‘तांत्रिक संभोग क्या है?? कुछ विशेष विधियों पर आधारित एक ध्यान
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- เผยแพร่เมื่อ 15 ก.ย. 2024
- तांत्रिक सेक्स क्या है
“तंत्र परमात्मा तक जाने का स्वभाविक मार्ग है, परमात्मा तक जाने का साधारण मार्ग। लक्ष्य है कि इतने सहज हो जाओ, मन से इतने परे, कि हम परम स्वरूप में लीन हो जायें - कि स्त्री खो जाये और परम का द्वार हो जाये, पुरुष खो जाये और परम का द्वार हो जाये।
यह हमारी कामुकता की एक तांत्रिक परिभाषा है: पूर्ण निर्दोषता की ओर, पूर्ण एकरूपता की ओर लौटना। सबसे बड़ी कामुक उत्तेजना, और-और उत्तेजनाओं की तलाश नहीं, वरन एक मौन प्रतीक्षा है - पूर्ण विश्रांत, पूर्णता मन के पार। इसमें तुम जागृत होते हो, अपनी जागरूकता के प्रति जागरूक। तुम बस चैतन्य होते हो। तुम तृप्त होते हो पर वह तृप्ति अकारण होती है। और तब उसमें एक महान सोंदर्ये है, एक महान आशीर्वाद है।
प्रश्नकर्ता ने पुछा है: ‘तांत्रिक संभोग क्या है...कुछ विशेष विधियों पर आधारित एक ध्यान?
अगर तुम बहुत तकनीक उन्मुख हो तो तुम तंत्र के रहस्यों से चूक जाओगे। जो तंत्र तकनीक पर आधरित है वह तंत्र झूठा है, वह ‘सूडो-तंत्र’ है क्योंकि अगर वहां विधियां होंगी तो वहां अहंकार भी होगा, जो तुम्हें नियंत्रित करेगा। तब तुम करने वाले होगे - और करना ही समस्या है, करना कर्ता को लाता है। तंत्र में करना नहीं होना चाहिए; यह तकनिकी नहीं हो सकता। तकनीकें तुम सीख सकते हो - तुम खास तरह से श्वास लेना सीख सकते हो ताकि सहवास लंबा हो जाये। अगर तुम बहुत धीमे-धीमे श्वास लो, अगर तुम बिना किसी जल्दबाजी के श्वास लो तब सहवास लंबा हो जाएगा, पर तुम उसे नियंत्रित कर रहे हो। तब वह अनियंत्रित और निर्दोष नहीं होगा। तुम तेज श्वास भी नही ले सकते, तुम्हें अपनी श्वास धीमी रखनी होगी - अगर श्वास धीमी है तो वीर्यस्खलन में अधिक समय लगेगा, क्योंकि वीर्यस्खलन होने के लिए श्वास तेज और अराजक होनी चाहिए। अब, यह एक तकनीक है पर तंत्र नहीं।
तंत्र तकनीक नहीं बल्कि प्रार्थना है। यह दिमाग से नहीं होता वरन यह अपने हृदय के भीतर विश्रांत हो जाना है। कृप्या इसे स्मरण रखना। तंत्र पर बहुत सी किताबें लिखी गयी हैं, वे सब तकनीक की बात करती हैं पर वास्तविक तंत्र का तकनीक से कुछ लेना-देना नहीं है। वास्तविक तंत्र के बारे में तो कुछ लिखा ही नहीं जा सकता, वास्तविक तंत्र को तो आत्मसात करना होता है। वास्तविक तंत्र को कैसे आत्मसात करें? इसके लिए तुम्हें अपना पूरा दृष्टिकोण बदलना होगा।
अपनी प्रेमिका के साथ प्रार्थना करो, अपनी प्रेमिका के साथ गाओ, अपनी प्रेमिका के साथ खेलो, अपनी प्रेमिका के साथ नाचो, बिना यौनक्रिया के बारे में कोई विचार किए। यही मत सोचते रहो, कि ‘हम बिस्तर में कब जायेंगे?’ उसको भूल जाओ। कुछ और करो और उसमे खो जाओ। और किसी दिन इसी खो जाने में प्रेम उठेगा, अचानक तुम देखोगे की तुम प्रेम कर रहे हो और तुम करने वाले नहीं हो। वह बस हो रहा है, तुम इससे आविष्ट हो। तब यह तुम्हारा पहला तंत्र अनुभव है - अपने से किसी महान से आविष्ट। तुम साथ में नाच-गा रहे थे या साथ में कुछ रहे थे या साथ में प्रार्थना-जप कर रहे थे या साथ में ध्यान कर रहे थे, और अचानक तुम दोनों पाते हो कि तुम किसी नए ही आकाश पर पहुंच गए। और तुम्हें नहीं पता कि कब तुम प्रेम क्रिया में रत हो गए; तुम्हें कुछ याद ही नहीं रहा। तब तुम तंत्र की उर्जा के अधीन हो गए। और तब पहली बार तुम उस गैर-तकनिकी अनुभव को देखोगे।
1 no. Bhai.
Love you our Beloved Master ❤❤❤
❤🎉 Jai Ho, sprem Osho Prem Naman
Lord osho is everything for better future of the world
@@natubhaijadav4519 💗💌
Thanks
Why I love Osho 😂❤😂❤
I love you osho ❤
Sound is reverting 😊
Guruji. 100.pratisad.sach.bola.hai.osho.sat.sat.naman
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Pranam
@@BLGupta-wx1ek अहोभाव
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Is video ka baki part kaha hai? Avi chaiye
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All world believe in Buddha shamm only lord osho is a result of lord Buddha
वाह 👌👍💕❤🙏🙇♂
Discourse name or link?
@@crazypj9951discourse name is " tap"
@@OshodiscourseSamin Tap naam ka to koi discourse hai hi nhi
@@sauravnegi7210shi bola
Very good
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Aaj jo world me enlightenment hai vo chat original lord ki den hai.
Vo char insan hai
First..lord kabirsahab
Second..lord Buddha
Third..lord osho and
Forth..dr.b.r. Ambedkar
@@natubhaijadav4519 You are right 💗
@@OshodiscourseSamin Mahaveer Krishna sbse upar hai kyuki vo aapke kaam me chot kr denge
Yeh speech bilkul kalpnik hai. 😂 Kyuki kaam ko dabana ya kuchlna hi pdega kyuki 1000 sambhog ke baad bhi tum normal na ho skoge kyuki ye cycle hai jo ghumti hi rhegi, isliye agar tum 1000 sambhog bi kr chuke ho toh tum 1001 ke liye bhi bdhoge, isliye agar gyan marg mei ho toh 1000 sambhog ke anubhav ke baad bhi kAam ko dabbana hi pdega aur agar bhakti margi ho toh apne mighty ke Prem mei dabana pdega.
Dhayan mein kiya gya sambhog...ek din aapko sambhog se upar utha sakta hai...chahe wo 1001 par ho ya 1002 par...agar dhayan aur pramatma ko pane ki chaah mein kiya hoga to hi ye sambhav hai...anyatha 1003 ke liye bhi mann karega
@@bantigupta416 bhai ye bi osho ki speech h, rattu tote Mt bno ye sb sunne mei achha lgta hai, vastvikta se apne bhitar apne anubhav se jhanko.. tb pta chlega ki dhyan se kiya gya kya hai aur dhyan kya hai, jab tak pavitar budhi se puran lakshay nhi bnaoge tb tak sare dhyan mei kiye gye karya isi cycle mei aakar dhre ke dhre reh jayenge, 1000 bar kiye gye alag alag stree se sambhog se mera kehne ka matalab itna hi hai ki agar tum iski cycle smjh gye ki jitna kro aur jada krne ki ichha badhti hi jaa rhi hai aur Sanatan tikau aanand milta hi nhi toh fir uss anubhav ke adhar par tumhe kaam ko dabana hi pdega par Haan tumhara anubhav tumhara sath dega jarur lekin fir bhi vapis uss khaayi mei girne ki sambhavna utni ki utni hi bni rhegi. Isliye dabana toh pdega hi, lekin anhkaar se nhi hardikta se.
@@Zishu-uv4pvओशो एक भ्रांतचित्त, अध कचरा ज्ञान , भ्रमित दृष्टिकोण वाले व्यक्ति थे। डायबिटीज से मरे तब पता चला की ये भगवान नही साधारण इंसान ही थे। खूब ठगा लोगों को ।जो मन में आ रहा वह बोलते जा रहे हैं, दमन का अर्थ जो आज है वही अर्थ तब भी था।
Hey, in my experience, the more you do it, the more bored you get. Also, how can you be a devotee of something you've never seen and only read about in books? You can't truly be devoted unless you've experienced something beyond yourself, which isn't possible for someone who thinks procreation should be avoided and considered taboo. Lord Krishna was a real brahmachari, even after marrying 16,000 brides and having lakhs of children, not because he suppressed his procreation, but because he knew who he was. This is what Osho also talks about: know thyself.
मैंने इसी बात को कहा है भाई कि कामवासना की पूर्ति के लिए तुम जितना संभोग की गहराई में उतरोगे पर तुम पूर्त ना हो सकोगे, हां कुछ समय के लिए उब जाओगे, बस इसी उब को मैं अनुभव कह रहा हूं, ये अनुभव तुम्हारा साथ देगा कि यहां शास्वत आनंद नहीं है लेकिन इसमें गिरने की संभावना उतनी ही है जितनी पहले थी, इसलिए मैं कह रहा हू कि इस बोरिंगनेस के अनुभव के बाद तुम इसे खुद दबाओगे सनातन टिकाऊ आनन्द की खोज में या तुम्हें दबाना पड़ेगा, जबतक की तुम्हें वह सनातन आनन्द नहीं मिल जाता। उस सनातन आनंद तक पहुंचने के लिए अपनी अपनी बुद्धि और मनोदशा के आधार पर लोग अपने अपने ढंग से अपनी बोरिंगनेस वाले अनुभव या समझ को जिंदा रखने के लिए रास्ते का निर्माण करते हैं, जैसे तुम खुद को अपने से पार देखने की बात कह रहे हो लेकिन तुमने खुद को अपने से पार देखा नहीं है, और ना ही श्री कृष्ण को तुमने देखा है, और ना ही ब्रह्मचारी क्या होता है इस बारे में तुम्हें कुछ खबर है। बस तुमने ये ओशो जैसे विभूतियों या अन्य अन्यों से सुनकर मान रखा है या पढ़कर मान रखा है, जो तुम्हारी मनोदशा के अनुरूप तुम्हारे बोरिंगनेस वाले अनुभव को जिंदा रखने में मददगार है, बस इसी को ईश्वर कह लो या ईश्वर की भक्ति, ज्ञान कह लो या कर्म, बस इसी तरह सबके अपने अपने रास्ते हैं जिसे कुछ भी नाम दिया जा सकता है, लेकिन कुछ मानकर चलना ही पड़ेगा और जो माना है उसके विश्वास, आस्था या भक्ति में तुम कुछ दबाओगे ही। जबतक उस लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो जाती है, लेकिन इस दबाने में अज्ञानता में दबाया जाने वाला दर्द तुम्हारे साथ नहीं बल्कि अपने अनुभव का ज्ञान और समझ तुम्हारे साथ होगी, और यह बात सिर्फ कामवासना के संबंध पर ही मैंने नहीं कही है बल्कि यह बात भौतिक जगत की हर वस्तु पर लागू होती है जिसे तुम नशा या भोग बना दोगे, उससे उपर उठने का बस यही एक अध्यात्मिक विज्ञान या साइकोलॉजिकल साइंस है। जिसे अनेकों प्रकार से कहा सुना और पूरा किया जाता रहा है।
Osho khud ek dukhi aatma tha jo drugs sex aur rolls Royce me sukh doondta tha bakwaasia tha criminal tha galat knowledge de gaya
@@MuneshKumar-me6vx ओशो नमन 🙏
Tu bhi alag nai dikhra 😂
जो गलत होता है वह नॉलेज नहीं देता
🌹🌹🙏🙏
I love you osho ❤
🙏
💝
@@kdhirpara 💗