इस कलयुग में आदमी?मनुष्य स्वंम भगवान को नहीं जान पा रहा है आखिर भगवान कौन🙅 पूज्य गुरूभूषण साहेब जी

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  • เผยแพร่เมื่อ 15 ก.ย. 2024
  • इस कलयुग में आदमी?मनुष्य स्वंम भगवान को नहीं जान पा रहा है आखिर भगवान कौन🙅 पूज्य गुरूभूषण साहेब जी
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    Kalyug kon se san me khatam hoga
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    कलयुग में मनुष्य का भगवान को न जान पाना एक गहरे आध्यात्मिक और सामाजिक समस्या का प्रतिबिंब है। भगवान कौन हैं, इस प्रश्न का उत्तर विभिन्न धर्मों और मान्यताओं के आधार पर अलग-अलग हो सकता है, लेकिन मूल रूप से भगवान वह सर्वोच्च शक्ति है जो सृष्टि, पालन और संहार का संचालन करती है।
    भगवान को समझने और जानने में मनुष्य को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, और इसका मुख्य कारण उसकी अपनी मानसिकता और दृष्टिकोण है। कलयुग में, जब भौतिकवाद, स्वार्थ और अज्ञानता प्रबल हो रहे हैं, तो मनुष्य के लिए भगवान की दिव्यता को पहचानना और उनके साथ सच्चे अर्थों में जुड़ना कठिन हो जाता है। लोग अधिकतर बाहरी सुखों और भौतिक संपत्तियों के पीछे भागते हैं और आंतरिक शांति और सच्चाई से दूर हो जाते हैं।
    भगवान को जानने का अर्थ है आत्मा के स्तर पर उनके साथ एक गहरा संबंध स्थापित करना। अधिकांश धर्मों के अनुसार, भगवान सर्वव्यापी, सर्वज्ञ, और सर्वशक्तिमान हैं। वे किसी एक विशेष रूप या नाम से बंधे नहीं हैं; वे अनंत और असीम हैं। वे सृष्टि के कण-कण में विद्यमान हैं और हर जीव में उनका अंश है।
    मनुष्य के भगवान को न जान पाने का एक और कारण उसकी अपनी भौतिक और मानसिक उलझनों में फंसा होना है। संसार की माया और इंद्रियों के भोग-विलास में लिप्त होने के कारण व्यक्ति अपने वास्तविक स्वरूप और भगवान की उपस्थिति को भूल जाता है। इसके अलावा, आजकल लोग धार्मिक अनुष्ठानों और कर्मकांडों में तो लगे रहते हैं, लेकिन भगवान की सच्ची अनुभूति और भक्ति से दूर होते जा रहे हैं।
    भगवान को जानने के लिए मनुष्य को आत्म-चिंतन, ध्यान, और सच्ची भक्ति की आवश्यकता होती है। भगवद्गीता, उपनिषद, और अन्य धार्मिक ग्रंथों में इस बात का उल्लेख है कि सच्चा ज्ञान, निःस्वार्थ कर्म, और भक्ति मार्ग द्वारा ही भगवान की प्राप्ति संभव है। जब व्यक्ति अपने अहंकार और भौतिक इच्छाओं को त्याग कर अपने भीतर की दिव्यता को पहचानता है, तभी वह भगवान को जान सकता है।
    इसलिए, भगवान को जानने के लिए मनुष्य को अपने भीतर झांकना होगा, अपनी आत्मा के स्वरूप को समझना होगा और भक्ति और ध्यान के माध्यम से उस परम शक्ति के साथ एकात्मता का अनुभव करना होगा। यही भगवान को जानने का सच्चा मार्ग है।

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