nb-2024-09-22-मेरी महारानी श्रीराधा रानी//कभी म्हाँरी गली आव रे,

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  • เผยแพร่เมื่อ 21 ก.ย. 2024
  • मेरी महारानी श्रीराधा रानी |
    जाके बल मैं सबसौं तोरी लोक वेद कुल कानी |
    प्राण जीवन धन लाल बिहारी को वारि पियत नित पानी |
    भगवत रसिक सहायक सब दिन सर्वोपरि सुखदानी ||
    कभी म्हाँरी गली आव रे,
    जिया की तपन बुझाव रे, म्हाँरे मोहना प्यारे ।
    तेरे साँवले बदन पर, कई कोट काम वारे ।
    तेरा खूबी के दरस पै, नैना तरसत म्हाँरे ॥
    घायल फिरूँ तड़पति हिरणि, पीड़ जाणै नहि कोई ।
    जिस लागी पीड़ प्रेम की, जिन लाई जाने सोई ॥
    जैसे जल के सोखे, मीन क्या जिवें बिचारे ।
    कृपा कीजै दरस दीजै, 'मीरा' नन्द के दुलारे ॥
    कब मेरी सुधि करि हों श्री राधा (भानुजा)
    कोमल चित्त किशोरी प्यारी करुणा सिन्धु अगाधा ।
    अधम उधारन पतित पावनी हरन सकल भव बाधा ।
    धर्म कर्म तजि कोटि पाप किये साधन कछु न साधा ।
    टेर सुनत ऐसेहुँ पतितन की विरमत नहीं पल आधा ।
    भोरी अब सब भाँति भरोसौ, चरन कमल सो बांधा ॥
    बरसाने वारी दैजा दान, बड़ो प्यासो रसिया ॥
    गोरो मुख घूँघट में चमकै
    तेरे झुमके झूमैं कान, बड़ो प्यासो रसिया ।
    माथे बेंदी चम-चम चमकै
    लट लटकै गालन आन, बड़ो प्यासो रसिया ।
    नथवारी के मोती चमकै
    तेरे रच रहे होठन पान, बड़ो प्यासो रसिया ।
    नैनन कजरा नोंक नुकीली
    ये मारै बान कमान, बड़ो प्यासो रसिया ।
    चाल चलत लहँगा सैंकारै
    चोली की गजब उठान, बड़ो प्यासो रसिया ।
    कमर कोंधनी रुनझुन बाजै
    बिछुवा भर रहे तान, बड़ो प्यासो रसिया ।
    फहरावै फरिया और फुंदना
    लटकत लगै महान, बड़ो प्यासो रसिया ।
    रूप तेरो उड़-उड़ के खावै
    तेरी घायल करै मुसकान, बड़ो प्यासो रसिया ।
    ब्रज की सब गोरिन में तेरी
    अजब निराली शान, बड़ो प्यासो रसिया ।
    ऐसी ना चहिए मुख मोरी
    मेरी कर जोरे की मान, बड़ो प्यासो रसिया ॥ ( पे...237 ) रसिया
    मैया तेरो लाला बड़ो जुलमी ॥
    देखत में ये छोटो दीखै, बादर फारै ये जुलमी ।
    सात बरस को याय मत जानै, चूनर फारै ये जुलमी ।
    घर में घुस कें माखन गटकै, पकरत सटकै ये जुलमी ।
    जब जब जाऊँ यमुना इकली, तब तब छेड़ै ये जुलमी ।
    जब जब जाऊँ कुंज गलिन में बैंया पकरै ये जुलमी ॥
    शरण में तेरी आयो हेरी बरसाने की ॥
    जा प्रभु कौ खोजत सुर मुनि नर
    जोगी जपी तपी विद्याधर
    भटकत फिरैं प्रेमी जन दर दर
    खोज नहिं कोऊ पायौ, हे री बरसाने की ।
    ताको बाँध्यो लट-लटकन में
    कंचुकि और नीवी बन्धन में
    तिरछे नैनन की चितवन में
    भेद वेदहु नहिं पायो, हे री बरसाने की ।
    मृगमदबिन्दु भाल करि राख्यो
    चोवा करि उर चुपरि जु राख्यो
    अंजन कर नैनन में राख्यो
    श्याम जब तेई कहायौ, हे री बरसाने की ।
    यह रस हियरे में तब आवै
    भानु नन्दिनी जब ढरकावै
    नहिं तो रंचक हू नहिं पावै
    किशोरी कौ जस गायौ, हे री बरसाने की ॥ ( पे... 14 )
    िाझी खल छल छबीली, राधा श्रीवषभान दुलार ॥
    बठी सिह पौर अलबली,
    िजी धजी िब िखी िहली,
    झोरी
    फलन भरी नवली,
    आई ंक नई िी कोई, श्याम रग िकमार ।
    दख छकीं िब रूप अनोंखो,
    हाव भाव सदखरावै चोखो,
    समलव लगीं तनक नाय धोखो,
    आदर द क पाि सबठार यो, आिन िन्दर डार ।
    पछन लगीं कौन की जाई,
    कि बरिान म आई,
    मर मन को रही लुभाई,
    ऐि पछ रहीं जब प्यारी, बोली बचन िभार ।
    म हू िाझी चीतन हारी,
    नदगाव की रहव वारी,
    तमरो नाम िन्यौ म प्यारी,
    खलूगी म िग सतहार, जब तम दगी प्यार ।
    दै गलबैंया चली लासड़ली,
    मिकाई वह सचत्त चासड़ली,
    रि भीजीं भई प्रम मासड़ली,
    श ्याम िखी जब िाूँझी चीतै, दख ब्रज की नार ।
    िन्दर िी िाझी सचतवायो,
    िन्दर मीठ गीत गवायो,
    िन्दर व्यजन भोग लगायो,
    मन भाई िी करै आरती, ल क कचन थार ।
    लसलता हाव भाव पसहचान्यो,
    य तो नन्दलाल म जान्यो,
    ऐिोई िबकौ मन मान्यो,
    तारी दै दै हूँिी िखी िब, आनन्द भयौ अपार ॥

ความคิดเห็น • 3

  • @ifityou1252
    @ifityou1252 ชั่วโมงที่ผ่านมา +1

    Radhe shyama shyama shyama radhe radhe

  • @anasuyadas407
    @anasuyadas407 ชั่วโมงที่ผ่านมา

    radhey radhey❤

  • @sudhabirla8133
    @sudhabirla8133 ชั่วโมงที่ผ่านมา

    Dandwat babamaharaj Sab ko radhe radhe🙏