भव्य मंदिर= समदड़ी (बालोतरा) अन्य मंदिर= मसूरिया (जोधपुर) मेला = समदड़ी गागरोन में। नाम स्मरण (भक्ति) मोक्ष को प्राप्त करने का साधन है। मृत्यु= चैत्र कृष्ण नवमी संत पीपा ने मूर्ति पूजा का विरोध किया।
संत पीपा का जन्म गागरों में 1425 ईस्वी में हुआ सर संत पीपा के गुरु रामानंद थे इन्हे निर्गुण भक्ति का जनक कहा जाता है क्युकी सबसे पहले इन्होंने मूर्ति पूजा का विरोध किया था ।
सबसे छोटी रानी सीता की प्रेरणा से भक्ति का रास्ता अपनाया
❤❤❤❤
Nice session sir 🎉 🎉
धार्मिक आंदोलन के जनक संत धन्ना जी है ।
भक्ति आंदोलन के प्रथम सन्त थे
वैष्णव धर्म के प्रचारक थे सन्त पीपा जी ।
राजस्थान में निर्गुण भक्ति परंपरा के जनक संत पीपा जी है।
Nice class sir 🎉🎉
दर्जी समुदाय के अराध्य देव है ।
Fantastic 👌👌👌
Thanks 🤗
इतना ही याद आया सर बाकी लिख लिया हमने 😁😊😊🙏🙏🤟🤟
Fantastic class sir Thanku so much sir 🙏🙏🙏🙏💫💫💫💫💫💫💯💯💯👏👏
Good morning sir
Morning
बालोतरा के समदड़ी में पीपाजी का मंदिर ह
Ha ek बात और ये दर्जी समुदाय के अनुयाई थे
😁😁
Pipa Kshatriya darji samaj ke mharaj h ye darji toh bhut h alag alg
बचपन का नाम = प्रतापसिंह
गुरु= रामानंद
बहोत खूब सर जी ❤️❤️❤️❤️
Nice class guruji 👍🎉💫👌
जन्म गागरोन झालावाड़ में हुआ
मसूरिया ओर गागरोन में भी इनके मंदिर है ।
पिता का नाम= कड़ावा राम खींची
माता का नाम= लक्ष्मीवती
रानी= 20(सीता) भक्ति में सहयोग किया।
संत पीपा का जन्म= 1425ई.( चैत्र पूर्णिमा) गागरोन में हुआ
इनकी मृत्यु में संसय है चेत्र कृष्ण पक्ष में हुई
अचलदास खींची री वचनिका ( शिवदास गाडण ) के अनुसार इन्होंने फिरोजशाह तुगलक को पराजित किया ।
Sir 20 रानियां confirm nhi h
@@ranjantak6260 hmm
गागरोन में आहू व कालीसिंध नदियों के संगम पर बनी गुफा में इन्होंने तपस्या की जहा पर इनका भव्य मंदिर बना हुआ है
संत पीपा का छतरी गागरोंन में हैं।
भव्य मंदिर= समदड़ी (बालोतरा)
अन्य मंदिर= मसूरिया (जोधपुर)
मेला = समदड़ी गागरोन में।
नाम स्मरण (भक्ति) मोक्ष को प्राप्त करने का साधन है।
मृत्यु= चैत्र कृष्ण नवमी
संत पीपा ने मूर्ति पूजा का विरोध किया।
रामानन्द जी इनके गुरु थे ।
संत पीपा का जन्म गागरों में 1425 ईस्वी में हुआ सर
संत पीपा के गुरु रामानंद थे
इन्हे निर्गुण भक्ति का जनक कहा जाता है क्युकी सबसे पहले इन्होंने मूर्ति पूजा का विरोध किया था ।
संत पीपा की 20 रानियां थी जिसमे से सबसे छोटी रानी सीता ने उनको भक्ति मार्ग दिखाया था
वैष्णव धर्म के प्रचारक थे सन्त पीपा जी ।