That’s a very eye opening explanation. I have been trying to know and understand about this sutra for long time and after watching and listening to this video, I am crystal clear! Thank you Sir!
भाषा विग्यान से हमें पता चलता है कि उपनिषद संस्कृत में लिखे गए हैं. संस्कृत एक सम्पूर्ण रूप से सन्स्कारित भाषा का रूप ले चुकी थी. जो कि प्राकृत और पाली का सन्सकारित रूप है. बुद्ध के समय केवल पाली भाषा थी, अतः उपनिषद बुद्ध के बाद लिखे गए थे.
सर जहाँ तक मैंने M. A. में भाषा विज्ञान में पढ़ा हैं - वैदिक संस्कृत 1500BC-1000BC>लौकिक संस्कृत1000BC-500BC > प्रथम प्राकृत (पाली500BC के बाद )>द्वितीय प्राकृत (प्राकृत )>तृतीय प्राकृत (अपभरांश ) हैं। Please reply 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Thank you so much sir for your beautiful efforts. Its humble request to you to continue the series.Please complete syllabus many of us are waiting for long time.
Very useful & well narrated content. Thank you very much.🙏 I don't think every other person can make these. You need a philosophical bent of mind yourself to understand and make these content. Very rare in Indian medium these days.
बुद्ध के उपदेशों में काफी कुछ गलत सलत मिलावट हो चुकी है। यहां कोई पिछले जन्म के कर्मों की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि दुख आने से पहले के समय की बात कर रहें हैं। यहां सब वर्तमान जन्म के भूत, वर्तमान और भविष्य की बात कही गई है।
*ईश्वर / अल्लाह / गौड* *और* *परिनिर्वाण / मोक्ष* *और* *समदृष्टिकोण* ✍️✍️✍️✍️ *सम्पूर्ण यूनीवर्स में जो कुछ भी है वह सब का सब केवल और केवल ऊर्जा का ही स्वरूप है और ऊर्जा पल प्रति पल अनन्त रूपों में एक दूसरे से एक दूसरे में परिवर्तित होती रहती है और इस ऊर्जा पर विज्ञान के सभी नियम लागू होते हैं* *अर्थात सूरज, चाँद, तारे, ग्रह, उपग्रह एवं पृथ्वी इत्यादि और सम्पूर्ण जीव जगत सहित हमारा मन और विचार सब के सब केवल और केवल ऊर्जा का ही स्वरूप हैं और ऊर्जा के ये सभी स्वरूप विभिन्न प्रकार की ऊर्जाओं के रूप में पल प्रति पल परिवर्तनशील हैं लेकिन परिवर्तनशील ये ऊर्जा जिस यूनीवर्स में बिना किसी अवरोध के विचरण कर रही है केवल वह यूनीवर्स ही स्थायी और सत्य है जिसमें तिल बराबर भी परिवर्तन नहीं होता यानि अनन्त काल से जैसा है अनन्त काल तक वैसा ही रहना है और यह शून्य से अनन्त में अखण्ड विद्यमान जड़ व चेतन दोनों से परे अजन्मा पूर्णतः पाक और अविनाशी है जिसे आँखों से देखा नहीं जा सकता केवल और केवल समझा ही जा सकता है इसी को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से ईश्वर, अल्लाह, गौड आदि के नामों से जाना जाता है* *जब कोई इस सच्चाई को पूर्णतः समझ लेता है तो फिर उसके सारे सवाल और स्वयं के होने का भ्रम भी पूर्णतया समाप्त हो जाता है इसी को परिनिर्वाण अथवा मोक्ष कहा जाता है और इस मूल सच्चाई को समझे बगैर दुनियां का कोई भी इंसान अपने अन्दर समदृष्टिकोण का भाव पैदा कर ही नहीं सकता*
बुद्ध ने पुनर्जन्म व कर्मफल सिद्धांत की ऐसी व्याख्या नहीं की थी जैसा आपने बताया है.
100percet scientific and spritual analysis the principal of Lord Buddha ji 🙏
Bhagwaan Buddha ji 🙏 is international sadguru ji 🙏
Namo Buddhaya🙏🙏🙏
धन्यवाद सर इतनी सूक्ष्म सिद्धांत को इतने सुंदर तरीके से समझाने के लिए🙏
Thanks for the book explain sir 💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯
Sir ji
Namaste
🙏🙏🙏
आपका समझानेकी पद्धती गजब है
Thankyou
सुखद अनुभूती आए तो आदमी उसके प्रती आसक्ती जगाता है और दुखद अनुभूती आयी तो द्वेष की प्रतिक्रिया करते है इसे अविद्या कहा गया है
Hi sujata
P
अदभुत
You are best teacher for philosophy
Allah aapko BHT BHT kamyabi de aapne bht hi ache se samjhaya hai.
Great post great knowledge
Sir aapki mehnat ko me Salam karta hu.thnq
Thankyou
So many thanks for shareing this knowledge.....👍
Thankyou
Bhut bdiya samjhaya sirji
Thank you
ᴡᴀʜ ᴡᴀʜ ᴡᴀʜ 🥰🥰 ᴋyᴀ विश्लेषन किया आपने सर .
बहुत धन्यवाद जानकारी के लिए
जय बुद्ध!🙏
Fantastic ☺😍
दंडवत प्रणाम🙏🙏🙏🙏🙏
Danywaad sir thanks
It's ok
अच्छी कोशिश है...
उपनिषद बुद्ध के बहुत बाद में लिखी गई, जब आज की क्लासिकल संस्कृत आ गई थी, मुग़ल काल में.
Kitne upanishad padh liye hai apne,,,, apni jankari ko sudhare, aur galat jankari failane se bache
Om shanti ji 🙏
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Your welcome kamal
Thank you very much for your best explanation. 🙏🙏
Thank you
thanks for this🙏🙏🙏🙏
JAY BHIM BHARAT
Awesome lecture ❤️
Thankyou
Very very good method ,thanku very much .....
Three universal characteristics of existence in buddhism
Hat's of to you..Sir..I m just grateful to you for explaining such a deep subject..🙏🙏
Thankyou Sujata
Jai Bheem jai bharat
Jai bheem jay bharat
भाषा विग्यान से हमें पता चलता है कि उपनिषद संस्कृत में लिखे गए हैं. संस्कृत एक सम्पूर्ण रूप से सन्स्कारित भाषा का रूप ले चुकी थी. जो कि प्राकृत और पाली का सन्सकारित रूप है. बुद्ध के समय केवल पाली भाषा थी, अतः उपनिषद बुद्ध के बाद लिखे गए थे.
Thank you for your acknowledge
सर जहाँ तक मैंने M. A. में भाषा विज्ञान में पढ़ा हैं - वैदिक संस्कृत 1500BC-1000BC>लौकिक संस्कृत1000BC-500BC > प्रथम प्राकृत (पाली500BC के बाद )>द्वितीय प्राकृत (प्राकृत )>तृतीय प्राकृत (अपभरांश ) हैं।
Please reply 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
AAP bahut acha samjhate hai
Thankyou shilpi
Nice explain
Thank u so much sir
Nice explain sir
Sadhu sadhu sadhu sadhu ji🙏
Very nice .thanks a lot sir .Bahut achheee explanation the .
Shandar
Thankyou
Namo buddhaay
Jay Sheee Krishna🙏
Thank you so much sir for your beautiful efforts. Its humble request to you to continue the series.Please complete syllabus many of us are waiting for long time.
Thank you. ill surely continue asap.🙏
@@DarshanikBharat À? I in inm
Bhut khub sir
Thankyou
Sadhu sadhu sadhu 🙏🙏🙏💐🌹
Nice.
Happy Holi sir ji....
Thankyou n wish you the same
Ty so much sir jo b topic pdhate h aisi hi pdhaye qki aap har topic me base se hi btate h jo aapki bahut achhi quality h ..🙏🙏🙏🙏
Thnkyou
Very useful & well narrated content. Thank you very much.🙏 I don't think every other person can make these. You need a philosophical bent of mind yourself to understand and make these content. Very rare in Indian medium these days.
Thankyou ❤️❤️❤️
Very nice, help full
Thankyou
V.nice
Thnxc
very good knowledge
Thank you sir...... Your knowledge is Great....app ka bohot bohot shukriy...
gud job sir.
Thankyou
1 no sir
Thank you
You are great sir
Nice and excellent
Thankyou
Sir kant philosophy se v vedio bnaeye plz
Thanks sir u are great 🙏🙏🙏
Thankyou
Darshanik Bharat w.w.y.c.b
धन्यवाद सर।
22min start
Dhanyawad
Thank You,
In Short, इच्छा दुःख का कारण हें, इच्छा के त्याग से निर्वाण प्राप्त होता हें ।
Talent man
बुद्ध के उपदेशों में काफी कुछ गलत सलत मिलावट हो चुकी है। यहां कोई पिछले जन्म के कर्मों की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि दुख आने से पहले के समय की बात कर रहें हैं। यहां सब वर्तमान जन्म के भूत, वर्तमान और भविष्य की बात कही गई है।
🎉🎉🎉🎉🎉😅😅😅😅nice thinking
good
Thankyou
thank you sir
Thank you so much sir ...
Aapki videos bhut helpful h .
Sir inki pdf kha milegi ??
Thankyou
सर अविध्या पर बुद्ध मौन नहीं है। अविद्या का अर्थ है चार आर्य सत्य के ज्ञान का अभाव। चार आर्य सत्य मालूम नहीं होना वही अविध्या हैं।
Very nice 👌👌👌👌
Thankyou
Very nice sir
Thankyou
थैंक्स सर
Welcome ji
आपकी व्याख्या बहुत ही अच्छी है।ज्ञान देने के लिए आपको बहुत बहुत धन्न्यवाद।
Very very happy holi gurudev ji
Thankyou very much.. Happy holi to you too.
Thank u
when you understands BUDDHISM follow and practice then you can destry ABIDHYA
Thank u so much bhai
The best
Thankyou
Nice
Thnxx
सर आपने बहुत ही अच्छा वीडियो बनाया है मैं आपको कोटि-कोटि नमन करता हूं
Thankyou Neeraj🙏
Shuneyvaad bhi explain kree plz ?
Iska pdf mil sakta hai Kya
#Bauddha darshan
Mera subject M.a education tha .than last ..mai Philosphy ho gya fir apki video se help li...
Thnkuhhhhh👍
Your welcome
Ishu khrist na name... Aamin
Great efforts .. bhole bless you...
Sir English m pdf available ho skti h ??
Ho skti hai
Bhole bless you too🙏
Aap ek achhe teacher ke sath sath bahut hi kind or soft hearted person bhi... I am very greatful ki apne response kia thankyou 😊😊
Thankyou itne samman k liye🙏🙏
😊😊😊😊🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻aap jaise log deserve krte hain ......
*ईश्वर / अल्लाह / गौड*
*और*
*परिनिर्वाण / मोक्ष*
*और*
*समदृष्टिकोण*
✍️✍️✍️✍️
*सम्पूर्ण यूनीवर्स में जो कुछ भी है वह सब का सब केवल और केवल ऊर्जा का ही स्वरूप है और ऊर्जा पल प्रति पल अनन्त रूपों में एक दूसरे से एक दूसरे में परिवर्तित होती रहती है और इस ऊर्जा पर विज्ञान के सभी नियम लागू होते हैं*
*अर्थात सूरज, चाँद, तारे, ग्रह, उपग्रह एवं पृथ्वी इत्यादि और सम्पूर्ण जीव जगत सहित हमारा मन और विचार सब के सब केवल और केवल ऊर्जा का ही स्वरूप हैं और ऊर्जा के ये सभी स्वरूप विभिन्न प्रकार की ऊर्जाओं के रूप में पल प्रति पल परिवर्तनशील हैं लेकिन परिवर्तनशील ये ऊर्जा जिस यूनीवर्स में बिना किसी अवरोध के विचरण कर रही है केवल वह यूनीवर्स ही स्थायी और सत्य है जिसमें तिल बराबर भी परिवर्तन नहीं होता यानि अनन्त काल से जैसा है अनन्त काल तक वैसा ही रहना है और यह शून्य से अनन्त में अखण्ड विद्यमान जड़ व चेतन दोनों से परे अजन्मा पूर्णतः पाक और अविनाशी है जिसे आँखों से देखा नहीं जा सकता केवल और केवल समझा ही जा सकता है इसी को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से ईश्वर, अल्लाह, गौड आदि के नामों से जाना जाता है*
*जब कोई इस सच्चाई को पूर्णतः समझ लेता है तो फिर उसके सारे सवाल और स्वयं के होने का भ्रम भी पूर्णतया समाप्त हो जाता है इसी को परिनिर्वाण अथवा मोक्ष कहा जाता है और इस मूल सच्चाई को समझे बगैर दुनियां का कोई भी इंसान अपने अन्दर समदृष्टिकोण का भाव पैदा कर ही नहीं सकता*
👌👌👌👌👌👌👌👌
💐💐
Nice सर
Thnxx
Thank you sir🙏🙏🙏
thanks🙏 bhavtu sab b magalam 🙏
Thanks a lot sir... Now I'm crystal clear about this theory
Wlcm.. keep learning
👍👍 great sir
Thankyou Vibha
Naye video ane he wale hain..stay connected
Thank you
Anityeevaad or uucheedvaad me kyaa difference h sir ?
Interrelationship among basic buddhist teaching plz describe
Thank sir
Your welcome
Your welcome
Uuchheeedvaad kyaa h sir ?
sir boudh darshan ke gyanmimans (sautrantik aur vaibhashik ) par bhi video banaye.
जरूर।
सर हिंदी के लिए भी कॉलेज lect g. K 1+2nd पेपर का motivesan वीडियो बनाए
Thanks you so much ❤️❤️
guruji ! namastay. when will you send tenth video. your teaching and explanation is too good to say. thanks
Sure for tomorrow.
Thank u sir ji
Your welcome
Hlo