भजन - भाग्य बड़ो वृंदावन पायो । वृंदावन स्तुति
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- เผยแพร่เมื่อ 16 ก.ย. 2024
- Shri Rajendra Das Ji Maharaj is the president (Mahant) of Shri Malook Peeth Ashram of Vrindavan.
Maharaj Ji is initiated in a pious Virakt Parampara of Ramanand Sampraday (largest Vaishnav sampradaya). Maharajji is an ananya devotee of Shri Ram Krishna Narayan.
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🌹🌹👏👏
जय जय श्री वृन्दावन धाम 🌹👏👏🌹
ब्रज के सभी संतो ओर रसिको को राधा वल्लभ श्री हरिवंश।
मेरो प्यारो श्री वृंन्दावन धाम😊😊😄😄😄😄🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
दंडवत प्रणाम महाराज जी,आपके सुन्दर वचन सुनने को मिले।
जय गो माता जय गोपाल जय जय श्री विन्दरावन धाम अन्नतश्री सम्पन्न परम भगवत श्री श्री 1008 श्री मलूक पीठाधीश्वर गुरु भगवान के चरणों में कोटी कोटी प्रणाम जय जय श्री सीता राम 🙏 🙏 🙏 🙏
राधारमणबिहारी
हमारो बल श्री वृंन्दावन धाम😊😊😊
Shree haredas maharaj je
Radhe Radhe Swamiji Ait Sunder 23,1,22 🙏
आपका आभार जय श्री राधे श्याम🙏🙏
Koti koti dandvat pranaam maharajji
Vandana bhardwaj Jai ho 🙏
श्री गुरुदेव भगवान के श्री चरणों में दास का साष्टांग दंडवत प्रणाम।
जय हो मेरे प्रभु 🙏🏻
sri radhe
जय संत भगवंत
🙏🏻🙏🏻
16:34 ❤❤❤❤❤❤
श्री सीताराम इसी प्रकार से महाराज जी के पद भजन यूट्यूब पर आते रहे इससे भक्तों को सुनकर अति सुख व आनंद मिलता है क्योंकि ऐसे रसकों की पद रचना और कहीं सुनने को नहीं मिलती है। हम आपके बहुत बड़े आभारी हैं। श्री सीताराम
जय राधे राधे राधे कृपा करो राधे श्री राधिका र प्राण धन मुकुन्दं मुरारी
श्री वृंदावन की जय हो
हे प्रभु हमें वहां आश्रय प्रदान करने की कृपा करें
श्री राधा वल्लभ श्री हित हरिवंश सरकार।।
श्री सदगुरु देव भगवान जी को कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं।।
सभी संत रसिक प्रेमी जनों को कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं।।
Radha Krishna gurudev kripa kare
Jai shree Grudev ji Maharaj 🙏parnam koti koti pranam 🙏Jai shree sita ram Jai shree Radhe Radhe Krishan
Shree Radhe pujya Maharaj ji 🙏
🌱🌺Raam🌺🌱Krishna🌱🌺Hari🌺🌱👏
Vrindavan ♥️
Radhey radhey radhey radhey radhey radhey radhey radhey radhey radhey radhey radhey radhey radhey radhey radhey radhey radhey radhey radhey
भाग बड़ौ वृन्दावन पायौ।
श्रीवृन्दावन अखंड वास करनेवाले निज आश्रित जनों से श्री रसिक देव कह रहे हैं "हे भाई! तुमको सर्वोपरि श्रीनित्यविहारिनीजू का निज विलासरस महल श्रीवृन्दावन का अखंड वास प्राप्त हो गया है, यह तुम्हारा अहो भाग्य है।
जा रज कौं सुर नर मुनि वंछित विधि संकर सिर नायौ॥
मनुष्य, देवता एवं मुनिगण भी वृन्दावन की इस रज की वांछा करते हैं, एवं ब्रह्मा तथा भगवान शिव इस रज को माथे पर चढ़ाते हैं।
बहुतक जुग या रज बिनु बीते जन्म जन्म डहकायौ।
श्री राधा के चरण कमलों से आच्छादित श्री वृंदावन की रज के बिना यह दुर्लभ मानव जीवन असंख्य बार व्यर्थ गया है।
सो रज अब कृपा करि दीनी अभै निसान बजायौ॥
उसी रज ने मुझ पर अब कृपा की है और मुझे सर्वोच्च आश्रय और अपार आनंद प्रदान किया है।
आइ मिल्यौ परिवार आपने हरि हँसि कंठ लगायौ।
जो वृंदावन आता है वह अपने वास्तविक सम्बन्धी अर्थात श्री श्यामा श्याम और सखियों (उनके रसिक भक्त) से मिलता है। वे सम्बन्धी खुले हाथों से हमारा स्वागत करते हैं और श्री हरि प्रसन्नता पूर्वक अपने कंठ से लगाते हैं।
स्यामा स्यामा जू बिहरत दोऊ सखी समाज मिलायौ॥
श्री श्यामा श्याम नित्य ही वृंदावन के विभिन्न स्थानों में विचरण करते हैं और हमें उनके सखी (रासिकों) से मिलने में सहायता करते हैं तथा हमें उनका सहयोग प्रदान करने में भी सहायता करते हैं।
सोग संताप करौ मति कोई दाव भलौ बनि आयौ।
इस दिव्य स्थान पर पहुंचकर, भक्तों से मिल कर और श्यामा श्यामा की कृपा और वृंदावन की रज को पाकर, किसी को भी फिर कभी दुखी नहीं होना चाहिए, क्योंकि लक्ष्य की प्राप्ति हो गयी है और अनगिनत जन्मों का चक्कर आखिरकार समाप्त हो गया है।
श्रीरसिकबिहारी की गति पाई धनि धनि लोक कहायौ॥
श्री रसिक बिहारी देव कहते हैं, "श्री बिहारीजी और बिहारिनी श्री राधारानी का प्रेम प्राप्त कर के और वृंदावन की पावन रज से युक्त होकर अपने आप को बहुत भाग्यशाली समझना चाहिए।"