अर्थात एक विशेष तबके को भारत के मूलवासी घोषित करना चाहते हैं। इनसे मेरा सीधा सवाल है कि यदि वास्तव में इनके पूर्वज भारत के मूलवासी थे तो मूलनिवासी जैसे हल्के शब्द को गढ़ने की क्या जरूरत है?
Bhai san एक बात बताओ 28 budho me se एक भी budh ap ले samjh se kyu nahi peda hua
सारे बौद्ध राजपूतों ke ghar kyu peda हुए kya ap log सच मे raksash wansh se हो kya a bat राजकुमार hi बोलते है
गुरु जी आपकी आवाज बहुत बुलंद हैं और आपकी वीडियो देख कर मन खुश हो जाता है
Bhai edit video ap bhi n sab kuchh jan ke anjan ban rahe
राजकुमार सर आपको बहुत-बहुत साधुवाद
Verry good yadav ji
भगवान बुद्ध ने कहा कि जब आंख खुले तब सबेरा सच को जानो तब मानो ।
जय भीम,नमो बुद्धाय 🙏🙏
सभी देवी देवता मिलकर एक साईकिल भी नहीं बना पाते बेचारे बेजुबान जानवर चूहे और उल्लू तथा शेर पर बैठकर उसका शोषण करते हैं 😂🤣🤣🤣😃😄😄😃🤣😄😃😆
wah bahi wah kya baat likhi hai , bhi kamal ker diya , itna dmika kha se late ho ...pdh lo naurki lag jaye gi kahi pe
Tujhe kisne banaaya teri aatma kahase aai bin pag chale sune binu kaana
Hum kaam karte nahi karvaate hai kaam chhote karte hai
To fir Saikil kis dharma ke bhagvan ne banaya batao
बिना ब्राह्मणवाद को मिटाए हुई हम इस व्यवस्था को परिवर्तित नहीं कर सकते।
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी
एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे-
1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है।
अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं।
कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
डा.आम्बेडकर ने अपनी पुस्तक “शूद्र कौन थे” में लिखा है कि आर्य कोई प्रजाति नहीं है. आर्य एक भाषा है. यह भाषा भारत और उसके इर्द-गिर्द बोली जाती थी. इसके बोलने वालों को आर्य कहा जाने लगा. इस तरह दलित व ब्राह्मण दोनों ही आर्य हैं. बाबा साहब ने तिलक के सिद्धान्त को गलत साबित किया कि आर्य यूरेशिया व काकेशिया से भारत में आए हैं. बाबा साहब ने लिखा है कि शूद्रों की तरह ब्राह्मण भी भारत के मूलनिवासी हैं. डा.आम्बेडकर के इस सिद्धांत के विरूद्ध बामन मेश्राम साहब ने अमेरिका के साल्टलेक सिटी, उटाह विश्वविद्यालय के मानवीय आनुवंशिक एकलिस संस्थान के विद्वान बामसाद ने भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्यों के DNA का मिलान यूरेशिया के लोगों से किया जो क्रमशः 99.9, 99.88 और 99.86 प्रतिशत मिलता है. अर्थात भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्य युरेशियन है. यही नहीं बामन मेश्राम साहब ने उद्घोषणा किया है कि अब हमें दूसरी आजादी की लड़ाई लड़नी पड़ेगी. जिस तरह भारत से अंग्रेजों को खदेड़कर आजादी प्राप्त की गई है, ठीक वैसे ही युरेशियन ब्राह्मणों को भारत से निष्कासित कर दलितों (उनके शब्दों में मूलनिवासियों को) को आजादी दिलाना बामसेफ और बीएमपी-मेश्राम का उद्देश्य है. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. ओबीसी वर्ग के शासक ने 70 हजार दलितों को नौकरियों में उनके पदों से रिवर्ट कर निम्न पदों पर पुनर्स्थापित करने का ऐतिहासिक पाप किया है. यही वर्ग है जो दलितों की पिटाई में सबसे अग्रणी रहता है. उसे शूद्र मानता है और उससे शूद्र मनवाने के चक्कर में दलित उसे मूलनिवासी मानता हुआ दोस्त मानता रहता है. यह भी हास्यास्पद लगता है कि सछूत वर्ग अछूत की श्रेणी में आकर अपने को पतित जाति में क्यों शामिल करेगा?
सही कहा
किसी भी ब्रहमन का आह ले कर देख फिर क्या होता है
Teri 1000 pedhi aayegi tab bhi tu brahmin ko nahi mita shake.teri koi okat nahi he..brahmino ko mitane se pahele tum logo ko xatriyo ka samana karna padega. Ager xatriya brahmi na hote to..aaj kanhi bhi namaj padhate hote..yad rakhna. Ye xatriyoka balidan ke badolat aap aaj...buddh banke bach haye he.
एक एक बात में दम है जय भीम 85 मूलनिवासी
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी
एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे-
1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है।
अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं।
कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं.
इनके लिए मूलनिवासी का अर्थ है। अर्थात लोगों को गुमराह करके वोट बैंक तैयार करना। इसलिए ये लोग सत्ता की खातिर वंचित वर्गों को मूलनिवासी के बहाने लगातार गुमराह कर रहे हैं। मूलनिवासी शब्द के बहाने ये लोग केवल खुद को अर्थात एक विशेष तबके को भारत के मूलवासी घोषित करना चाहते हैं। इनसे मेरा सीधा सवाल है कि यदि वास्तव में इनके पूर्वज भारत के मूलवासी थे तो मूलनिवासी जैसे हल्के शब्द को गढ़ने की क्या जरूरत है?
गुरुजी के चरणों में मेरा प्रणाम नमो बुद्धाय आशिर्वाद की कामना है
Namo buddhay Jay bheem sar ji 👍👍🙏🙏🙏🙏🙏
राजेश, कुमार, ग्राम,मरकनियां, जिला, चन्दौली
नमो बुद्धाय जय भीम
जय भारत जय संविधान
जय मूलनिवासी
क्रांतिकारी जय भीम 🙏🙏🙏🙏
हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा कुमार जिंदाबाद मजा आ गया राजकुमार गाना
Raj kumar Aap sahi bhasha ka istemal karo AAp ke mukh se ye Landbak shabd Accha nahi Laga aap ye no ke maha murkh ho duniya men dhudhne ke baad murkh agar koi milega to tum hi ho pakhandi shirt jo chutiya bhi ho ye no ke
Nice sir
नमो बुद्धाय सादर जय भीम
Jai bhim namo buddhay 🙏🙏🙏❤️❤️👌👌
जयगुरूरबिदासजीमहाराज।आपनेबहुतबुराकियाजनेऊदेदियाआजमुलनिबासीभटकरहाहैजयगुरूदेब
जय भीम नमो बुध्दाय
श्री मान जी आप बहुजन समाज को जगाने काम कर रहे ।इसका लाभ समाज को जरूर मिलेगा । सादर जय भीम नमो बुद्धाय।
समझ को नहीं bhim army chief chandu को मिलेगा अपनी पार्टी जो बना रखी है
नेता na कभी किसी का था na कभी किसी का होगा
😢😢😢😢😂🎉🎉😢😢3 8:26 😊🎉😢😢😢@@sohanrawat64917:07 7:08 7❤:😮🎉09 😢😢😢😢😢🎉 8:00 😢😢
बहुत शानदार जय भीम नमोः बुद्धाय जय मूlnivasi
अध्यक्ष जी आपके चरणों में कोटि कोटि नमन,आप जैसे लोगों की जरूरत इस समाज को सदैव रहेगी,जय भीम नमो बुद्धाय
सच में इनका व्यवहार ब्राह्मणों से कई गुना अधिक दुराग्रही और तानाशाही है। इनके लिए वंचित वर्गों के महान लोग, जैसे ज्योतिराव फ़ूले, बिरसा मुंडा, पेरियार, बाबा साहब, कांशीराम आदि के विचार, काम और नाम केवल सत्ता पाने की सीढ़ी मात्र हैं। इनको इतनी सी बात समझ में नहीं आती कि आज भारत का प्रत्येक वह व्यक्ति भारत का मूलनिवासी है, जिसके पास मूलनिवास प्रमाण-पत्र है! ये लोग प्रायोजित और तथाकथित डीएनए को आधार बनाकर तर्क करते हैं, इनका मकसद केवल सत्ता है
Jay bhim namo buddhay jay savidhan bahut sundar सर जी
मै नेपाली हुँ , पर श्रद्धेय राज कुमार यादव सर को उच्च सम्मान देता हुँ । सभी पिछडे लोगों का एक नायक हैं ।
नमो बुद्धाय: ! जय भीम !!
Aur Mai BHI
Jay bhim namo buddhay
Namo buddhay Jay bheem
Great job sir , keep it up 🙏🙏
Jay Bheem namo buddhay bahut achcha
Jai Jay Bheem namo buddhay Jay Bheem namo buddhay. Rajkumar uncle.je
जय भीम नमो बुद्धाय जय मूलनिवासी जय संविधान
सही जानकारी दिए है सर, धन्यवाद
श्राफ वह वरदान की बात छोड़ो लेकिन हाय जरूर लगती हैं। तू बड़ा ज्ञानी है तू कैसे पैदा हुआ?भीमराव आंबेडकर को आंबेडकर किसने बनाया।भीमराव आंबेडकर नही था भीमराव सकपाल थे।एक ब्राह्मण,एक राजपूत राजा ने पढ़ाई करने विदेश भेजा गया था
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी
एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे-
1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है।
अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं।
कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
डा.आम्बेडकर ने अपनी पुस्तक “शूद्र कौन थे” में लिखा है कि आर्य कोई प्रजाति नहीं है. आर्य एक भाषा है. यह भाषा भारत और उसके इर्द-गिर्द बोली जाती थी. इसके बोलने वालों को आर्य कहा जाने लगा. इस तरह दलित व ब्राह्मण दोनों ही आर्य हैं. बाबा साहब ने तिलक के सिद्धान्त को गलत साबित किया कि आर्य यूरेशिया व काकेशिया से भारत में आए हैं. बाबा साहब ने लिखा है कि शूद्रों की तरह ब्राह्मण भी भारत के मूलनिवासी हैं. डा.आम्बेडकर के इस सिद्धांत के विरूद्ध बामन मेश्राम साहब ने अमेरिका के साल्टलेक सिटी, उटाह विश्वविद्यालय के मानवीय आनुवंशिक एकलिस संस्थान के विद्वान बामसाद ने भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्यों के DNA का मिलान यूरेशिया के लोगों से किया जो क्रमशः 99.9, 99.88 और 99.86 प्रतिशत मिलता है. अर्थात भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्य युरेशियन है. यही नहीं बामन मेश्राम साहब ने उद्घोषणा किया है कि अब हमें दूसरी आजादी की लड़ाई लड़नी पड़ेगी. जिस तरह भारत से अंग्रेजों को खदेड़कर आजादी प्राप्त की गई है, ठीक वैसे ही युरेशियन ब्राह्मणों को भारत से निष्कासित कर दलितों (उनके शब्दों में मूलनिवासियों को) को आजादी दिलाना बामसेफ और बीएमपी-मेश्राम का उद्देश्य है. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. ओबीसी वर्ग के शासक ने 70 हजार दलितों को नौकरियों में उनके पदों से रिवर्ट कर निम्न पदों पर पुनर्स्थापित करने का ऐतिहासिक पाप किया है. यही वर्ग है जो दलितों की पिटाई में सबसे अग्रणी रहता है. उसे शूद्र मानता है और उससे शूद्र मनवाने के चक्कर में दलित उसे मूलनिवासी मानता हुआ दोस्त मानता रहता है. यह भी हास्यास्पद लगता है कि सछूत वर्ग अछूत की श्रेणी में आकर अपने को पतित जाति में क्यों शामिल करेगा?
@THE MAURYA च में इनका व्यवहार ब्राह्मणों से कई गुना अधिक दुराग्रही और तानाशाही है। इनके लिए वंचित वर्गों के महान लोग, जैसे ज्योतिराव फ़ूले, बिरसा मुंडा, पेरियार, बाबा साहब, कांशीराम आदि के विचार, काम और नाम केवल सत्ता पाने की सीढ़ी मात्र हैं।
मा.राजकुमार यादवजी आप जैसे बुद्धवादी और आंबेडकरवादी है बोलके परिवर्तन जल्द ही होगा ☸️ नमो बुध्दाय ☸️ जय भीम ☸️
Good speech
"सांचे श्राप न लागे सांचे काल न खाए"(सत कबीर वचन)
जय भीम,राष्ट्रिय अध्यक्ष जी,85%बहुजनों को जगाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,सादर जय भीम,नमो बुधाय ।
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी
एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे-
1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है।
अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं।
कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
डा.आम्बेडकर ने अपनी पुस्तक “शूद्र कौन थे” में लिखा है कि आर्य कोई प्रजाति नहीं है. आर्य एक भाषा है. यह भाषा भारत और उसके इर्द-गिर्द बोली जाती थी. इसके बोलने वालों को आर्य कहा जाने लगा. इस तरह दलित व ब्राह्मण दोनों ही आर्य हैं. बाबा साहब ने तिलक के सिद्धान्त को गलत साबित किया कि आर्य यूरेशिया व काकेशिया से भारत में आए हैं. बाबा साहब ने लिखा है कि शूद्रों की तरह ब्राह्मण भी भारत के मूलनिवासी हैं. डा.आम्बेडकर के इस सिद्धांत के विरूद्ध बामन मेश्राम साहब ने अमेरिका के साल्टलेक सिटी, उटाह विश्वविद्यालय के मानवीय आनुवंशिक एकलिस संस्थान के विद्वान बामसाद ने भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्यों के DNA का मिलान यूरेशिया के लोगों से किया जो क्रमशः 99.9, 99.88 और 99.86 प्रतिशत मिलता है. अर्थात भारत के ब्राह्मण, क्षत्रीय और वैश्य युरेशियन है. यही नहीं बामन मेश्राम साहब ने उद्घोषणा किया है कि अब हमें दूसरी आजादी की लड़ाई लड़नी पड़ेगी. जिस तरह भारत से अंग्रेजों को खदेड़कर आजादी प्राप्त की गई है, ठीक वैसे ही युरेशियन ब्राह्मणों को भारत से निष्कासित कर दलितों (उनके शब्दों में मूलनिवासियों को) को आजादी दिलाना बामसेफ और बीएमपी-मेश्राम का उद्देश्य है. क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं. ओबीसी वर्ग के शासक ने 70 हजार दलितों को नौकरियों में उनके पदों से रिवर्ट कर निम्न पदों पर पुनर्स्थापित करने का ऐतिहासिक पाप किया है. यही वर्ग है जो दलितों की पिटाई में सबसे अग्रणी रहता है. उसे शूद्र मानता है और उससे शूद्र मनवाने के चक्कर में दलित उसे मूलनिवासी मानता हुआ दोस्त मानता रहता है. यह भी हास्यास्पद लगता है कि सछूत वर्ग अछूत की श्रेणी में आकर अपने को पतित जाति में क्यों शामिल करेगा?
Jay Bheem Namo buddhay I proud of you and your thought
Right jai bhim mamo buddhay jai samvidhan
Rajkumar yadav ji ham sab youa apke sath hai milkar andh viswas Bharat me khatam kare
राजकुमार यादव जी जिंदाबाद बम मजा आ गया खोलते रहो 👍🏻 ओवैसी जिंदाबाद सविधान बचाओ बीजेपी को कांग्रेस को वोट नहीं दे
Saudi arab mein भारत के मुस्लिम को पक्का मुस्लिम नही मानते कॉन्वर्टेड मुस्लिम ही है यहाँ
बहुत सही । सही कह रहे है । किसी के श्राप देने से बुरा और वरदान देने से भला नही होता ।
सही भीख मागने वाला ब्राह्मण और भीख देने वाला शुद्र ।
भाई कोई आपको श्राप नहीं देने वाला , किसके पास टाइम नहीं और आप आज के जमाने में श्राप जैसे वाहियात बात कर रहे है और बस बरह्मणो को गाली दे के खुश होते रहो I और बस बरह्मणो को गाली दे के खुश होते रहो , बाबा शब् ने सविधान कब लिखा था पता है 1947 , तब से आज तक कितने लोग पढ़े और नौकरी पे लगे , बाबा साहब किसी जाती के खिलाफ नहीं थे जातिवाद के खिलाफ थे ,
क्या ब्राह्मण जबरदस्ती नौकरी ले रहे है , वो पढ़ रहे है और बढ़ रहे है , आप भी पढ़ो और बढ़ो ,बाबा साहब ने खा थे की शिक्षा शेरनी का वो दूध है जो पिए गए वो दहाड़ेगा , ऐसे बुराइया नहीं करेगा
Jay bheem namo buddhay sir
Sir आपको बहुत बहुत साधुवाद जो इतनी बारीकी से बहुजन समाज को समझाने का प्रयास किये हैं। जय भीम namobuddhay
🙏 नमो बुद्धाय जयभिम🙏👍👍👍👍👍👍
आदरणीय राज कुमार यादव जी आपको हृदय से आभार व्यक्त करता हूं आप जैसे व्यक्तियों को बहुत बहुत धन्यवाद जय भीम जय मूलनिवासी जय बहुजन समाज नमो बुद्धाय
समाज को सुधारने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद जय भीम जय भारत नमो बुद्धाय
Very nice widiyo jay bhim namo budhay
भैया यही समय sudharenge तो आप लोग क्या करेंगे क्या आप पर नहीं आता है आप पर नहीं आता है
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Yadvsahabaapneachhibatbtailekindalitaekhoaapkibatokomanetogulameesemukthojaaegajaibhimnamobudheyjaisavidhanbabadahdamarraho
th-cam.com/users/shortsjgY7NAYYMLk?feature=share
जयभीम. नमोबुध्दाय. जय. मूलनिवासी. जय. संविधान. 🌹🙏🌹राष्ट्रीय. यादव. जी. आपने. हामारे. बहुजन. समाज. कॊ.सुधार. नें. का. प्रयास. किया. है. औरं. समाज. जाग. राहा. है. समजणे. लगा. है. आपको. धन्यवाद. देते. है. जयभीम. नामोबुध्दाय.
Jai bhim
Great Sir very nice jay bhim namo budhdhay
Very good brother and
Jay bhim Namo Buddhay
Bol pachasi Jay Mulniwashi
Braman videsi h
बहुत बहुत धन्यवाद भाई ऐसे ही समाज को जागरूक को जागरूक करते रहे
Jai guru Ravidas ji
सर आप ग्रेट हो आप के महान विचारों की हम कदर करते हैं जय भीम नमो बुद्धाय
जय भीम 🙏✍️💪
राजकुमार भैया आप सही में वास्तविक है नमन हे आपको
Jai bhim👍
बहुत ही सुन्दर तरीके से समझाया है
अगर हम सब अभी भी नहीं समझें
तो
फिर कभी भी नहीं समझेंगे
आपको समाज को सुधारने के लिए बहुत-बहुत बधाई बहुत सुंदर विचार जय भीम नमो बुद्धा 🙏🙏🙏
जय भीम, जय संविधान, जय भारत
जय भीम
Jay Bheem Namo buddhay Jay mulniwasi Jay sanvidhan Jay Bharat
Jay bhim
Very best speech Jai Bheem Jai Bharat Jai sambidhan namo buddhay ji 🙏🙏
Jai bhim
बीलकूल सही सर जी जय भीम नमो बुद्धाय EVM हटाओ देश बचाओ जागो बहूजन जागो
Guru.ji.ke.charano.me.mera.koti.koti.naman.jay.bhim.namo.buddhay.jay.bharat.jay.sammidhan.jay.mualniwashi
जब तक हम अपने महापुरुषों को नहीं, पडेंगे तब तक हम अज्ञानता के अंधेरे से नहीं निकल पाएंगे 🙏🏻जय भीम 🙏🏻
🙏🏻नमों बुद्धा 🙏🏻
Jay bhim mamo buddhay
आपका बहुत बहुत धन्यवाद सच्चाई को दुनिया के सामने लाने के लिए
Jay bhim Namo budhay raj kumar yadav ji
इस समय
श्री राज कुमार यादव जी ने चारों तरफ
धूम मचा रखा है
आपके समझाने का तरीका बहुत ही सुन्दर है
साधारण है आसानी से लोगों की समझ में आ
रहा है
लोग बुद्ध धर्म की ओर बढ़ रहे हैं
आपके वीडियो लोग तेजी से देख रहे हैं
नमो बुद्धाय
Rajkumar ji ko sada jai Bheem Namoh Buddhaya from
Odisha 🙏🙏🙏
बहुजन समाज में आपके जैसे लोगों की बहुत जरूरत है
राजकुमार जी ने बहुत सुन्दर बात कही है
बहुत बढ़िया विचार है लेकिन आप अपने नाम के आगे यादव मत लगाइए
क्रांतिकारी जय भिम राजकुमार यादव जी बहुत बहुत धन्यवाद जय भीम नमो बुद्धाय
Jai bhim jay bharat Jay samvidhan
बात सही बोले है यादव जी आपको नमन है
जय जय श्रीराम ! जय जय श्रीराम ! जय जय हो परम पुजनिय ब्राह्मण देवाय नमो नमः !
बहुत-बहुत धन्यवाद जो समाज सुधारने की सेवा कर रहे हैं मैं आपका परिवार सहित स्वागत करते जय भीम नमो बुद्धाय हम लोग अब देवी देवता की पूजा नहीं करते नहीं तो पंडित को दान गरीब और असहाय को खाना है रोगी को इच्छा अनुसार पैसे भी देते हैं
डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी
एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे-
1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है।
अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं।
कांशीराम साहब ने बहुजन का नारा दिया था और जय भीम उनका मूल मन्त्र था. मेश्राम साहब ने बहुजन के स्थान पर मूलनिवासी शब्द को प्रचारित किया तथा “जय भीम” के स्थान पर “जय मूलनिवासी” को अभिवादन के बतौर पेश किया. इनका नारा है-बोल पचासी-मूलनिवासी”.
क्या यहाँ यह बात अजीब और हास्यास्पद नहीं लगता है कि जो ब्राह्मण 8-10 हजार वर्षों से भारत में रह रहा हो, जिसकी न जाने कितनी पीढियां इस देश के नागरिक हैं, ज़र-जमीनें स्थाई हैं और डा.आम्बेडकर के तर्कों और सिद्धान्तों के आधार पर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है-उसे खदेड़ने की बात कर रहे हैं.
इनके लिए मूलनिवासी का अर्थ है। अर्थात लोगों को गुमराह करके वोट बैंक तैयार करना। इसलिए ये लोग सत्ता की खातिर वंचित वर्गों को मूलनिवासी के बहाने लगातार गुमराह कर रहे हैं। मूलनिवासी शब्द के बहाने ये लोग केवल खुद को अर्थात एक विशेष तबके को भारत के मूलवासी घोषित करना चाहते हैं। इनसे मेरा सीधा सवाल है कि यदि वास्तव में इनके पूर्वज भारत के मूलवासी थे तो मूलनिवासी जैसे हल्के शब्द को गढ़ने की क्या जरूरत है?
क्या बात है जिसने बुद्ध को जाना वो शुद्ध हुआ, जिसने भीम को जाना वो ज्ञानी हुआ 🙏🙏🙏🙏
Jai bhim namo buddhay Bhaiya ji 🙏🙏🙏🙏
जय भीम जय भारत जय मुल निवासी
भाई साहब
Jai Bhim namo buddhay🙏
सर् आपका विडियो बहुत ही प्रेरणा दायक है इस विडियो से अस्पृश्य समुदाय, बहुजन समाज को सिखने की जरूरत है जो लोग जाति व्यवस्था में जकड़े हुए हैं और काल्पनिक देवी देवताओं की भक्ति में मानसिक रूप से गूलाम है।
जय भीम
धन्यवाद साहब जी बहुजन समाज को सुधारने के लिए जय भीम नमो बुद्धाय
सर जय भीम नमो बुद्धाय । आपसे निवेदन है कि व मध्य प्रदेश की जनता नींद से जगाना बहुत ही आवश्यक है
Q
@@sanjaynath221 h hubb
अच्छा संदेश नमो बुद्धाय जय भीम
Jai bhim
जय भीम नमो बुद्धाय 🙏
जय भीम नमो बुद्धाय भारत देश संविधान से चल रहा है किसी भी देवी-देवताओं से यह देश नहीं चल रहा है
Samvidhan se nahi kuch aur se chalaya jata hai
संविधान भी बदल जाते हैं आदमी भी बदल जाते हैं कोई मुस्लिम बन जाता है कोई बुद्धाय बन जाता है कोई हिंदू बन जाता है कोई आशिक बन जाता है कोई ईसाई बन जाता है ऐसे मूर्ख दुनिया में बहुत पड़े
हमारे यहां तो न जाने कितने दलित समाज के लोग मुस्लिम बिरादर से शादी किए हुए हैं क्या करोगे
I u u hv
@@sonupandit8437 शादी किसी से करो यही तो महानता है
नामो बुद्धय जय भीम
Namo bhudhay sir
जय भीम जय संविधान भैया जी बहुत सही कहा आपने आप जैसे लोग इस समाज को सुधार सकते है।।
Jay bheem.namo budhay
राजकुमार यादव जी आपको सादर प्रणाम 🙏🏻🙏🏻🙏🏻 . पाखँवाद पर बोलने के लिये सच्चाई तो सच्चाई है शिक्षा जरूरी है वर्णा हम किसी ना किसी रूप मे लुटते रहेंगे .🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏🏻
Fffffff
Jo bhi ho guru ji aap kisi bhi dharam ka aapman na kre 🙏🙏🙏🙏🙏
Jai Bharat Jai Mulnivasi Jai Samvidhan.
जो भीम को नहीं ओ लोग पंडित के सर आप से डरते हैं और आपके स्टूडियो वाला भी भीम को नहीं जानते हैं तो राजकुमार यादव जी आप पहले अपने स्टूडियो को पहले समझाएं जय भीम नमो बुद्धाय
Aur ha bro suno.. apna titile yadav hatao ye yadav nahi chalta
राजकुमार तू मुझे मिल सरापकैसे लगती है अगर एक साल के भीतर लगे तो कहना सामने आना पड़ेगा सतयुग में तुरन्त तिरेतामे एक दिन मेंदुवापर में। एक महिनेमे कलयुग में एक साल में तू अपना फोन नंबर भेज अगरतूअसली बाप का है तो नंबर जरूर भेजना
राजकुमार तू नवम्बर दें अगर लड़की नचुद जाय तो कहना तू सराफ के से नहीं लगती तू अपना नंबर दे
Jai bhim jai samvidhan 🙏🙏🙏🙏🔥🔥🔥💥💥💥👍👍👍👍👍👍
सुपर सर बहुत सुंदर बहुत अच्छी बात आपने कही सादर जय भीम नमो बुद्धाय
गुरु जी के चरणों मे कोटि कोटि प्रणाम
Abe pagal hai maderchod
भाषा में मधुरता की प्रतिक्रिया एवं शब्दों का प्रयोग करे सर बहुत बहुत धन्यवाद सादर jai bhim
बहुत अच्छा प्रयास है। निवेदन है कि भगवान श्रीकृष्ण की वाणी श्रीमद्भागवत गीता भाष्य यथार्थ गीता एक बार अवश्य पढ़ना चाहिए सर
Kya bhagwat teeta padhoge dosto
Usmai to bhai bhai mai jhgda lagane wala sahi hai kya
@@phulbandh2020 aajkal kya ho rha h bhai bhai me????
Dear sir do you know that geeta was from the mouth of krishna. Totaly wrong, because geeta was written by ved vyas, a intellectual brahmin.
@@phulbandh2020 jo lagata hai o to others county se aaye hai unke wajah se ham Bhagwat geeta ya sanatan sanskriti ko kyu bhul jaye . Jo galat karta hai unka bycott kare n ki sanskriti ya dharm ki .kisi ko sanskriti ya dharm tang nahi n karta bhaiyo .🙏
Rajesh ji ek bar bhi padiye Geeta ko
Jai Bhim Namo Bodha 🌹👍🙏
जय भीम सर, आप जैसे बहुजन समाज को जगाने व जागरूक करने के लिए आप को बहुत बहुत धन्यवाद सर
अति सुन्दर प्रस्तुति है यादव जी ।इसको बोलते शब्दों का उच्चारण ।
यादव नहीं है
@@shaileshdwivedi7171 a
Tusale marji narak mejaoge
@@shaileshdwivedi7171 सही कहा आपने भाई
Ye Rajkumar shudra hai Baodh Daram Manta hai ye kewal apne ko ucha dekhane ke liye Rajkumar yadav likhta hai
jay bhim jay kabir