महोदय जी , संभावनाएं केवल उन्हीं को दिखती है जिसने उस विषय का अध्ययन न किया हो, और आपकी बातों से स्पष्ट है कि न तो आपको ज्योतिष के आधे ज् का ज्ञान है एवम् ज्योतिष के जिस ग्रंथ से आचार्य जी के द्वारा यह कहा गया आप कभी उसका अध्ययन अपने गुरु चरणों की शरण में रहकर करें तो आपकी संभावना भी प्रामाणिकता में परिवर्तित हो जायेगी ।
आदरणीय कवि कुल गुरु महानुभाव आपकी संभावनाओं को प्रामाणिकता में परिवर्तित करने के लिए हम क्या करे ? पहले आप इसका मार्गदर्शन करे । अतः आप जिस बात में संभावना नजर आ थी है वह ज्योतिष शास्त्र की है जो वेद के छह अंगों में से एक है जिसको "ज्योतिषामयनम चक्षुः" नेत्र कहा गया है । एवम् हमारे ऋषियों ने कही त्रुटि कर दी हो आपसे निवेदन है आप उस त्रुटि का अवश्य सुधार करे।।
अप्रत्यक्षाणि शास्त्राणि विवादस्तेषु केवलं। प्रत्यक्षं ज्योतिषं शास्त्रं चन्द्रार्कौ यत्र सक्षिणौ।। भावार्थ लिखने की जरूरत नहीं हैं क्योंकि अमित चौबे अनमोल जी अच्छे विद्वान हैं उनके लिए ये सब छोटी बात है । छोटी बात इसलिए हैं कि ज्योतिष में पाराशर सिद्धांत के बृहद अवकहड़ा चक्र को प्रमाणिक नहीं मानते संभावना मात्र समझते हैं । धन्य है ऐसे विप्र 🙏 कोई भी विषय को तब बोलना चहिए या लिखना चहिए जब उसकी पर्याप्त जानकारी हों अन्यथा उसका अध्ययन करें न कि शोषण ।। जय श्री राम 🙏
बहुत सुंदर आचार्य जी
सीता राम गुरु जी ❤
जय श्री राम❤❤
जय माता दी
Jai Mata Ki. Kaise milegi ye bhi bataiye
इन बातों में प्रमाणिकता के स्थान पर संभावना ही नजर आती हैं...
महोदय जी , संभावनाएं केवल उन्हीं को दिखती है जिसने उस विषय का अध्ययन न किया हो,
और आपकी बातों से स्पष्ट है कि न तो आपको ज्योतिष के आधे ज् का ज्ञान है एवम् ज्योतिष के जिस ग्रंथ से आचार्य जी के द्वारा यह कहा गया आप कभी उसका अध्ययन अपने गुरु चरणों की शरण में रहकर करें तो आपकी संभावना भी प्रामाणिकता में परिवर्तित हो जायेगी ।
और जिस प्रकार आपने यह प्रमाणिकता लिखा है वह प्रामाणिकता होता है । जैसे सामाजिकता (समाजिकता नहीं)
आदरणीय कवि कुल गुरु महानुभाव आपकी संभावनाओं को प्रामाणिकता में परिवर्तित करने के लिए हम क्या करे ? पहले आप इसका मार्गदर्शन करे ।
अतः आप जिस बात में संभावना नजर आ थी है वह ज्योतिष शास्त्र की है जो वेद के छह अंगों में से एक है जिसको "ज्योतिषामयनम चक्षुः" नेत्र कहा गया है ।
एवम् हमारे ऋषियों ने कही त्रुटि कर दी हो आपसे निवेदन है आप उस त्रुटि का अवश्य सुधार करे।।
अमित जी जिस विषय में जानकारी ना हो उस विषय में बोलना उचित नहीं है पहले ज्योतिष का अध्ययन कीजिए
अप्रत्यक्षाणि शास्त्राणि विवादस्तेषु केवलं।
प्रत्यक्षं ज्योतिषं शास्त्रं चन्द्रार्कौ यत्र सक्षिणौ।।
भावार्थ लिखने की जरूरत नहीं हैं क्योंकि अमित चौबे अनमोल जी अच्छे विद्वान हैं उनके लिए ये सब छोटी बात है । छोटी बात इसलिए हैं कि ज्योतिष में पाराशर सिद्धांत के बृहद अवकहड़ा चक्र को प्रमाणिक नहीं मानते संभावना मात्र समझते हैं । धन्य है ऐसे विप्र 🙏
कोई भी विषय को तब बोलना चहिए या लिखना चहिए जब उसकी पर्याप्त जानकारी हों अन्यथा उसका अध्ययन करें न कि शोषण ।। जय श्री राम 🙏