मयखाने में बैठे हैं और मय को तरसते हैं माहौल है फूलों का पत्थर से बरसते हैं। दीवानों की नगरी में हुशयार भी बसते हैं रखते हैं ताल्लुक भी आवाज भी कसते हैं। तुम अंजुमन-आरा हो तुम जानो तो क्या जानो नागों की तरह लम्हें तन्हाई में डसते हैं। हम अहले ज़ुनूं ठहरे ,ए मौज हमारी तो कुछ और ही मंजिल है कुछ और ही रस्ते हैं।
face is not reality but wishes is so much Asking lie but truth scratching Bad attitude to own power چہرہ حقیقت نہیں ہے لیکن خواہشات بہت زیادہ ہیں جھوٹ پوچھنا لیکن سچ کھرچنا طاقت کا اپنا برا سلوک
मयखाने में बैठे हे और मैं को तरसते है . मयखाने में बैठे है और मैं को तरसते हैं माहौल है फूलों का पत्थर से बरसते हैं . मयखाने में बैठे हैं और मैं को तरसते हैं दीवानों की नगरी में कुछ यार भी बसते हैं रहते हैं ताल्लुक भी और आवाज भी बसते हैं माहौल है फूलों का पत्थर से बरसते हैं मयखाने में बैठे हैं और मैं को तरसते है तुम अंजुमन-आरा हो तुम जानो तो क्या जानो नागों की तरह लम्हे तन्हाई में डसते हैं माहौल है फूलों का पत्थर से बरसते मयखाने में बैठै है और मैं को तरसते
हम अहल-ए-ज़ुनू ठहरे ,है मोज हमारी तो कुछ और ही मंजिल है, कुछ और ही रस्ते हैं माहौल है फूलों का पत्थर से बरसते हैं मयखाने में बैठे हैं और मैं को तरसते हैं
पाहिले आंतरमे दुसरी पंक्ती का गालात लिखा गया है. साहि तो वो " कुश यार भी बसते है..." ऐसा है. ख़ुशीयां नही. तभी आगळी 4 पंक्ती match होती है कि "रखते है ताललूक भी, आवाज भी कषते है "
वाह उस्ताद वाह, जबरदस्त आवाज़, लाजवाब अदायगी , बेहतरीन कॉम्बिनेशन दोनों उस्ताद भाइयों का, संगीत के नायाब हीरे।
Lv you
मयखाने में बैठे हैं और मय को तरसते हैं
माहौल है फूलों का पत्थर से बरसते हैं।
दीवानों की नगरी में हुशयार भी बसते हैं
रखते हैं ताल्लुक भी आवाज भी कसते हैं।
तुम अंजुमन-आरा हो तुम जानो तो क्या जानो
नागों की तरह लम्हें तन्हाई में डसते हैं।
हम अहले ज़ुनूं ठहरे ,ए मौज हमारी तो
कुछ और ही मंजिल है कुछ और ही रस्ते हैं।
Beautiful Ghazal by Hussain brothers in Raga Darbari! wah, wah! kya kahne! Uf, the tabla Nawaz is superb as well!!
हम अहले-जुनूं ठहरे , है मौज हमारी तो , कुछ और ही मंज़िल है , कुछ और ही रस्ते हैं ।
Waah bss waah
Wah Kya baat hai ustad .my all time favorite gazal singer
Waaah Ustaad ji pahli hi line mein dil le liya aapne kamall Ghazal Gayki aap dono ki
ग्रेट my ustad
My all time favorite ghazal. Who ever is the tabla guy is just awesome!
Tum anjuman aara ho ..tom jano to kya jano..nago ki tarah lamhe tanhai ke dasate hai...vaah vaah vaah vaaah
very sweet gazal of Husain brothers from rahat in 1987
lovely romantic evergreen song well done
Superb singing style of both the brothers with no comparison.
Waah ustaad ji waah, listening these great singers for 25 years, Great ghazals n great singers of all time
Awsome Composition
Soulful Rendering
Blissful Listnening
Experience to cherish Always
Wah Kya baat hai
Great ghazal !!!👍
No words only feel
face is not reality but wishes is so much
Asking lie but truth scratching
Bad attitude to own power
چہرہ حقیقت نہیں ہے لیکن خواہشات بہت زیادہ ہیں
جھوٹ پوچھنا لیکن سچ کھرچنا
طاقت کا اپنا برا سلوک
मयखाने में बैठे हैं , और मय को तरसते हैं ।
माहौल है फूलों का , पत्थर से बरसते हैं ।
दीवानों की नगरी में, हुशियार भी बसते हैं ।
रखते हैं ताल्लुक भी , आवाज़ भी कसते हैं ।
Good gazal, music and voice.
My favorite gazal singer .I like them voice forever.
Ye gazal bhoth pyari h
Behtareen kamal ki gayaki
Supremes...🌸🌸🌸
Some Music is just Immortal
Nice song lyrics mention
Soulful voice..
ustad ...wah ustad..
Mast and jab souno tab new
So nice lines ....🥰
Hussain brothers at his best thanx youtube❤
Nice song
So immortal lines sung by hussain brothers..........
Good
Nice
Owsm ❤ Soulful ❤ words
2023 me aa jao 🥺🥺
Mahol always
Greatest ghazal singer
Super hit Ghazal
ok nice song
दिवानोकी नागरी मे खुश यार भी बडते है. (दिलोंजान से चहाने वाले )
Kya baat haiwastad
👍
क्या यह राग दरबारी में है
nice
THE ETERNAL RENDITIONS
मयखाने में बैठे हे और मैं को तरसते है
. मयखाने में बैठे है और मैं को तरसते हैं
माहौल है फूलों का पत्थर से बरसते हैं
. मयखाने में बैठे हैं और मैं को तरसते हैं
दीवानों की नगरी में कुछ यार भी बसते हैं
रहते हैं ताल्लुक भी और आवाज भी बसते हैं
माहौल है फूलों का पत्थर से बरसते हैं
मयखाने में बैठे हैं और मैं को तरसते है
तुम अंजुमन-आरा हो तुम जानो तो क्या जानो
नागों की तरह लम्हे तन्हाई में डसते हैं
माहौल है फूलों का पत्थर से बरसते
मयखाने में बैठै है और मैं को तरसते
हम अहल-ए-ज़ुनू ठहरे ,है मोज हमारी तो
कुछ और ही मंजिल है, कुछ और ही रस्ते हैं
माहौल है फूलों का पत्थर से बरसते हैं
मयखाने में बैठे हैं और मैं को तरसते हैं
Jabardast gayiki
राग दरबारी
❤❤❤❤
Manoj kumar son is where tum kaha se aye uski aawaj v good hai ise jagah mehil mat karna hium ese hi hai
मैं ka मतलब क्याहै
पाहिले आंतरमे दुसरी पंक्ती का गालात लिखा गया है. साहि तो वो " कुश यार भी बसते है..." ऐसा है. ख़ुशीयां नही. तभी आगळी 4 पंक्ती match होती है कि "रखते है ताललूक भी, आवाज भी कषते है "
Good