द्रव्य क्या है ! महर्षि कणाद के अनुसार जाने | सत्यार्थ प्रकाश समुल्लास ३ कक्षा ७ |

แชร์
ฝัง
  • เผยแพร่เมื่อ 27 ก.ย. 2024
  • द्रव्य क्या है ! महर्षि कणाद के अनुसार जाने | सत्यार्थ प्रकाश समुल्लास ३ कक्षा ७
    पृथिव्यापस्तेजोवायुराकाशं कालो दिगात्मा मन इति द्रव्याणि ।
    - वै० अ० १। आ० १। सू० ५।
    पृथिवी, जल, तेज, वायु, आकाश, काल, दिशा, आत्मा और मन ये नव द्रव्य हैं।
    क्रियागुणवत्समवायिकारणमिति द्रव्यलक्षणम् ॥
    - वै० । अ० १। आ० १। सू० १५ ॥
    'क्रियाश्च गुणाश्च विद्यन्ते यस्मिँस्तत् क्रियागुणवत्' जिसमें क्रिया, गुण और केवल गुण भी रहें, उसको 'द्रव्य' कहते हैं। उनमें से पृथिवी, जल, तेज, वायु, मन और आत्मा ये छः द्रव्य क्रिया और गुणवाले हैं। तथा आकाश, काल और दिशा ये तीन गुणवाले तो हैं, किन्तु क्रिया- वाले नहीं। (समवायि) 'समवेतुं शीलं यस्य तत् समवायि, प्राग्वृत्तित्वं कारणं, समवायि च तत्कारणं च समवायिकारणम् 'लक्ष्यते येन तल्लक्षणम्' जो मिलने के स्वभावयुक्त, कार्य से कारण पूर्वकालस्थ हो, जिससे क्रियागुणयुक्त हो, उसको द्रव्य कहते हैं। जिससे लक्ष्य जाना जाय, जैसा आँख से रूप जाना जाता है, उसको लक्षण कहते हैं।
    Aryan Acharya | Online Arsh Gurukulam |
    #vedic
    #vedicsukti
    #vedicdharam
    #vaidicknowledge
    #aryanacharya
    #sanatandharam
    #hindudharam
    #onlinelearning
    #sanatani
    #sanatanihindu
    #om
    #omkar
    #advaita
    #vedas
    #veda
    #knowledge
    #swamidyanand
    #viralvideo
    #trendingvideo
    #reality
    #sanskrit
    #sanskar
    #aryasamaj

ความคิดเห็น • 5