Guisarnath Dham ( Mandir ) Lalganj Ajhara Pratapgarh 2024 | घुइसरनाथ धाम प्रतापगढ़ | vlog |
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- เผยแพร่เมื่อ 11 พ.ย. 2024
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आइए आज हम लोग चलते हैं प्रतापगढ़ से लालगंज अझारा की तरफ जहां सई नदी के किनारे स्थित है संसार में विख्यात- बाबा घुइसरनाथ धाम। जो प्रतापगढ़ घंटाघर से 42 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
शिवमहापुराण में जिन 12 ज्योतिर्लिंगों का विवरण दिया गया है उनमें से एक घुइसरनाथ धाम में स्थापित है। जिसे घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग कहा जाता है।
प्रतापगढ़ से घुइसरनाथ धाम तक की यात्रा के दौरान आइए मैं आप लोगों को शिव महापुराण में बाबा घुइसरनाथ धाम की पौराणिक कथा सुनाता हूं।
सई नदी के किनारे सुधर्मा नाम का एक ब्राम्हण अपनी पत्नी सुदेहा के साथ रहा करता था। वह दोनों भगवान शंकर के परम भक्त थे। सुधर्मा अत्यंत ज्ञानी, दयालु एवं दानी स्वभाव के थे। वह आस-पास के बच्चों को पढ़ाया भी करते थे। उनकी सज्जनता और सद्गुणों के कारण सभी लोग उनका सम्मान करते थे।
उनके जीवन में सब कुछ होने के बावजूद संतानहीनता के कारण उनकी पत्नी सुदेहा बहुत दुखी थी। समाज भी उन्हें ताना मारता था। इसलिए वह बार-बार अपनी पति से पुत्र प्राप्त की प्रार्थना करती थी। सुधर्मा बार-बार अपनी पत्नी को समझाता परंतु सुदेहा का मन एक सन्तान के लिए विचलित था।
पुत्र प्राप्ति की मंशा हेतु सुदेहा ने अपनी छोटी बहन घुश्मा के साथ अपने पति का दूसरा विवाह करा दिया। हालांकि सुधर्मा ने सुदेहा को बहुत समझाया कि कल जब तुम्हारी बहन को संतान की प्राप्ति होगी तब तुम्हें ईर्ष्या घेर लेगी। लेकिन सुदेहा ने यह कहा कि मैं कभी भी अपनी बहन से ईर्ष्या नहीं करूंगी। समय गुजरता गया घुश्मा एक दासी की तरह अपनी बहन की सेवा में जुटी रहती और सुदेहा भी अपनी बहन को बहुत प्रेम करती।
सुदेहा ने अपनी बहन घुश्मा को मिट्टी के शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा करने को कहा। घुश्मा पूजा करने के बाद उन शिवलिंगों को पास के एक तालाब में विसर्जित कर देती थी।
आखिरकार वह दिन आ गया जब घुश्मा ने एक पुत्र को जन्म दिया। इस घटना के बाद घुश्मा का मान बढ़ गया। समय और बीता। पुत्र की शादी हो गई और पुत्र वधू भी घर में आ गई। इस कारण सुदेहा को और ज्यादा ईर्ष्या होने लगी। एक दिन ईर्ष्या की अग्नि में जलते हुए उसने चाकू से घुश्मा के पुत्र के कई टुकड़े कर दिए
और उन टुकड़ों को उसी तालाब में फेक आई जिसमें घुश्मा शिवलिंगों का विसर्जन करती थी।
पुत्र शोक से मुक्त होकर अगले दिन घुश्मा जब पुनः शिवलिंगों का विसर्जन करने के लिए उस सरोवर में गई तब अपने पुत्र को जीवित पाया। पुत्र प्राप्ति के बाद भी घुश्मा भाव शून्य रही। पुत्र मोह से मुक्त घुश्मा को भगवान शिव ने साक्षात दर्शन दिए। भगवान शिव ने कहा कि तुम्हारी बहन ने तुम्हारे पुत्र का शव इस सरोवर में फेंक दिया था यदि तुम चाहो तो मैं अपने त्रिशूल से उसका वध कर दूं।
परंतु घुश्मा ने ऐसी कोई इच्छा व्यक्त नहीं की। उसकी इस सहृदयता से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उसे वर दिया कि जिस सरोवर में तुमने मेरे 101 शिवलिंगों का विसर्जन किया है वह शिरोवर के नाम से प्रसिद्ध होगा। इसमें स्नान करने वालों के सभी संताप नष्ट होंगे। तुम्हारी 101 पीढ़ियां उत्तम गुणों, धन-वैभव तथा विद्या-बुद्धि में संपन्न होंगी एवं मैं स्वयं घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में सदैव यहां वास करूंगा।
इस तरह से महाशिवपुराण में घुइसरनाथ की महिमा का विवरण प्राप्त होता है।
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हर हर महादेव!
यात्रा के दौरान इस वीडियो में प्रतापगढ़ के दिखाए गए जगहों के नाम-
प्रतापगढ़ घंटाघर, सिटी प्रतापगढ़, मोहनगंज, मादूपुर, अजगरा रानीगंज, लीलापुर चौराहा, साहबगंज, मिश्रपुर, हंडौर, सगरा सुन्दरपुर, पहाड़पुर अमेठी, तिना चितरी, लालगंज अझारा, लालगंज अझारा बस स्टेशन, ट्रामा सेन्टर लालगंज, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लालगंज, नगर पंचायत लालगंज, घुइसरनाथ धाम प्रवेश द्वार
घुइसरनाथ धाम से जुड़े प्रमुख व्यक्ति-
माननीय प्रमोद तिवारी, राज्य सभा
राजकुमारी रत्ना सिंह, सांसद कालाकांकर
आराधना मिश्रा मोना, विधयाक रामपुर ख़ास
Ghuisarnath or Ghushmeshwarnath Temple is a Hindu temple located on the bank of Sai River at Lalganj Ajhara, Pratapgarh, India. The temple is situated at a distance of about 45 km from Pratapgarh & 145 km from Ayodhya, in Bela Pratapgarh.