निरपेक्ष होकर सूक्ष्मत: विचार करें तभी ज्ञान पुरुषार्थ जाग्रत हो सकता है।
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- เผยแพร่เมื่อ 30 ก.ค. 2024
- निरपेक्ष होकर सूक्ष्मत: विचार करें तभी ज्ञान पुरुषार्थ जाग्रत हो सकता है।
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मोक्ष मार्ग प्रकाशक प्रवचन क्रमांक 608
By Dr. Vivek Sagar Delhi