उस क्षण को देख कर बहुत दुख हुआ जब कांबली जी ने सचिन को स्टेज पर अपने पास बिठाना चाहा,पर सचिन तेंदुलकर ने जबरदस्ती अपना हाथ छुड़वा लिया,गिरते को सहारा देना चाहिए,खासकर कोई अपना अजीज मित्र इमोशनली और फिजिकली कमजोर महसूस कर रहा हो,पर सचिन ने ऐसा नहीं किया ,जो की करना चाहिए था,सचिन को याद रखना चाहिए जब 2011वर्ल्ड कप खेला जा रहा था तो सचिन की फीलिंग्स का खयाल करते हुवे सभी क्रिकटर्स ने अपनी जान झोंक दी थी ,क्योंकि वो सचिन को विदाई के रूप में वर्ल्ड कप का तोहफा उपहार में देना चाहते थे ,वो अपने लिए कम और सचिन के लिए जायदा लड़ रहे थे,जीत के बाद जब मीडिया वालो ने युवराज से पूछा की आप पूरे वर्ल्ड कप में इतने जोश में केसे खेले और मैन ऑफ द ट्रॉफी,में ऑफ द टूर्नामेंट रहे,तब युवराज पाजी ने रोते हुवे बोला था की में सिर्फ और सिर्फ एक ही मकसद से खेल रहा था की सचिन पाजी का आखिरी वर्ल्ड कप था ,और हम नही चाहते थे की सचिन पाजी को बिना वर्ल्ड कप के विदाई दी जाए,वो इंसान उस वक्त अपनी जिंदगी की परवाह कम और सचिन को जिताने की जायदा कर रहा था,उस टाइम उससे सचिन के सपनों के आगे अपनी कैंसर जैसी भैयावह बीमारी बहुत छोटी लग रही थी ,जिस इंसान की फीलिंग्स की उसके दोस्तो ने इतनी कदर की आज वो इंसान अपने साथी जो आज मुसीबत में है उसकी कदर करना भुल गया,आज के नौजवान जो 2011वर्ल्ड कप के टाइम अपने बचपन में थे उनको हो सकता है वो लम्हा याद न हो,याद हो तो अच्छी बात है,नही तो उस वर्ल्ड कप की वो क्लिप यूट्यूब पर निकाल कर देख लेना, पत्ता चल जायेगा, मैने अपनी आखों से देखा था वो लम्हा,और देखना उसमे सचिन तेंदुलकर के लिए युवराज सिंह की रोते हुवे किस तरह भावनाएं उद्वेलित हो रहीं थे,पर जब सचिन ,कांबली से मिले तो उन भावनाओ का लेस मात्र भी नही दिखा,उस बेचारे ने आप से भावनाओ के साथ वर्ल्ड कप नही मांगा,केवल भावनाओ रूपी छोटा सा सहारा मांगा था,पर सचिन जी वो आप देने में असफल रहे, वैसे तो सारा जहा पड़ा है, कोन किसी का हाथ पकड़ता है,आप के साथ उस इंसान ने कुछ महसूस किया तभी पकड़ा होगा, टाइम किसी का एक जैसा नही रहता,इसकी प्रकृति है की यह बदलता रहता है,आज आपका अच्छा है तो कल किसी और का होगा. एक कबीर जी का दोहा है...कही रहीम संपति सगे बनत बहुत बह रीत। विपत्ति कसोटी जे कसे, तेई सांचे मीत।। अर्थात.. जब व्यक्ति के पास धन ,संपति वैभव , ऐश्वर्य हो तो सभी उससे अपना संबंध जोड़ लेते हैं,पर जब उसका टाइम खराब चल रहा हो तब अपने सगे सम्बन्धी भी पराए बन जाते है।
उस क्षण को देख कर बहुत दुख हुआ जब कांबली जी ने सचिन को स्टेज पर अपने पास बिठाना चाहा,पर सचिन तेंदुलकर ने जबरदस्ती अपना हाथ छुड़वा लिया,गिरते को सहारा देना चाहिए,खासकर कोई अपना अजीज मित्र इमोशनली और फिजिकली कमजोर महसूस कर रहा हो,पर सचिन ने ऐसा नहीं किया ,जो की करना चाहिए था,सचिन को याद रखना चाहिए जब 2011वर्ल्ड कप खेला जा रहा था तो सचिन की फीलिंग्स का खयाल करते हुवे सभी क्रिकटर्स ने अपनी जान झोंक दी थी ,क्योंकि वो सचिन को विदाई के रूप में वर्ल्ड कप का तोहफा उपहार में देना चाहते थे ,वो अपने लिए कम और सचिन के लिए जायदा लड़ रहे थे,जीत के बाद जब मीडिया वालो ने युवराज से पूछा की आप पूरे वर्ल्ड कप में इतने जोश में केसे खेले और मैन ऑफ द ट्रॉफी,में ऑफ द टूर्नामेंट रहे,तब युवराज पाजी ने रोते हुवे बोला था की में सिर्फ और सिर्फ एक ही मकसद से खेल रहा था की सचिन पाजी का आखिरी वर्ल्ड कप था ,और हम नही चाहते थे की सचिन पाजी को बिना वर्ल्ड कप के विदाई दी जाए,वो इंसान उस वक्त अपनी जिंदगी की परवाह कम और सचिन को जिताने की जायदा कर रहा था,उस टाइम उससे सचिन के सपनों के आगे अपनी कैंसर जैसी भैयावह बीमारी बहुत छोटी लग रही थी ,जिस इंसान की फीलिंग्स की उसके दोस्तो ने इतनी कदर की आज वो इंसान अपने साथी जो आज मुसीबत में है उसकी कदर करना भुल गया,आज के नौजवान जो 2011वर्ल्ड कप के टाइम अपने बचपन में थे उनको हो सकता है वो लम्हा याद न हो,याद हो तो अच्छी बात है,नही तो उस वर्ल्ड कप की वो क्लिप यूट्यूब पर निकाल कर देख लेना, पत्ता चल जायेगा, मैने अपनी आखों से देखा था वो लम्हा,और देखना उसमे सचिन तेंदुलकर के लिए युवराज सिंह की रोते हुवे किस तरह भावनाएं उद्वेलित हो रहीं थे,पर जब सचिन ,कांबली से मिले तो उन भावनाओ का लेस मात्र भी नही दिखा,उस बेचारे ने आप से भावनाओ के साथ वर्ल्ड कप नही मांगा,केवल भावनाओ रूपी छोटा सा सहारा मांगा था,पर सचिन जी वो आप देने में असफल रहे, वैसे तो सारा जहा पड़ा है, कोन किसी का हाथ पकड़ता है,आप के साथ उस इंसान ने कुछ महसूस किया तभी पकड़ा होगा, टाइम किसी का एक जैसा नही रहता,इसकी प्रकृति है की यह बदलता रहता है,आज आपका अच्छा है तो कल किसी और का होगा. एक कबीर जी का दोहा है...कही रहीम संपति सगे बनत बहुत बह रीत।
विपत्ति कसोटी जे कसे, तेई सांचे मीत।।
अर्थात.. जब व्यक्ति के पास धन ,संपति वैभव , ऐश्वर्य हो तो सभी उससे अपना संबंध जोड़ लेते हैं,पर जब उसका टाइम खराब चल रहा हो तब अपने सगे सम्बन्धी भी पराए बन जाते है।
God bless you Dear
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