डॉ. विष्णु सक्सेना जी | गीत | शब्दगंगा व सृजन के 18वें राष्ट्रीय कवि-सम्मेलन | शब्दगंगा
ฝัง
- เผยแพร่เมื่อ 25 ธ.ค. 2023
- डॉ. विष्णु सक्सेना जी | गीत | शब्दगंगा व सृजन के 18वें राष्ट्रीय कवि-सम्मेलन | शब्दगंगा शुद्धि अभियान संस्थान
#Shabdganga #शब्दगंगा #DrVishnuSaxena #कविसम्मेलन #KaviSammelan #Unnao #UttarPradesh #गीत #विष्णुसक्सेना #Geet
हमारे बारे में :
शब्दगंगा शुद्धि अभियान संस्थान राष्ट्रीय कार्यक्षेत्र की एक पंजीकृत संस्था है | राष्ट्र व समाज निर्माण के अनेक महनीय उद्देश्यों के साथ-साथ संस्था का उद्देश्य शब्दों की अनश्वरता का भान कराते हुए अश्लील,अमर्यादित शब्दों के प्रयोग से बचना है, ताकि समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो और कभी नष्ट न होने वाले शाब्दिक प्रदूषण से हमारा ब्रह्माण्ड मुक्त हो
शब्दगंगा शुद्धि अभियान का अभिप्राय एवं इसका प्रयोजन उस शाश्वत अवधारणा से है, जो सर्वविदित है कि शब्दों का निर्माण कभी न क्षरित होने वाले यथा नाम अक्षरों से होता है। अर्थात, अखिल ब्रह्माण्ड में व्याप्त ईथर नामक महातत्व में हमारे द्वारा उच्चारित शब्द हजारों मील प्रति सेकेण्ड की दर से तैरते रहते हैं और ये शब्द कभी नष्ट नहीं होते हैं। यही कारण है कि दूरभाष एवं चलभाष यन्त्रों द्वारा हमारे उच्चारित शब्दों को ईथर महातत्व (शब्दगंगा) से चुम्बकीय प्रभाव द्वारा आकृष्ट कर लिया जाता है। हमारा मस्तिष्क विचारों का यन्त्र है। विचारों का मूर्तरूप हमारे द्वारा उच्चारित शब्द है, जो अखिल ब्रह्माण्ड में व्याप्त हो जाते हैं और जिन्हें उच्चारित करने के पश्चात हम वापस नहीं ले सकते हैं, अर्थात हम उनके अस्तित्व को समाप्त नहीं कर सकते हैं। वैज्ञानिक अनुसंधान एवं सिद्धांतों का प्रतिपादन एक सतत प्रक्रिया है। गूढ़ तत्त्वों और रहस्यों की विद्यमानता का प्रकटन समय-समय पर पृथक-पृथक तरीके से भी हो सकता है। किन्तु, शब्दों की अक्षुण्णता की अनुभूति अत्यंत सहजता से मानव निर्मित यन्त्रों द्वारा आवाज को अभिलिखित (रिकॉर्ड) करके भी किया जा सकता है। अतः हमारा दायित्व है कि ब्रह्माण्ड में शुद्ध एवं सार्थक शब्द ही प्रवाहित करें और अपशब्दों के प्रयोग से बचें। इस ध्येय से मैं सृजन साहित्यिक एवं सामाजिक सेवा संस्थान-उन्नाव की ओर से अभूतपूर्व वैचारिक महाभियान शब्दगंगा शुद्धि अभियान (शब्द-प्रदूषण मुक्ति अभियान) , जो अब शब्दगंगा शुद्धि अभियान संस्थान का भी महनीय ध्येय है, का विश्वव्यापी जन-जागरुकता के उद्देश्य से गणतंत्र-दिवस की पूर्व संध्या 25 जनवरी, 2015 को शुभारंभ कर इसकी सफलता हेतु निम्नांकित बिन्दुओं पर आप सभी का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ:
1 - शब्दगंगा में अमर्यादित एवं अवांछनीय शब्द विसर्जित न किए जाएं।
2 - अपने विचार पवित्र रखे जाएं।
3 - विचारों को पवित्र रखने के लिए संस्कारों पर विशेष ध्यान दिया जाए।
4 - शब्दगंगा में पवित्र शब्द ही प्रवाहित किए जाएं, क्योंकि यह शब्दगंगा हम सभी की है और हम सभी इससे प्रभावित होंगे।
5 - अमर्यादित शब्दों का शमन पवित्र शब्दों से किया जाए।
आप सभी से विनयपूर्वक निवेदन है कि इस अभियान से मनसा-वाचा-कर्मणा जुड़कर अपना अमूल्य सहयोग प्रदान करने की कृपा करें और अपने बहुमूल्य सुझावों से हमें अवगत कराने की कृपा करें।
जय भारत! जय भारती !! जय शब्दगंगा !!!
साभार,
विनय शंकर दीक्षित 'आशु'
राष्ट्रीय अध्यक्ष, शब्दगंगा शुद्धि अभियान संस्थान
संस्थापक/महामंत्री, सृजन साहित्यिक एवं सामाजिक सेवा संस्थान
❤❤विष्णु सक्सेना जी के गीतों में हृदय स्पर्शी झंकार है जो बार बार गीतों में अंकुरित होती हैं❤❤
जय हो दादा🎉💐💐✍️✍️,,💯🚩🚩💫💫🙏🙏🙏🙏❤❤❤❤❤🙏🙏
Dr sahib bhut hi sunder geet aur utna hi sunder prastuti
Shat shat namaskar
हृदय स्पर्शी गीत कार बिष्णु सक्सेेना जी
Sarvshresth geetkar vishnu saxena ji
Dil ko sparsh kar gayi aapki panktiya
JAI HO DADA
Gjvvvvv
राम प्रकाश मिश्र😊