विशिष्ट बालक - बालिका।। Exceptional Children।।PSYCHOLOGY FOR REET, 2nd Grade, 1st Grade

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  • เผยแพร่เมื่อ 10 ก.พ. 2025
  • विशिष्ट बालक - बालिका (Exceptional Children)
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    विशिष्ट बालक का अर्थ, परिभाषा एवं विशिष्ट बालक के प्रकार
    प्रत्येक समाज में कुछ ऐसे बालक होते हैं , जो सामान्य बालकों की अपेक्षा श्रेष्ठ या हीन होते हैं । आनुवंशिकता तथा वातावरण में भिन्नता के कारण इन बालकों के शारीरिक , मानसिक और अन्य गुणों में भिन्नता पाई जाती है।
    विशिष्ट बालक का अर्थ
    विशिष्ट बालक की परिभाषा
    विशिष्ट बालकों के प्रकार
    विशिष्ट एवं सामान्य बालक में अन्तर
    समूह के अधिकांश बालकों के गुण समूह प्रतिमान के अनुरूप होते हैं, ऐसे बालकों को सामान्य बालक कहते हैं तथा जिन बालकों में समूह प्रतिमानों की अपेक्षा कम या अधिक गुण पाये जाते हैं उन्हें विशिष्ट बालक कहते हैं ।
    विशिष्ट बालकों में अपनी विलक्षणताओं या विशेषताओं के कारण समायोजन करने में अनेक प्रकार की कठिनाइयाँ उत्पन्न होती हैं । जिससे इनके पालन - पोषण और शिक्षा में विशेष ध्यान की आवश्यकता होती है।
    विशिष्ट बालक का अर्थ
    मनौवैज्ञानिकों के अनुसार विशिष्ट बालकों में सोचने , समझने , सीखने , समायोजन करने आदि की योग्यतायें सामान्य बालकों से अलग पाई जाती हैं। विशिष्ट बालकों में किसी कार्य को सामान्य बालकों की अपेक्षा ज्यादा तेजी से बहुत देर से करते हैं ।
    विशिष्ट बालकों के उनकी विशिष्टता के अनुरूप निम्नलिखित समुहों में वर्गीकृत किया जाता है। जैसे - बौद्धिक रूप से विशिष्ट बालक, शारीरिक दृष्टि से विशिष्ट बालक, सामाजिक दृष्टि से विशिष्ट बालक आदि ।
    भौतिक , सामाजिक , बौद्धिक , शैक्षिक आदि परिस्थतियों में सामान्य बालकों से अलग होने के कारण विशिष्ट बालकों को विशिष्ट प्रकार की शैक्षिक , मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक व्यवस्थाओं की आवश्यकता होती है ।
    विशिष्ट विद्यार्थियों में पिछड़े बालक , मानसिक रूप से पिछड़े बालक , बाल अपराधी , प्रतिभावान बालक आदि शामिल हैं ।
    विशिष्ट बालक की परिभाषा
    विभिन्न विद्वानों ने विशिष्ट बालकों की परिभाषा दी है जिनमें से कुछ परिभाषाएँ यहाँ दी जा रही हैं -
    डन के अनुसार विशिष्ट बालक की परिभाषा
    डन के अनुसार विशिष्ट बालक वह है , जो बौद्धिक , शारीरिक सामाजिक अथवा मनोवैज्ञानिक विशेषताओं में इतना भिन्न है कि बहुसंख्यक बालकों के विकास के लिए बनाई गई कार्य प्रणाली उनको सर्वांगीण विकास के अवसर उपलब्ध नहीं करा पाती है, और ऐसे बालकों के लिए उनकी योग्यताओं के अनुरूप उपलब्धि प्राप्त कर सकने के लिये वे विशेष शिक्षण अथवा कुछ स्थितियों में विशेष सहायक सेवायें अथवा दोनों की आवश्यकता होती है ।
    हेक के अनुसार विशिष्ट बालक की परिभाषा
    हेक के अनुसार विशिष्ट बालक वह है , जो किसी एक अथवा कई गुणों की दृष्टि से सामान्य बालक से पर्याप्त मात्रा में भिन्न होता है ।
    कुक शैंक के अनुसार विशिष्ट बालक की परिभाषा
    कुक शैंक के अनुसार विशिष्ट बालक वह है जो बौद्धिक , शारीरिक , सामाजिक अथवा संवेगात्मक दृष्टि से सामान्य समझी जाने वाली बुद्धि तथा विकास से इतना भिन्न है कि वह नियमित विद्यालय कार्यक्रम से पूर्ण लाभ नहीं उठा सकता है तथा विशिष्ट कक्षा अथवा पूरक शिक्षण व सेवा चाहता है ।
    क्रिक के अनुसार विशिष्ट बालक की परिभाषा
    क्रिक के अनुसार विशिष्ट बालक वह है जो सामान्य अथवा औसत बालक से मानसिक , शारीरिक तथा सामाजिक विशेषताओं से इतना अधिक भिन्न है कि वह विद्यालय व्यवस्थाओं में संशोधन अथवा विशेष सेवायें चाहता है जिससे वह अपनी अधिकतम क्षमता का विकास कर सके।
    हैरी बाकर के अनुसार विशिष्ट बालक की परिभाषा
    हैरी बाकर के अनुसार असाधारण / विशिष्ट बालक वे हैं - जो शारीरिक , मानसिक , संवेगात्मक और सामाजिक दृष्टि से सामान्य गुणों से इस सीमा तक विचलित होते हैं कि उन्हें अपनी अधिकतम क्षमता के अनुसार स्वयं का विकास करने के लिए विशिष्ट शिक्षा की आवश्यकता पड़ती है ।
    टैलफोर्ड एवं सावर विशिष्ट बालक की परिभाषा
    टैलफोर्ड एवं सावर के अनुसार विशिष्ट बालकों से तात्पर्य उन बालकों से है जो सामान्य बालकों से शारीरिक , मानसिक , संवेगात्मक अथवा सामाजिक लक्षणों में इतने अधिक भिन्न होते हैं कि उनकी योग्यताओं के अनुसार उनके अधिकतम विकास के लिए विशेष सामाजिक एवं शैक्षिक सेवाओं की आवश्यकता होती है ।
    विशिष्ट बालकों के प्रकार
    बालकों के व्यक्तित्व के शारीरिक , मानसिक , संवेगात्मक एवं सामाजिक पक्षों के आधार पर विशिष्ट बालकों को निम्नलिखित चार प्रकार में वर्गीकरण किया गया है -
    1. शारीरिक रूप से विशिष्ट बालक
    शिक्षा की दृष्टि से शारीरिक रूप से विशिष्ट बालकों में शारीरिक रूप से विकलांग बालक आते हैं । समायोजन एवं शिक्षा की दृष्टि से इन बालकों की विशेष व्यवस्था करना आवश्यक होता है ।
    2. मानसिक रूप से विशिष्ट बालक
    इस वर्ग में प्रतिभाशाली , बुद्धिमान , पिछड़े अथवा धीमी गति से सीखने वाले और मन्द बुद्धि बालक आते हैं ।
    3. संवेगात्मक रूप से विशिष्ट बालक
    इस वर्ग में अस्थिर , शर्मीले , चिन्ताग्रस्त और क्रोधी बालक आते हैं ।
    4. सामाजिक रूप से विशिष्ट बालक
    इस वर्ग में मुख्य रूप से चोरी करने वाले , झूठ बोलने वाले , मादक द्रव्यों का सेवन करने वाले बालक , अपराधी बालक , वंचित बालक आदि आते हैं ।
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