पूजा व उपासना से पहले संकल्प व शुद्धि की सरल विधि | Pooja upasna se pahle sankalp ki saral vidhi

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  • เผยแพร่เมื่อ 5 ต.ค. 2024
  • पूजा उपासना में संकल्प विधि का सरल विधान
    Pooja upasna se pahle sankalp ki saral vidhi
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    श्री गणेशाय नमः
    ॐ आधार शक्ति कमलासनाय नमः।
    इस मंत्र से आसन स्थल को प्रणाम करें।
    ।। आचमन ।।
    ॐ ऐं आत्म तत्वम् शोधयामि नमः स्वाहा।
    ॐ हृीं विद्या तत्वम् शोधयामि नमः स्वाहा।
    ॐ क्लीं शिव तत्वम् शोधयामि नमः स्वाहा।
    इन मंत्रों से तीन आचमन करें ।
    ॐ ऐं हृीं क्लीं सर्वतत्वम् शोधयामि नमः स्वाहा।
    इस मंत्र से हाथ धो लें।
    ।। श्री गुरु स्मरण ।।
    आनन्दम् आनन्द करम् प्रसन्नम् ,
    ज्ञान स्वरुपम् निज बोध रुपम्।
    योगीन्द्रमीड्यम् भवरोग वैद्यम् ,
    श्री मद् गुरु नित्यम् अहम् नमामि।।
    ।। श्री गणपति स्मरण ।।
    गजाननम् भूतगणादि सेवितम् ,
    कपित्थ जम्बू फल चारु भक्षणम्।
    उमासुतम् शोक विनाशकारकम् ,
    नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्।।
    वक्रतुण्ड महाकाय , सूर्यकोटि समप्रभ ।
    निर्विघ्नम् कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ।।
    ।। आसन शुद्धि ।।
    पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठ ऋषिः सुतलम् छन्दः कूर्मो देवता आसने विनियोगः ।
    हाथ में जल लेकर उक्त मंत्र बोलकर छोड़ दें। ‘‘ॐ भू र्भुवः स्वः’’ बोलकर आसन पर जल के छींटे दें।
    ।। आसन प्रणाम मंत्र ।।
    ॐ अनन्तासनाय नमः 
    ॐ कूर्मासनाय नमः
    ॐ विमलासनाय नमः
    ॐ पद्मासनाय नमः
    ॐ योगासनाय नमः
    ॐ आधार शक्त्यै नमः
    ॐ दुष्ट विद्रावण नृसिंहासनाय नमः
    ॐ परम्सुखासनाय नमः ( इन मंत्रों से आसन के मध्य में प्रणाम करें )
    ।। शिखा बन्धनम् ।।
    चिद् रुपिणी महामाये , दिव्य तेजः समन्विते ।
    तिष्ट देवि शिखाबन्धे , तेजो वृद्धिम् कुरुष्व मे।।
    उक्त मंत्र से अपनी शिखा में गांठ लगाएं अथवा शिखा पर स्पर्श करें |
    ।। दिग्बन्धनम् ।।
    ॐ सर्वभूत निवारकाय शार्ङ्गाय सशराय ।
    सुदर्शनाय अस्त्रराजाय हुं फट् नमः ।।
    यह मंत्र बोलते हुए अपने चारों ओर वामार्त चुटकी बजाते हुए बाईं हथेली पर तर्जनी और मध्यमा से तीन ताली बजाकर अपने चारों ओर अग्नि के सुरक्षा परकोटे का ध्याान करें।
    तत्पश्चात
    ‘ॐ भू र्भुवः स्वः’’ बोलते हुए दशों दिशाओं में वामार्त चुटकी बजाएं।
    ‘गुं गुरुभ्यो नमः’ दाहिनी ओर श्री गुरु देव को नमन करें |
    ‘गं गणपतये नमः’ बाईं ओर श्री गणपति को नमन करें।
    ‘इष्ट देवतायै नमः’ या ‘श्री देवतायै नमः’ बोलकर अपने सम्मुख अपने इष्ट देव को नमन करें।
    ।। भूतापसारणम् ।।
    अपसर्पन्तु ते भूता ये भूता भूमिसंस्थिताः।
    ये भूता विघ्नकर्तारस्ते नश्यन्तु शिवाज्ञयाः ।।
    अपक्रामन्तु भूतानि पिशाचाः सर्वतो दिशम् ।
    सर्वेषाम विरोधेन जपकर्म समारंभे ।।
    उक्त मंत्र बोलकर बाएं पैर की एड़ी से भूमि पर तीन बार ताड़न करें। या केवल मंत्र बोलें।
    ।। श्री भैरव नमस्कारः ।।
    हाथ में जल लेकर:-
    ‘‘यो भूतानामित्यस्य कौडिन्यऋषिर्अनुष्टुप छंदो
    नारायणो देवता भैरव नमस्कारे विनियोगः’’
    बोलकर जल छोड़ दें।
    ।। प्रार्थना ।।
    ॐ तीक्ष्ण दंष्ट्र महाकाय , कल्पान्तदहनोपम् ।
    भैरवाय नमस्तुभ्यम् अनुज्ञाम दातुर्महसि ।।
    उक्त मंत्र बोलकर श्री भैरव से मंत्र/स्तोत्र सिद्धी के लिए प्रार्थना करते हुए जप/पाठ की अनुमति मांगें।
    ( तदन्तर संकल्पादि कर जप करें )
    ।। माला पूजा ।।
    ‘‘ऐं हृीं क्लीं अक्षमालायै नमः’’
    उक्त मंत्र से माला का गन्ध पुष्पादि से पूजन करें। फिर निम्न मंत्र से प्रार्थना कर नमस्कार करें।
    ॐ माम् माले महामाये सर्व शक्ति स्वरुपिणी ।
    चतुर्वर्गस्त्वयि न्यस्तस्तस्मान्मे सिद्धिदा भव ।।
    उक्त मंत्र से प्रार्थना - प्रणाम करके दाएं हाथ में माला लेकर मस्तक पर लगाएं । तर्जनी ओर कनिष्ठिका का माला से स्पर्श बचाते हुए जप करें।
    ।। शुभम् भूयात् ।।
    Jyotish aur jeevan
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