स्वामी जी आपको सादर जय भीम जय मानवता।बहुत खूबसूरत कार्यक्रम लगा।लेकिन रिकॉर्डिंग बहुत फ्रेस नहीं हुई है।स्वामी जी इस पर आप विशेष ध्यान दे।आवाज बहुत क्लियर नहीं है।जितना आवाज क्लियर होगी उतना ही बेहतरीन होगा।आपके जागरूकता कार्यक्रम के लिए आपको हार्दिक शुभकामना और प्यार।
कबीर परमात्मा माँ के गर्भ से जन्म नहीं लेते, ना ही उनकी कोई पत्नी थी। क्योंकि वे तो सबके उत्पत्तिकर्ता हैं। ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में प्रमाण है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर साहेब) ही है। कबीर, "ना मेरा जन्म ना गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया। काशीपुरी जल कमल पे डेरा तहां जुलाहे ने पाया।। मात पिता मेरे कछु नाही, ना मेरे घर दासी। जुलहे का सुत आन कहाया, जगत करे मेरे हासी।।"
⚡️कबीर परमेश्वर सशरीर प्रकट हुए ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में परमेश्वर कबीर जी तेजोमय रूप में आकर काशी के लहरतारा तालाब में बालक रूप में कमल के फूल पर प्रकट हुए, इसके प्रत्यक्ष दृष्टा ऋषि अष्टानन्द जी थे। वहाँ से नीरू नीमा
Kabir is real God
वाह वाह वाह वाह किया बात है स्वामी जी,, मजा आ गया, आपका भजन सुनकर ,,, वाह कमाल,, धन्यवाद स्वामी जी
Jay bhim Jay sanvidhan Jay vigyan Jay mandal Jay johar
Bahut sunder
👌👌👌👌👌👌
excellent
নমো বুদ্ধায় জয় ভীম💙💙💙💙💙💙💙💙💙
❤
स्वामी जी आपको सादर जय भीम जय मानवता।बहुत खूबसूरत कार्यक्रम लगा।लेकिन रिकॉर्डिंग बहुत फ्रेस नहीं हुई है।स्वामी जी इस पर आप विशेष ध्यान दे।आवाज बहुत क्लियर नहीं है।जितना आवाज क्लियर होगी उतना ही बेहतरीन होगा।आपके जागरूकता कार्यक्रम के लिए आपको हार्दिक शुभकामना और प्यार।
कबीर परमात्मा माँ के गर्भ से जन्म नहीं लेते, ना ही उनकी कोई पत्नी थी। क्योंकि वे तो सबके उत्पत्तिकर्ता हैं। ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में प्रमाण है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर साहेब) ही है।
कबीर, "ना मेरा जन्म ना गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया। काशीपुरी जल कमल पे डेरा तहां जुलाहे ने पाया।।
मात पिता मेरे कछु नाही, ना मेरे घर दासी। जुलहे का सुत आन कहाया, जगत करे मेरे हासी।।"
⚡️कबीर परमेश्वर सशरीर प्रकट हुए
ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में परमेश्वर कबीर जी तेजोमय रूप में आकर काशी के लहरतारा तालाब में बालक रूप में कमल के फूल पर प्रकट हुए, इसके प्रत्यक्ष दृष्टा ऋषि अष्टानन्द जी थे। वहाँ से नीरू नीमा