Just so you know, the acharya who is an avatar of sudarshan chakra is Shri Nimbarkacharya. Nimbarka bhagwan is a direct disciple of Narada Bhagwan and the preceptor of the Nimbarka Sampraday also known as the Kumara sampradaya or Sanakadi Sampradaya, one of the four bonafide Vaishnava sampradayas.
@@AnilYadav-hl2wv aane wali hai humare channel pe jald hi... Sab puchh lunga unko... Unka main belief hai ki valmiki & vyas versions hi sahi hai Ramayan & Mahabharat ke... Toh uss basis pe sahi hai vah
Bharatji sudarshan ke avatar the unki power to Ramayan me aap ko pata hi hoga ki Sabse powerful Hanumanji ko ek tir me niche gira diya tha Jay Shree Ram ❤🙏
It has secret talks Like if it came here on public platform it can give secret knowledge to wrong hands Also we may not able to understand the leelaas Most can not understand of Krisna 16108 wives How people will understand more secrets So better upgrade ourselves through sadhna Get a guru Then may be you will get to know more about it
Prabhu ap bahut acha gyan dete our gurukul bhi suru karoho to adi gyan karoge to gurukul jo chatra satya bav satya gyan kaise lenge jaise ladiya yogyopavit nhi pehensakti a ek gyan na rehne se agyanta hi hoga a bahut bada mistake aap karreho me na arya samaj se ya kisi organisation bus mera kehna he satgyan satbav bahut jagah ulek he ladiya yogyopavit pehti he thi a comman baat he ap paile ache padiye dekiye mandiro me jake
Really insightful content ❤. Can someone Please share the name of the book which Prateek sir referred in this podcast that has all the details about Golok Dham ? 🙏
With due respect आई want to say सुदर्शन चक्र विषय में इन भाई साहब को 1% भी नहीं पता । सुदर्शन कोई जीवित प्राणी नहीं है बल्कि ये मनस्तत्व से नियमित और नियंत्रित चक्र था जो मन तत्व से संचालित होता था। इसे केवल पूर्ण जितेंद्रिय पुरुष और धर्म में अच्युत निष्पाप व्यक्ति ही चला सकता था जो आप्त पुरुषों के सदृश जीवन जीने वाला पूर्ण योगी पुरुष होता था। इसमें ये सात्विक प्रधान ऊर्जा से चलता था। ये अपने अंदर से एक ही बार में सहस्र अग्नि बाण भी निकल सकता था जिन्हें आज हम लेजर rays भी कह सकते हैं आज के समय में इसे मन द्वारा संचालित AI सपोर्टेड वेपन भी कह सकते हैं। ॐ श्री सच्चिदानंद भगवान की जय 🔥
@@mohitagrawalviii achha shri krishna ji bhojan karte the dudh ghee khate the rath oe chalte the jis mahal mein rehte the kya vo material se nhi bana tha Ye duniya material hai aur un param pita parmeshwar ki hi banayi hui hai Jab parmaatma material wolrd bana sakte hain to apna ashtra material kyu nhi bana sakte Gajbe hi prani ho bhai 😋😊😂
@@Veducation bhai ji mai apki pavitra bhavna aur bhakti dono ki respect karta hu but jo sahi hai vo sahi hai jo galat hai so galat hai Sahastra bahu arjun ka normal itihas to pata hai mujhe but ye baki leela kya thi ye nhi pata but mai janne ki koshish karunga aur vaidic satya pramano aur siddhanto se un bato ki pareekshan bhi karunga tabhi koi cheej man sakta hu Ho sakta hai Aap jis siddhant ko man rahe ho usme koi truti ho ,Ha lekin aapki bhavana aur uddeshya dono pavitra aur sanatan dharm ke liye hi hain isme koi sandeh nhi hai Ved ke sidhhant param praman hain Om vande Krishanm jagadgurum 🙏🙏
Jarasangh ka ver sirf Krishna se tha is liye Sare mathura vasi ko DAV pe nhi dal sakte mathura ki praja ka ant ho jata uski sari vyavthae Tut jati isliye bhagwan ne mathura vasi o ko bachane k liye wha se bhage or bhagode nhi khelae uska bad Mai nam pda ranchodrai ki jay jay wese hi nahi lagi usne itne mathura vasioko dhyan Mai rakhte hue wha se bhage
बंधु, मैंने आपका शंबूक वध वाला वीडियो देखा... उस पर मेरे कुछ प्रश्न हैं। क्या आप उनका उत्तर देने की कृपा करेंगे? नोट: मैंने वाल्मीकि रामायण को ही मौलिक और प्रमाणिक माना है। क्योंकि वो श्रीराम के काल में ही लिखी गई थी। बाकी सारी पुस्तकों/ टीकाओं में वर्णित लीलाओं में उनके लेखकों ने अपने विचार, धारणाएं भी सम्मिलित किए हैं इसलिए उन्हें प्रमाणिक नहीं माना जा सकता। मेरे प्रश्न:- (1) किसने कहा कि शंबूक तपस्या करके संसार को नष्ट करना चाहता था, वाल्मीकि रामायण में तो कहीं नहीं लिखा। आपने कहा कि मध्वचार्य ने अपने पुस्तक में ऐसा लिखा है, तो वह पुस्तक तो 13वीं शताब्दी के आस पास लिखी गई थी, जो ऐसा लगता है कि उस समय में शंबूक वध को उचित सिद्ध करने का प्रयास था। अगर आज मैं आपकी हत्या करके एक पुस्तक लिख दूं, कि पिछले जन्म में आप एक राक्षस थे और इस जन्म में जीवित रहते तो कुछ बड़ा अनर्थ कर सकते थे! ... तो क्या यह जायज होगा? उल्टा लटक कर तपस्या करने से संसार का क्या अनिष्ट हो सकता है? मेरी समझ से तो उल्टा लटक के तपस्या करने से खुद के स्वास्थ्य का ही अनिष्ट हो सकता है। संसार क्या भला ख़ाक नष्ट होगा! (2) शंबूक वध का कारण यह बताना कि उसके इरादे नेक नहीं थे। यह बिल्कुल झूठ है। शंबूक वध के पीछे का कारण था वर्ण व्यवस्था के नियमों का टूटना, जैसा की नारद मुनि राम को बताते हैं। (3) आपने बताया कि शंबूक को राम से मिलते ही कितनी इच्छाएं पूरी हो गईं ... कितना कुछ मिला। परंतु सच्चाई ये है कि उसे कुछ भी नहीं मिला। वाल्मीकि रामायण के अनुसार शंबूक के अपने शुद्र होने का उल्लेख करते ही राम ने अपनी चमचमाती तलवार निकालकर उसकी हत्या कर दी(उत्तरकांड सर्ग 76, श्लोक-4)। राम से कुछ मिला तो वो थी अन्यायपूर्ण मृत्यु। (4) आपने कहा की वर्ण व्यवस्था से समाज systematic ढंग से चलता है। अगर भारतीय समाज, वर्ण व्यवस्था से इतना ही systematic चल रहा था, तो 1000 सालों में हम तुर्कों, मुगलों, अंग्रेजो, पुर्तगालियों के गुलाम क्यों बने? ... ऐसा इसलिए क्योंकि जब इन आक्रमणकारियों ने हिंदुस्तान पर हमला किया तो अधिकांश जनता ने कोई विद्रोह नहीं किया। शुद्र को क्या मतलब है कि दिल्ली की राजगद्दी पर कौन बैठता है। चाहे अंग्रेज, मुगल बैठें या हिंदू राजा... उसे तो शुद्र ही होना लिखा है शास्त्रों में।सच्चाई यह है अंग्रेजों, मुगलों ने शूद्रों से ज्यादा सम्मानजनक व्यवहार किया। इसलिए तो ज्योतिबा फुले, भीमराव अंबेडकर जैसे पढ़े लिखे शुद्र भी हो सके... (5) सच्चाई तो यह है कि हिंदुस्तान ने एक तरकीब पैदा की प्रतिस्पर्धा खत्म करने की, इसलिए उसने वर्ण व्यवस्था इजाद की। अब कहानियां बनाकर हिंदू धर्म की इस गंदगी को ढकने का प्रयास मत करिए। जाति वर्ण व्यवस्था ने भारतीय समाज में जितना गहरा घाव पैदा किया है, उतना और किसी व्यवस्था ने नहीं किया है। दुख और हैरानी की बात ये है की ये घाव किसी विदेशी अक्रमणकारियों ने नहीं, बल्कि हमारे ऋषि मुनियों, भगवानों ने दिया है। ये कैसा विरोधाभास है कि अधर्मी रावण जिसने राम की पत्नी का अपहरण किया, उसके वध पर राम को ब्रह्महत्या का पाप लगता है। वहीं निर्दोष शंबूक के वध करने पर राम को धर्मराज, दयालु और न्यायशील होने का पुरस्कार मिलता है!!
ये वर्ण होता क्या है? 🤔 आपने कभी भगवद्गीता खोल कर देखी है जीवन में? 🤔 खैर कोई बात नहीं, अंत में इस कॉमेंट के मैं लिख दे रहा हूँ : बाकि मुझे यह समझ नहीं आता कि यदि किसी राज के राज्य में आप रह रहे हो अधिकार से परंतु उस राज्य के नियम पालन न करो, और उसके बदले दंड मिल जाए तो उसमे क्या गलत हो गया? 🤔 वैसे क्या आपको पता है यह कितने वर्षों पूर्व की बात है? 🤔 Bhagavad Gita: Chapter 4, Verse 13 चातुर्वर्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः। तस्य कर्तारमपि मां विद्धयकर्तारमव्ययम् ॥13॥ चातुःवर्ण्यम्-वर्ण के अनुसार चार वर्ग; मया मेरे द्वारा; सृष्टम्-उत्पन्न हुए; गुण-गुण; कर्म-कर्म; विभागशः-विभाजन के अनुसार; तस्य-उसका; कर्तारम्-सृष्टा; अपि-यद्यपि; माम्-मुझको; विद्धि-जानो; अकर्तारम्-अकर्ता; अव्ययम्-अपरिवर्तनीय। Translation BG 4.13: मनुष्यों के गुणों और कर्मों के अनुसार मेरे द्वारा चार वर्णों की रचना की गयी है। यद्यपि मैं इस व्यवस्था का सृष्टा हूँ किन्तु तुम मुझे अकर्ता और अविनाशी मानो। Commentary वेदों में लोगों के वर्ण के अनुसार उन्हें चार श्रेणियों में विभक्त किया गया है। यह वर्गीकरण उनके जन्म के अनुसार न कर उनकी प्रकृति के अनुरूप किया गया है। वर्गों में यह विविध ता प्रत्येक समाज में होती है। साम्यवादी राष्ट्रों में जहाँ समानता का सिद्धान्त प्रमुख है वहाँ भी मानव समाज में विभिन्नताओं को नकारा नहीं जा सकता। वहाँ कुछ ऐसे दार्शनिक हैं जो साम्यवादी दल के प्रमुख योजनाकार हैं। कुछ लोग सैनिक के रूप में अपने देश की रक्षा करते हैं। वहाँ किसान भी हैं जो खेती-बाड़ी करते हैं और वहाँ फैक्टरियों में कार्य करने वाले कर्मचारी भी हैं। वैदिक दर्शन में इन श्रेणियों का और अधिक वैज्ञानिक ढंग से वर्णन किया गया है। इनमें यह वर्णन मिलता है कि प्रकृति की शक्ति द्वारा तीन गुण निर्मित होते हैं-सत्वगुण, रजोगुण और तमोगुण। ब्राह्मणों में सत्वगुण की प्रधानता होती है। वे विद्या और पूजा की ओर प्रवृत्त होते हैं। क्षत्रिय वे हैं जिनमें रजोगुण की प्रमुखता और कुछ मात्रा में सत्वगुण मिश्रित होता है। उनकी रुचि प्रशासन और प्रबंध संबंधी कार्यों में होती है। वैश्यों में रजोगुण और तमोगुण मिश्रित होते हैं। तदानुसार वे व्यावसायिक और कृषि संबंधी कार्य करते हैं। समाज में शुद्र लोग भी होते हैं। उनमें तमोगुण की प्रबलता होती हैं, इन्हें श्रमिक वर्ग कहा जाता है। इस वर्गीकरण का संबंध न तो जन्म से था और न ही यह अपरिवर्तनीय था। श्रीकृष्ण ने इस श्लोक में स्पष्ट किया है कि इस वर्णाश्रम व्यवस्था का वर्गीकरण लोगों के गुणों और कर्मों के अनुसार था। यद्यपि भगवान संसार के सृष्टा हैं किन्तु फिर भी वे अकर्ता हैं। जैसे कि वर्षा का जल वनों में समान रूप से गिरता है किन्तु कुछ बीजों से बरगद के वृक्ष उगते हैं, कुछ बीजों से सुन्दर पुष्प खिलते हैं और कहीं पर कांटेदार झाड़ियाँ निकल आती हैं। वर्षा बिना पक्षपात के जल प्रदान करती है और इस भिन्नता के लिए उत्तरदायी नहीं होती। इसी प्रकार से भगवान जीवात्माओं को कर्म करने के लिए शक्ति प्रदान करते हैं और वे अपनी इच्छानुसार इसका प्रयोग करने का निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं किन्तु भगवान उनके कर्मों के लिए उत्तरदायी नहीं होते।
फ्री वैदिक लाइब्रेरी : www.veducation.world/library
All Veducation Books : www.veducation.world/store/veducation-books
B.O.S.S Hindi : amzn.to/3zCsgQi
B.O.S.S Eng : amzn.to/3sz9kiP
Vedic Dincharya : amzn.to/40J9gLG
Veducation Library App : play.google.com/store/apps/details?id=com.veducation&pcampaignid=web_share
Jai shree Ram 🔥🔥🔥
Jai shri ram❤
Prateek prabhuje thanku
Hare Krishna 🙏
जय श्री कृष्ण
Jay shree krishna
Just so you know, the acharya who is an avatar of sudarshan chakra is Shri Nimbarkacharya. Nimbarka bhagwan is a direct disciple of Narada Bhagwan and the preceptor of the Nimbarka Sampraday also known as the Kumara sampradaya or Sanakadi Sampradaya, one of the four bonafide Vaishnava sampradayas.
Jai shree Ram Jai shree Ram
Jai shree radhe Krishna 🕉️🕉️🕉️
Jay shree ram
हरेकृष्ण 🚩🚩
Jai Siya Ram 💕💕💕💕
Hare Krishna 🙏 We want to hear more from Prateek Prabhuji🙏
प्रभु ji शस्त्र को सिद्ध करने के बारे में भी बताए नारायण 🙏💓
Jai shree hari 🙏🙏🙏
Aapne pichli baar se achha podcasting Kiya host ji 🙏 bhot bhot dhanyawad
Hare Krishna 🙏
Thank you so much
Jai Shree Ram
JAI MAA PARVATI
OM NAMAH SHIVAY
DEVA SHREE GANESHA
JAI KARITKA
JAI LAXMI MATA
OM NOMO NARAYAN
JAI SUDARSHAN CHAKRA
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Great knowledge u have... Keep it up.... Never knew about this
💐🙏जय श्री राम🙏💐
jitni knowledge mil rahi hai podcast se utni kam lag rahi hai .More with him🥰🥰
More with him ❤
Thank you Satvik Sir...please make more podcasts with Prateeik Prajapati Sir ji...
Yes one more coming soon
Sir
शस्त्र पर भी ek video lekr आइए।
Plss 🙏🙏🙏.
Ramas brother Bharat was the avatar of sudarshan chakra,Shutragana was the avatar of vishnu 's counch
Very nice topic and loved listening to both
नारायण सुदर्शन चक्र के आकार को अपने मन के अनुसार छोटा बड़ा कर सकते हैं
Jai shri ram
pashupatastra is the most powerful Astra🙏🙏
*@bpg24gaming88* No, pashupatastra is the third most powerful Astra after Trishul 🔱 and 1st Sudarshan chakra 🔆 🙏🙏
@@jaydutta7711Source?
Source?
ʀᴀᴍ ᴊɪ ɴᴇ ᴩɪɴᴀᴋᴀ ɴʜɪ ᴛᴏᴅᴀ ᴜꜱ ᴅʜᴀɴᴜꜱ ᴋᴀ ɴᴀᴍ ᴀᴊɢᴀᴠ ᴛʜᴀ ❤❤❤
❤❤❤❤
Gzb
Jai sri ramsita ram jai hanuman ji ki
❤
Guruji Ami ganatara hamare ramayan or Mahabharat k upar video banati hai pata nahi kya kare aap Hume bataiye
Kya problem hai Ami Ganatra ji se?
@@AnvikshikiWithSatvik jaana tha ki vo sach bolti hai ya nahi ki sirf cantent k liye video banati hai
@@AnilYadav-hl2wv she is good... Proper sources
Unka Adhikatar sahi hota hai. Kahin kahin chota bada interpretation galat ho jata hai unse.
@@AnilYadav-hl2wv aane wali hai humare channel pe jald hi... Sab puchh lunga unko... Unka main belief hai ki valmiki & vyas versions hi sahi hai Ramayan & Mahabharat ke... Toh uss basis pe sahi hai vah
❤
😊😊❤❤
🤗🤗
COMMENT BOX KO JAI SHRI RAM KE NAROON SE BHAR DALO 😊😊😊
जय श्री राम
Jay shree ram
Jai Shri Ram
Jai Sri ram
Jai shree Ram 🙏
🇧🇩 I'm 🚩 from 🕉️ Bangladesh 🇧🇩🚩🕉️
Is baar ka podcats itnà chota kyu😔😔
Bharatji sudarshan ke avatar the unki power to Ramayan me aap ko pata hi hoga ki Sabse powerful Hanumanji ko ek tir me niche gira diya tha
Jay Shree Ram ❤🙏
Prateek bhaiya ko firse invite kariyega! 🙏🏻
Kiya hai
Sir Bhagwan Shiv ke teeno form ke upar video bnao na Sadashiv Rudra aur Shankar inke upar bnao video
Bhai Rudra to Shankar hi hain..... Vo to Bhagvadgita me bhi hai dekho adhyay 10 ka shlok 23......
What's the name of the book / granth which completely describes the goloka. 🙏🏻🙏🏻 please anyone reply... 🙏🏻
It has secret talks
Like if it came here on public platform it can give secret knowledge to wrong hands
Also we may not able to understand the leelaas
Most can not understand of Krisna 16108 wives
How people will understand more secrets
So better upgrade ourselves through sadhna
Get a guru
Then may be you will get to know more about it
Prabhu ap bahut acha gyan dete our gurukul bhi suru karoho to adi gyan karoge to gurukul jo chatra satya bav satya gyan kaise lenge jaise ladiya yogyopavit nhi pehensakti a ek gyan na rehne se agyanta hi hoga a bahut bada mistake aap karreho me na arya samaj se ya kisi organisation bus mera kehna he satgyan satbav bahut jagah ulek he ladiya yogyopavit pehti he thi a comman baat he ap paile ache padiye dekiye mandiro me jake
Really insightful content ❤.
Can someone Please share the name of the book which Prateek sir referred in this podcast that has all the details about Golok Dham ? 🙏
Please check the description... If it's not there then we also don't have a clue
10:29 why why why why ham sab ache se chal rahe hai ab ye kya la deya
I think Arjun was worshipped those Sastra for saving the women and children of Yadav dinasty after demise of Lord Krishna.
With due respect आई want to say
सुदर्शन चक्र विषय में इन भाई साहब को 1% भी नहीं पता ।
सुदर्शन कोई जीवित प्राणी नहीं है
बल्कि ये मनस्तत्व से नियमित और नियंत्रित चक्र था जो मन तत्व से संचालित होता था।
इसे केवल पूर्ण जितेंद्रिय पुरुष और धर्म में अच्युत निष्पाप व्यक्ति ही चला सकता था जो आप्त पुरुषों के सदृश जीवन जीने वाला पूर्ण योगी पुरुष होता था।
इसमें ये सात्विक प्रधान ऊर्जा से चलता था। ये अपने अंदर से एक ही बार में सहस्र अग्नि बाण भी निकल सकता था जिन्हें आज हम लेजर rays भी कह सकते हैं
आज के समय में इसे मन द्वारा संचालित AI सपोर्टेड वेपन भी कह सकते हैं।
ॐ श्री सच्चिदानंद भगवान की जय 🔥
bhai south me sudarshan ji ke deities hai
Har chizz ko material world ke science se jawab dena jaruri haii kya...
Jab bhagwan material nahi to unka astra kaise material ho sakta haiu
Kripya Sahastra Bahu Arjun ki leela padhie. Narayan 🙏🏻
@@mohitagrawalviii achha shri krishna ji bhojan karte the dudh ghee khate the rath oe chalte the jis mahal mein rehte the kya vo material se nhi bana tha
Ye duniya material hai aur un param pita parmeshwar ki hi banayi hui hai
Jab parmaatma material wolrd bana sakte hain to apna ashtra material kyu nhi bana sakte
Gajbe hi prani ho bhai 😋😊😂
@@Veducation bhai ji mai apki pavitra bhavna aur bhakti dono ki respect karta hu but jo sahi hai vo sahi hai jo galat hai so galat hai
Sahastra bahu arjun ka normal itihas to pata hai mujhe but ye baki leela kya thi ye nhi pata but mai janne ki koshish karunga aur vaidic satya pramano aur siddhanto se un bato ki pareekshan bhi karunga tabhi koi cheej man sakta hu
Ho sakta hai Aap jis siddhant ko man rahe ho usme koi truti ho ,Ha lekin aapki bhavana aur uddeshya dono pavitra aur sanatan dharm ke liye hi hain isme koi sandeh nhi hai
Ved ke sidhhant param praman hain
Om vande Krishanm jagadgurum 🙏🙏
ऐसा नहीं है वो सजीव नहीं हैं पर सजीवों की तरह व्यवहार करते थे जैसे रोबोट होता है । इन्होंने गलत अर्थ समझ लिये हैं
Spiritual world mai chize alag hoti hai aisa kaha hai
अच्छा आप को कहाँ से पता चला?
@@085_RahulMishra शास्त्रों से
@@prabhatrajput2827 कौनसे शास्त्र के कौन से खंड से
@@085_RahulMishra जिस भी शास्त्र में दिव्यास्त्रों का वर्णन है
bhai agar krishna itna shakti shaali tha toh kyun bhaag gayaa dwarka bhaag gayaaa
Tameez se baat kar Bina baap ke aulad.
Mahabharat padh lee...samajh ajaega.
Dwarka doob gyi bhagwan krishna ki iccha se unki iccha se sab kch hota hain tu ya main usse nahi samjh skte
Actually aapko bhagwatam padhna cahhiye khud se thoda mehnat resarch kijiye...
Itna basic aur baccho wala question nahi puchna cahhiye...
Jarasangh ka ver sirf Krishna se tha is liye Sare mathura vasi ko DAV pe nhi dal sakte mathura ki praja ka ant ho jata uski sari vyavthae Tut jati isliye bhagwan ne mathura vasi o ko bachane k liye wha se bhage or bhagode nhi khelae uska bad Mai nam pda ranchodrai ki jay jay wese hi nahi lagi usne itne mathura vasioko dhyan Mai rakhte hue wha se bhage
बंधु, मैंने आपका शंबूक वध वाला वीडियो देखा... उस पर मेरे कुछ प्रश्न हैं। क्या आप उनका उत्तर देने की कृपा करेंगे?
नोट: मैंने वाल्मीकि रामायण को ही मौलिक और प्रमाणिक माना है। क्योंकि वो श्रीराम के काल में ही लिखी गई थी। बाकी सारी पुस्तकों/ टीकाओं में वर्णित लीलाओं में उनके लेखकों ने अपने विचार, धारणाएं भी सम्मिलित किए हैं इसलिए उन्हें प्रमाणिक नहीं माना जा सकता।
मेरे प्रश्न:-
(1) किसने कहा कि शंबूक तपस्या करके संसार को नष्ट करना चाहता था, वाल्मीकि रामायण में तो कहीं नहीं लिखा। आपने कहा कि मध्वचार्य ने अपने पुस्तक में ऐसा लिखा है, तो वह पुस्तक तो 13वीं शताब्दी के आस पास लिखी गई थी, जो ऐसा लगता है कि उस समय में शंबूक वध को उचित सिद्ध करने का प्रयास था। अगर आज मैं आपकी हत्या करके एक पुस्तक लिख दूं, कि पिछले जन्म में आप एक राक्षस थे और इस जन्म में जीवित रहते तो कुछ बड़ा अनर्थ कर सकते थे! ... तो क्या यह जायज होगा?
उल्टा लटक कर तपस्या करने से संसार का क्या अनिष्ट हो सकता है? मेरी समझ से तो उल्टा लटक के तपस्या करने से खुद के स्वास्थ्य का ही अनिष्ट हो सकता है। संसार क्या भला ख़ाक नष्ट होगा!
(2) शंबूक वध का कारण यह बताना कि उसके इरादे नेक नहीं थे। यह बिल्कुल झूठ है। शंबूक वध के पीछे का कारण था वर्ण व्यवस्था के नियमों का टूटना, जैसा की नारद मुनि राम को बताते हैं।
(3) आपने बताया कि शंबूक को राम से मिलते ही कितनी इच्छाएं पूरी हो गईं ... कितना कुछ मिला। परंतु सच्चाई ये है कि उसे कुछ भी नहीं मिला। वाल्मीकि रामायण के अनुसार शंबूक के अपने शुद्र होने का उल्लेख करते ही राम ने अपनी चमचमाती तलवार निकालकर उसकी हत्या कर दी(उत्तरकांड सर्ग 76, श्लोक-4)। राम से कुछ मिला तो वो थी अन्यायपूर्ण मृत्यु।
(4) आपने कहा की वर्ण व्यवस्था से समाज systematic ढंग से चलता है। अगर भारतीय समाज, वर्ण व्यवस्था से इतना ही systematic चल रहा था, तो 1000 सालों में हम तुर्कों, मुगलों, अंग्रेजो, पुर्तगालियों के गुलाम क्यों बने? ... ऐसा इसलिए क्योंकि जब इन आक्रमणकारियों ने हिंदुस्तान पर हमला किया तो अधिकांश जनता ने कोई विद्रोह नहीं किया। शुद्र को क्या मतलब है कि दिल्ली की राजगद्दी पर कौन बैठता है। चाहे अंग्रेज, मुगल बैठें या हिंदू राजा... उसे तो शुद्र ही होना लिखा है शास्त्रों में।सच्चाई यह है अंग्रेजों, मुगलों ने शूद्रों से ज्यादा सम्मानजनक व्यवहार किया। इसलिए तो ज्योतिबा फुले, भीमराव अंबेडकर जैसे पढ़े लिखे शुद्र भी हो सके...
(5) सच्चाई तो यह है कि हिंदुस्तान ने एक तरकीब पैदा की प्रतिस्पर्धा खत्म करने की, इसलिए उसने वर्ण व्यवस्था इजाद की। अब कहानियां बनाकर हिंदू धर्म की इस गंदगी को ढकने का प्रयास मत करिए। जाति वर्ण व्यवस्था ने भारतीय समाज में जितना गहरा घाव पैदा किया है, उतना और किसी व्यवस्था ने नहीं किया है। दुख और हैरानी की बात ये है की ये घाव किसी विदेशी अक्रमणकारियों ने नहीं, बल्कि हमारे ऋषि मुनियों, भगवानों ने दिया है।
ये कैसा विरोधाभास है कि अधर्मी रावण जिसने राम की पत्नी का अपहरण किया, उसके वध पर राम को ब्रह्महत्या का पाप लगता है। वहीं निर्दोष शंबूक के वध करने पर राम को धर्मराज, दयालु और न्यायशील होने का पुरस्कार मिलता है!!
अरे, मधवाचार्य खुद हनुमानजी के अवतार थे। बताया तो सही वीडियो में। और हनुमानजी से अच्छा श्री राम के चरित्र को और कोन जानता है।🍁
ये वर्ण होता क्या है? 🤔
आपने कभी भगवद्गीता खोल कर देखी है जीवन में? 🤔 खैर कोई बात नहीं, अंत में इस कॉमेंट के मैं लिख दे रहा हूँ :
बाकि मुझे यह समझ नहीं आता कि यदि किसी राज के राज्य में आप रह रहे हो अधिकार से परंतु उस राज्य के नियम पालन न करो, और उसके बदले दंड मिल जाए तो उसमे क्या गलत हो गया? 🤔
वैसे क्या आपको पता है यह कितने वर्षों पूर्व की बात है? 🤔
Bhagavad Gita: Chapter 4, Verse 13
चातुर्वर्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः।
तस्य कर्तारमपि मां विद्धयकर्तारमव्ययम् ॥13॥
चातुःवर्ण्यम्-वर्ण के अनुसार चार वर्ग; मया मेरे द्वारा; सृष्टम्-उत्पन्न हुए; गुण-गुण; कर्म-कर्म; विभागशः-विभाजन के अनुसार; तस्य-उसका; कर्तारम्-सृष्टा; अपि-यद्यपि; माम्-मुझको; विद्धि-जानो; अकर्तारम्-अकर्ता; अव्ययम्-अपरिवर्तनीय।
Translation
BG 4.13: मनुष्यों के गुणों और कर्मों के अनुसार मेरे द्वारा चार वर्णों की रचना की गयी है। यद्यपि मैं इस व्यवस्था का सृष्टा हूँ किन्तु तुम मुझे अकर्ता और अविनाशी मानो।
Commentary
वेदों में लोगों के वर्ण के अनुसार उन्हें चार श्रेणियों में विभक्त किया गया है। यह वर्गीकरण उनके जन्म के अनुसार न कर उनकी प्रकृति के अनुरूप किया गया है। वर्गों में यह विविध ता प्रत्येक समाज में होती है।
साम्यवादी राष्ट्रों में जहाँ समानता का सिद्धान्त प्रमुख है वहाँ भी मानव समाज में विभिन्नताओं को नकारा नहीं जा सकता। वहाँ कुछ ऐसे दार्शनिक हैं जो साम्यवादी दल के प्रमुख योजनाकार हैं। कुछ लोग सैनिक के रूप में अपने देश की रक्षा करते हैं। वहाँ किसान भी हैं जो खेती-बाड़ी करते हैं और वहाँ फैक्टरियों में कार्य करने वाले कर्मचारी भी हैं।
वैदिक दर्शन में इन श्रेणियों का और अधिक वैज्ञानिक ढंग से वर्णन किया गया है। इनमें यह वर्णन मिलता है कि प्रकृति की शक्ति द्वारा तीन गुण निर्मित होते हैं-सत्वगुण, रजोगुण और तमोगुण। ब्राह्मणों में सत्वगुण की प्रधानता होती है। वे विद्या और पूजा की ओर प्रवृत्त होते हैं। क्षत्रिय वे हैं जिनमें रजोगुण की प्रमुखता और कुछ मात्रा में सत्वगुण मिश्रित होता है। उनकी रुचि प्रशासन और प्रबंध संबंधी कार्यों में होती है। वैश्यों में रजोगुण और तमोगुण मिश्रित होते हैं। तदानुसार वे व्यावसायिक और कृषि संबंधी कार्य करते हैं। समाज में शुद्र लोग भी होते हैं। उनमें तमोगुण की प्रबलता होती हैं, इन्हें श्रमिक वर्ग कहा जाता है। इस वर्गीकरण का संबंध न तो जन्म से था और न ही यह अपरिवर्तनीय था।
श्रीकृष्ण ने इस श्लोक में स्पष्ट किया है कि इस वर्णाश्रम व्यवस्था का वर्गीकरण लोगों के गुणों और कर्मों के अनुसार था। यद्यपि भगवान संसार के सृष्टा हैं किन्तु फिर भी वे अकर्ता हैं। जैसे कि वर्षा का जल वनों में समान रूप से गिरता है किन्तु कुछ बीजों से बरगद के वृक्ष उगते हैं, कुछ बीजों से सुन्दर पुष्प खिलते हैं और कहीं पर कांटेदार झाड़ियाँ निकल आती हैं।
वर्षा बिना पक्षपात के जल प्रदान करती है और इस भिन्नता के लिए उत्तरदायी नहीं होती। इसी प्रकार से भगवान जीवात्माओं को कर्म करने के लिए शक्ति प्रदान करते हैं और वे अपनी इच्छानुसार इसका प्रयोग करने का निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं किन्तु भगवान उनके कर्मों के लिए उत्तरदायी नहीं होते।
Jai shree Krishna ji
Jay shree Krishna
Jay shree ram