अंधविश्वास के चक्कर मे पड़कर हम राम को नहीं जान पाते★🙅परम् पूज्य गुरुदेव सद्गुरु श्री धर्म साहेब
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- เผยแพร่เมื่อ 3 ก.ค. 2024
- अंधविश्वास के चक्कर मे पड़कर हम राम को नहीं जान पाते★🙅परम् पूज्य गुरुदेव सद्गुरु श्री धर्म साहेब
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• अंधविश्वास के चक्कर मे...
अंधविश्वास और श्रद्धा में एक महत्वपूर्ण अंतर होता है, जिसे समझना आवश्यक है। अंधविश्वास एक ऐसी अवस्था है जिसमें व्यक्ति बिना किसी तार्किक या वैज्ञानिक आधार के किसी बात पर विश्वास करता है, जबकि श्रद्धा तर्क और विश्वास के संतुलन पर आधारित होती है।
राम को न देख पाने का कारण अंधविश्वास भी हो सकता है। अंधविश्वास व्यक्ति के मस्तिष्क को जकड़ लेता है और उसे वास्तविकता से दूर कर देता है। जब व्यक्ति अंधविश्वास में फंस जाता है, तो वह तर्क और सत्य के मार्ग से भटक जाता है। वह केवल उन्हीं बातों पर विश्वास करता है जो उसे सुनी-सुनाई या बिना प्रमाणित तथ्यों पर आधारित होती हैं।
राम के संदर्भ में, अंधविश्वासी व्यक्ति उन कहानियों और मिथकों पर विश्वास कर सकता है जो पीढ़ियों से चली आ रही हैं, लेकिन वह इन कहानियों के पीछे के सच्चे संदेश और मूल्यों को समझ नहीं पाता। उदाहरण के लिए, रामायण में राम के जीवन के अनेक पहलू हैं जो हमें नैतिकता, धर्म, और कर्तव्य की शिक्षा देते हैं। लेकिन अंधविश्वास में डूबा व्यक्ति इन शिक्षाओं को न समझते हुए केवल चमत्कारों और अवास्तविक घटनाओं पर केंद्रित रहता है।
इसके विपरीत, श्रद्धालु व्यक्ति राम की शिक्षाओं को समझने का प्रयास करता है और उन्हें अपने जीवन में लागू करता है। वह राम को एक आदर्श पुरुष, एक राजा, और एक पुत्र के रूप में देखता है, और उनके जीवन से प्रेरणा लेता है। वह राम के चरित्र से धैर्य, साहस, और सत्य की महत्ता को समझता है।
अतः, अंधविश्वास से ग्रसित व्यक्ति राम के वास्तविक स्वरूप को नहीं देख पाता क्योंकि उसका ध्यान केवल अवास्तविक और काल्पनिक बातों पर केंद्रित रहता है। जब तक व्यक्ति तर्क और सत्य के मार्ग पर नहीं चलता, तब तक वह राम के वास्तविक स्वरूप और उनके संदेश को नहीं समझ सकता। अंधविश्वास से मुक्त होकर, यदि व्यक्ति राम के जीवन और उनके आदर्शों को समझने का प्रयास करे, तो वह न केवल राम को देख सकता है, बल्कि उनके जीवन से अनेक प्रेरणाएं भी प्राप्त कर सकता है। - เพลง
Saheb bandagi guruji I
सभी को रमेश जियाणी की सादर सपरेम साहेब बंदगी