हंसरु बैंड(2)

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  • เผยแพร่เมื่อ 8 พ.ค. 2018
  • #हंसरू #बैंड
    मैं आपको हंसरू के बारे में बताना चाहूंगा कि वह उत्तरकाशी जिले के एक प्रसिद्ध कलाकार हैं। वह बैंडबांजा के साथ गाते हैं और उनकी टीम ने टिहरी, उत्तरकाशी, जौनसार क्षेत्र में इन दिनों शादी समारोहों में धूम मचा रखी है। पिछले महीने 14 मार्च को मेरी भतीजी कृष्णा #कृष्णा संग #अंजलि की शादी में हंसरू बैंड ने उत्तराखंड के ढोल दमाऊ की तर्ज पर थोड़ा मॉडिफिकेशन करके संस्कृति का ऐसा रंग घोला कि #गोलाणी-#कुड़ी के सारे बाराती वाह-वाह कर उठे। बैंड, पियानो व छुमका की मधुर खनक के बीच हंसरु की कॉमेडी प्रस्तुति ने खासी वाहवाही लूटी। पहाड़ों से लुप्त हो रही ढोल दमाऊ की परंपरा जहां अपनी पहचान खोती जा रही जा रही है वहीँ हंसरु बैंड की डिमांड दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। हालाँकि हंसरु अभी शादी समारोहों में ही अपनी अद्भुत कॉमेडियन एक्टर की छाप छोड़ रहे हैं लेकिन इसका अंदाजा उनकी प्री-बुकिंग से ही लगाया जाता है कि एक-एक साल पहले ही उनके पास एडवांस बुकिंग
    हो रही है।
    हालाँकि यह आधुनिक गढ़वाली बैंड ढोल दमाऊ की जगह किसी भी तरह से नहीं ले सकता है फिर भी आज की युवा पीढ़ी में इनका क्रेज सातवें आसमान पर है। आज के युवा हींन भावना से ग्रसित होकर ढोल दमाऊ बजाने में शर्म महसूस करतें है जिससे पहाड़ी वाद्य यंत्रों को उनका वास्तविक मुकाम नहीं मिल पाता है इसके लिए इस विद्या को प्रोत्साहित करने की सख्त और वास्तविक जरूरत है। परिवर्तन संसार का नियम है फिर भी हम चाहेंगे कि हमारे ढोल दमाऊ के सरंक्षण के के लिए युवा पीढ़ी आगे आएं और इस गढ़वाली बैंड को भी भी प्रोत्साहन मिले। हंसरु जैसे कलाकार भी समय समय पर प्रोत्साहित होते रहे ताकि हमारी संस्कृति की धरोहर ढोल दमाऊ अपनी छाप पर बरकरार रहे पर बरकरार रहे व गढ़वाली बैंड भी अपनी संस्कृति का एक अंग बने।
    मुझे उम्मीद है कि ढोल दमाऊ की संरक्षण के लिए जैसे संरक्षण के लिए जैसे सोहनलाल, प्रीतम भरतवाण आदि जी तोड़ मेहनत तोड़ मेहनत कर रहे हैं वैसे ही नए अंदाज में गढ़वाली बैंड के के संरक्षण में हंसरू जैसे कलाकार अपनी अद्भुत कला के साथ इस बैंड को प्रोत्साहित करते रहें व इस कलाकार को भी उत्तराखंड सरकार गैर सरकारी संस्थाओं के द्वारा प्रोत्साहन मिलता रहे.....बस...!!

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