फूले कमल सोह सर कैसा। निर्गुन ब्रह्म सगुन भए जैसा। भगत हेतु भगवान् प्रभु राम धरेउ तनु भूप। किये चरित पावन परम प्राकृति नर अनुरूप। ज्ञान मान जहाँ एक उ नाहीं। देख इ ब्रह्म समाय न सब माहीं। जो तन मै धारण करता हूँ अनायास मे फिर उस शरीर को फिर त्याग देता हूँ। जैसे मनुष्य पुराने वस्त्र को त्याग कर नया वस्त्र धारण कर लेता है।
Guru Granth Sahib may likha ha jab Mann chit budhi key ackta ho jati ha tao maya say mukti ho jati first grantho ko samj kar fer nirakari avsatha may janam milta ha satgur pergut hota ha puran bharam kay roop may next parbharam key aradhana karta kartay kartay puran bharam parbhram nirakar bhagwan may leen ho jata ha hukam may leen ho jata ha khud ko bhul jati ha vo atma satgur nirkari kay charo may leen hukam may sama jati ha parbhram may sama jati ha hukam means ha jo ho raha ha bahakunth say bahakunth key sangat may sama jati ha es ko jeewan mukt boltay ha bahkunth may vo sab atmaya ha jo jeet kar jeewan mukti pa kar sansar say parbhram may leen hoyee ha atma drop ha samundir parbhram parmatma key jo janam laytay ha avtar bhagat sab he samundir nirakar key drops he ha vo apna roop bhul kar nirkari he ho jati ha lahir samundir may mil jati ha jeewan rahtay rahtay he hukam key sharan may he rahati ha atma jab tak sarir sansar may ha jeewan mukti pa kar atma say vo bhakunth may gagan mandel may niwas karti ha , vo peropkari satgur roop atma hoti ha sansar may samerpit bhav may rahti ha Grasti ho ja saniyasi . First atma gyan milta ha grantho say second maya say mukti third janam padarath bahkunth may beej say tree roop ho kar bahkunth jati ha atma puran bharam ho kar fourth avsatha hoti ha name padarath milna jis may sab khajanay mil jatay ha sab kirpa ho jati ha jab atma ko name key kirpa hoti ha bhagwan apna bana laytay ha apna name day kar vo atma app bhav gawa layti ha nirakar bhagwan kay param may simrati nirakar parmatma kay Charno may bina bolay he samaye rahti ha jasay he Hiran nad sunn kar khud ko bhul jata ha vismad key avsatha hoti ha end kay nirkari he nirkar div darishati say dikhta ha sansar may dusra koe nahi lagta dusra koe ha he nahi name key masti may Jeeta ha vo bhagat , nasha ho jata ha parmatma ka
कबीर कबीर क्या करें खोजों आप शरीर। पांचों इन्द्रियां बस करो आपो आप कबीर। अपने शरीर में ही खोजना है और महाराज जी बता रहे हैं कि चक्रों में मत उलझो। क्या आत्मा शरीर में नहीं है
जिमि मुख मुकुर मुकुर निज पानी। गहि न जाहि अस अद्भुत बानी। जैसा मनुष्य है। क्या सीसे मे भी वैसा है। सीसे के प्रतिविम्ब मे सांस आधार है क्या। सीसे को पानी मे रख कर देखो क्या अकुलाहट है। लेकिन आप पानी मे। डूब कर देखो। अंतर समझ मे आ जायेगा। कहना समझना कठिन है।
गुरुदेव मेरा प्रश्न है कि अध्यात्म मार्ग में साधक को बगैर पूरे गुरु की मदद के समर्थन में चढ़ाई हो ही नहीं सकती तो साधक पूरे गुरु को कैसे पहचानें, आप समझाने कि दया करे 🎉
सतगुरु वो होता है जो सत्य ओर असत्य का ज्ञान करा देता है जो गुरु जड़ ओर चेतन का निवेडा करा देता है असली सतगुरु वो ही होता है जो जो अपनी आत्मा का दर्शन करा दे अपनी आत्मा का भेद बता दें जीव को कि हे जीव आत्मा ,तू शरीर नहीं है तुम एक आत्मा हो तू जीव तो बनकर चोरासी योनियों में अज्ञान के कारण भटकता फिरता है तूं एक आत्मा है तेरा स्थान इस काया शरीर में नहीं है तेरा असली घर इस काया शरीर से न्यारा है वह घर अमर है अटल है अविनाशी है यह नाशवान शरीर घर को तुम ने धारण किया है यह तो किराये का मकान है असली मकान तो इस काया माया से न्यारा है यहां तो तेरी सुरता फंस गई है वापिस भेदी गुरु से भेद लेकर अपनी सुरता को अपने निज घर पर सिथर कर मालिक दया करेगा आत्मा में सुरता को सिथर करना है आत्मा ही तेरा असली घर है तेरे असली घर मे ही परमात्मा का वास है तभी तो कहते हैं कि तेरी आत्मा में ही परमात्मा का वास है यहां भेद है यहां पर तीन है तेरी कौन है इसको जानना है वह जीव आत्मा, सुरता, ध्यान, हंस आत्मा आत्मा कौन है यानी परमात्मा का घर है परमात्मा कहां है उसके घर में आत्मा यानी मां की गोद परमात्मा यानी मां आत्मा ओर परमात्मा एक ही है अगर आत्मा स्थिर है तो परमात्मा ही स्थिर है जहां आत्मा को ढूंढोगे वहां परमात्मा मिल जायेगा यानी दूध में ही घी है घी दूध में ही है केवल मंथन करना है मंथन जीव आत्मा ही करेगी केवल भेद से ही मंथन होता है सुरता को अपनी आत्मा घर में स्थिर करना है उसे ही सतगुरु के चरणों में ध्यान लगाना कहते हैं सतगुरु के चरणों में ध्यान लगाने पर परमात्मा प्रकट हो जाते हैं यानी आप ही शब्द स्वरूप हो जाते हैं जैसे नदी समुद्र को पाकर समुद्र ही हो जाती हैं साहिब बंदगी सतनाम जी
उसे ही पुरा गुरु माने जो पास में बिठाकर यह सारा अनुभव मात्र तीन घंटे में करवा दें एक ही बार में। दशवें द्वार के पार पहुंचा देवें। वही पुरा संत हैं। नाम दान का एक बार में एक नाम दुसरी बार में दूसरा नाम फिर तीसरी बार में तीसरा नाम यह सब ढोंगियों का काम है। चेले बनाना भी ढोंगियों काम है। संत हमेशा संत ही बनाते हैं चेले नहीं।
जहाँ पूर्ण ब्रह्म प्रगट होगा वह शरीर जीते जी मर जाएगा।जिसके आधीन समूची प्रकृति है। भगवान् आत्मा आधार ने ही राजा राम और कृष्ण शरीर धारण किया था। जो प्राकृति नर जैसा आचारण चरित्र कर दिखाया।
@@zdayaramyadav मरने बाला शरीर माया है, जो आता हैं,जाता हैं माया समझो। स्वास भी थम जाएगी।ये भी प्रकृति तक है। तुम ओर हम स्वास भी नहीं हैं। दृष्टा, दृश्य और, दृश्यमान। तीनों को समझना है। स्वरूप अभी भी अलग है 🙏🙏🙏🙏🙏 मेरी बुद्धि के अनुसार बाकी तो गुरु से पूछकर बताएंगे 🙏🙏🙏
@DineshNagar04 पगु विनु चले । विनु पंख हम चहे उड़ा ना। स्वाँस को पंख पग की जरूरत है। ध्यान दो शरीर स्वाँस आत्मा से प्रग ट होता है और इसी के कारण समाप्त हो जाता है। निर्गुन ब्रह्म सगुन होइ कैसे। हिम जल उपल विलग नहि जैसे।
@@ShyamKumar-ol5rx अनुभव हो जाएगा। अगर लगन है तो। सत्संग में रुचि है तो। गुरु के प्रति समर्पण भाव है तो। बिल्कुल अनुभव होगा कि आप आत्मा है।इसमें कोई भी संशय नहीं है 🙏🙏🙏🙏
जो कुछ नहीं जानता उसको आप मनोगे क्या नहीं मनोगे जो कुछ नहीं जानता वह सब कुछजानता है वहयह भी जानता अगर आपको कुछ बताया तो गले में मरा हुआ सांप डालनेके बराबर क्योंकि तुम्हारी चमत्कार देखने की इच्छा नहींजाएगी बैठ के आग मैं हाथ भले ही जल जाए क्योंकि कुछ मनुष्य चमत्कार को नमस्कार में समेट कर रखते क्योंकि वह समाज में रहकर एकांत महसूसकर सके
पिंड को जानकर ही आत्मा का पता कर सकते हो। भाई महाराज जी आप कह रहे हो कि ये सोचो कि मैं आत्मा हूं ऐसे तो लोग सोच लेंगे कि मैं IAS,IPS हूं उसके लिए TEST PASS करने पड़ते हैं
भाई साहब चैनल पर जाने की बात नही है बात ये है कि जब पिंड के चक्कर समझ जाओगे तो फिर आत्मा और शरीर का कोई फर्क ही नही रहेगा बाकी अलग अलग चैनल अलग अलग बाते बता रहे हैं जैसे पहले लोग जमीन से बोरवेल का पानी मोनो ब्लाक मोटर से निकालते थे । उस मोटर पर यदि पानी गिर जाए तो वह खराब हो जाती है लेकिन बाद में सबमरसिबल मोटर आ गई और यह मोटर पानी के अंदर ही चलती है । इसको यदि पानी से बाहर चलाया जाए तब यह खराब हो जाती है। जब हम मोनो ब्लाक मोटर के मिस्त्री से पूछेंगें तो वो कुछ कहेगा और सबमरसिबल मोटर वाला उसी बात को दुसरी तरह से कहेगा मक़सद पानी निकालना है इसी तरह ये महाराज जी सिर्फ अपने विचार थोप रहा। ये एक तरह वाले मिस्त्री वाली बात बोल रहा है । इसको दुसरी मोटर पिंड के बारे में कुछ पता नही है और रही बात कबीर जी की तो वो सन्त नही थे बल्कि उस समय के दार्शनिक कवि थे
एक साल तक नहीं खाया था।आपकी जानकारी के लिए बता दूं। फिर आदेश हुआ तब से चालू किया है। संत जा हा का खाते हैं, उनके लिए प्राथना ओर भजन भी करते है 🙏 🙏 ये अपने ऊपर ऋण समझते हैं। इसलिए ऐसा बोला कि।सेवा ओर दान करना चाहिए।ताकि ऋण से परे हुआ जाए
सुपर सत्संग
વાહ.ગુરુ.વાહ
🙏🙏🙏
Jai ho hurudev
❤❤❤❤❤
जय गुरुदेव
🙏🙏🙏🙏🙏
साहेब बंदगी सतनाम जय गुरुदेव
बहुत बढ़िया सत्संग दिव्य हैं आप।
जय सनातन धर्म 🙏🙏🙏🙏🙏
सत्यम शिवम सुंदरम श्रीमन नारायण नारायण हरि हरि हरि हरि बोल हरि बोल श्री राधे 🌹🌹🙏🙏
प्रणाम गुरुदेव
🙏🙏
જયગરૂદેવ ભગવાન જયહો જયહો જયહો
Me aatma hu jao ho
🎉🎉🎉🎉
jaya hosa gurudev aapka parbachan bahut best he ❤❤
साहिब बंदगी सतनाम जय हो मालिक 🌺🥀🌷🌹🌼☝️🙏🙏
Bahut gyanvardhk, Sadar pranam, dhanyawad amritvani kalyankari hai
गुरूजी चरण बंदन
Saty yahi hai guru ji ko shat shat naman.🙏
🙏🙏🙏🙏
સાહેબ
बिल्कुल सही कहा संत जी आपने कुछ नहीं आता तो परब्रह्म को समर्पण कर दो। उसे ही गुरु बना लो। वो अपना आप ज्ञान और अनुभव की डोर फेंक कर पकड़ लेगा
Jai gurudev
आत्म ही सर्वत्र है, आत्म ज्ञान बिना नर डोले ।।
यूट्यूब पर पहिले बार सही विडीयो मिला
बाबा जी के ज्ञान कि बातो मैं बहूत गहराई छुपी हुई है.. नतमस्तक है.
अगर बाबाजी नंबर होतो दिजिये..
आप अपना नंबर दो,हम बात कर देंगे
🎉🎉❤
Tuhinirankar
है🎉🎉🎉🎉
Good information
babaji ka parbachan aru pani sunay dinu hosa jaya hosa parvu
❤❤
फूले कमल सोह सर कैसा।
निर्गुन ब्रह्म सगुन भए जैसा।
भगत हेतु भगवान् प्रभु राम धरेउ तनु भूप।
किये चरित पावन परम प्राकृति नर अनुरूप।
ज्ञान मान जहाँ एक उ नाहीं।
देख इ ब्रह्म समाय न सब माहीं।
जो तन मै धारण करता हूँ अनायास मे फिर उस शरीर को फिर त्याग देता हूँ।
जैसे मनुष्य पुराने वस्त्र को त्याग कर नया वस्त्र धारण कर लेता है।
महाराज जी जीव आत्म और आत्मा दो है कि ऐक। जो दो भेद मिटा दे।ऐक कर दे।जय बंदी छोड़ की
इसी को खोज लो एक या दो है बल्ब बिजली नहीं ओर प्रकाश ही बिजली है
@@DharmeshAgrawal-i7i ऐक क्षण के पृकाश में सब अनुभव हो जाता है।हमारे
गुरूदेव ने बहुत पहले से ज्ञान खोल दिया है
जय बंदी छोड़ की
@@prajvalkohli8126 लगता है अभी नहीं हुआ माना है
जब तक अपने-आप को को जानना है
नाभि ही दसवां दुवारा है।
आप कौन हो दश दुआर हो क्या
अलख निरंजन आदेश
Aap satya bata rahe ho
👍👍
हेली बाहर भटके कांई थारे सब सुख है घट माही।
घट यानि शरीर में खोजना करों बाहर मत भटको।
🙏🙏🙏🙏
आत्मा को जानने के लिए गुरु की मति ही अनिवार्य है बिना गुरु की मति के आत्मज्ञान नहीं होता
🎉
आत्मा मानवो सब जीवो मे होते हुए पृथक है।
सबकी विवेचना करो आत्मा का विवेचना नहीं हो सकती।
शब्द लेकर उलझे हो।
आतम अनुभव सुखद प्रकाशा तबमम मूल भेद भ्रम नाशा
🙏🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏
Guru Granth Sahib may likha ha jab Mann chit budhi key ackta ho jati ha tao maya say mukti ho jati first grantho ko samj kar fer nirakari avsatha may janam milta ha satgur pergut hota ha puran bharam kay roop may next parbharam key aradhana karta kartay kartay puran bharam parbhram nirakar bhagwan may leen ho jata ha hukam may leen ho jata ha khud ko bhul jati ha vo atma satgur nirkari kay charo may leen hukam may sama jati ha parbhram may sama jati ha hukam means ha jo ho raha ha bahakunth say bahakunth key sangat may sama jati ha es ko jeewan mukt boltay ha bahkunth may vo sab atmaya ha jo jeet kar jeewan mukti pa kar sansar say parbhram may leen hoyee ha atma drop ha samundir parbhram parmatma key jo janam laytay ha avtar bhagat sab he samundir nirakar key drops he ha vo apna roop bhul kar nirkari he ho jati ha lahir samundir may mil jati ha jeewan rahtay rahtay he hukam key sharan may he rahati ha atma jab tak sarir sansar may ha jeewan mukti pa kar atma say vo bhakunth may gagan mandel may niwas karti ha , vo peropkari satgur roop atma hoti ha sansar may samerpit bhav may rahti ha Grasti ho ja saniyasi . First atma gyan milta ha grantho say second maya say mukti third janam padarath bahkunth may beej say tree roop ho kar bahkunth jati ha atma puran bharam ho kar fourth avsatha hoti ha name padarath milna jis may sab khajanay mil jatay ha sab kirpa ho jati ha jab atma ko name key kirpa hoti ha bhagwan apna bana laytay ha apna name day kar vo atma app bhav gawa layti ha nirakar bhagwan kay param may simrati nirakar parmatma kay Charno may bina bolay he samaye rahti ha jasay he Hiran nad sunn kar khud ko bhul jata ha vismad key avsatha hoti ha end kay nirkari he nirkar div darishati say dikhta ha sansar may dusra koe nahi lagta dusra koe ha he nahi name key masti may Jeeta ha vo bhagat , nasha ho jata ha parmatma ka
कोई ऐसा रूप मुझे बताये जिसमे आधार आत्मा न हो।
सबमे होते हुए भी एक ही है दो नहीं।
कबीर कबीर क्या करें खोजों आप शरीर। पांचों इन्द्रियां बस करो आपो आप कबीर।
अपने शरीर में ही खोजना है और महाराज जी बता रहे हैं कि चक्रों में मत उलझो। क्या आत्मा शरीर में नहीं है
चक्र साधना प्रकृति तक सीमित है। ओर परमात्मा का भेद ,काया से परे का है।अर्थात प्रकृति से परे। 🙏🙏🙏
चक्र में उलझने के बाद , सुलझना मुश्किल होता हैं। जैसे कि अभिमन्यु फंस गया था।
सुरत को शब्द में लगाना है। चक्र में नहीं।
@@DineshNagar04 आपने इसका अनुभव किया है ? आपका शब्द कहां पर प्रकट हुआ आपको पता है ?किस स्थान पर आपका शब्द है? शब्द कहां पर प्रकट होता?
@@DineshNagar04 अभिमन्यु की तरह ही सभी की हालत हो रही हैं इसलिए अंदर जाने से डर रहे हैं क्योंकि उन्हें बाहर निकलने का भेद मालूम नहीं है।
जिमि मुख मुकुर मुकुर निज पानी।
गहि न जाहि अस अद्भुत बानी।
जैसा मनुष्य है। क्या सीसे मे भी वैसा है।
सीसे के प्रतिविम्ब मे सांस आधार है क्या।
सीसे को पानी मे रख कर देखो क्या अकुलाहट है।
लेकिन आप पानी मे। डूब कर देखो।
अंतर समझ मे आ जायेगा।
कहना समझना कठिन है।
Aatma Sareer me hai our Sareer me keechad bhara hai kamla aasan chahiye
आत्मा को जानने से पहले प्रकर्ति को जाने
प्रकर्ति को जानने पर ही ब्रम्ह सहज सरलता से समझ मे आ जाता हैं
हम उसे प्रैक्टिकल सहित समझा सकते हैं
गुरुदेव मेरा प्रश्न है कि अध्यात्म मार्ग में साधक को बगैर पूरे गुरु की मदद के समर्थन में चढ़ाई हो ही नहीं सकती तो साधक पूरे गुरु को कैसे पहचानें, आप समझाने कि दया करे 🎉
आपकी लगन है,तो गरु खुद अपने शिष्य को खोज लेता है
सतगुरु वो होता है जो सत्य ओर असत्य का ज्ञान करा देता है
जो गुरु जड़ ओर चेतन का निवेडा करा देता है
असली सतगुरु वो ही होता है जो जो अपनी आत्मा का दर्शन करा दे अपनी आत्मा का भेद बता दें जीव को कि हे जीव आत्मा ,तू शरीर नहीं है तुम एक आत्मा हो तू जीव तो बनकर चोरासी योनियों में अज्ञान के कारण भटकता फिरता है तूं एक आत्मा है तेरा स्थान इस काया शरीर में नहीं है तेरा असली घर इस काया शरीर से न्यारा है वह घर अमर है अटल है अविनाशी है यह नाशवान शरीर घर को तुम ने धारण किया है यह तो किराये का मकान है असली मकान तो इस काया माया से न्यारा है यहां तो तेरी सुरता फंस गई है वापिस भेदी गुरु से भेद लेकर अपनी सुरता को अपने निज घर पर सिथर कर मालिक दया करेगा
आत्मा में सुरता को सिथर करना है आत्मा ही तेरा असली घर है तेरे असली घर मे ही परमात्मा का वास है
तभी तो कहते हैं कि तेरी आत्मा में ही परमात्मा का वास है
यहां भेद है यहां पर
तीन है
तेरी कौन है इसको जानना है वह जीव आत्मा, सुरता, ध्यान, हंस आत्मा
आत्मा कौन है यानी परमात्मा का घर है
परमात्मा कहां है उसके घर में
आत्मा यानी मां की गोद
परमात्मा यानी मां
आत्मा ओर परमात्मा एक ही है अगर आत्मा स्थिर है तो परमात्मा ही स्थिर है
जहां आत्मा को ढूंढोगे वहां परमात्मा मिल जायेगा
यानी दूध में ही घी है
घी दूध में ही है
केवल मंथन करना है
मंथन जीव आत्मा ही करेगी
केवल भेद से ही मंथन होता है
सुरता को अपनी आत्मा घर में स्थिर करना है उसे ही सतगुरु के चरणों में ध्यान लगाना कहते हैं सतगुरु के चरणों में ध्यान लगाने पर परमात्मा प्रकट हो जाते हैं यानी आप ही शब्द स्वरूप हो जाते हैं जैसे नदी समुद्र को पाकर समुद्र ही हो जाती हैं
साहिब बंदगी सतनाम जी
उसे ही पुरा गुरु माने जो पास में बिठाकर यह सारा अनुभव मात्र तीन घंटे में करवा दें एक ही बार में। दशवें द्वार के पार पहुंचा देवें। वही पुरा संत हैं। नाम दान का एक बार में एक नाम दुसरी बार में दूसरा नाम फिर तीसरी बार में तीसरा नाम यह सब ढोंगियों का काम है। चेले बनाना भी ढोंगियों काम है। संत हमेशा संत ही बनाते हैं चेले नहीं।
बाते करने से कुछ नही होता साक्षात्कार करना पड़ता है पूरे जीवन का कइ जन्म लग जाते है
🙏🙏
आत्मा प्राण आधार प्रगट होता है। आत्मा को द्रव स्वांस मान लो।इसके आगे कुछ नहीं समझ पाओगे।
जहाँ पूर्ण ब्रह्म प्रगट होगा
वह शरीर जीते जी मर जाएगा।जिसके आधीन समूची प्रकृति है।
भगवान् आत्मा आधार ने ही राजा राम और कृष्ण शरीर धारण किया था।
जो प्राकृति नर जैसा आचारण चरित्र कर दिखाया।
आत्मा आधार पाँवर आप से भिन्न है। सब मुर्दे भूत है।
अपने को आत्मा कह रहे हो शरीर कौन है
जब गुरु पूर्ण ब्रह्म है तो यह मरने वाला शरीर कौन।
स्वास अजय अमर है जो सबका आधार है।
@@zdayaramyadav मरने बाला शरीर माया है, जो आता हैं,जाता हैं माया समझो।
स्वास भी थम जाएगी।ये भी प्रकृति तक है। तुम ओर हम स्वास भी नहीं हैं। दृष्टा, दृश्य और, दृश्यमान। तीनों को समझना है। स्वरूप अभी भी अलग है 🙏🙏🙏🙏🙏
मेरी बुद्धि के अनुसार बाकी तो गुरु से पूछकर बताएंगे 🙏🙏🙏
@DineshNagar04 पगु विनु चले ।
विनु पंख हम चहे उड़ा ना।
स्वाँस को पंख पग की जरूरत है।
ध्यान दो शरीर स्वाँस आत्मा से प्रग ट होता है
और इसी के कारण समाप्त हो जाता है।
निर्गुन ब्रह्म सगुन होइ कैसे।
हिम जल उपल विलग नहि जैसे।
पृथ्वी मंडल कहां तक है और गगन मंडल कहां है और ब्रह्मांड कहां है शरीर मेंकृपया बताएं
पुराने वीडियो में महाराज जी ने बताया है।🙏🙏🙏
Maharaji m ye soch lu ki m modi hu kya ban jaunga Aatma ka bedh batao ki aatma kha h
@@ShyamKumar-ol5rx अनुभव हो जाएगा। अगर लगन है तो। सत्संग में रुचि है तो।
गुरु के प्रति समर्पण भाव है तो। बिल्कुल अनुभव होगा कि आप आत्मा है।इसमें कोई भी संशय नहीं है 🙏🙏🙏🙏
Gol gol karte bun gaie jalebi. N kahi gaye n kahi pahunche ji. Atma kahan se aayi kiun aayi or kahan gaie Or kiun gaie, Sir.
हम किसके द्वारा लिख रहे हैं ।और आप किसके द्वारा पढ़ कर प्रश्न पूछ रहे हो
।
एकादश खिड़की काया से बाहर
बो सबको पता है 🙏🙏🙏
अब साधना में कुछ भी छुपा हुआ नहीं है।सब भेद हमारे संतो ने समय समय पर खोला है 🙏 जिसमें
जो कुछ नहीं जानता उसको आप मनोगे क्या नहीं मनोगे जो कुछ नहीं जानता वह सब कुछजानता है वहयह भी जानता अगर आपको कुछ बताया तो गले में मरा हुआ सांप डालनेके बराबर क्योंकि तुम्हारी चमत्कार देखने की इच्छा नहींजाएगी बैठ के आग मैं हाथ भले ही जल जाए क्योंकि कुछ मनुष्य चमत्कार को नमस्कार में समेट कर रखते क्योंकि वह समाज में रहकर एकांत महसूसकर सके
सब सतनाम के झंणे के नीचे आयेगें..
पिंड को जानकर ही आत्मा का पता कर सकते हो। भाई महाराज जी आप कह रहे हो कि ये सोचो कि मैं आत्मा हूं ऐसे तो लोग सोच लेंगे कि मैं IAS,IPS हूं उसके लिए TEST PASS करने पड़ते हैं
Bilkul Bhai 😅😅
सोचना नहीं है। स्वीकार करना है। भजन करागे तो ये प्रश्न नहीं उठेगा। जो अभी उठ रहा है। आत्मा को पहले जान लो मन द्वारा फिर मन को जान लो।बात खत्म
@Dineshnagar000 भाई साहब आप को पता ही नहीं है कि मन के द्वारा आत्मा को जाना ही नहीं जा सकता शायद आपने गीता नहीं पढी
एक बार कहत कबीर सुनो भाई साधो चैनल या नितिन दास सतसंग पर जाओ फिर सच्चाई पता चलेगी
भाई साहब चैनल पर जाने की बात नही है बात ये है कि जब पिंड के चक्कर समझ जाओगे तो फिर आत्मा और शरीर का कोई फर्क ही नही रहेगा बाकी अलग अलग चैनल अलग अलग बाते बता रहे हैं जैसे पहले लोग जमीन से बोरवेल का पानी मोनो ब्लाक मोटर से निकालते थे । उस मोटर पर यदि पानी गिर जाए तो वह खराब हो जाती है लेकिन बाद में सबमरसिबल मोटर आ गई और यह मोटर पानी के अंदर ही चलती है । इसको यदि पानी से बाहर चलाया जाए तब यह खराब हो जाती है। जब हम मोनो ब्लाक मोटर के मिस्त्री से पूछेंगें तो वो कुछ कहेगा और सबमरसिबल मोटर वाला उसी बात को दुसरी तरह से कहेगा मक़सद पानी निकालना है इसी तरह ये महाराज जी सिर्फ अपने विचार थोप रहा। ये एक तरह वाले मिस्त्री वाली बात बोल रहा है । इसको दुसरी मोटर पिंड के बारे में कुछ पता नही है और रही बात कबीर जी की तो वो सन्त नही थे बल्कि उस समय के दार्शनिक कवि थे
कबीरा सब जग अंधाला जैसे अंधी गाय बच्चा था सो मर गया उभी चाम चटाई
Jo galat comment kar rahe h .bo agyaani h, or khud ko gyani samjh rahe h
राम रूप मे आधार प्राण मै नहीं था। या कृष्ण रूप में
आधार के द्वारा शरीर प्रेरित होता है।शरीर से आधार नहीं।
कुछ जानने के लिए कोई तरीका होता है ऐसे ही कुछ भी नहीं हो जाता सोच लो मेरे पास हवाई जहाज है तो क्या हवाई जहाज आ जाएगा
सोचने के लिए नहीं बोला ,विचार करने की बोला है,
कबीर साब ने कहा है। कहे कबीर विचार।
आप खुद विचार करे, अनुभव हो जाएगा। ज्ञान दृष्टि
@DineshNagar04 विचार का मतलब ही सोचना है
ईनृद्रियो को खाद पानी
देश का बंद करे ईमानदारी
से जीवन निर्वहन करें!
एक साल तक नहीं खाया था।आपकी जानकारी के लिए बता दूं। फिर आदेश हुआ तब से चालू किया है।
संत जा हा का खाते हैं, उनके लिए प्राथना ओर भजन भी करते है 🙏 🙏
ये अपने ऊपर ऋण समझते हैं। इसलिए ऐसा बोला कि।सेवा ओर दान करना चाहिए।ताकि ऋण से परे हुआ जाए
Maharaj jo ko aatma gyn nahi hai
बिल्कुल है, कोई भी संशय नहीं है 🙏🙏
आप ज्ञान की बात कर हो, इनके पास तो ज्ञान का भंडार है
काल और दयाल नाम से वीडियो देखो।उसमें सब बताया है🙏🙏
प्रकृति का आधार देखा है क्या है।
अन्न जल विना आधार प्राण आत्मा स्वाँस के खाएगा।
सब काल्पनिक बातें। कुछ शर्म करो।
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Jai gurudev
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