*"कर्म प्रधान विश्व रचि राखा"* और *"होइहि सोइ जो राम रचि राखा"* दोनो सिधांतों में कोई अंतर नहीं है ! पूर्व जन्मों में किए हुए कर्मों के अनुसार भगवान ने जो हमारे इस जन्म में (सुख दुख भोगाने हेतु) घटनाऐं रच दी हैं उन्हें कोई नहीं रोक सकता, क्योंकि प्रारब्ध का भोग अटल और अवश्यम्भावी है। इस लिए जो तय है वह *"होइहि सोइ जो राम रचि राखा"* है ! केवल भगवान और उनके अनन्य भक्त ही मन की मोज आए तो उसे बदल दें । क्योंकि भगवान के लिए कुछ भी असंभव नहीं है ! श्री व्यासजी शोक ग्रस्त अर्जुन से कहते हैं- *"कुन्तीकुमार ! वे समस्त यदुवंशी देवताओं के अंश थे । वे देवाधिदेव श्रीकृष्ण के साथ ही यहाँ आये थे और साथ ही चले गये । उनके रहने से धर्म की मर्यादा के भंग होने का डर था; अत: भगवान श्रीकृष्ण ने धर्म-व्यवस्था की रक्षा के लिये उन मरते हुए यादवों की उपेक्षा कर दी ।कुरूश्रेष्ठ ! वृष्णि और अन्धकवंश के महारथी ब्राह्मणों के शाप से दग्ध होकर नष्ट हुए हैं; अत: तुम उनके लिये शोक न करों । उन महामनस्वी वीरों की भवितव्यता ही ऐसी थी । उनका प्रारब्ध ही वैसा बन गया था । यद्यपि भगवान श्रीकृष्ण उनके संकट को टाल सकते थे तथापि उन्होंने इसकी उपेक्षा कर दी । श्रीकृष्ण तो सम्पूर्ण चराचर प्राणियोंसहित तीनों लोकों की गति को पलट सकते हैं, फिर उन महामनस्वी वीरों को प्राप्त हुए शाप को पलट देना उनके लिये कौन बड़ी बात थी ।"* (मौसल पर्व: अष्टम अध्याय: श्लोक 20-27) हमारे कर्मों के अनुसार जो कुछ राम ने रच रखा है, वह होगा ही । जो करके आये हो वह तो भुगतना ही पडेगा क्योंकि *"जो जस करइ सो तस फल चाखा"।* इसका यह अर्थ नहीं की प्रारब्ध पर ही निर्भर रहकर कुछ किया ही ना जाए। बलकि आगे आने वाली समस्या से लडने के लिए बल को इकट्ठा किया जाय, पुरूषार्थ किया जाए क्योंकि *"कर्म प्रधान विश्व रचि राखा"।* भीषम पितामाह महाभारत के शांति पर्व में युधिष्टर से कहते हैं *"बेटा युधिष्ठिर! तुम सदा पुरूषार्थ के लिये प्रयत्नशील रहना। पुरूषार्थ के बिना केवल प्रारब्ध तुम्हारा प्रयोजन नहीं सिद्ध कर सकता। यद्यपि कार्य की सिद्धी में प्रारब्ध और पुरूषार्थ - ये दोनों साधारण कारण माने गये है, तथापि मैं पुरूषार्थ को ही प्रधान मानता हूँ। प्रारब्ध तो पहले से ही निश्चित बताया गया है। अतः यदि आरम्भ किया हुआ कार्य पूरा न हो सके अथवा उसमें बाधा पड जाय तो इसके लिये तुम्हें अपने मन में दुःख नहीं मानना चाहिये। तुम सदा अपने आपको पुरूषार्थ में ही लगाये रखो।"* (शान्ति पर्व, अध्याय 56) *"देवराज इन्द्र ने उद्योग (प्रयास) से ही अमृत प्राप्त किया, उद्योग से ही असुरों का संहार किया तथा उद्योग से ही देवलोक और इहलोक में श्रेष्ठता प्राप्त की। जो उद्योग में वीर है, वह पुरूष केवल वाग्वीर (खाली बातें बनानेवाला) पुरूषों पर अपना आधिपत्य जमा लेता है।"* (शान्ति पर्व, अध्याय 58) जो भक्त प्रारब्ध पर निर्भर रहते हैं वे भी भजन-ध्यानादि, परमार्थ- साधन तो करते ही हैं। अत: प्रारब्ध पर निर्भर रहने वालों को भी अपना कर्तव्य कर्म करते रहना चाहिए। हम जैसे मनुष्य बहुत ही सीमित सामर्थ्य और ज्ञान वाले हैं। आज के समय में प्रत्येक मनुष्य इस बात को एक दिन में अनेको बार दोहराता है *"होइहि सोइ जो राम रचि राखा"* । उसकी मान्यता अनुसार तो इस संसार में कोई भी घटना अथवा दुर्घटना भगवान ने पहले से ही तय कर दी है जबकी एसा नहीं है । सब कुछ प्रारब्ध नहीं होता । हाँ हमारे जीवन का कुछ हिस्सा प्रारब्ध से जुड़ा अवशय होता है । मगर हम यह पता नहीं लगा सकते कि कोन सी घटना प्रारब्ध से जुड़ी हुई है और कोनसी नहीं (एक होनी होती है, और एक अनहोनी)। इस लिए हमें सदा पुरूषार्थी ही होना चाहिए ! और प्रारब्ध भी तो हमारे पूर्व जन्मों में किए हुए कर्मों से ही बना है । क्योंकि *"कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, जो जस करइ सो तस फल चाखा"* । पुरषार्थ करने के बाद कार्य पूर्ण न होने पर इसे राम जी की इच्छा अथवा "होनी" का नाम दे देना परमातमा की शरण लेना ही है।
Words have their limitation to describe the God. Keeping quiet and diving deep inside the innerself and searching the God leads the realisation of the God. Very nicely explained through the story of Srimad Bhagwat. Radhey Radhey Swamiji. 🙏
God is the abode of many opposing religions, and all this is the wonder of Yogmaya Shakti which always remains with God. God can be attained only by the grace of God, He is not achievable by any of our means. Very important points from our Pujya Swamiji, Radhe Radhe.
God has Yog maya Shakti. With this energy He can do all contradictory things. They are His Leelas. Instead of reasoning God’s action we should enjoy His leelas with faith and enjoy the bliss.
भगवान् कहो ईश्वर कहो दयानिधि कहो या परमात्मा कहो तो वास्तव मे जो भी हो अपनी शक्ति से सभी कर्म करना नियत करता है जल, थल,अग्नि, आकाश, पवन पर केवल उसकी सत्ता प्रभु इच्छा के हिल न सके एक पत्ता🎉🎉🎉🎉🎉
राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण
Jay shree radhe jay shree radhe jay shree radhe jay shree radhe jay shree radhe jay shree radhe jay shree radhe jay shree radhe jay shree radhe jay shree radhe
Yogmaya ko samajana inshan ke liye mumkin nahi hai yogmaya ke dwara hi ishwar ki taraf jaaya jasakta hai yogmaya hi excellent sadhan hai aap ka sadhuvad karte hai sir ji ❤
Bhgvan ko hum bhgvan ki kripa se prapt ker shakte hai or nishkam prem se hi prapt ker shakte hai yogmaya ki shakti ko hum apni buddhi se nahi samajh shakte bhgvan apni yogmaya se asambhav ko sambhav ker Shakti hai
मनुष्य को कर्म का फल क्यों भोगना पड़ता है - th-cam.com/video/JGQYtqaKTDg/w-d-xo.html
😊😊😊😊😊😊😊1Q
jai shree shyam baba
Radhe radhe
Jai ho parvhu ✨🤗🥥🥥🥭🥭🙏🙏🙇🙇🤗🤗♥️♥️🥀🥀🚩🚩🚩🚩🚩
*ये दुनिया धोखे मे है अथवा दुनिया मे मनुष्य धोखे मे है*
*धन्यवाद*
Dhokha kaise dur ho
परम पुज्य महात्मा के श्री चरणो मे कोटी कोटी प्रणाम🙏🙏
जय जय सियाराम मेरे प्यारे प्यारे गुरुवर मेरे परम सहज कृपालु जी महाराज
👌🏿👍जयश्रीकृष्ण राधे राधे
Hum karm karte hein or karm karne ki SHAKTI BHAGBAN deti hey....RADHEY RADHEY RADHEY RADHEY
Koti koti naman Maharaj
Sachchidanand Ghan bhagwan Shree krishna .
Saheb bandagi saheb bandagi saheb bandagi 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Radhe radhe 🙏
Jai, Shri krashna Jai radhe radhe guruji ji ko koti koti pranam
Radhe Radhe........
love u God. Radhey Radhey
सादर प्रणाम
हरे कृष्ण हरे कृष्ण राधा राधा
गुरु जी को प्रणाम राधे राधे 🙏 आत्मा ही परमात्मा है
Jay Sri Krushn... Swamiji premaadar sah pranaam...🌺🌺💞🙏🏻
ॐ गुरुभ्यो नमः।।
*"कर्म प्रधान विश्व रचि राखा"* और *"होइहि सोइ जो राम रचि राखा"* दोनो सिधांतों में कोई अंतर नहीं है !
पूर्व जन्मों में किए हुए कर्मों के अनुसार भगवान ने जो हमारे इस जन्म में (सुख दुख भोगाने हेतु) घटनाऐं रच दी हैं उन्हें कोई नहीं रोक सकता, क्योंकि प्रारब्ध का भोग अटल और अवश्यम्भावी है। इस लिए जो तय है वह *"होइहि सोइ जो राम रचि राखा"* है ! केवल भगवान और उनके अनन्य भक्त ही मन की मोज आए तो उसे बदल दें । क्योंकि भगवान के लिए कुछ भी असंभव नहीं है ! श्री व्यासजी शोक ग्रस्त अर्जुन से कहते हैं- *"कुन्तीकुमार ! वे समस्त यदुवंशी देवताओं के अंश थे । वे देवाधिदेव श्रीकृष्ण के साथ ही यहाँ आये थे और साथ ही चले गये । उनके रहने से धर्म की मर्यादा के भंग होने का डर था; अत: भगवान श्रीकृष्ण ने धर्म-व्यवस्था की रक्षा के लिये उन मरते हुए यादवों की उपेक्षा कर दी ।कुरूश्रेष्ठ ! वृष्णि और अन्धकवंश के महारथी ब्राह्मणों के शाप से दग्ध होकर नष्ट हुए हैं; अत: तुम उनके लिये शोक न करों । उन महामनस्वी वीरों की भवितव्यता ही ऐसी थी । उनका प्रारब्ध ही वैसा बन गया था । यद्यपि भगवान श्रीकृष्ण उनके संकट को टाल सकते थे तथापि उन्होंने इसकी उपेक्षा कर दी । श्रीकृष्ण तो सम्पूर्ण चराचर प्राणियोंसहित तीनों लोकों की गति को पलट सकते हैं, फिर उन महामनस्वी वीरों को प्राप्त हुए शाप को पलट देना उनके लिये कौन बड़ी बात थी ।"* (मौसल पर्व: अष्टम अध्याय: श्लोक 20-27)
हमारे कर्मों के अनुसार जो कुछ राम ने रच रखा है, वह होगा ही । जो करके आये हो वह तो भुगतना ही पडेगा क्योंकि *"जो जस करइ सो तस फल चाखा"।* इसका यह अर्थ नहीं की प्रारब्ध पर ही निर्भर रहकर कुछ किया ही ना जाए। बलकि आगे आने वाली समस्या से लडने के लिए बल को इकट्ठा किया जाय, पुरूषार्थ किया जाए क्योंकि *"कर्म प्रधान विश्व रचि राखा"।*
भीषम पितामाह महाभारत के शांति पर्व में युधिष्टर से कहते हैं *"बेटा युधिष्ठिर! तुम सदा पुरूषार्थ के लिये प्रयत्नशील रहना। पुरूषार्थ के बिना केवल प्रारब्ध तुम्हारा प्रयोजन नहीं सिद्ध कर सकता। यद्यपि कार्य की सिद्धी में प्रारब्ध और पुरूषार्थ - ये दोनों साधारण कारण माने गये है, तथापि मैं पुरूषार्थ को ही प्रधान मानता हूँ। प्रारब्ध तो पहले से ही निश्चित बताया गया है। अतः यदि आरम्भ किया हुआ कार्य पूरा न हो सके अथवा उसमें बाधा पड जाय तो इसके लिये तुम्हें अपने मन में दुःख नहीं मानना चाहिये। तुम सदा अपने आपको पुरूषार्थ में ही लगाये रखो।"* (शान्ति पर्व, अध्याय 56)
*"देवराज इन्द्र ने उद्योग (प्रयास) से ही अमृत प्राप्त किया, उद्योग से ही असुरों का संहार किया तथा उद्योग से ही देवलोक और इहलोक में श्रेष्ठता प्राप्त की। जो उद्योग में वीर है, वह पुरूष केवल वाग्वीर (खाली बातें बनानेवाला) पुरूषों पर अपना आधिपत्य जमा लेता है।"* (शान्ति पर्व, अध्याय 58)
जो भक्त प्रारब्ध पर निर्भर रहते हैं वे भी भजन-ध्यानादि, परमार्थ- साधन तो करते ही हैं। अत: प्रारब्ध पर निर्भर रहने वालों को भी अपना कर्तव्य कर्म करते रहना चाहिए। हम जैसे मनुष्य बहुत ही सीमित सामर्थ्य और ज्ञान वाले हैं। आज के समय में प्रत्येक मनुष्य इस बात को एक दिन में अनेको बार दोहराता है *"होइहि सोइ जो राम रचि राखा"* । उसकी मान्यता अनुसार तो इस संसार में कोई भी घटना अथवा दुर्घटना भगवान ने पहले से ही तय कर दी है जबकी एसा नहीं है । सब कुछ प्रारब्ध नहीं होता । हाँ हमारे जीवन का कुछ हिस्सा प्रारब्ध से जुड़ा अवशय होता है । मगर हम यह पता नहीं लगा सकते कि कोन सी घटना प्रारब्ध से जुड़ी हुई है और कोनसी नहीं (एक होनी होती है, और एक अनहोनी)। इस लिए हमें सदा पुरूषार्थी ही होना चाहिए ! और प्रारब्ध भी तो हमारे पूर्व जन्मों में किए हुए कर्मों से ही बना है । क्योंकि *"कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, जो जस करइ सो तस फल चाखा"* । पुरषार्थ करने के बाद कार्य पूर्ण न होने पर इसे राम जी की इच्छा अथवा "होनी" का नाम दे देना परमातमा की शरण लेना ही है।
इंसान बुरे कर्म करता है तो उसकी सजा वो 84 लाख योनि मे काट लेता हैं फिर मनुष्य जीवन तो सुख शान्ति भरा मिलना चाहिए
Hare Krishna Hare Rama 🙏🚩🌹
Sadar vandan swamiji
Wonderful attributes of God which we ignorant souls can never understand. God is great
Very nice explanation by swamiji. Bhagaban jis prati krupa karte hei to oha sab kuch jan pata hai. Radhe radhe.
Very beautiful description of Braj leela of Gopis .It illustrated the divine powers of the Supreme Lord as well as his Guru.
SUNDAR AUR GYANVARDHAK......... GURUWAR............22//06//2023........
भगवान को हम भगवान की कृपा से और निष्काम प्रेम से ही प्राप्त कर सकते हैं ।
Following Swamiji
From Nepal,🇳🇵💗🙌
🌹🙏🏻 Radhey Radhey swamiji 🙏🏻🌹
जय श्री कृष्ण
Karma hamkarte hye fal bhagaban dete hye 🎉🙏🙏
Jai ho Gyan Ganga maya ki jai ho🎉
Nice explaine about bhagvan ki power.
राधे राधे
Sat. Sat pranam🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Hari guru kripa se bhagwaan ki darsan, blessings milta hai. Hum sab nimitt matra hai. Swamiji clearly explained it in this video.
By the blessing of God we can see God,we can realise God, ରାଧେ ରାଧେ
Words have their limitation to describe the God. Keeping quiet and diving deep inside the innerself and searching the God leads the realisation of the God. Very nicely explained through the story of Srimad Bhagwat. Radhey Radhey Swamiji. 🙏
jai Gurdev.jai siyaRam guruji
RADHE RADHE
Radha Radha
God is the abode of many opposing religions, and all this is the wonder of Yogmaya Shakti which always remains with God. God can be attained only by the grace of God, He is not achievable by any of our means. Very important points from our Pujya Swamiji, Radhe Radhe.
Swamiji has nicely highlighted qualities of the Supreme Lord with the heart touching story of Gopis and Saint Durvasha.🙏
Bhagwan anant hamari budhi simit. Bhagwan jiski uper kripa karte o bhagwan ko jan payega. Radhe Radhe
💜 नमन् ❣️ तीर्थ ❣️ नमन् 💜
ॐ नमः शिवाय
Aap mahan hai guru ji ❤ Jai sai Ram Jai sai Shyam ❤️❤️🥰🥰 love you guru ji
Jai ho
JAI ho Aapki.....
Radhey Radhey Radhey Radhey 🌹🌹🚩🔥
Wow! इसे सुनकर आनन्द परमानन्द। श्री राधे गोविंद 🙏
कृपा कैसे मिलेगी
Radhey Radhey Pranam Swamiji
सुन्दर ज्ञान वर्धक और अति अलौकिक भगवान और संतों के लीलामृत ।
जय श्री राधे कृष्ण 🌹🙏🌹
ॐ नमो नारायण स्वामी जी प्रणाम
चरण स्पर्श 🙏
जय जय श्री राधे
Paap aur punya ka gyaan dekar samay hameshe sab kuch karwa raha hota hai buddhi prarabdh ke anusaar hi kaam karti hai jai sri ram 🙏🙏🙏🙏
Radhe,radhe,swamiji,keejay
Radhe. +. Radhe. Namaskar
दुनिंया के लोग कर्म करने लिए स्वतंत्र हैं भोगने के ले परतंत्र \ परमात्मा ने अछे बुरे में फर्क करने के लिए हर इन्सान को बुद्दी विवेक पहले ही दे दिया है
Pranam Swami ji
ATI Sundar pravachan
Koti koti dhanyabad
Jai shree krishna
Very nice description of qualities of God and how we will achieve God realisation. 🙏
shri krishnagovind hare murari
जय श्रीकृष्ण ❤
Reyal guru
Yog Maya sakti se bhagwan kartum akartum sarbatha kartum samartha.. Radhey Radhey
Gurudevji Ki Vani Me Sada Shivji Ka Nasha Jo Bhi Fansa Dil Me Basa Fir Dur Jane Ka Irada Nahi Sara Sukh Hai Ek Yanhi
Radhe Radhe
Jai sri Ram
Hare ram hare krishna
Radhe Radhe❤❤❤❤
God has Yog maya Shakti. With this energy He can do all contradictory things. They are His Leelas. Instead of reasoning God’s action we should enjoy His leelas with faith and enjoy the bliss.
Guru ji maharaj ki jai ho
Radhe krishna radhe
महाराजको नमस्ते❤
भगवान् कहो ईश्वर कहो दयानिधि कहो या परमात्मा कहो तो वास्तव मे जो भी हो अपनी शक्ति से सभी कर्म करना नियत करता है
जल, थल,अग्नि, आकाश, पवन पर केवल उसकी सत्ता प्रभु इच्छा के हिल न सके एक पत्ता🎉🎉🎉🎉🎉
Jaisree Radhey Krsna
Harekrsna... Maharaj ji Pronam
Jay shree ram Guru Dev Ji
जय श्री कृष्ण 🙏🙏
Swami jji ki darsan karkai ham dhanav ho gavai aap kai parwachan sunkar givan dhvan ki gagabah gavi jav sivaram jji ki jav hanuman ji ki
Amrit Vachan,Om Namo Bhagwate Vasudevaya...
❤radhe radhe
राधे राधे ,स्वामी जी ।गुरु कृपा बनी रहे ।शत शत नमन ।🙏🙏🙏
राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण
राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण
राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण
राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण
राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण
राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण
🙏🙏🙏
Mai sirf aur sirf Iswar kripa par hi bharosa karta hoon kyonki mujhe apne aap se beinthaan muhabbat hai.
राधे राधे स्वामी जी 💐🙏🏼🙏🏼
Radhe Radhe Swami ji
राधे राधे गुरु जी 🙏🏻🙏🏻
Jay shree radhe jay shree radhe jay shree radhe jay shree radhe jay shree radhe jay shree radhe jay shree radhe jay shree radhe jay shree radhe jay shree radhe
Yogmaya ko samajana inshan ke liye mumkin nahi hai yogmaya ke dwara hi ishwar ki taraf jaaya jasakta hai yogmaya hi excellent sadhan hai aap ka sadhuvad karte hai sir ji ❤
Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey Radhey 🙏🙏🙏
Swamiji, pranam. Bhgwan ko dekha nahin lekin aap me bhagwan love dekhlia. Islie aapko bar bar pranam. Berhampur
Radhe Radhe my dearest and respected Swamiji.🙏🙏❤️❤️
How to get blessings
Radhey Radhey 🙏
We can attain God by the Grace of God and Guru only. Nice Explanation by Swamiji. Thank you Swamiji for this Divine Wisdom.
Radhey Radhey
Bhgvan ko hum bhgvan ki kripa se prapt ker shakte hai or nishkam prem se hi prapt ker shakte hai yogmaya ki shakti ko hum apni buddhi se nahi samajh shakte bhgvan apni yogmaya se asambhav ko sambhav ker Shakti hai
स्वामी जी बहुत सुंदर प्रवचन🙏🙏