What is Ida, Pingla & Sushumna Naadi ? इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ी क्या है ? Secret of Naadis
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- เผยแพร่เมื่อ 8 มิ.ย. 2020
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14.Subtle nerves
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तो दोस्तों सबसे पहले यह समझ ले कि हमारे पास एक शरीर है और शरीर में प्राण भी है, यहां प्राण को हम आत्मा समझ सकते हैं या योग विज्ञान में इसे सूक्ष्म और कारण शरीर के नाम से भी विभाजित किया जाता है। लेकिन दोस्तों यहां प्रश्न यह उठता है कि हमारे स्थूल शरीर को तो आत्मा चला रही है, लेकिन हमारी आत्मा या सूक्ष्म शरीर को कौन चला रहा है ? हम जो भोजन करते हैं उससे हमारे स्थूल शरीर यानी physical body का भरण पोषण होता है, हमारे स्थूल शरीर को ऊर्जा मिलती है, लेकिन हमारी आत्मा यह सूक्ष्म शरीर का भोजन क्या है उसे ऊर्जा कहां से प्राप्त होती है ? उसका भोजन क्या है
दोस्तों इसी प्रश्न का उत्तर है यह तीन नाड़ीयां यानी इडा पिंगला और सुषुम्ना। दोस्तों जैसे हमारे स्थूल शरीर में हजारों नाड़ियां या नर्वस हैं, जिन में रक्त का प्रवाह होता रहता है। उसी प्रकार हमारे सूक्ष्म शरीर में भी 72000 नाड़ियां हैं जिनमें प्राण ऊर्जा या cosmic energy यानि ब्राहमणडीय ऊर्जा प्रवाहित होती है। इन 72000 नाडियों में 10 प्रमुख नाड़ीयां होती हैं और उन 10 प्रमुख नड़ीयों में से भी तीन प्रमुख नाड़ीयां होती है ~ इन्हीं तीन नाड़ियां को इडा पिंगला और सुषुम्ना कहा जाता है। यही वो तीन नारियां हैं जिसके माध्यम से हमारा सूक्ष्म शरीर इस ब्रह्मांड से प्राण ऊर्जा अवशोषित या से अवशोषित या ग्रहण करता है और उसे फिर पूरे सूक्ष्म शरीर में प्रवाहित करता है. ये तीनों नाड़ीयां हमारे मेरुदंड यानी स्पाइन के क्षेत्र में अवस्थित होते हैं।
अगर साइंस की भाषा में बात करूं तो आप इन तीन नाड़ियों को पॉजिटिव नेगेटिव और न्यूट्रल की कैटेगरी में रख सकते हो. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो एक गरम दूसरा ठंडा और तीसरा समान यानी संतुलित स्थिति में हैं, या एक में पुरुष तत्व की प्रधानता, दूसरे में नारी तत्व की प्रधानता और तीसरे में दोनों ही गुणों का समावेश होता है। भगवान शिव अर्धनारीश्वर का स्वरूप इसी का प्रतीक है।
अब बात करते हैं इन नाड़ीयों की -
ईड़ा हमारे मेरु दंड के दांईं तरफ प्रवाहित होती है, इसमें ऋणात्मक ऊर्जा, यानी negetive energy प्रवाह करती है। इसे चन्द्रनाड़ी भी कहा जाता है। इसकी प्रकृति शीतल, विश्रामदायक और चित्त को अंतर्मुखी यानी इंट्रोवर्ट करनेवाली मानी जाती है। इसे स्त्री या नारी के गुणों वाला भी माना जाता है।
पिंगला मेरुदंड के बाईं ओर प्रवाहित होती है।, इसमें धनात्मक ऊर्जा यानी पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है। इसको सूर्यनाड़ी भी कहा जाता है क्योंकि गर्म ऊर्जा यानी यह शरीर में जोश, श्रमशक्ति का वहन करती है और चेतना को बहिर्मुखी यानी extrovert बनाती है, अतः इसे पुरुष के गुणों वाला माना जाता है।
अब दोस्तों मैं तीसरे नाड़ी यानी सुषुम्ना की बात करूं उससे पहले यह बता दूं कि अधिकतर आम इंसानों की यही दोनों नाड़ीयां ज्यादा सक्रिय होती हैं। उसमें या तो पुरुष तत्व की प्रधानता होती है या स्त्री तत्व की।
पुरुष तत्व और स्त्रियो तत्व का मतलब यहाँ लिंग भेद से - या फिर शारीरिक रूप से पुरुष या स्त्री होने से - नहीं है, बल्कि प्रकृति में मौजूद कुछ खास गुणों से है। प्रकृति के कुछ गुणों को पुरुषतत्व का माना गया है और कुछ अन्य गुणों को स्त्री तत्व का । आप भले ही पुरुष हों, लेकिन यदि आपकी इड़ा नाड़ी या चंद्र नाड़ी अधिक सक्रिय है, तो आपके अंदर स्त्री-प्रकृति यानि स्त्रियों के कुछ गुण हावी हो सकते हैं। इसी प्रकार आप भले ही स्त्री हों, मगर यदि आपकी पिंगला या सूर्य नाड़ी अधिक सक्रिय है, तो आपमें पुरुष-प्रकृति यानि पुरुषो वाले कुछ गुण हावी हो सकते हैं।
अब बात करते हैं इन दोनों नाड़ीयों के बीच प्रवाह करने वाली सुषुम्ना नाड़ी की। इसका स्थान मेरुदंड के मध्य में यानी इडा और पिंगला के बीच है।
सुषुम्ना नाड़ियों में सबसे मुख्य है। यह नाड़ी मुख्यतः आम इंसानों की सोई रहती है। अधिकतर लोग इड़ा और पिंगला में जीते और मरते हैं और मध्य स्थान सुषुम्ना निष्क्रिय बना रहता है। परन्तु सुषुम्ना मानव शरीर-विज्ञान का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। जब ऊर्जा सुषुम्ना नाड़ी में प्रवेश करती है, असल में तभी से यौगिक जीवन शुरूआत होता है
दोस्तों इस अवस्था में इंसान न दुख में अधिक दुखी होता है, न सुख में बहुत सुखी, बल्कि उसके भीतर अव्यक्त आनंद का झरना बहता रहता है, और वह बाहरी परिस्थितियों से बिल्कुल प्रभावित नहीं होता। यह ऊर्जा न नेगेटिव होती है, न ही पोसिटिव, बल्कि न्यूट्रल होती है। ईसमें न स्त्री तत्व की प्रधानता होती है, न ही पुरुस तत्व की , बल्कि एक समानता होती है, एक बैलेंस होता है। आप चेतनता की चोटी पर सिर्फ तभी पहुंच सकते हैं, जब आप अपने अंदर यह स्थिर अवस्था, यह बैलेंस बना लें।
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Thanks bhai
Ptem pranam ji
ॐ
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Thanks bhai.. please subscribe...
Waheguru sahib jio.
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Nadisuddhi pranayam ke bari Mayy details vedio banaya sir
I subscribe it earlier when i join ur channel
Oh. Okay bhai. Thanks
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पहली बार मुझे लगा कि मैं कुछ सच सुन रहा हूं ।
आगे भी जुड़े रहे भी आपको अच्छी जानकारी मिलेगी। चैनल subscribe कर ले।
I think our body is science.
Sir if you read comments please tell me that ..... Meri Chandra Nadi chal rahi hai do din se..... Change hi Nahi ho rahi. Maine bhojan bhi thoda hi kiya . Kuchh Prakash daliye sir, Nadi pravah change kyon Nahi ho Raha?
Aisa kbhi kbhi hota hai.. ghabrane wali koi baat nhi hai.... It could be related to your monthly cycle...
Aap ye try kr k dekho -
1. Cover the left nostril and start breathing using the right nostril,
2. Sleep on the left side of the body
3. You can also try alternate nostril breathing... Do this three minutes atleast..
Sir kya hame hamesha aapni shushumna nadi ko hi activate rakhna chahiye kya??
Which is best surya, chandra Or shushumna???
नही भाई, सुषुम्ना नाड़ी हमेशा खुली रखना आम इंसान के लिए पॉसिबल ही नहीं है... यह केवल सिद्ध योगियों का ही हो सकता है।
@@VimalVani sushumna naadi ke fayde kya hai wese
@@VimalVani kriya mai yahi kiya jata hai kya , Autobiography of a Yogi
Vimal pan masala
Kya tumha vimal ka matalab bhi pata hai 🤣🖕
Bolo zubaan kesri .