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“ कर्पूरगौरं ” की विस्तृत व्याख्या
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- เผยแพร่เมื่อ 10 ก.ค. 2024
- “ कर्पूरगौरं ” की विस्तृत व्याख्या
Shankaracharya of Puri Peeth, Swami Sri Nischalananda Saraswati-ji Maharaj Official TH-cam Account.
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Bhagavatpada Adi Shankaracharya established the Govardhana Peetha at Jagannath Puri on the Kartika Shukla Panchami of Yudhishtira Saka Samvat 2651 or 486 BC. The Puri Peeth is related to Rig Veda. Its main preaching theme or Mahavakya is प्रज्ञानं ब्रम्ह. There’s an unbroken chain of Shankaracharyas from 2489 years. One hundred and forty four Shankaracharyas have already graced the Peeth already. The Peeth of eastern direction at Puri is now graced by Jagadguru Shankaracharya Nischalananda Saraswati-ji Maharaj as its 145th Sankaracharya. He was appointed to this Peeth as its head by the Shankaracharya Swami Niranjanadeva Tirtha Maharaj on 9th February 1992 (Vikram Samvat 2048).
Swami Sri Nischalananda Saraswati-ji Maharaj is the 145th Shankaracharya of the Govardhana Peetha at Jagannath Puri. Born in Bihar in 1943, he became a disciple of Swami Karpatri-ji Maharaj and later studied extensively in various places across India. He is known for his efforts in protecting sanatana dharma and promoting values such as cow protection, women empowerment, and environment protection. He has also established two organizations, Aditya Vahini(for Men) and Ananda Vahini(for Women ), to promote self-reliance and protect the nation's unity and ancient culture.
Swami Sri Nischalananda Saraswati-ji Maharaj is a prolific writer, having authored over 100 books on Sanatana Dharma & Vedic Science and over 20 books on Vedic Mathematics. He is also known for his nationwide #Rashtra_Utkarsh_Abhiyan_Yatra, promoting the concept of a Hindu Rashtra and Akhand Bharat, and his slogan "Har Hindu Sena ho, Har Hindu Sanatani ho" for every Indian youth.
पूज्यपाद जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी द्वारा स्थापित पीठ परिषद और उसके अंतर्गत आदित्य वाहिनी एवं आनन्द वाहिनी का मुख्य उद्देश्य ‘अन्यों के हित का ध्यान रखते हुए हिन्दुओं के अस्तित्व और आदर्श की रक्षा, देश की सुरक्षा और अखण्डता’ है | पूज्यपाद महाराज श्री का अभियान मानव मात्र को सुबुद्ध, सत्य सहिष्णु और स्वावलम्बी बनाना है | उनका प्रयास है कि पार्टी और पन्थ में विभक्त राष्ट को सार्वभौम सनातन सिद्धान्तों के प्रति दार्शनिक, वैज्ञानिक और व्यवहारिक धरातल पर आस्थान्वित कराने का मार्ग प्रशस्त हो |
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जय श्री राम !!हर हर महादेव
!! धन्यवाद !!
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अनन्तश्रीविभूषित श्रीमज्जगद्गुरु पुरीपीठाधीश्वर शंकराचार्य भगवान् स्वामी श्रीनिश्चलानन्दसरस्वती जी महाभाग जी की जय
जगद्गुरु श्री शंकराचार्य स्वामी भगवान जी के चरणकमलों में साष्टांग दंडवत प्रणाम 🚩🚩🚩🚩🚩🪷🪷🪷🪷🪷🙏🙏🙏🙏🙏
🚩🚩🚩🚩🚩
ॐ नमो भगवते श्री गुरुभ्य़ो नमः
🙏🏼जगद्गुरु भगवान शंकराश्चार्य जी के चरणों मे कोटि कोटि वंदन 🙏🏼
पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी श्री निचलानंद सरस्वती जी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम 🙏🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩
जय गुरुदेव 🙏
Shankaracharya ji ke charno mai Mera dandvat pranam ❤❤
🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏
🙏🏼🙏🏼
Shiva shankara Pralayankara
Jai gurudev koti koti naman gurudev 🙏🏻 💐
🙏हर हर महादेव🙏
शंकराचार्य महाभाग जीको शाष्टांग दंडवत प्रणाम।
Jay GURUDEO
Har har Mahadev
जय श्री राधे श्याम जय हो सद्गुरु देव जी भगवान कोटि कोटि नमन सत्य वचन
Jai Gurudev
JAI HO GURU JI KI 🙏
Shankaracharya bhagwan ki Jai
Har Har mahadev
जय श्री गुरु नारायण
Jai shree sitaram Hanuman 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻✨✨✨✨🚩🚩🚩🚩🚩
गुर देव के चरणों में प्रणाम
Jay gurudev🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
गुरुदेव के चरण कमलो मे मेरा नमन
🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙏
Gurudev bhagvan ki jay ❤❤❤
🙏🏻हर हर महादेव ।जय गुरुदेव ।
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
शंकराचार्य भगवान की जय
Jai gurudev jai mahadev🙏
Bhagwan ki ko pranam
गुरुदेव प्रणाम 👏
હર હર મહાદેવ ...
जैसे जीवों का बहुत्त्व कल्पित है ऐसे ही ब्रह्म, विष्णु आदि भेद से ईश्वरों का भी भैद कल्पित है स्वभावतः ईश्वर नाना नहीं ॥११॥ जैसे नाना जीवों में ऊँच-नीच भाव कल्पित है ऐसे स्वभावतः ईश्वरों में भी कल्पित है ॥ १२ ॥ देहादि संघात की वासनाओं के भेद से भिन्न हुई अविद्या जीवभेद का हेतु है, अन्य कुछ नहीं ॥ १३ ॥ सत्त्वादि गुणों की वासनाओं के भेद से भिन्न हुई माया ईश्वरभेद का हेतु है, अन्य कुछ नहीं ॥ १४ ॥ त्रिमूर्ति में रुद्र वह है जिसकी उपाधिगत विशेषता तो सत्त्वगुण है अर्थात् शरीर तो सात्त्विक है किन्तु संहार के लिये तमोगुण का ग्रहण है। (लोक में प्रवाद है रुद्र की तामसता का जो विचार न करने से ही फैला है) ।
रुद्र तम के अधिष्ठाता बताये जाते हैं अर्थात् तम पर वे नियंत्रण करने वाले हैं । तम का नियंत्रण तो सत्त्व ही कर सकता है । अतः तम पर नियंत्रण रखने के लिये रुद्र को सात्त्विक ही होना पड़ेगा और हैं भी वे ऐसे ही । कर्पूर गौर वर्ण, समाधिनिष्ठ रहना आदि उनकी सात्विकता ही प्रसिद्ध है । श्रुति तो उन्हें सत्त्व का प्रवर्तक घोषित करती है (श्वे. ३.१.१) । विष्णु सत्त्व के अधिष्ठाता अर्थात् सत्त्व का नियंत्रण करने वाले हैं अतएव उन्हें तमोमय होना पड़ेगा, क्योंकि तम ही सत्त्व को नियंत्रित रख सकता है, और कृष्ण वर्ण, दीर्घशयन आदि उनमें तम के चिह्न भी स्फुट हैं। रजोगुण के अधिष्ठाता राजस ब्रह्मा हैं क्योंकि रज ही रज का नियंत्रण कर सकता है ॥ १५ ॥ जिनका स्वयं का शरीर तो तम है किन्तु पालन के प्रयोजन से सत्त्व का ग्रहण करते हैं वे ही त्रिमूर्ति में विष्णु हैं ॥ १६ ॥ रज ही जिनका शरीर भी है और उत्पत्त्यर्थ उसी का जो ग्रहण भी करते हैं वे ही ब्रह्मा हैं । (इस प्रकार एक ही शिव तत्तगुणोपाधि से तत्तन्नाम-रूपों वाला हो जाता है, वास्तविक भेद नहीं है यह भाव है ।) ॥ १७ ॥
भोग व मोक्ष की प्राप्ति के लिये रुद्र का शरीर शुक्ल, विष्णु का कृष्ण और ब्रह्मा का लाल है ऐसा ध्यान करना चाहिये । (अर्थात् इनके देहों का ध्यान इन रंगों से विशिष्ट करना चाहिये ।) ॥ १८ ॥ सत्त्वगुण से सफेदी उत्पन्न हुई है, रजोगुण से लालिमा और तमोगुण से कालिमा ॥ १९ ॥ कहीं-कहीं वेद में ब्रह्मा या विष्णु को परमेश्वर कहा गया है किन्तु वह उनके औपाधिक रूप की दृष्टि से नहीं किन्तु वे परतत्त्व ही वस्तुतः हैं इस दृष्टि से । (उपाधिप्राधान्येन अपर होने पर भी उपधेयप्राधान्य से परता है । रुद्र में उभयविधपरता है यह विशेष है )।
रुद्र की आंतरिकता उपाधिशरीर सत्त्व है और तम उनके स्वरूप से बहिर्भूत ही है । विष्णु की आंतरिकता तम है, सत्त्व स्वरूप से बहिर्भूत है। ब्रह्मा की आंतरिकता रज है और वही उनके स्वरूप से बहिर्भूत होकर भी स्थित है। ब्रह्मा का सत्त्व से कोई सरोकार नहीं ।
रुद्र व विष्णु का सत्त्वसम्बन्ध है एक का आंतरिक और दूसरे का बाहर से । अतः सत्त्वगुण की दृष्टि से लोग विवाद करते हैं कि हरि श्रेष्ठ हैं या हर । अहो आश्चर्य है मोह की शक्ति पर ! आंतरिक सत्त्व वाले की श्रेष्ठता निर्विवाद होने पर भी बाहरी सत्त्व देखकर लोग भ्रम में पड़ जाते हैं।
सत्त्व असंबद्ध होने से ब्रह्मा को तो वरिष्ठ नहीं माना जा सकता हैं ।
अतः अनेक जन्मों तक श्रौत स्मार्त धर्मानुष्ठान से शुद्ध बुद्धि वालों को ही निश्चय हो पाता है कि हरि से हर श्रेष्ट है ।
~ सूत संहिता (स्कंद पुराण)
Jagadguru sankaracharya bhagvan ki jay
Har Har Mahadev 🎉
जगद्गुरु भगवान् जी के पावन चरणों में नमन् करते हैं🌹💐
🎉जय श्री राम हर हर महादेव
श्री श्री गुरु देब भगवान जी कि जय हो
🙏♥️🙏♥️🙏♥️🙏♥️🙏♥️
Jai ho 🙏
হরে কৃষ্ণে🙏🙏🙏🙏
जय जय श्री प्रभु शंकराचार्य भगवान जी की जय हो🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻⭕‼️⭕
जय उमाशंकर महादेव जी की जय हो🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
परम् पुज्य प्रातः स्मरणीय श्री संत भगवान के श्रीचरणों में सादर साष्टांग दंडवत प्रणाम।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जय हो परम पूज्य महाभाग शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद जी महाराज की ❤
Gurudev ji k shree charno mein koti koti naman Vandan Jai shree Jagannath mahaprabhu ji ki Jai ho Prabhu ji pranaam 🎉🎉🎉🎉🎉
Jai shree Laxmi Narayan namha ji Guru Dev ji apko Koti Koti pranam ji 🙏 ❤❤🎉🎉🎉
Har Har Mahadev ji Guru Dev ji apko koti koti pranam ji 🙏🙏🙏🌹🌹🌹
Shankaracharya ji maharaj ke charno me dandvat pranam.
Avam ak nivedan hai ki
Guruji itna mulyvan pravachan dete hai sound clear nahi Ane ki vajah se hum samajh nahi pate .
Isliye chenal oprator mahoday se nivedan hai ki sound clear karne ki krapa kare.
Pranaam.
।। वंदे महापुरुष ते चरणार विंदम।।
Shri pujaniya Gurudev Shri Anant vibhushith purvanamay rigvediya Goverdhan math Puri pithadhishwar Shrimad Jagadguru Shankaracharya ji Mahabhag ke Shri Kamal caharon mein dandwat vandan.
Hindu Nagar Shivganj, Rajasthan, Bharat se.
।। आषाढ़ शुक्ल ६, सम्वत २०८१ तद्नुसार शुक्रवार ,१२.०७.२०२४।।
७.४५प्रातः
।। जय श्री गौ माता।।
।। श्री राम जय राम जय जय राम।।
।।जय श्री शिवावतार आद्य शंकराचार्य जी महाभाग।।
।।जय श्री करपात्री जी महाभाग।।
।।जय श्री सनातन धर्म।।
।। जय श्री सनातन संस्कृति।।
।। जय श्री सनातन राष्ट्र।।
।। जय श्री सनातन धरा।।
।। जय श्री मां भारती।।
।। वंदे मातरम्।।
।। ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ।।
Video uploader ji, please clear the background noise (of fan etc.) before uploading Shri Jagadguru ji's video. It becomes hard to hear the words clearly. Many people leave the video in the middle which is not good for youtube algorithm.
Guru dev, brahma sutra aur bhagvatam ki satsang kab se aaraamb hoga ? Badi Bechaini se intezar he🪔
चार मिनट में विस्तृत व्याख्या!😮
जय गुरूदेव,हर हर महादेव,जय गौ माता।कृप्या गुरूजी की आवाज माइक का माध्यम से ऊंचा तो हो रहा लेकिन खराब हो रहा है।
श्री महाराज जी को दंडवत प्रणाम । महाराज आपसे दास की विनती है की mic सिस्टम सही करवाए आपकी मधुर आवाज सुनने में परेशानी होती है
साइट मानचित्र निकटवर्ती ग्राम
नारायण...ऑडियो में माइक का आवाज़ से समझ में कठिनाई है..नारायण
गुरुदेवके चरणों में सत सत नमन
यह जो रिकॉर्डिंग कर रहे है उनमहानुभावो से निवेदन है कि आपकी विडीयो रिकॉर्डिंग सही से नहीं हो रही है कृपया उसमें साथ में आवाज भी आ रही है शुद्ध रूप से जैसी आवाज गुरुदेव की सब तक पहुंचनी सहीयै है ऐसे नहीं पहुंच रही है
अमूल्य वाणी . Sound not clear
Shiv ji tamagun ni h hote tho wo kamdev ko bhasma ni karte na shiv ji sura pan karte h bramha ji k jesa. Wo adi yogi h. Sadasacharitam. Shiv ji mere h main unka. Asirbad hu. Har har mahadev. Shiv ji apne lagte h. Lagab h. He is like family head. Un k liye bhakti v h mere dil m gussa v h. Wo mere apne h. Mere nana ji jo bade pandit the. Wo shiv ji k puja kar k mujhe paye h. Wo mere nam v un k nam pe kar diye h. Sri Sri Sri satyam shivam sundaram shinaprasad.............. Kar sharma. Bich ka hisa v un k nam pe h.
Trigunatit he mahadev..
@@AnandSharma-qt3gi
Shiv vaise toh trigunatit hai ...lekin apne Ishwara / Guna roopa me Rudra hai, jinka upadhi shuddh saatvik hai..
Isliye guna- murtis me bhi woh brahma aur Vishnu se jyestha hai...
देहादि संघात की वासनाओं के भेद से भिन्न हुई अविद्या जीवभेद का हेतु है, अन्य कुछ नहीं ॥ १३ ॥ सत्त्वादि गुणों की वासनाओं के भेद से भिन्न हुई माया ईश्वरभेद का हेतु है, अन्य कुछ नहीं ॥ १४ ॥ त्रिमूर्ति में रुद्र वह है जिसकी उपाधिगत विशेषता तो सत्त्वगुण है अर्थात् शरीर तो सात्त्विक है किन्तु संहार के लिये तमोगुण का ग्रहण है। (लोक में प्रवाद है रुद्र की तामसता का जो विचार न करने से ही फैला है) ।
रुद्र तम के अधिष्ठाता बताये जाते हैं अर्थात् तम पर वे नियंत्रण करने वाले हैं । तम का नियंत्रण तो सत्त्व ही कर सकता है । अतः तम पर नियंत्रण रखने के लिये रुद्र को सात्त्विक ही होना पड़ेगा और हैं भी वे ऐसे ही । कर्पूर गौर वर्ण, समाधिनिष्ठ रहना आदि उनकी सात्विकता ही प्रसिद्ध है । श्रुति तो उन्हें सत्त्व का प्रवर्तक घोषित करती है (श्वे. ३.१.१) । विष्णु सत्त्व के अधिष्ठाता अर्थात् सत्त्व का नियंत्रण करने वाले हैं अतएव उन्हें तमोमय होना पड़ेगा, क्योंकि तम ही सत्त्व को नियंत्रित रख सकता है, और कृष्ण वर्ण, दीर्घशयन आदि उनमें तम के चिह्न भी स्फुट हैं। रजोगुण के अधिष्ठाता राजस ब्रह्मा हैं क्योंकि रज ही रज का नियंत्रण कर सकता है ॥ १५ ॥ जिनका स्वयं का शरीर तो तम है किन्तु पालन के प्रयोजन से सत्त्व का ग्रहण करते हैं वे ही त्रिमूर्ति में विष्णु हैं ॥ १६ ॥ रज ही जिनका शरीर भी है और उत्पत्त्यर्थ उसी का जो ग्रहण भी करते हैं वे ही ब्रह्मा हैं । (इस प्रकार एक ही शिव तत्तगुणोपाधि से तत्तन्नाम-रूपों वाला हो जाता है, वास्तविक भेद नहीं है यह भाव है ।) ॥ १७ ॥
भोग व मोक्ष की प्राप्ति के लिये रुद्र का शरीर शुक्ल, विष्णु का कृष्ण और ब्रह्मा का लाल है ऐसा ध्यान करना चाहिये । (अर्थात् इनके देहों का ध्यान इन रंगों से विशिष्ट करना चाहिये ।) ॥ १८ ॥ सत्त्वगुण से सफेदी उत्पन्न हुई है, रजोगुण से लालिमा और तमोगुण से कालिमा ॥ १९ ॥ कहीं-कहीं वेद में ब्रह्मा या विष्णु को परमेश्वर कहा गया है किन्तु वह उनके औपाधिक रूप की दृष्टि से नहीं किन्तु वे परतत्त्व ही वस्तुतः हैं इस दृष्टि से । (उपाधिप्राधान्येन अपर होने पर भी उपधेयप्राधान्य से परता है । रुद्र में उभयविधपरता है यह विशेष है )।
रुद्र की आंतरिकता- उपाधिशरीर- सत्त्व है और तम उनके स्वरूप से बहिर्भूत ही है । विष्णु की आंतरिकता तम है, सत्त्व स्वरूप से बहिर्भूत है। ब्रह्मा की आंतरिकता रज है और वही उनके स्वरूप से बहिर्भूत होकर भी स्थित है। ब्रह्मा का सत्त्व से कोई सरोकार नहीं । रुद्र व विष्णु का सत्त्वसम्बन्ध है, एक का आंतरिक और दूसरे का बाहर से । अतः सत्त्वगुण की दृष्टि से लोग विवाद करते हैं कि हरि श्रेष्ठ हैं या हर । अहो आश्चर्य है मोह की शक्ति पर ! आंतरिक सत्त्व वाले की श्रेष्ठता निर्विवाद होने पर भी बाहरी सत्त्व देखकर लोग भ्रम में पड़ जाते हैं। सत्त्व असंबद्ध होने से ब्रह्मा को तो वरिष्ठ नहीं माना जाता ॥ ४०-४२ ॥ अनेक जन्मों तक श्रौत स्मार्त धर्मानुष्ठान से शुद्ध बुद्धि वालों को ही निश्चय हो पाता है कि हरि से हर श्रेष्ठ है ॥ ४३ ॥
~ सूत संहिता (स्कंद पुराण)
Shree shivranjan singh ji kahin aap kripa patra to nahi hain vani ka shrot phoot raha hai
@@shivranjansingh9774 sarvam khhalvidam brahm ki drishti se hi purana padne chahiye, nahi to sari umar bhul bhulaiya mei hi gumte nikal jayegi.. Go and ask Guru for knowledge.. Adpakke sadhak hi sanatani dharam ka patan kar rahe he.. Shri hari
आप लोगो को वीडियो की आवाज पर काम करना चाहिए आवाज साफ नहीं आती
kripya mic ko change kare..kuch shunai nahi deta thik se..!
Gurudev aap mix kardiye do mantro ka karpura guram karuna bataram sansaar saram bhujagendra haram sada basantam hrudayar binde bhabam bhabani sahitam namami.. Shiv ji ka sorup karpur jesa gora h white h. Wo karuna ka avtar h. Wo jald prasaanna h.
आवाज साफ नहीं आती इस चैनल पर किर्पा कर ध्यान दे 🙏🏻
Pranaam.
Shravan , bhadrapad me Jo pujya gurudev ji ke paath hote hai , voh kab se shuru hone wale hai
अधिक तर विडिओ मे शाउड सिस्टम क्वालटी ठीक नही है
Sound system not good . Noisy
NO CLEAR VOICE PL
Poor sound
जय माता दी ,जय सनातन, धर्म जय हिंदूरास्ट्र, 🚩
🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏
जय गुरुदेव🙏