ज्योतिष अध्याय ४ :- नौ ग्रह और उनकी उच्च, नीच, स्वराशि astrological information about planets,

แชร์
ฝัง
  • เผยแพร่เมื่อ 14 พ.ค. 2024
  • सभी नौ ग्रहों और उनकी उच्च, नीच, स्वराशि और मूल त्रिकोण राशियों के बारे में सामान्य जानकारी
    General information about astrology, planets, stars and zodiac signs etc.
    ज्योतिष कैसे सीखें?
    अपनी कुंडली कैसे देखें ?
    सभी नौ ग्रहों और उनकी उच्च ,नीच , स्वराशि और मूल त्रिकोण की राशियों के बारे में सामान्य जानकारी
    १. सभी नौ ग्रह और एक राशि मे अवधि
    1. सूर्य- एक माह
    2. चंद्र- सवा दो दिन।
    3. मंगल- डेढ़ माह (45 दिन )
    4. बुध- 30 दिन
    5. गुरु- 12 महीने से 13 महीने
    6. शुक्र- 27 दिन
    7. शनि- ढाई साल
    8. राहु - 1 वर्ष 6 महीने
    9. केतु - 1 वर्ष 6 महीने
    २. ज्योतिष में 12 राशियां और 27 नक्षत्र होते हैं। हर राशि में 2 या 3 नक्षत्र आते हैं। हर नक्षत्र के 4 भाग होते हैं। नक्षत्र के हर भाग को चरण कहा जाता है और हर चरण में नाम के 4 अक्षर होते हैं। जन्म के समय चंद्रमा जिस नक्षत्र और राशि में होता है उसी अक्षर के अनुसार जन्म नाम रखा जाता है और वो ही जन्म की राशि होती है। आमतौर पर कई लोगों के नाम चंद्र की स्थिति के अनुसार ही रखे जाते हैं। अत: नाम का पहला अक्षर बता देता है कि कोई व्यक्ति किस राशि से संबंधित हैं।
    चर, स्थिर और द्विस्वाभाव राशि
    ज्योतिष शास्त्र में 12 राशियों को स्वाभाव के अनुसार तीन भागों में बांटा गया है।
    चर, स्थिर और द्विस्वाभाव राशि।
    मेष, कर्क, तुला व मकर राशि चर राशि कहलाती हैं।वृषभ, सिंह, वृश्चिक तथा कुम्भ राशि स्थिर राशी होती है एवं मिथुन, कन्या, धनु व मीन राशियां द्विस्वाभाव राशियां होती हैं।इन स्वाभाव के कारण इन राशियों पर अलग अलग प्रभाव पडता हैंl
    चर राशि- चर का अर्थ चलायमान होता है, जो स्थिर नही है। ये राशियां चंचल व अस्थिरता को दर्शाती है। इनके अंदर धैर्य नही होता अत: ये लम्बी अवधी के कार्यो से दूर रहने की कोशिश करते हैं। चर राशि का प्रभाव व्यक्ति को मोटापा कम ही देता है अर्थात इस राशि का प्रभाव व्यक्ति को दुबला पतला सा बनाता है।
    ३.नक्षत्र: आकाश मंडल में एक तारा समूह को नक्षत्र कहा जाता है। इसमें 27 नक्षत्र होते हैं और नौ ग्रहों को इन नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। 27 नक्षत्रों के नाम- अश्विन नक्षत्र, भरणी नक्षत्र, कृत्तिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, मघा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, घनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र।
    ४.जन्म कुंडली के बारह भाव
    ज्योतिष शास्त्र में बारह राशियों के आधार पर जन्मकुंडली के बारह भावों की रचना की गई है जिन्हें द्वाद्वश भाव कहते हैं। आकाश मण्डल में बारह राशियों की तरह कुंडली में बारह भाव (द्वादश भाव) होते हैं। जन्म कुंडली या जन्मांग जन्म समय की स्थिति बताती है। प्रत्येक भाव हमारे जीवन की विविध अव्यवस्थाओं, विविध घटनाओं को दर्शाता है। जन्म पत्रिका ग्रहों की स्थिति और लग्न बताती है। जन्म कुंडली में बारह भाव होते हैं और हर भाव में एक राशि होती है। कुँडली के सभी भाव जीवन के किसी ना किसी क्षेत्र से संबंधित होते हैं। भाव की राशि के स्वामी को भावेश कहा जाता है। भिन्न राशि वाले हर भाव का कारक निश्चित होता है। सभी बारह भाव भिन्न काम करते है और कुछ भाव अच्छे तो कुछ भाव बुरे होते हैं।
    पृथ्वी की दैनिक गति के कारण बारह राशियों का चक्र चौबीस घंटों में हमारे क्षितिज का एक चक्कर लगा आता है। इनमें जो राशि क्षितिज में लगी होती है उसे लग्न कहते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि उस भाव में 1 नंबर है तो मेष लग्न होगा, उसी प्रकार 2 नंबर को वृषभ, 3 नंबर को मिथुन, 4 को कर्क, 5 को सिंह, 6 को कन्या, 7 को तुला, 8 को वृश्चिक, 9 को धनु, 10 को मकर, 11 को कुंभ व 12 नंबर को मीन लग्न कहेंगे। जन्मपत्री के मूल उपकरण लग्न और राशियाँ तथा नवग्रह - सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतु आदि हैं। इनमें लग्न शरीर स्थानीय हैं और शेष भाव शरीर से संबंधित वस्तुओं के रूप में गृहीत हैं।
    ५.शास्त्रों में 12 भावों के स्वरूप हैं और भावों के नाम के अनुसार ही इनका काम होता है। पहला भाव तन, दूसरा धन, तीसरा सहोदर, चतुर्थ मातृ, पंचम पुत्र, छठा अरि, सप्तम रिपु, आठवाँ आयु, नवम धर्म, दशम कर्म, एकादश आय और द्वादश व्यय भाव कहलाता है़।
    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य आदि ग्रह की विभिन्न राशियां में स्थिति इस प्रकार होती हैं।
    ग्रह उच्च नीच स्व:राशि
    सूर्य १,मेष ७,तुला ५,सिंह
    चंद्र २,वृष ८,वृश्चिक ४,कर्क
    मंगल १०,मकर ४,कर्क १,८,मेष,वृश्चिक
    बुध ६,कन्या १२,मीन ३,६,मिथुन,कन्या
    गुरु ४,कर्क १०,मकर ९,१२,धनु,मीन
    शुक्र १२,मीन ६,कन्या २,७,वृष,तुला
    शनि ७,तुला १,मेष १०,११,मकर,कुम्भ
    छाया ग्रह उच्च नीच
    राहु २,३,वृष,मिथुन ८,९,वृश्चिक,धनु
    केतु ८,९,वृश्चिक,धनु २,३,वृष,मिथुन
    ABOUT CONTENT-
    REFERENCES - ASTROLOGY BOOKS AND PRACTICAL EXPERIENCE
    VOICE / CONCEPT- PANDIT HANUMAN SAHAY SHARMA
    CHANNEL- MANTRA SHAKTI AUR SAMADHAN
    Please do Like || Subscribe || Share।।
    No bad comments please ।।
    Make sure you subscribe and never miss our New videos, click on link given below and press bell icon.
    Url
    / @mantrashaktiaursamadhan
    • Astrology jyotish

ความคิดเห็น •