धन्यवाद, आप इसी प्रकार धर्म का प्रचार प्रसार करते रहें।इतनी सरल भाषा में इतने जटिल विषयों को समझाना सचमुच अद्भुत है। आपका अभिनंदन, आपका धन्यवाद। वंदे मातरम।
सत्यप्रकाश जी, अभी दो एक दिनों से ही मैंने आपको सुनना आरंभ किया है लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि आपके कारण मैं भी बहुत अच्छे से समझ पाऊँगी सनातन को। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।🙏
Sir koti koti pranam aapko. Bahut raaz chhupa hai, jo jan nehi paa raha tha. Aab jiban saral sa lag raha hai. Bahut kuch janna baki hai aabhi. Aur bhi informative video banaye isse jiban saral sa malum hota hai. Thank you so much. Pranam aapko.
सत्य प्रकाश जी आप एक महान मानव है जो भँलि भाँति भगवान को जान सकते है,,,,,? जानना,मानना,एवं पूँजना यह समाजिक प्रति क्रिया होती है जैसे रचयिता,वक्ता और श्रोता इन सभी छै क्रियाओ से भी हटकर आपने दुनियाँ का ईश्वर का शाक्क्षात कार कराने का प्रयास कर रहे है,,,,? यदपि सखा मैं उर पुर वासी। प्रथम ज्ञान गुप्त करि राखी।। आपमे जो काबिलियत का इल्म है वो प्रणाम करने के योग्य है आपको मेरा कोटि कोटि प्रणाम,,,,? परन्तु आपको प्रभु के साक्क्षात कार करने वाली विधि की अति आवश्यकता है तभी आप अपने आपकी और स॔सार की तृप्ति के भागीदार ( सागर ) बन सकते है,,,,,? उसके लिऐ ध्यान पूर्वक एकाग्र शुद्ध चित्र होकर वेद शास्त्र पुराणो मे से जो ( 28 ) जैसे ग्रंथो के रचयिता वेद व्यास की भूमिका मे आकर सुखमय जीवन मार्ग का दर्शन जगत को देने का संकल्प लेना होगा? यही वो मर्म है---- छण महि सबहि मिलै भगवाना। उमा मरमु यह काहु न जाना।। सोई जानहिं जेहि देहिं जनाहीं। जानति तुमहिं तुमहिं होई जाहीं।। संसार के सभी मनुष्यो की सोच को बदलते हुऐ सत्य न्याय और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देना होगा। जैसे धर्म और अधर्म के संगम से शृष्टि का संचालन किया जाता है इन्ही दोनो के मत भेद के कारण युगो का परिवर्तन होता है। अधर्म शक्ति ( ज्ञान रहित ) लेता है। धर्म को दिव्य द्रष्टि ( ज्ञान सहित ) प्राप्त होती है। शक्ति और ऊर्जा का संगम है शिव आवश्यकता अनुसार सभी को शिव जी अपना दर्शन देते है,,,,,? जय शिव शंकर आपका कल्याण हो शुभ रात्री
सत्य प्रकाश जी हमने आपके अधिकतर वीडियो देखी हमें बहुत पसंद आया और कहीं ना कहीं हमें ऐसा महसूस भी हो रहा है कि आपके बताए हुए बहुत सारी बातें हमें अध्यात्म के रास्ते को मजबूत करती है, कृपया कर मां दुर्गा मां शक्ति की उपासना करते है उसे और बेहतर तरीका से हम किस तरह से उपासना कर कर सके माता भगवती के ऊपर भी थोड़ा आध्यात्मिक जानकारी दे
सबसे पहले होती है ब्रह्म शक्ति ,, जो कि निरंतर चलती रहती है ,, उसी से पैदा होता है हिरण्यगर्भ ,, यानी,, सोने की आकार वाला अंडा ,, और जब वह हिरण्यगर्भ में विस्फोट होता है ,, तो उसमें में से 33 कोटि देवी देवता उत्पन्न होते हैं ,, जिसमें से ब्रह्मा विष्णु महेश सर्वश्रेष्ठ होते हैं,, ब्रह्मा यानी कि,, स्वरमंडल विष्णु यानी कि,, मैटर शिव महेश यानी कि,, एनर्जी ऊर्जा वैसे ही पवन देव यानी की,, हवा इंद्रदेव यानी की ,, बरसात इसमें कोटि का अर्थ आर्थिक यह भी है कि इसमें कोटी स्वरूप माना गया है जैसे कि वासुदेव यानी कि विष्णु ,, रुद्र यानी की शिव
सत्य प्रकाश जी सर्व प्रथम आपको प्रणाम आपके परिश्रम के लिए मुझे लगता है कि विष्णु जी अर्थ यहां प्राकृति से है क्योंकि प्राकृतिक के गर्भ से ही प्राणी की उत्पत्ति हुई है। विष्णु जी को ही पालनकर्ता बताया गया है और प्राकृति ही हमलोगों का पालनहार है धन्यवाद
Shiv Ling yani Shiv ka prtik Aap Khud keh rahe ha ki Shiv ka koi aakar nehi h too fir fir shiv Ling k time Kyun Aakaar bana k samjha rahe jo Log Shiv Ling Ko Unke Arth ko jane bina Maan lete ha Bo Shiv dhrohi ha . Jese ki Shiv ling ko sudh hindi main Kehte ha 🔱Pindi 🔱 Vese he shiv ling ko Sanskriti main शिवाय लिंगम कहते है । Arthaath Shiv ka prtik Yeh Rup inhone 🚩Vishnu ji or Bramha ji ko dekhya tha 🚩. Jub Bo apsh main Khudko ek dusre se bada dekha rahe thea too . Or jaha शिव लिंग स्थापित है बो पृथ्वी का प्रतीक ha 🔱 Jub Hindustaan main Muslim ne aakraman kia Too unhone sub kuch nesht kar k hume . Hume nicha dekhane k maksad se esa esa mat Nikaala k Jaliil kia . 🔱Mera shivi se anurodh ha Ki shiv k bare main Galat Dharna na FrhLaye Jaye . Baaki aap k Gyaan se main puri tarha Sehmat hun . 🛐Shiv के बारे में यह मुझे नही अच्छे लागे✨ विचार 🔱जय गौरी शंकर 🔱
सर जी, गीताजी में पूर्ण पुरषोत्तम श्री कृष्ण ने कहा है कि अध्याय 10 श्लोक 23 मैं समस्त रुद्रों में शिव हूँ, यक्षों तथा राक्षसों में सम्पत्ति का देवता (कुबेर) हूँ, वसुओं में अग्नि हूँ और समस्त पर्वतों में मेरु हूँ | और अर्जुन ने स्वीकार किया है कि अध्याय 11 श्लोक 22 शिव के विविध रूप, आदित्यगण, वासु, साध्य, विश्र्वेदेव, दोनों अश्र्विनीकुमार, मरुद्गण, पितृगण, गन्धर्व, यक्ष, असुर तथा सिद्धदेव सभी आपको आश्चर्यपूर्वक देख रहे हैं | समझाइए सर...
यज्ञ के बारे में पूरी जानकारी हो यज्ञ क्यों क्या, कैसे,मुख्य बात क्या होती है, सिद्धांत क्या है यजमान और पुरोहित क्या होते है यज्ञ के प्रकार आदि की संपूर्ण जानकारी हो ऐसी वीडियो बनाए जी।
सत्य प्रकाश sir, मुझे आपसे प्रश्न है कि, हिरन्यगर्भ से समस्त ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई है तो 1.भगवान विष्णु को हिरन्यगर्भ क्यों कहा गया है? यानी कि क्या भगवान विष्णु से ही समस्त सृष्टि का उत्पत्ति हुआ है, और भगवान विष्णु के नाभि कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति होता है और वह सृष्टि रचना करती है, 2.एक प्रश्न है कि भगवान विष्णु तो पुरुष है तो उनकी नाभि से क्यों ब्रह्मा जी पैदा हुआ? और अपने कहां की भगवान शिव हिरन्यगर्भ के स्वामी है मुझे एक बात समझ नहीं आया की अपने कहा की सौर मंडल निराकार शिव के मूलाधार चक्र है जहां उसका लिंग है और वहीं पर आदिशक्ति का योनि है, और इनसे ही सृष्टि उत्पन्न होती है। 3.परंतु मुझे एक संशय है की भगवान शिव जो निराकार ब्रह्म है तो ए समस्त अंतरिक्ष, नक्षत्र और जो आकाशगंगा है यह सारी चीजों का तो कोई लिंग नहीं है यानी कि ए समस्त तो वस्तु है जो अंतरिक्ष में स्थित है वह ना तो नारी ना तो पुरुष और ना ही और लिंग एवं गोत्र में आते हैं। तो अर्धनारीश्वर रूप में भगवान शिव कैसे आधा अंग स्त्री और आधा पुरुष का हुआ? 4.और जब ब्रह्मा जी को सृष्टिउत्पन्न करने में समस्या होती थी तो वह तपस्या के माध्यम से निराकार ब्रह्म के दर्शन कैसे करते थे? क्योंकि वह तो निराकार है यानी कुछ भी नहीं दिखाई देता निराकार स्वरूप में। 5.और एक बात है की भगवान शिव के बारे में वेदों में तो कोई उल्लेख नहीं है परंतु वेदों में भगवान विष्णु कोही हिरन्यर्गभ बताया गया हैं और अपने कहा है हिरन्यर्गभ के पति शिव है परंतु वहां पर शिव का नाम ही नहीं है, और इंद्र, अग्नि आदि देवता का नाम है केवल शिव को छोड़कर ऐसा क्यों? उनमे केबल यह बात बताई गई है कि रूद्र है जो बहुत क्रोधित और शक्तिशाली देवता है और वही बाद में शांत होकर शिव का रूप लिया ऐसा क्यों? और ना ही वहां पर रूद्र को निराकार बताया गया। 6.और भगवान शिव और रूद्र में क्या अंतर है? क्योंकि रूद्र की संख्या 11 हे और जिसे हम महादेव, शंकर, महेश्वर नाम से पुकारते हैं वह तो एक है, तो फिर भगवान शिव और रूद्र एक कैसे हुए क्योंकि रूद्र की संख्या अधिक है और महादेव एक ही है? 6.अगर ओम निराकार ब्रह्म का नाद स्वरूप है तो फिर भगवान शिव कोही ओंकारनाथ क्यों बताया गया है?7. और महोदय और एक प्रश्न है कि काल ब्रह्म सदाशिव यह कौन है ?8. क्या काल ब्रह्म और परम ब्रह्म एक है या अलग? Please reply sir
Satyaprakash ji meri samajh se hirranya garbh ek shivling k samaan aakriti hai ,jo ki ek source of energy hai aur hiranya pati matlab jiska yeh hirana garbh hai woh shiv ji hain esi source of energy(hiranya garb) se sabhi logo ki utpatti hui hai jaise jeev ki aatma , aatma amar hai kyon ki woh energy ki 1 form hai aur jaisa ki physics main kehte hain energy cannot be distroy waisi hi soul cannot be distroyed Aisa ek line boli jaati hai ki aatma ka parmatma main vileen hona eska matlab jo energy haamre bheetar aatma k roop main hai woh apne source se mil jati hai Meri samajh se bhagwaan ek energy ka secondry source hain aur primary source hiranya garbh hai Bigbang theory k hisaab se hamari galaxy ek visfot se hui aur es brahmaand main anant galaxy hain eska matlab kahin ek visfot lgaatar hota rehta hai aur galaxy ban ne ki prakriya nirantar chalti rehti hai Mere samajh se yeh viafot ka source yahi hiranya garbh hai jise main source of energy smajhta hoon... esliye hum us garbh ki pooja karte hain shivling k naam se kyuki wahi hiranyagarbh jeevan ka mool kaaran hai .. Abhi samjhne wali baat yeh hai ki shivji ki utpatti kahan se hui esi garbh se hui hai yaa garbh hi shivji hain
पूर्ण पुरषोत्तम श्री कृष्ण कह रहे है कि अध्याय 7 श्लोक 7 हे धनञ्जय! मुझसे श्रेष्ठ कोई सत्य नहीं है | जिस प्रकार मोती धागे में गुँथे रहते हैं, उसी प्रकार सब कुछ मुझ पर ही आश्रित है |
SHIVA PURANA BOOK 📖 ( Shiva Lingam) Section 4 Kotirudra Samhita Chapter 12 The reason for Siva assuming the Phallic form (Linga) Linga means phallus mean Erected penis (Shiva) Yoni means vagina (parvati The sages said 1. O suta you know everything by the grace of Vyasa there is nothing not known to you hence we approach you with a query 2. The phallic form (Linga) of Siva is worshipped throughout the world you have said so is there any special reason for the same 3. Parvati the beloved of Siva is heard in the world in the form of an arrow O suta what's the reason for this ? Please satisfy our curiosity in this respect by giving the account you have heard Suta said:- 4. O Brahmin the story of a different Kalpa was heard from by me O excellent sages I shall narrate the same in the manner please listen 5. What happened formerly among the Brahmin in the Daruvana forest may kindly be heard I shall Narrated the same in the manner I have heard 6. There is an excellent forest Daruvana there were many excellent sages there great devotees of Siva who were always engrossed in meditation on Siva 7. O great sages they performed the worship of Siva incessantly thrice a day they eulogised Siva with different devotional hymns 8. Once the leading brahmin devotees of Siva engrossed in the meditation of Shiva went into the forest the bringing sacrificial twigs 9. In the meantime Siva himself assuming a very hideous form came there in order to test their devotion 10. He was very brilliant but stark naked he had smeared ashes all over his body as the sole ornament standing 🧍♂️ there & holding his penis he began to show all sorts of victorious tricks 11. It' was with a mind to do something pleasing to the forest dwellers that Siva favorite of the devotees came to the forest at his will 12. The wives of the sage were extremely frightened at this sight the other women excited & surprised approached the lord 13. Some embraced him other held his hands the women were engrossed in struggling with one another 14.Meanwhile the great sages came there on seeing him engaged in perverse activities they were pained & infuriated 15. The sage deluded by Siva Maya & plunged in grief began to say who is this? Who is this? 16. When the naked sage did not reply the great sages told that terrible Purusa Ò 17. You are acting perverted this violates the Vedic path hence let your penis fall on the ground Suta said 18.when they said thus the penis of that who was Siva of wonderful form fell down instantly 19. That penis burnt everything in front wherever it went it began to burn everything there 20. It went to Patala it went to heaven it went all over the earth it never remained steady any where 21.All the world and the people were distressed the sages became grief stricken whether God's or sages no one had any peace or joy 22. All the gods and sages who did not recognize Siva became sad they assembled together and hastened to Brahma sought refuge in him 23.O Brahmin after going there they bowed to and eulogised Brahmin they Narrated what happened to Brahma the Creator .. Brahma said :- 32. Let the gods propitiate goddess parvati and pray if she can assume the form of the vaginal passage that penis will become steady ..... ... ..............etc 33.O excellent sages listen I shall tell you the mode of procedure act accordingly with love and devotion she will be thus pleased 34.Make an eight petalled mystic diagram of lotus and place a pot over it water from Holy centre's shall be poured into the pot along with the sprouts of Durva and barley 35. The pot shall be invoked with "Vedic Mantras" it shall be worshiped according to the Vedic ritual after Remembering Siva 36. The penis shall be drenched with that water 💧 🤣 O great sages when the sprinkling is made with "Satarudriya" Mantras it will become stable 37. Parvati in the form of "Vaginal" passage and an auspicion arrow shall form as the pedestal wherein the Phallus shall be installed in accompaniment of the "Vedic Mantras" 38. Lord Shiva shall be propitiated with the offering of sweet scents sandal paste fragrant flower incense & other things as well as by food offering and others forms of worship 39....42.......etc Suta said :- 43. O Brahmin thus advised the gods bowed to Brahma and then sought refuge in Siva with a desire for the happiness of the world 🌎 44.when worshipped with great devotion and implored lord Shiva became delighted and spoke to them Lord Shiva said:- 45.O God's O sages you listen to my words with reverence. If my penis is supported in a Vaginal passage there will be happiness 46. Except "PARVATI" no other women can hold my penis held by her my penis will immediately become quiet Suta said:- 47. O great sages on hearing those words the delighted sages and the gods took Brahma with them and prayed to parvati 48. After propitiating Parvati and the bullbannered lord and performing the rite mentioned before the excellent penis became static 49.The God and the sages propitiated Parvati and Shiva by the mode of procedure laid down in the Vedas for the sake of virtue 50. Brahma Visnu and other gods sages and the three world including the mobile and immobile beings worshiped Shiva particularly 51. Shiva became delighted and so also Parvati the mother of the universe that Phallus (Erected penis) was held 👌 👌👌👌👌👌👌 🥱 🥱 🥱 🥱 🥱 🥱 🙊 🙊 🙊 🙊 🙊 🙊 52. When the Phallus was stabilized there was welfare throughout the world's O brahmins that Phallus became famous in the three worlds 👌👌👌👌👌👌🥱 🥱 🥱 🥱 🥱🥱 🙊 🙊 🙊 🙊 🙊 🙊 53.The Phallus is known as "Hatesa" as well as Shiva Shiva by worshipping it all the people become happy in every respect👌👌👌👌👌 🥱 🥱 🥱 🥱 🥱 🥱 🙊 🙊 🙊 🙊 🙊🙊
1.निजानंद संप्रदाय की सृष्टि रचना का वर्णन करें 2. क्या सौर मंडल को ब्रह्मांड (ब्रह्मा) कहाँ गया हैं 3. शेषशायी विष्णु, गर्भोदक्षाई विष्णु, कार्णोदक्षाई विष्णु का वर्णन करें 4. हद मंडल, बेहद मंडल और महाबेहद मंडल का वर्णन करें 5. कारण समुद्र और महाकारण समुद्र का वर्णन करें
मैंने भी शिवलिंग को निराकार स्वरूप का ही बताया है। इस वीडियो में भी और शिवलिंग रहस्य पर पहले वीडियो में भी मैंने शिव को निराकार ही बताया है। सम्पूर्ण आकाश भगवान शिव का शरीर ही है। इसमें कहाँ कोई भगवान के अंग ढूंढ पाएगा, परन्तु ये भी सत्य है कि जहाँ निराकार शिव का मूलाधार है वही हमारा सौरमण्डल है और मूलाधार के मूल में ही लिंग होता है, परन्तु वह हमें दिखाई नहीं देता।
मैं कभी मूर्ति पूजा नहीं करता। सत्य और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए अपनी जिम्मेदारी के काम ही धर्म समझता हूँ। धर्म कर्म की कुछ बातें ऐसी हैं जिनके बारे में वही बता सकते हैं जिन्होंने ये परंपरा शुरू की। मैंने जब भी कभी-कभार शिवलिंग पूजा की तो केवल जल और बेल पत्र ही चढाए हैं।
सत्य और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए अपनी जिम्मेदारी के काम करते हुए नियम पूर्वक जीवन जीने से हमारा तप बढ़ाता रहता है। एक समय ऐसा आता है कि हमारे तप के कारण कुण्डली जागरण हो जाता है। एक बार कुण्डली जागरण के बाद व्यक्ति पुनः मोहमाया में नहीं फँसता।
💗🙏🔱Om Namah Shivai🔱🙏💗 Sir ShivShakti ka jo ling&joni Milan he bo to surjyomondal Jo muladhar chakra me bortoman he.Hiranya Garv to Adi Shakti Mata Parameswari ka he phir Vagban Vishnu ji ke Navi Me se Bramhaji prakat hue.To Vishnu ji ka sakar rup yani Vishnu ji prakat kahase hue?kripiya sir is Chote se Shiv vakt ko ye Gyan digiye 🙏
शिव और शक्ति दोनों आदि ब्रह्म हैं, अर्थात् निराकार ब्रह्म हैं। सृष्टि की उत्पत्ति के लिए निराकार ब्रह्म सबसे पहले विष्णु जी के रूप में साकार रूप लेते हैं। उसके बाद विष्णु जी ब्रह्माण्ड के मूलाधार में स्थित होकर अपनी नाभी से ब्रह्माजी को उत्पन्न करते हैं। फिर ब्रह्माजी ही सृष्टि को आरम्भ करते हैं। इस प्रकार विष्णु जी की उत्पत्ति ब्रह्माण्ड से बाहर हुई है और बाकी सभी की उत्पत्ति ब्रह्माण्ड में अर्थात् हिरण्यगर्भ में हुई है।
सत्य प्रकाश Sir, एक अनुरोध है आपसे कि मुझे यह नहीं समझ आ रहा है की शेषनाग की जन्म ब्रह्मा जी से पहले कैसे हुआ क्योंकि ब्रह्मा जी समस्त प्राणी के रचयिता है। तो ब्रह्मा जी का जन्म होने से पहले शेषनाग कैसे आए। जसनाथ जी के पिता कश्यप मुनि और माता कश्यप मुनि के पत्नी कदरु है जो शेषनाग और आदि नागों के माता है। और कश्यप मुनि और बाकी समस्त जो मूली डीसी है वह सबको ब्रह्मा जी ने ही उत्पन्न ने किया क्योंकि शेष नाग के ऊपर विष्णु जी विराजमान होते हैं और उनके नाभि से ही ब्रह्मा जी निकलते हैं। Please reply sir.
तुम्हारे मन में जितने कन्फ्यूजन हैं उनके समाधान के लिए तुम्हें बहुत अध्ययन करना पङेगा। ब्रह्माजी की आयु के संबंध में मैंने एक विडियो बनाया है। प्रलय के बाद सृष्टि आरम्भ होती है, पहला मन्वन्तर आता है जिसमें 71 बार चतुर्युगी आती है, अर्थात् सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग 71 बार आते हैं। ऐसे ही 14 मन्वन्तर बीतने के बाद 4,32,00,00,000 वर्ष बीतने के बाद फिर प्रलय आती है। इस पूरी अवधि को एक कल्प कहते हैं। इस अवधि में ब्रह्माजी का केवल एक दिन होता है। हर कल्प की घटनाएं दूसरे कल्प से भिन्न होती हैं। इस कल्प में पृथ्वी को शेषनाग ने अपने फनों पर उठाया, तो वे इसी कल्प में कैसे पैदा हो सकते हैं ?? अर्थात् वे पहले कल्प में पैदा हुए हैं।
सत्य प्रकाशकाश sir, आपने कहा कि भगवान शिव निराकार ब्रह्म है, तो फिर भगवान कृष्ण जब वह शिशु थे तब मिट्टी से खेलते वक्त मिट्टी खा लिया था और जब जसोदा मां ने देखा तो भगवान कृष्ण अपने मुख के भीतर पृथ्वी, सौरमंडल, आकाशगंगा, त्रिदेव, और अनंत आकाश की दर्शन कराया था यानी कि ए सब कुछ उनकी शरीर के अंदर बसते हैं वह कैसे? और अगर कराया था तो उसने फिर भुला क्यों दिया जसोदा मां को? please reply sir. please please
हमारे देश के कथाकारों को बढ़ा-चढ़ाकर बातें बनाने की बहुत आदत रहती है। जब तक वैज्ञानिकों ने दूरबीन नहीं बनाई थी और जब तक अंतरिक्ष में जाना संभव नहीं था तब तक पृथ्वी की संरचना को समझना और अंतरिक्ष की संरचना को समझना किसी के लिए भी संभव नहीं था। जैसे-जैसे अंतरिक्ष की संरचना समझ आने लगी वैसे ही कथाकार ने उन सबको अपनी कथाओं में घुसेङकर बातों को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करना आरंभ कर दिया। जब मैं बच्चा था तब सुना था कि कृष्ण जी के मुख में यशोदा जी को गोकुल की भूमि और पहाड इत्यादी दिखाई दिए। जब बङा हुआ और वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की गोलाकृती को देख लिया तब कथाकारों ने पूरी पृथ्वी को ही घुसेङ दिया। बाद में ग्रहों की आकृति भी समझ आई तो ग्रह नक्षत्र भी घुसेङ दिये। अब त्रिदेव और गैलेक्सी आदि भी घुसेङ दिये हैं। आगे-आगे देखते हैं और क्या-कुछ घुसेङा जाता है। इन कथाकारों की बातों पर टिप्पणी करना मेरे लिए संभव नहीं।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm सत्य प्रकाश sir, मुझे आपसे जानना है की वर्तमान समय काल में जो साडे आधुनिक विज्ञान, और उनकी आविष्कार है, जैसे मानव शरीर का विवरण देना उसके अंदर क्या है उसका काम? और जो अविष्कार है जैसे हवाई जहाज, मोटर कार, उन्नत यंत्र जो हमारी जीवन यात्रा को आगे बढ़ाया। तो यह सारी चीज विदेशी लोग नेहि क्यों अविष्कर किया? हावड़ा धर्म ग्रंथ और बेद विज्ञान को बहुत आसानी से व्याख्या किया है यानी की समस्त ज्ञान हमारे पास होते हुए भी भारतीय के बदले विदेशी ने कैसे इसका इस्तेमाल किया? पहले जो अविष्कार हुआ उनमें भारतीय का नाम क्यों नहीं है? Please reply sir ❤️.
भौतिक ज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान में जमीन आसमान का अंतर होता है। वैज्ञानिक लोग भौतिक ज्ञान अर्थात बाहरी संसाधनों के माध्यम से विश्व को समझते हैं, जबकि हमारे ऋषि-मुनि आध्यात्मिक ज्ञान अर्थात अंतर्मन के माध्यम से विश्व को समझते थे। अंतर्मन के माध्यम से असीमित ज्ञान प्राप्त होता है, परन्तु बाहरी संसाधनों से पूर्ण ज्ञान संभव नहीं। आधुनिक कथाकारों ने हमारे ऋषि-मुनियों के ज्ञान का कचरा बना दिया और वैज्ञानिक अपने आधे-अधूरे ज्ञान से हीरो बन बैठे हैं।
आपने कहा 'ब्रह्माजी के पहले कोई जीव नही था' इसका मतलब यह है क्या कि ब्रह्माजी को जीव स्वरुप मान लें ? अर्थात सभी भगवानों को जीव स्वरुप मानना उचित ही होगा ?
Aapko aisa nhi kehna chahiya ko shivji top pr hai....top pr viraat purush ko hi rhne de...uske baad brahma vishnu mahesh laye.. . Or sheshnag yadi earth ke andr hai?! To wo hai kyu waha?! Us jaisa or kyu nhi, wo hilta ya kahi jata kyu nahi....or vishnu andar shithil pade hue hai?! Bright Side naam ka ek TH-cam channel hai usme bataya hai ki kaise pta chala ki earth me core hai...usko "earth core bright Side" krke search kr skte hai
Jo pari purna parameshwar hai woh vaastav mei Nirakar nahin bolki woh Prabhu Sakar matlab Satchitanand swaroop hai, Nirakar toh Prabhu Krishna ke brahm swaroop hai, Ved mei brahm ko hi Nirakar batayagaya hai,Isiliye Prabhu Krishna ne Gita mei kaha hai ki Mai uss brahm ka aadhar yaani pratistha hoon, Hiranya garbh toh Maha Vishnu ke Garbh ko kahajata hai ,jo Andakar swaroop hai,uss Garbh ko hi Ved virat purush kaha hai,iss ka praman RG Ved Purusha sukta mei hai, uss Hiranya Garbh se hi Brahma, Vishnu,Mahadev ke saat saat saare viswa brahmand ki utpati hui hai, Shiv puran mei wohi virat purush yaani Hiranya Garbh hi ek Jyotirsthamva ke roop mei bhagavan Vishnu aur Brahma ke saamne prakat huatha,usi sthamva se hi Shiv ji prakat huethe,
Usi virat purush ke andar saare viswa brahmand samayi hui hai ,isika praman Bhagavad Gita ke viswaroop yog mei hai, jab Arjun ne parameshwar Shri Krishna se Divya dristi paa kar dekha uss Viswaroop yaani Hiranya Garbh ko toh uss Viswaroop mei Brahma, Mahadev ke saat saat saare viswa brahmand ko Arjun ne dekha,usi mei saare sristi samayi hui hai , Arjun ne Divya dristi paa kar bhi uss Viswaroop ka aadi anth paa nahin saka, Krishna hi pari purna parameshwar hai jo bhautik aur aadhyatmik brahmand ke mool beej hai ,unse pare koi nahin ye baat Prabhu Krishna nee Gita mei kahi hai,
क्या आप देवी अहिल्या ,गौतम ऋषि और इंद्र देव की कहानी में कितनी सच्चाई है यह बता सकते है जैसा कि बहुत से लोग कहते है देवी अहिल्या को पत्थर की मूर्ति बनना पड़ा था तो इंद्र को कुछ सजा नहीं मिली क्या गरुड़ पुराण के अनुसार इन्हे सजा नहीं मिलती है देवी अहिल्या को ही क्यों..... मैं आज तक सच्चाई नहीं जान सका और मैं मानता भी नहीं ऐसा कुछ हुआ था इतिहास को बदला गया था लेकिन आज भी बहुत से संत और बुद्धिमान लोग लिखी हुई बाते ही बताते है और देवी अहिल्या के चरित्र पर संदेह जताते हैं।
पुराणों में बहुत सी कहानियाँ सत्य की कसौटी पर खरी नहीं उतरती। कई घटनाओं को तो बहुत ही निर्लज तरीके से लिखा है। देवी अहिल्या चरित्रहीन नहीं थी और ना ही इन्द्र ने ऐसा कुछ किया जैसा बताया जा रहा है। इन्द्र देव शिवजी के श्राप से पीड़ित थे इसीलिए उनसे यह गलती हुई। देवी अहिल्या का जन्म यज्ञ से हुआ था, वह सर्वांग सुन्दरी थीं, उन्हें देखकर इन्द्र ने सोचा कि ये तो इन्द्राणी बनने योग्य हैं। परन्तु ऋषियों ने उनका विवाह गौतम ऋषि से कर दिया। जबकि भारतीय परंपरा के अनुसार विवाह कन्या की इच्छा से ही होता है, परन्तु उस समय अहिल्या से पूछा नहीं गया। बस इन्द्र देव यही जानना चाहते थे कि क्या अहिल्या गौतम ऋषि से विवाह करना चाहती थी या उस पर यह विवाह थोप दिया गया है। इन्द्र देव ने जो योजना बनाई थी उस के अनुसार किसी को पता भी नहीं चलता और वे अहिल्या के मन की बात जान लेते, परन्तु वे पकङे गए। उन्हें इस कुकृत्य के कारण इन्द्र पद से हाथ धोना पड़ा और कुछ काल के लिए नपुंसक भी होना पङा था। अहिल्या को श्राप इसलिए दिया क्योंकि उन्होंने अपनी नींद का त्याग नहीं किया और पर पुरुष ने उनको छू लिया। इस घटना से संबंधित एक विडियो मैंने बनाया है "चन्द्रमा का 27 नक्षत्रों से विवाह " th-cam.com/video/TGpzgDk_KMc/w-d-xo.html इस वीडियो को अवश्य देखें। Description box में मेरे अन्य वीडियो के लिंक दिए गए हैं वहाँ से उन्हें देख सकते हैं।
Shivling to shivji ki pahchan he unka prateek he , yaha pr shiv ka ling or yoni ki bat ho rahi he . To jiski hum pooja karte he vo vastav me kya he shiv ka ling(penice) he ya shivling unka prateek he.????
शिव निराकार ब्रह्म हैं। उनका कोई भी अंग साकार नहीं होता। मेरी मान्यतानुसार पूरा सौरमंडल शिवजी के मूलाधार चक्र में स्थित है। इस विषय पर मैने एक वीडियो बनाया है, जिसका नाम है , " शिवलिंग रहस्य " । इस ब्रह्मांड में और ब्रह्मांड के भी बाहर अंतरिक्ष में जो भी कुछ है वह शिव अर्थात निराकार ब्रह्म के विराट स्वरूप के अंदर ही है। इसी प्रकार पूरा ब्रह्मांड जगत जननी भवानी का गर्भाशय है, जिसे हिरण्यगर्भ कहते हैं, वह भी निराकार ही है। शिवलिंग जो कि निराकार है, उससे आत्माएँ उत्पन्न होती है और हिरण्यगर्भ में उन्हें शरीर प्राप्त होता है। इसी प्रकार सृष्टि आगे बढ़ती है। अतः जो शिवलिंग पूजा जाता है वह प्रतीकात्मक स्वरूप है, क्योंकि निराकार ब्रह्म में साकार तो केवल ग्रह नक्षत्र आदि ही दिखाई देते हैं।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm ok yaha tk thik he esa kh sakte he. Shivling jo nirakar he usme utpann aatmaye, or hiranyagarbh me utpann sarir kaha pr milte or ye pritvilok pr kese pahuche? Pls bataye
आत्मा और परमात्मा दोनों निराकार होते हैं, वे किसी को दिखाई नहीं देते। शरीर प्राप्त करने के चार प्रकार बताए गए हैं। सर्वप्रथम ब्रह्माजी विष्णु जी की नाभिकमल से उत्पन्न हुए उस समय ब्रह्मांड में और कोई नहीं था। उसके बाद ब्रह्माजी ने मानस सृष्टि, यज्ञ सृष्टि, देव सृष्टि और अंत में मैथुनी सृष्टि अर्थात स्त्री-पुरुष के संयोग से संतान उत्पन्न हुई। कलयुग में केवल मैथुनी सृष्टि ही होती है। प्रत्येक स्त्री के गर्भ में हिरण्यगर्भ का लघु रूप होता है। और प्रत्येक पुरुष के शरीर में बीज तत्व उत्पन्न होता है, जिसे शुक्राणु कहते हैं।
➡️🕺बचपन में पढ़ते समय पढ़ाया गया कि मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना पर कुरान पढ़ने के बाद मेरा विचार सर के बल पलट गये और इसके कारण है कुरान की आयत सुरा आयते :- ➡️2:98 अल्लाह गैर मुस्लिमों का शत्रु है। ➡️3:85 इस्लाम के अलावा कोई अन्य धर्म स्वीकार नहीं। ➡️8:85 इस्लाम को इनकार करने वालों के दिलों में अल्लाह खौफ भर देगा और मुसलमानों तुम उनकी गर्दन पर वार करके उनका अंग काट दो। ➡️3:118 केवल मुसलमानों को भी अपना मित्र बनाओ। ➡️3:28,9:23 - गैर मुस्लिमों को दोस्त ना बनाओ। ➡️8:39- गैर मुस्लिमों से तब तक युद्ध करो जब तक कि अल्लाह का दिन पूरी तरह कायम ना हो जाए ➡️22:30 - मूर्तियां गंदगी है। ➡️9:5 - मूर्ति पूजको को जहां और जैसे पाओ वहां घात लगा कर मार दो। ➡️33:61- मुनाफिक और मूर्तिपूजक जहां भी पकड़े जाएंगे बुरी तरह कत्ल किए जाएंगे ➡️3:62 , 2:2:55 , 27:61, और 35:3 - अल्लाह के अलावा कोई अन्य प्रभु पूज्य नहीं है। ➡️21:98 - अल्लाह के सिवाय किसी और को पूजनीय वाले जहन्नुम का इंधन है। ➡️9:28 - मूर्तिपूजक नपाक है। ➡️4:101 - काफिर तुम्हारे खुले दुश्मन हैं। ➡️9:123 - काफिरों पर जुल्म करो। ➡️9:29 - काफिरों को अपमानित कर उससे जजिया कर लो। ➡️66:9 - काफिरों और मुनाफ इको से जिहाद (जंग) करो। ➡️8:69 - आयतो को इनकार करने वालों को खाल पकाएंगे । ➡️9:14 - अल्लाह मोमिनो के हाथों काफिरों को यातना देगा। ➡️8:57 - युद्ध बंदियों से नीरिशंसता करो। ➡️32:22 - इस्लाम छोड़ने वालों से बदला लो। हिंदुओं को अगर विश्वास ना हो तो कुरान को डाउनलोड करके रेफरेंस को चेक कर ले और मुसलमानों को इसमें कोई गलती नजर आवे तो मुझे भी बेझिझक बता देवें। Note- हमें माफ कीजिए हमारा उद्देश्य नफरत फैलाना नहीं हमारा उद्देश्य भविष्य में भारत में दंगा रोकना और इस्लामिक देश सीरिया और पाकिस्तान बनने से रोकना है। हमने 1200 साल का इस्लामिक इतिहास पढ़ा इसी कुरान की आयतों को विश्वास में रखने के कारण मुस्लिम आक्रांता ओं ने करोड़ों गैर-मुसलमानों का कत्ल और धर्म परिवर्तन और हजारों मंदिरों को तोड़ा है और लाखों महिलाओं का बलात्कार किया है क्योंकि मुसलमान भाई कुरान को बोलते हैं अल्लाह का भेजा हुआ आसमानी किताब है लेकिन मुझे इसमें कुछ भी ऐसा नजर नहीं आता है। ➡️ इस्लाम का प्रसार निर्दोषों के खून पर हुआ है ➡️ प्रमाण के तौर पर वर्तमान में अभी भी काफी पुरानी मस्जिदें हैं जो मंदिरों को तोड़कर बनी है उसमें मंदिर के चिन्ह और मूर्तियों के चिन्न देखे जा सकते हैं ➡️सभी हिंदू भाइयों से निवेदन है कि कृपया सनातनी हिंदू बनो सनातन धर्म में पूरे विश्व को परिवार माना गया है वसुदेव कुटुंब और सर्वे भवंतू सुखिनाह सनातन धर्म की विचारधारा है मस्जिद मंदिर मस्जिद के झगड़े से दूर होकर कर्तव्य सत्य अहिंसा न्याय सदाचार के रास्ते पर चलो ➡️ कर्म ही धर्म है (श्रीमद भगवत गीता) ➡️धर्म और मजहब और रिलीजन में क्या अंतर है??? धर्म शब्द की उत्पत्ति ही सनातन हिंदू धर्म से है धर्म कोई उपासना या या पूजा नहीं है ⚛कर्म ही धर्म है। (श्रीमद भगवत गीता) धर्म आस्तिक नास्तिक सब पर लागू होती है :🚩मानव धर्म के दस लक्षण बताये हैं:🚩 धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः। धीर्विद्या सत्यमक्रोधो, दशकं धर्मलक्षणम् ॥ (धृति (धैर्य), क्षमा (दूसरों के द्वारा किये गये अपराध को माफ कर देना, क्षमाशील होना), दम (अपनी वासनाओं पर नियन्त्रण करना), अस्तेय (चोरी न करना), शौच (अन्तरंग और बाह्य शुचिता), इन्द्रिय निग्रहः (इन्द्रियों को वश मे रखना), धी (बुद्धिमत्ता का प्रयोग), विद्या (अधिक से अधिक ज्ञान की पिपासा), सत्य (मन वचन कर्म से सत्य का पालन) और अक्रोध (क्रोध न करना) ; ये दस मानव धर्म के लक्षण हैं।) ⚛अर्थात कर्तव्य अहिंसा न्याय सदाचार सदगुण आदि। ➡️बाकी religion और मजहब शब्द दिन का शब्द मुसलमान और ईसाई का है इसका कोई अर्थ नहीं आता है
इसी शब्द की पालन ठीक से नहीं करने के कारण पूरे विश्व में अशांति हैं भारत में भी हम लोग ख mix हुए हैं रिलीजन मजहब सब mix हुए हैं किसी को ज्ञान ही नहीं है इसीलिए पूरे विश्व में अशांति है इसका ज्ञान पढ़ाई स्कूलों में होना चाहिए लेकिन धर्मनिरपेक्ष भारत में हम क्या उम्मीद कर सकते हैं। हिंदू सनातन वाले जिस दिन धर्म के रास्ते पर चलने लगेंगे उस दिन भारत फिर से सोने के चिड़िया हो जाएगा लेकिन दुर्भाग्यवश मजहब और रिलीजन के मानने वाले लोग हैं उनको पता ही नहीं है कि धर्म क्या है रिलीजन क्या है और मजहब क्या है? ➡️अर्थात कर्म ही धर्म है (श्रीमद भगवत गीता) ➡️1200साल का खूनी खेल कारण पूरे भारत देश का धर्म परिवर्तन हो चुका है जिस दिन हम अपने मूल में आ जाएंगे फिर से पूरे भारत में शांति ही शांति होगी।🕉🚩🙏🙏🙏🙏🇮🇳🌷
देखिए श्री मान जी ये आप अपने अनुसार वर्णन कर रहे है , जबकि वास्तविकता ये है , उसके अनंत नाम अनंत रूप है और ये सभी नाम उसके विशेषण है जैसे विष्णु - जो सभी जगह व्याप्त हो , शिव - जो मंगल करने वाला हो , नारायण - जो अनंत जल में रहने वाला हो इत्यादि और हर पुराण में कल्प भेद के अनुसार सब की अपनी (उस नाम के स्वरूप की) महिमा कहीं गई है , जबकि वेद में डायरेक्ट ऐसा कुछ नही कहा गया है । अगर मै शिव तत्व के अलावा यहां नारायण तत्व की वयख्या करू तो अलग होगा परन्तु मै समझता हूं वही आदि नारायण है वहीं शिव है ,,, यही भेद बुद्धि ही कई जन्मों का कारण इस संसार में बनती है , जिस रूप में भगवान के प्रेम हो उसका ध्यान करे ।।
ओम नमः भगवती परमबृमेण नमः 🚩 जय मातापिता त्रिदेव जननी 👿 जगत जननी महाशक्ति परसक्ति अनेका।।।। जय मां महामाया जगदंबिके।।।।।♥️
धन्यवाद बहुत अच्छा मार्गदर्शन किया
अद्भुत जानकारी के लीय धन्यबाद गुरुवर
धन्यवाद,
आप इसी प्रकार धर्म का प्रचार प्रसार करते रहें।इतनी सरल भाषा में इतने जटिल विषयों को समझाना सचमुच अद्भुत है।
आपका अभिनंदन, आपका धन्यवाद।
वंदे मातरम।
Etenesari rahashya bhari Gyan ki bate sir jii Sat Sat pranam
सत्यप्रकाश जी आपके प्रयास और ज्ञान के लिए मेरा मेरा कोटि कोटि नमन..
सत्यप्रकाश जी, अभी दो एक दिनों से ही मैंने आपको सुनना आरंभ किया है लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि आपके कारण मैं भी बहुत अच्छे से समझ पाऊँगी सनातन को। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।🙏
बोहत बढ़िया जानकारी आप से मिली आप को कोटि कोटि प्रणाम।
आपकी शुद्ध हिंदी में चर्चा ,बड़ी अनमोल प्रतीत होती है ।
Sir koti koti pranam aapko.
Bahut raaz chhupa hai, jo jan nehi paa raha tha. Aab jiban saral sa lag raha hai.
Bahut kuch janna baki hai aabhi.
Aur bhi informative video banaye isse jiban saral sa malum hota hai.
Thank you so much.
Pranam aapko.
सत्य प्रकाश जी आप एक महान मानव है जो भँलि भाँति भगवान को जान सकते है,,,,,?
जानना,मानना,एवं पूँजना यह समाजिक प्रति क्रिया होती है जैसे रचयिता,वक्ता और श्रोता इन सभी छै क्रियाओ से भी हटकर आपने दुनियाँ का ईश्वर का शाक्क्षात कार कराने का प्रयास कर रहे है,,,,?
यदपि सखा मैं उर पुर वासी।
प्रथम ज्ञान गुप्त करि राखी।।
आपमे जो काबिलियत का इल्म है वो प्रणाम करने के योग्य है आपको मेरा कोटि कोटि प्रणाम,,,,?
परन्तु आपको प्रभु के साक्क्षात कार करने वाली विधि की अति आवश्यकता है तभी आप अपने आपकी और स॔सार की तृप्ति के भागीदार ( सागर ) बन सकते है,,,,,?
उसके लिऐ ध्यान पूर्वक एकाग्र शुद्ध चित्र होकर वेद शास्त्र पुराणो मे से जो ( 28 ) जैसे ग्रंथो के रचयिता वेद व्यास की भूमिका मे आकर सुखमय जीवन मार्ग का दर्शन जगत को देने का संकल्प लेना होगा?
यही वो मर्म है----
छण महि सबहि मिलै भगवाना।
उमा मरमु यह काहु न जाना।।
सोई जानहिं जेहि देहिं जनाहीं।
जानति तुमहिं तुमहिं होई जाहीं।।
संसार के सभी मनुष्यो की सोच को बदलते हुऐ सत्य न्याय और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देना होगा।
जैसे धर्म और अधर्म के संगम से शृष्टि का संचालन किया जाता है इन्ही दोनो के मत भेद के कारण युगो का परिवर्तन होता है।
अधर्म शक्ति ( ज्ञान रहित ) लेता है।
धर्म को दिव्य द्रष्टि ( ज्ञान सहित ) प्राप्त होती है।
शक्ति और ऊर्जा का संगम है शिव आवश्यकता अनुसार सभी को शिव जी अपना दर्शन देते है,,,,,?
जय शिव शंकर आपका कल्याण हो
शुभ रात्री
बहुत ही बेहतरीन ईश्वरीय संरचना की कल्पना।
बिलकुल सच हे,,ओर वो हिरनयगर्भ माता आदि शक्ति का हे,,अर्थात माता शक्ति है परम जननी हे
ब्रह्मा विष्णु महेश गौरी और गणेश एक ही हैं बस स्वरूप भिन्न हैं। एक ही ब्रह्म एक ही समय में सृष्टि संचालन के लिए भिन्न भिन्न रूपों में प्रकट होता है ।
सत्य प्रकाश जी हमने आपके अधिकतर वीडियो देखी हमें बहुत पसंद आया और कहीं ना कहीं हमें ऐसा महसूस भी हो रहा है कि आपके बताए हुए बहुत सारी बातें हमें अध्यात्म के रास्ते को मजबूत करती है,
कृपया कर मां दुर्गा मां शक्ति की उपासना करते है उसे और बेहतर तरीका से हम किस तरह से उपासना कर कर सके
माता भगवती के ऊपर भी थोड़ा आध्यात्मिक जानकारी दे
पुर्ण सत्य वचन।।आपको सत सत नमन्🙏🙏🙏
सबसे पहले होती है ब्रह्म शक्ति ,,
जो कि निरंतर चलती रहती है ,,
उसी से पैदा होता है हिरण्यगर्भ ,,
यानी,, सोने की आकार वाला अंडा ,,
और जब वह हिरण्यगर्भ में विस्फोट होता है ,,
तो उसमें में से 33 कोटि देवी देवता उत्पन्न होते हैं ,,
जिसमें से ब्रह्मा विष्णु महेश सर्वश्रेष्ठ होते हैं,,
ब्रह्मा यानी कि,, स्वरमंडल
विष्णु यानी कि,, मैटर
शिव महेश यानी कि,, एनर्जी ऊर्जा
वैसे ही पवन देव यानी की,, हवा
इंद्रदेव यानी की ,, बरसात
इसमें कोटि का अर्थ आर्थिक यह भी है कि इसमें कोटी स्वरूप माना गया है जैसे कि वासुदेव यानी कि विष्णु ,, रुद्र यानी की शिव
Bahut behtareen vichar , itne acche prayas hetu anant koti Naman🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत अच्छा sir
Or Jo Krishna j ne virat swaroop dikhaya tha or kha m v iswar Hu kux samjhana chahenge ap
Bahut badhia jankaari sir dhanyabad aage aur bhi video banayen aap ke video se bahut kuchh sikhne ko milta hai.
Jay Jagannath guruji hindi sabd kosh kahan our kaise milega guruji kyun ki main vi shiv vakt hun.
हिन्दी शब्दकोश किसी भी पुस्तक विक्रेता के पास मिल सकता है। शिवजी के संबंध में मैने एक और वीडियो बनाया है।
th-cam.com/video/kwlKbKQkGhI/w-d-xo.html
Har har Mahadev 🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️
Jai ho Prabhu ji ki, jai guru dev. Apne bilkul satya bola hai Hiraniyagarvh kebare mai.
SUPER BRO BECAUSE OF YOUR VEDIOS I completed my research
Akhand Bharat vande Mataram 🙏🔥🇮🇳🇮🇳🇮🇳
Thanks for telling accute answer to the point answer
Very good
Bilkul sahi
Har Har Mahadev jai shree narayana jai shree brahma dev ki jai ho
Nice explanation sir you are right
aapne bikul sahi socha hai, ye hi satya hai.
मनुष्य का सातवा देह हरण्यगर्भ है.बधाई
Omkarnath Ka arth Kai hai sir, shiv ko omkarnath kyou Kaha jata Hain?
Super bro pbk s and brahmakumaris running suting stories head office Mount obu naledge milegaa
apky bichar sy shmt h stypirkas ji mery bhi yhi bichar thy ab bilkul pkky ho gy h bichar bhut hi stik h
Krishna shiv (mahakal), srishti ka beg swarup shwet shiv aur bindurupi gyan shakti swarup sadashiv ka sambandh mein batiye kripapurbak meri marg - darshsn kijiye 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
सत्य प्रकाश जी सर्व प्रथम आपको प्रणाम आपके परिश्रम के लिए मुझे लगता है कि विष्णु जी अर्थ यहां प्राकृति से है क्योंकि प्राकृतिक के गर्भ से ही प्राणी की उत्पत्ति हुई है। विष्णु जी को ही पालनकर्ता बताया गया है और प्राकृति ही हमलोगों का पालनहार है
धन्यवाद
Shiv Ling yani Shiv ka prtik
Aap Khud keh rahe ha ki Shiv ka koi aakar nehi h too fir fir shiv Ling k time Kyun Aakaar bana k samjha rahe jo Log Shiv Ling Ko Unke Arth ko jane bina Maan lete ha Bo Shiv dhrohi ha .
Jese ki Shiv ling ko sudh hindi main Kehte ha
🔱Pindi 🔱
Vese he shiv ling ko Sanskriti main
शिवाय लिंगम कहते है ।
Arthaath Shiv ka prtik Yeh Rup inhone 🚩Vishnu ji or Bramha ji ko dekhya tha 🚩. Jub Bo apsh main Khudko ek dusre se bada dekha rahe thea too .
Or jaha शिव लिंग स्थापित है बो पृथ्वी का प्रतीक ha 🔱
Jub Hindustaan main Muslim ne aakraman kia Too unhone sub kuch nesht kar k hume .
Hume nicha dekhane k maksad se esa esa mat Nikaala k Jaliil kia .
🔱Mera shivi se anurodh ha Ki shiv k bare main Galat Dharna na FrhLaye Jaye .
Baaki aap k Gyaan se main puri tarha Sehmat hun .
🛐Shiv के बारे में यह मुझे नही अच्छे लागे✨ विचार
🔱जय गौरी शंकर 🔱
very nice concept explained
wow man...made my life..
Nice one Subscribed...Keep'em comin....
सर जी, गीताजी में पूर्ण पुरषोत्तम श्री कृष्ण ने कहा है कि अध्याय 10 श्लोक 23
मैं समस्त रुद्रों में शिव हूँ, यक्षों तथा राक्षसों में सम्पत्ति का देवता (कुबेर) हूँ, वसुओं में अग्नि हूँ और समस्त पर्वतों में मेरु हूँ |
और अर्जुन ने स्वीकार किया है कि
अध्याय 11 श्लोक 22
शिव के विविध रूप, आदित्यगण, वासु, साध्य, विश्र्वेदेव, दोनों अश्र्विनीकुमार, मरुद्गण, पितृगण, गन्धर्व, यक्ष, असुर तथा सिद्धदेव सभी आपको आश्चर्यपूर्वक देख रहे हैं |
समझाइए सर...
Shiv Ka virat roop to nhi pr Krishna j Ka suna h
बहुत सही बात
यज्ञ के बारे में पूरी जानकारी हो यज्ञ क्यों क्या, कैसे,मुख्य बात क्या होती है, सिद्धांत क्या है यजमान और पुरोहित क्या होते है यज्ञ के प्रकार आदि की संपूर्ण जानकारी हो ऐसी वीडियो बनाए जी।
सत्य प्रकाश sir, मुझे आपसे प्रश्न है कि, हिरन्यगर्भ से समस्त ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई है तो 1.भगवान विष्णु को हिरन्यगर्भ क्यों कहा गया है? यानी कि क्या भगवान विष्णु से ही समस्त सृष्टि का उत्पत्ति हुआ है, और भगवान विष्णु के नाभि कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति होता है और वह सृष्टि रचना करती है, 2.एक प्रश्न है कि भगवान विष्णु तो पुरुष है तो उनकी नाभि से क्यों ब्रह्मा जी पैदा हुआ? और अपने कहां की भगवान शिव हिरन्यगर्भ के स्वामी है मुझे एक बात समझ नहीं आया की अपने कहा की सौर मंडल निराकार शिव के मूलाधार चक्र है जहां उसका लिंग है और वहीं पर आदिशक्ति का योनि है, और इनसे ही सृष्टि उत्पन्न होती है। 3.परंतु मुझे एक संशय है की भगवान शिव जो निराकार ब्रह्म है तो ए समस्त अंतरिक्ष, नक्षत्र और जो आकाशगंगा है यह सारी चीजों का तो कोई लिंग नहीं है यानी कि ए समस्त तो वस्तु है जो अंतरिक्ष में स्थित है वह ना तो नारी ना तो पुरुष और ना ही और लिंग एवं गोत्र में आते हैं। तो अर्धनारीश्वर रूप में भगवान शिव कैसे आधा अंग स्त्री और आधा पुरुष का हुआ? 4.और जब ब्रह्मा जी को सृष्टिउत्पन्न करने में समस्या होती थी तो वह तपस्या के माध्यम से निराकार ब्रह्म के दर्शन कैसे करते थे? क्योंकि वह तो निराकार है यानी कुछ भी नहीं दिखाई देता निराकार स्वरूप में। 5.और एक बात है की भगवान शिव के बारे में वेदों में तो कोई उल्लेख नहीं है परंतु वेदों में भगवान विष्णु कोही हिरन्यर्गभ बताया गया हैं और अपने कहा है हिरन्यर्गभ के पति शिव है परंतु वहां पर शिव का नाम ही नहीं है, और इंद्र, अग्नि आदि देवता का नाम है केवल शिव को छोड़कर ऐसा क्यों? उनमे केबल यह बात बताई गई है कि रूद्र है जो बहुत क्रोधित और शक्तिशाली देवता है और वही बाद में शांत होकर शिव का रूप लिया ऐसा क्यों? और ना ही वहां पर रूद्र को निराकार बताया गया। 6.और भगवान शिव और रूद्र में क्या अंतर है? क्योंकि रूद्र की संख्या 11 हे और जिसे हम महादेव, शंकर, महेश्वर नाम से पुकारते हैं वह तो एक है, तो फिर भगवान शिव और रूद्र एक कैसे हुए क्योंकि रूद्र की संख्या अधिक है और महादेव एक ही है? 6.अगर ओम निराकार ब्रह्म का नाद स्वरूप है तो फिर भगवान शिव कोही ओंकारनाथ क्यों बताया गया है?7. और महोदय और एक प्रश्न है कि काल ब्रह्म सदाशिव यह कौन है ?8. क्या काल ब्रह्म और परम ब्रह्म एक है या अलग? Please reply sir
Satyaprakash ji meri samajh se hirranya garbh ek shivling k samaan aakriti hai ,jo ki ek source of energy hai aur hiranya pati matlab jiska yeh hirana garbh hai woh shiv ji hain
esi source of energy(hiranya garb) se sabhi logo ki utpatti hui hai jaise jeev ki aatma , aatma amar hai kyon ki woh energy ki 1 form hai aur jaisa ki physics main kehte hain energy cannot be distroy waisi hi soul cannot be distroyed
Aisa ek line boli jaati hai ki aatma ka parmatma main vileen hona eska matlab jo energy haamre bheetar aatma k roop main hai woh apne source se mil jati hai
Meri samajh se bhagwaan ek energy ka secondry source hain aur primary source hiranya garbh hai
Bigbang theory k hisaab se hamari galaxy ek visfot se hui aur es brahmaand main anant galaxy hain eska matlab kahin ek visfot lgaatar hota rehta hai aur galaxy ban ne ki prakriya nirantar chalti rehti hai
Mere samajh se yeh viafot ka source yahi hiranya garbh hai jise main source of energy smajhta hoon... esliye hum us garbh ki pooja karte hain shivling k naam se kyuki wahi hiranyagarbh jeevan ka mool kaaran hai ..
Abhi samjhne wali baat yeh hai ki shivji ki utpatti kahan se hui
esi garbh se hui hai yaa garbh hi shivji hain
Very good simplification of secrets in Hindu Dharm. धन्यवाद
पूर्ण पुरषोत्तम श्री कृष्ण कह रहे है कि अध्याय 7 श्लोक 7
हे धनञ्जय! मुझसे श्रेष्ठ कोई सत्य नहीं है | जिस प्रकार मोती धागे में गुँथे रहते हैं, उसी प्रकार सब कुछ मुझ पर ही आश्रित है |
Sir pless aur batao yahi gyan ki jarurt hai hme thnkyu sir
सत्यप्रकाश जी नमस्कार
🙏🌹🌹🌹🌹🌹🙏
Guruji kripapurbak batiye bramhand Kya ek hain ya anant - koti hain
धन्यवाद !
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
SHIVA PURANA BOOK 📖 ( Shiva Lingam)
Section 4 Kotirudra Samhita
Chapter 12 The reason for Siva assuming the Phallic form (Linga)
Linga means phallus mean Erected penis (Shiva) Yoni means vagina (parvati
The sages said
1. O suta you know everything by the grace of Vyasa there is nothing not known to you hence we approach you with a query
2. The phallic form (Linga) of Siva is worshipped throughout the world you have said so is there any special reason for the same
3. Parvati the beloved of Siva is heard in the world in the form of an arrow O suta what's the reason for this ? Please satisfy our curiosity in this respect by giving the account you have heard
Suta said:-
4. O Brahmin the story of a different Kalpa was heard from by me O excellent sages I shall narrate the same in the manner please listen
5. What happened formerly among the Brahmin in the Daruvana forest may kindly be heard I shall Narrated the same in the manner I have heard
6. There is an excellent forest Daruvana there were many excellent sages there great devotees of Siva who were always engrossed in meditation on Siva
7. O great sages they performed the worship of Siva incessantly thrice a day they eulogised Siva with different devotional hymns
8. Once the leading brahmin devotees of Siva engrossed in the meditation of Shiva went into the forest the bringing sacrificial twigs
9. In the meantime Siva himself assuming a very hideous form came there in order to test their devotion
10. He was very brilliant but stark naked he had smeared ashes all over his body as the sole ornament standing 🧍♂️ there & holding his penis he began to show all sorts of victorious tricks
11. It' was with a mind to do something pleasing to the forest dwellers that Siva favorite of the devotees came to the forest at his will
12. The wives of the sage were extremely frightened at this sight the other women excited & surprised approached the lord
13. Some embraced him other held his hands the women were engrossed in struggling with one another
14.Meanwhile the great sages came there on seeing him engaged in perverse activities they were pained & infuriated
15. The sage deluded by Siva Maya & plunged in grief began to say who is this? Who is this?
16. When the naked sage did not reply the great sages told that terrible Purusa
Ò
17. You are acting perverted this violates the Vedic path hence let your penis fall on the ground
Suta said
18.when they said thus the penis of that who was Siva of wonderful form fell down instantly
19. That penis burnt everything in front wherever it went it began to burn everything there
20. It went to Patala it went to heaven it went all over the earth it never remained steady any where
21.All the world and the people were distressed the sages became grief stricken whether God's or sages no one had any peace or joy
22. All the gods and sages who did not recognize Siva became sad they assembled together and hastened to Brahma sought refuge in him
23.O Brahmin after going there they bowed to and eulogised Brahmin they Narrated what happened to Brahma the Creator ..
Brahma said :-
32. Let the gods propitiate goddess parvati and pray if she can assume the form of the vaginal passage that penis will become steady ..... ... ..............etc
33.O excellent sages listen I shall tell you the mode of procedure act accordingly with love and devotion she will be thus pleased
34.Make an eight petalled mystic diagram of lotus and place a pot over it water from Holy centre's shall be poured into the pot along with the sprouts of Durva and barley
35. The pot shall be invoked with "Vedic Mantras" it shall be worshiped according to the Vedic ritual after Remembering Siva
36. The penis shall be drenched with that water 💧 🤣 O great sages when the sprinkling is made with "Satarudriya" Mantras it will become stable
37. Parvati in the form of "Vaginal" passage and an auspicion arrow shall form as the pedestal wherein the Phallus shall be installed in accompaniment of the "Vedic Mantras"
38. Lord Shiva shall be propitiated with the offering of sweet scents sandal paste fragrant flower incense & other things as well as by food offering and others forms of worship
39....42.......etc
Suta said :-
43. O Brahmin thus advised the gods bowed to Brahma and then sought refuge in Siva with a desire for the happiness of the world 🌎
44.when worshipped with great devotion and implored lord Shiva became delighted and spoke to them
Lord Shiva said:-
45.O God's O sages you listen to my words with reverence. If my penis is supported in a Vaginal passage there will be happiness
46. Except "PARVATI" no other women can hold my penis held by her my penis will immediately become quiet
Suta said:-
47. O great sages on hearing those words the delighted sages and the gods took Brahma with them and prayed to parvati
48. After propitiating Parvati and the bullbannered lord and performing the rite mentioned before the excellent penis became static
49.The God and the sages propitiated Parvati and Shiva by the mode of procedure laid down in the Vedas for the sake of virtue
50. Brahma Visnu and other gods sages and the three world including the mobile and immobile beings worshiped Shiva particularly
51. Shiva became delighted and so also Parvati the mother of the universe that Phallus (Erected penis) was held 👌 👌👌👌👌👌👌 🥱 🥱 🥱 🥱 🥱 🥱 🙊 🙊 🙊 🙊 🙊 🙊
52. When the Phallus was stabilized there was welfare throughout the world's O brahmins that Phallus became famous in the three worlds 👌👌👌👌👌👌🥱 🥱 🥱 🥱 🥱🥱 🙊 🙊 🙊 🙊 🙊 🙊
53.The Phallus is known as "Hatesa" as well as Shiva Shiva by worshipping it all the people become happy in every respect👌👌👌👌👌 🥱 🥱 🥱 🥱 🥱 🥱 🙊 🙊 🙊 🙊 🙊🙊
Sir ji hiranya garv to samajh me aya, ye vishnu garv ke bare me batana plz🙏
Kese?
Sir apse nivedan jai ko shaiv aur vaishnav me game n bate shabhi KO sreemad bhagawat ki katha sunaye
I AM AGREE WITH YOU. YOU ARE RIGHT
1.निजानंद संप्रदाय की सृष्टि रचना का वर्णन करें
2. क्या सौर मंडल को ब्रह्मांड (ब्रह्मा) कहाँ गया हैं
3. शेषशायी विष्णु, गर्भोदक्षाई विष्णु, कार्णोदक्षाई विष्णु का वर्णन करें
4. हद मंडल, बेहद मंडल और महाबेहद मंडल का वर्णन करें
5. कारण समुद्र और महाकारण समुद्र का वर्णन करें
Guruji pranam lekin shivling Ko bhagvan shiv ke nirakar swaroop ka partik mana gaya hai kahi log esa bolte hai kya ye sahi he
मैंने भी शिवलिंग को निराकार स्वरूप का ही बताया है। इस वीडियो में भी और शिवलिंग रहस्य पर पहले वीडियो में भी मैंने शिव को निराकार ही बताया है। सम्पूर्ण आकाश भगवान शिव का शरीर ही है। इसमें कहाँ कोई भगवान के अंग ढूंढ पाएगा, परन्तु ये भी सत्य है कि जहाँ निराकार शिव का मूलाधार है वही हमारा सौरमण्डल है और मूलाधार के मूल में ही लिंग होता है, परन्तु वह हमें दिखाई नहीं देता।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm ha guruji bilkul sahi kaha apne aur ha guruji shiv ji ke tisre netra ke bare me bhi koi video banaiye
Omnamoh bagvate vasudevaye
गुरु जी हमे आप ये बताने की कृपा करे की शिवलिंग पर जल और दूध क्यों चढ़ाते है।
मैं कभी मूर्ति पूजा नहीं करता। सत्य और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए अपनी जिम्मेदारी के काम ही धर्म समझता हूँ। धर्म कर्म की कुछ बातें ऐसी हैं जिनके बारे में वही बता सकते हैं जिन्होंने ये परंपरा शुरू की। मैंने जब भी कभी-कभार शिवलिंग पूजा की तो केवल जल और बेल पत्र ही चढाए हैं।
ईस्वर ना तो पुरुष तत्व है और न ही स्त्री 👍
Mujhe aap yee bataye ki Shivlinga Ko jyotirlinga Kyun Bolte Hein
Kundalini kaise jagrit kare iska Gyan Hame Bataye
सत्य और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए अपनी जिम्मेदारी के काम करते हुए नियम पूर्वक जीवन जीने से हमारा तप बढ़ाता रहता है। एक समय ऐसा आता है कि हमारे तप के कारण कुण्डली जागरण हो जाता है। एक बार कुण्डली जागरण के बाद व्यक्ति पुनः मोहमाया में नहीं फँसता।
To hari Kya h
om shiv mahaadav ji
Dhanyabad shivaji aham brahmi ap bol v or samjha v sakte ho shiva.
Jai Shiv shakti
What about mulit universe? Is everything included in that?
I have Posted the same question. Mujhe bhi yehi janna h k multiverse kaha h aur sb galaxies kaha h
💗🙏🔱Om Namah Shivai🔱🙏💗
Sir ShivShakti ka jo ling&joni Milan he bo to surjyomondal Jo muladhar chakra me bortoman he.Hiranya Garv to Adi Shakti Mata Parameswari ka he phir Vagban Vishnu ji ke Navi Me se Bramhaji prakat hue.To Vishnu ji ka sakar rup yani Vishnu ji prakat kahase hue?kripiya sir is Chote se Shiv vakt ko ye Gyan digiye 🙏
शिव और शक्ति दोनों आदि ब्रह्म हैं, अर्थात् निराकार ब्रह्म हैं। सृष्टि की उत्पत्ति के लिए निराकार ब्रह्म सबसे पहले विष्णु जी के रूप में साकार रूप लेते हैं। उसके बाद विष्णु जी ब्रह्माण्ड के मूलाधार में स्थित होकर अपनी नाभी से ब्रह्माजी को उत्पन्न करते हैं। फिर ब्रह्माजी ही सृष्टि को आरम्भ करते हैं। इस प्रकार विष्णु जी की उत्पत्ति ब्रह्माण्ड से बाहर हुई है और बाकी सभी की उत्पत्ति ब्रह्माण्ड में अर्थात् हिरण्यगर्भ में हुई है।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm
🙏🔱🔱🔱💗🕉️Om Namha Shivai 🕉️💗🔱🔱🔱🙏
🙏 Thankq Sir🙏
सत्य प्रकाश Sir, एक अनुरोध है आपसे कि मुझे यह नहीं समझ आ रहा है की शेषनाग की जन्म ब्रह्मा जी से पहले कैसे हुआ क्योंकि ब्रह्मा जी समस्त प्राणी के रचयिता है। तो ब्रह्मा जी का जन्म होने से पहले शेषनाग कैसे आए। जसनाथ जी के पिता कश्यप मुनि और माता कश्यप मुनि के पत्नी कदरु है जो शेषनाग और आदि नागों के माता है। और कश्यप मुनि और बाकी समस्त जो मूली डीसी है वह सबको ब्रह्मा जी ने ही उत्पन्न ने किया क्योंकि शेष नाग के ऊपर विष्णु जी विराजमान होते हैं और उनके नाभि से ही ब्रह्मा जी निकलते हैं। Please reply sir.
तुम्हारे मन में जितने कन्फ्यूजन हैं उनके समाधान के लिए तुम्हें बहुत अध्ययन करना पङेगा। ब्रह्माजी की आयु के संबंध में मैंने एक विडियो बनाया है। प्रलय के बाद सृष्टि आरम्भ होती है, पहला मन्वन्तर आता है जिसमें 71 बार चतुर्युगी आती है, अर्थात् सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग 71 बार आते हैं। ऐसे ही 14 मन्वन्तर बीतने के बाद 4,32,00,00,000 वर्ष बीतने के बाद फिर प्रलय आती है। इस पूरी अवधि को एक कल्प कहते हैं। इस अवधि में ब्रह्माजी का केवल एक दिन होता है। हर कल्प की घटनाएं दूसरे कल्प से भिन्न होती हैं। इस कल्प में पृथ्वी को शेषनाग ने अपने फनों पर उठाया, तो वे इसी कल्प में कैसे पैदा हो सकते हैं ?? अर्थात् वे पहले कल्प में पैदा हुए हैं।
सत्य प्रकाशकाश sir, आपने कहा कि भगवान शिव निराकार ब्रह्म है, तो फिर भगवान कृष्ण जब वह शिशु थे तब मिट्टी से खेलते वक्त मिट्टी खा लिया था और जब जसोदा मां ने देखा तो भगवान कृष्ण अपने मुख के भीतर पृथ्वी, सौरमंडल, आकाशगंगा, त्रिदेव, और अनंत आकाश की दर्शन कराया था यानी कि ए सब कुछ उनकी शरीर के अंदर बसते हैं वह कैसे? और अगर कराया था तो उसने फिर भुला क्यों दिया जसोदा मां को? please reply sir. please please
हमारे देश के कथाकारों को बढ़ा-चढ़ाकर बातें बनाने की बहुत आदत रहती है। जब तक वैज्ञानिकों ने दूरबीन नहीं बनाई थी और जब तक अंतरिक्ष में जाना संभव नहीं था तब तक पृथ्वी की संरचना को समझना और अंतरिक्ष की संरचना को समझना किसी के लिए भी संभव नहीं था। जैसे-जैसे अंतरिक्ष की संरचना समझ आने लगी वैसे ही कथाकार ने उन सबको अपनी कथाओं में घुसेङकर बातों को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करना आरंभ कर दिया। जब मैं बच्चा था तब सुना था कि कृष्ण जी के मुख में यशोदा जी को गोकुल की भूमि और पहाड इत्यादी दिखाई दिए। जब बङा हुआ और वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की गोलाकृती को देख लिया तब कथाकारों ने पूरी पृथ्वी को ही घुसेङ दिया। बाद में ग्रहों की आकृति भी समझ आई तो ग्रह नक्षत्र भी घुसेङ दिये। अब त्रिदेव और गैलेक्सी आदि भी घुसेङ दिये हैं। आगे-आगे देखते हैं और क्या-कुछ घुसेङा जाता है। इन कथाकारों की बातों पर टिप्पणी करना मेरे लिए संभव नहीं।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm सत्य प्रकाश sir, मुझे आपसे जानना है की वर्तमान समय काल में जो साडे आधुनिक विज्ञान, और उनकी आविष्कार है, जैसे मानव शरीर का विवरण देना उसके अंदर क्या है उसका काम? और जो अविष्कार है जैसे हवाई जहाज, मोटर कार, उन्नत यंत्र जो हमारी जीवन यात्रा को आगे बढ़ाया। तो यह सारी चीज विदेशी लोग नेहि क्यों अविष्कर किया? हावड़ा धर्म ग्रंथ और बेद विज्ञान को बहुत आसानी से व्याख्या किया है यानी की समस्त ज्ञान हमारे पास होते हुए भी भारतीय के बदले विदेशी ने कैसे इसका इस्तेमाल किया? पहले जो अविष्कार हुआ उनमें भारतीय का नाम क्यों नहीं है? Please reply sir ❤️.
भौतिक ज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान में जमीन आसमान का अंतर होता है। वैज्ञानिक लोग भौतिक ज्ञान अर्थात बाहरी संसाधनों के माध्यम से विश्व को समझते हैं, जबकि हमारे ऋषि-मुनि आध्यात्मिक ज्ञान अर्थात अंतर्मन के माध्यम से विश्व को समझते थे। अंतर्मन के माध्यम से असीमित ज्ञान प्राप्त होता है, परन्तु बाहरी संसाधनों से पूर्ण ज्ञान संभव नहीं। आधुनिक कथाकारों ने हमारे ऋषि-मुनियों के ज्ञान का कचरा बना दिया और वैज्ञानिक अपने आधे-अधूरे ज्ञान से हीरो बन बैठे हैं।
Har Har Mahadev🙏
Jai mahakal
Shiv hie satya hay shiv soundar
Namoo Brahma Rupi Sanatan. Sarb Abatar ke Karan Narayan
Sir ji virbhaday shiv hi ke bhakt nahi the aapki us video Maine comment band Kiya hain
🙏
Jay shri saty sanatan dharm ki jay
आपने कहा 'ब्रह्माजी के पहले कोई जीव नही था' इसका मतलब यह है क्या कि ब्रह्माजी को जीव स्वरुप मान लें ? अर्थात सभी भगवानों को जीव स्वरुप मानना उचित ही होगा ?
Are bhai inki sabhi video dekho sab samjh me aa jaayega ok
Very nice explanation
Aapko aisa nhi kehna chahiya ko shivji top pr hai....top pr viraat purush ko hi rhne de...uske baad brahma vishnu mahesh laye..
.
Or sheshnag yadi earth ke andr hai?! To wo hai kyu waha?! Us jaisa or kyu nhi, wo hilta ya kahi jata kyu nahi....or vishnu andar shithil pade hue hai?!
Bright Side naam ka ek TH-cam channel hai usme bataya hai ki kaise pta chala ki earth me core hai...usko "earth core bright Side" krke search kr skte hai
ये बताईए पृथ्वी के अलावा कौन से गृह पर जीवन है किसी ऋषि मुनि ने नही बताया
Sirji muze lagta hai, hirnyagarbh hamari sabhi atmaoka utptti sthan hai, yehi shiv tatva hai, aur shiv ke bina adishakti ( supreme power) kuch bhi utpnna nahi karati, hamari sabhike atmaye hiranyagarbha se connected hoti hai
आत्मा का ना जन्म होता है और ना ही मृत्यु। आत्मा को मिलने वाले शरीर का जन्म और मृत्यु होती है।
Jo pari purna parameshwar hai woh vaastav mei Nirakar nahin bolki woh Prabhu Sakar matlab Satchitanand swaroop hai, Nirakar toh Prabhu Krishna ke brahm swaroop hai, Ved mei brahm ko hi Nirakar batayagaya hai,Isiliye Prabhu Krishna ne Gita mei kaha hai ki Mai uss brahm ka aadhar yaani pratistha hoon, Hiranya garbh toh Maha Vishnu ke Garbh ko kahajata hai ,jo Andakar swaroop hai,uss Garbh ko hi Ved virat purush kaha hai,iss ka praman RG Ved Purusha sukta mei hai, uss Hiranya Garbh se hi Brahma, Vishnu,Mahadev ke saat saat saare viswa brahmand ki utpati hui hai, Shiv puran mei wohi virat purush yaani Hiranya Garbh hi ek Jyotirsthamva ke roop mei bhagavan Vishnu aur Brahma ke saamne prakat huatha,usi sthamva se hi Shiv ji prakat huethe,
Usi virat purush ke andar saare viswa brahmand samayi hui hai ,isika praman Bhagavad Gita ke viswaroop yog mei hai, jab Arjun ne parameshwar Shri Krishna se Divya dristi paa kar dekha uss Viswaroop yaani Hiranya Garbh ko toh uss Viswaroop mei Brahma, Mahadev ke saat saat saare viswa brahmand ko Arjun ne dekha,usi mei saare sristi samayi hui hai , Arjun ne Divya dristi paa kar bhi uss Viswaroop ka aadi anth paa nahin saka, Krishna hi pari purna parameshwar hai jo bhautik aur aadhyatmik brahmand ke mool beej hai ,unse pare koi nahin ye baat Prabhu Krishna nee Gita mei kahi hai,
गुरु जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏
ओम्
Ji namo aadesh ji
क्या आप देवी अहिल्या ,गौतम ऋषि और इंद्र देव की कहानी में कितनी सच्चाई है यह बता सकते है जैसा कि बहुत से लोग कहते है देवी अहिल्या को पत्थर की मूर्ति बनना पड़ा था तो इंद्र को कुछ सजा नहीं मिली क्या गरुड़ पुराण के अनुसार इन्हे सजा नहीं मिलती है देवी अहिल्या को ही क्यों..... मैं आज तक सच्चाई नहीं जान सका और मैं मानता भी नहीं ऐसा कुछ हुआ था इतिहास को बदला गया था लेकिन आज भी बहुत से संत और बुद्धिमान लोग लिखी हुई बाते ही बताते है और देवी अहिल्या के चरित्र पर संदेह जताते हैं।
पुराणों में बहुत सी कहानियाँ सत्य की कसौटी पर खरी नहीं उतरती। कई घटनाओं को तो बहुत ही निर्लज तरीके से लिखा है। देवी अहिल्या चरित्रहीन नहीं थी और ना ही इन्द्र ने ऐसा कुछ किया जैसा बताया जा रहा है। इन्द्र देव शिवजी के श्राप से पीड़ित थे इसीलिए उनसे यह गलती हुई।
देवी अहिल्या का जन्म यज्ञ से हुआ था, वह सर्वांग सुन्दरी थीं, उन्हें देखकर इन्द्र ने सोचा कि ये तो इन्द्राणी बनने योग्य हैं। परन्तु ऋषियों ने उनका विवाह गौतम ऋषि से कर दिया। जबकि भारतीय परंपरा के अनुसार विवाह कन्या की इच्छा से ही होता है, परन्तु उस समय अहिल्या से पूछा नहीं गया। बस इन्द्र देव यही जानना चाहते थे कि क्या अहिल्या गौतम ऋषि से विवाह करना चाहती थी या उस पर यह विवाह थोप दिया गया है। इन्द्र देव ने जो योजना बनाई थी उस के अनुसार किसी को पता भी नहीं चलता और वे अहिल्या के मन की बात जान लेते, परन्तु वे पकङे गए। उन्हें इस कुकृत्य के कारण इन्द्र पद से हाथ धोना पड़ा और कुछ काल के लिए नपुंसक भी होना पङा था। अहिल्या को श्राप इसलिए दिया क्योंकि उन्होंने अपनी नींद का त्याग नहीं किया और पर पुरुष ने उनको छू लिया।
इस घटना से संबंधित एक विडियो मैंने बनाया है "चन्द्रमा का 27 नक्षत्रों से विवाह " th-cam.com/video/TGpzgDk_KMc/w-d-xo.html इस वीडियो को अवश्य देखें। Description box में मेरे अन्य वीडियो के लिंक दिए गए हैं वहाँ से उन्हें देख सकते हैं।
Shivling to shivji ki pahchan he unka prateek he , yaha pr shiv ka ling or yoni ki bat ho rahi he .
To jiski hum pooja karte he vo vastav me kya he shiv ka ling(penice) he ya shivling unka prateek he.????
शिव निराकार ब्रह्म हैं। उनका कोई भी अंग साकार नहीं होता। मेरी मान्यतानुसार पूरा सौरमंडल शिवजी के मूलाधार चक्र में स्थित है। इस विषय पर मैने एक वीडियो बनाया है, जिसका नाम है , " शिवलिंग रहस्य " ।
इस ब्रह्मांड में और ब्रह्मांड के भी बाहर अंतरिक्ष में जो भी कुछ है वह शिव अर्थात निराकार ब्रह्म के विराट स्वरूप के अंदर ही है। इसी प्रकार पूरा ब्रह्मांड जगत जननी भवानी का गर्भाशय है, जिसे हिरण्यगर्भ कहते हैं, वह भी निराकार ही है।
शिवलिंग जो कि निराकार है, उससे आत्माएँ उत्पन्न होती है और हिरण्यगर्भ में उन्हें शरीर प्राप्त होता है। इसी प्रकार सृष्टि आगे बढ़ती है। अतः जो शिवलिंग पूजा जाता है वह प्रतीकात्मक स्वरूप है, क्योंकि निराकार ब्रह्म में साकार तो केवल ग्रह नक्षत्र आदि ही दिखाई देते हैं।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm ok yaha tk thik he esa kh sakte he.
Shivling jo nirakar he usme utpann aatmaye, or hiranyagarbh me utpann sarir kaha pr milte or ye pritvilok pr kese pahuche? Pls bataye
आत्मा और परमात्मा दोनों निराकार होते हैं, वे किसी को दिखाई नहीं देते। शरीर प्राप्त करने के चार प्रकार बताए गए हैं। सर्वप्रथम ब्रह्माजी विष्णु जी की नाभिकमल से उत्पन्न हुए उस समय ब्रह्मांड में और कोई नहीं था। उसके बाद ब्रह्माजी ने मानस सृष्टि, यज्ञ सृष्टि, देव सृष्टि और अंत में मैथुनी सृष्टि अर्थात स्त्री-पुरुष के संयोग से संतान उत्पन्न हुई। कलयुग में केवल मैथुनी सृष्टि ही होती है। प्रत्येक स्त्री के गर्भ में हिरण्यगर्भ का लघु रूप होता है। और प्रत्येक पुरुष के शरीर में बीज तत्व उत्पन्न होता है, जिसे शुक्राणु कहते हैं।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm me ye janna chahta hu k pahli bar pritvi pr prani jodo k sath kese pahuche???
Jai pravu
*इसका PART - 1 कहाँ है, गुरु जी*
शिवलिंग part -1 th-cam.com/video/TV0shuE3cA8/w-d-xo.html Description box में भी अन्य वीडियो के लिंक दिए हैं।
Great sir...
Hirygarbh means viryay barhma means param bharma
➡️🕺बचपन में पढ़ते समय पढ़ाया गया कि मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना पर कुरान पढ़ने के बाद मेरा विचार सर के बल पलट गये और इसके कारण है कुरान की आयत सुरा आयते :-
➡️2:98 अल्लाह गैर मुस्लिमों का शत्रु है।
➡️3:85 इस्लाम के अलावा कोई अन्य धर्म स्वीकार नहीं।
➡️8:85 इस्लाम को इनकार करने वालों के दिलों में अल्लाह खौफ भर देगा और मुसलमानों तुम उनकी गर्दन पर वार करके उनका अंग काट दो।
➡️3:118 केवल मुसलमानों को भी अपना मित्र बनाओ।
➡️3:28,9:23 - गैर मुस्लिमों को दोस्त ना बनाओ।
➡️8:39- गैर मुस्लिमों से तब तक युद्ध करो जब तक कि अल्लाह का दिन पूरी तरह कायम ना हो जाए
➡️22:30 - मूर्तियां गंदगी है।
➡️9:5 - मूर्ति पूजको को जहां और जैसे पाओ वहां घात लगा कर मार दो।
➡️33:61- मुनाफिक और मूर्तिपूजक जहां भी पकड़े जाएंगे बुरी तरह कत्ल किए जाएंगे
➡️3:62 , 2:2:55 , 27:61, और 35:3 - अल्लाह के अलावा कोई अन्य प्रभु पूज्य नहीं है।
➡️21:98 - अल्लाह के सिवाय किसी और को पूजनीय वाले जहन्नुम का इंधन है।
➡️9:28 - मूर्तिपूजक नपाक है।
➡️4:101 - काफिर तुम्हारे खुले दुश्मन हैं।
➡️9:123 - काफिरों पर जुल्म करो।
➡️9:29 - काफिरों को अपमानित कर उससे जजिया कर लो।
➡️66:9 - काफिरों और मुनाफ इको से जिहाद (जंग) करो।
➡️8:69 - आयतो को इनकार करने वालों को खाल पकाएंगे ।
➡️9:14 - अल्लाह मोमिनो के हाथों काफिरों को यातना देगा।
➡️8:57 - युद्ध बंदियों से नीरिशंसता करो।
➡️32:22 - इस्लाम छोड़ने वालों से बदला लो।
हिंदुओं को अगर विश्वास ना हो तो कुरान को डाउनलोड करके रेफरेंस को चेक कर ले और मुसलमानों को इसमें कोई गलती नजर आवे तो मुझे भी बेझिझक बता देवें।
Note- हमें माफ कीजिए हमारा उद्देश्य नफरत फैलाना नहीं हमारा उद्देश्य भविष्य में भारत में दंगा रोकना और इस्लामिक देश सीरिया और पाकिस्तान बनने से रोकना है।
हमने 1200 साल का इस्लामिक इतिहास पढ़ा इसी कुरान की आयतों को विश्वास में रखने के कारण मुस्लिम आक्रांता ओं ने करोड़ों गैर-मुसलमानों का कत्ल और धर्म परिवर्तन और हजारों मंदिरों को तोड़ा है और लाखों महिलाओं का बलात्कार किया है
क्योंकि मुसलमान भाई कुरान को बोलते हैं अल्लाह का भेजा हुआ आसमानी किताब है लेकिन मुझे इसमें कुछ भी ऐसा नजर नहीं आता है।
➡️ इस्लाम का प्रसार निर्दोषों के खून पर हुआ है
➡️ प्रमाण के तौर पर वर्तमान में अभी भी काफी पुरानी मस्जिदें हैं जो मंदिरों को तोड़कर बनी है उसमें मंदिर के चिन्ह और मूर्तियों के चिन्न देखे जा सकते हैं
➡️सभी हिंदू भाइयों से निवेदन है कि कृपया सनातनी हिंदू बनो सनातन धर्म में पूरे विश्व को परिवार माना गया है वसुदेव कुटुंब और सर्वे भवंतू सुखिनाह सनातन धर्म की विचारधारा है मस्जिद मंदिर मस्जिद के झगड़े से दूर होकर कर्तव्य सत्य अहिंसा न्याय सदाचार के रास्ते पर चलो
➡️ कर्म ही धर्म है (श्रीमद भगवत गीता)
➡️धर्म और मजहब और रिलीजन में क्या अंतर है???
धर्म शब्द की उत्पत्ति ही सनातन हिंदू धर्म से है धर्म कोई उपासना या या पूजा नहीं है
⚛कर्म ही धर्म है। (श्रीमद भगवत गीता)
धर्म आस्तिक नास्तिक सब पर लागू होती है
:🚩मानव धर्म के दस लक्षण बताये हैं:🚩
धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः।
धीर्विद्या सत्यमक्रोधो, दशकं धर्मलक्षणम् ॥
(धृति (धैर्य), क्षमा (दूसरों के द्वारा किये गये अपराध को माफ कर देना, क्षमाशील होना), दम (अपनी वासनाओं पर नियन्त्रण करना), अस्तेय (चोरी न करना), शौच (अन्तरंग और बाह्य शुचिता), इन्द्रिय निग्रहः (इन्द्रियों को वश मे रखना), धी (बुद्धिमत्ता का प्रयोग), विद्या (अधिक से अधिक ज्ञान की पिपासा), सत्य (मन वचन कर्म से सत्य का पालन) और अक्रोध (क्रोध न करना) ; ये दस मानव धर्म के लक्षण हैं।)
⚛अर्थात कर्तव्य अहिंसा न्याय सदाचार सदगुण आदि।
➡️बाकी religion और मजहब शब्द दिन का शब्द मुसलमान और ईसाई का है इसका कोई अर्थ नहीं आता है
इसी शब्द की पालन ठीक से नहीं करने के कारण पूरे विश्व में अशांति हैं भारत में भी हम लोग ख mix हुए हैं रिलीजन मजहब सब mix हुए हैं किसी को ज्ञान ही नहीं है इसीलिए पूरे विश्व में अशांति है इसका ज्ञान पढ़ाई स्कूलों में होना चाहिए लेकिन धर्मनिरपेक्ष भारत में हम क्या उम्मीद कर सकते हैं।
हिंदू सनातन वाले जिस दिन धर्म के रास्ते पर चलने लगेंगे उस दिन भारत फिर से सोने के चिड़िया हो जाएगा लेकिन दुर्भाग्यवश मजहब और रिलीजन के मानने वाले लोग हैं उनको पता ही नहीं है कि धर्म क्या है रिलीजन क्या है और मजहब क्या है?
➡️अर्थात कर्म ही धर्म है (श्रीमद भगवत गीता)
➡️1200साल का खूनी खेल कारण पूरे भारत देश का धर्म परिवर्तन हो चुका है जिस दिन हम अपने मूल में आ जाएंगे फिर से पूरे भारत में शांति ही शांति होगी।🕉🚩🙏🙏🙏🙏🇮🇳🌷
यौगिक ग्रंथ में वर्णित वज्रोली मुद्रा क्या है ????
Jis din Shiva tomhe kripa kare ga usdin tomhe satya ka gyan hoga muromati..
Chop ijjat se baat ker
@@shivamtripathi6147 tere keya kapra utar diya maine
Very nice sir jay Sanatan...
देखिए श्री मान जी
ये आप अपने अनुसार वर्णन कर रहे है , जबकि वास्तविकता ये है , उसके अनंत नाम अनंत रूप है और ये सभी नाम उसके विशेषण है जैसे विष्णु - जो सभी जगह व्याप्त हो , शिव - जो मंगल करने वाला हो , नारायण - जो अनंत जल में रहने वाला हो इत्यादि और हर पुराण में कल्प भेद के अनुसार सब की अपनी (उस नाम के स्वरूप की) महिमा कहीं गई है , जबकि वेद में डायरेक्ट ऐसा कुछ नही कहा गया है । अगर मै शिव तत्व के अलावा यहां नारायण तत्व की वयख्या करू तो अलग होगा परन्तु मै समझता हूं वही आदि नारायण है वहीं शिव है ,,, यही भेद बुद्धि ही कई जन्मों का कारण इस संसार में बनती है , जिस रूप में भगवान के प्रेम हो उसका ध्यान करे ।।
Sir, bhagwan ne insaan ko kyun bnaya?
इस बात का उत्तर तो भगवान ही बेहतर दे पाएंगे।