स्वयं में शक्ति को कैसे प्रकट करें? || आचार्य प्रशांत, दुर्गासप्तशती पर (2021)

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  • เผยแพร่เมื่อ 12 ต.ค. 2024
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    वीडियो जानकारी: 06.10.21, नवरात्रि सत्र, ऋषिकेश, उत्तराखंड
    प्रसंग:
    ~ हमारे धर्मग्रंथों में इतनी हिंसा और रक्तपात क्यों है?
    ~ नवरात्रि का क्या महत्व है?
    ~ नवरात्रि पर्व क्यों मनाया जाता है?
    ~ क्या अर्जुन के द्वारा युद्ध हिंसा थी?
    ~ क्या श्रीकृष्ण अर्जुन से हिंसा करवाते हैं?
    ~ क्या महाभारत का युद्ध ज़रूरी था?
    ~ देवी द्वारा किए गए युद्ध का व्याख्यान
    ~ देवी ने किस प्रकार युद्ध में विजय प्राप्त की?
    नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः।
    नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्म ताम्॥१॥
    रौद्रायै नमो नित्यायै गौर्यै धात्र्यै नमो नमः।
    ज्योत्स्नायै चेन्दुरुपिण्यै सुखायै सततं नमः॥२॥
    कल्याण्यै प्रणतां वृद्ध्यै सिद्ध्यै कुर्मो नमो नमः।
    नैर्ऋत्यै भूभृतां लक्ष्म्यै शर्वाण्यै ते नमो नमः॥३॥
    दुर्गायै दुर्गपारायै सारायै सर्वकारिण्यै।
    ख्यात्यै तथैव कृष्णायै धूम्रायै सततं नमः॥४॥
    अतिसौम्यातिरौद्रायै नतास्तस्यै नमो नमः।
    नमो जगत्प्रतिष्ठायै देव्यै कृत्यै नमो नमः॥५॥
    या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥६॥
    या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्‍‌यभिधीयते।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥७॥
    या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥८॥
    या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥९॥
    या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥१०॥
    या देवी सर्वभूतेषुच्छायारूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥११॥
    या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥१२॥
    या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥१३॥
    या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥१४॥
    या देवी सर्वभूतेषु जातिरूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥१५॥
    या देवी सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥१६॥
    या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥१७॥
    या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥१८॥
    या देवी सर्वभूतेषु कान्तिरूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥१९॥
    या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥२०॥
    या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥२१॥
    या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥२२॥
    या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥२३॥
    या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥२४॥
    या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥२५॥
    या देवी सर्वभूतेषु भ्रान्तिरूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्त्स्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥२६॥
    इन्द्रियाणामधिष्ठात्री भूतानां चाखिलेषु या।
    भूतेषु सततं तस्यै व्याप्तिदेव्यै नमो नमः॥२७॥
    चितिरूपेण या कृत्स्नमेतद्‌व्याप्य स्थिता जगत्।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥२८॥
    स्तुता सुरैः पूर्वमभीष्टसंश्रयात्तथा
    सुरेन्द्रेण दिनेषु सेविता।
    करोतु सा नः शुभहेतुरीश्‍वरी
    शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः॥२९॥
    या साम्प्रतं चोद्धतदैत्यतापितैरस्माभिरीशा
    च सुरैर्नमस्यते।
    या च स्मृता तत्क्षणमेव हन्ति
    नः सर्वापदो भक्तिविनम्रमूर्तिभिः॥३०॥
    संगीत: मिलिंद दाते
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