When everyone complains that Acharya ji hates tradition and wants to kill culture, this conversation should be eye opening to them. He has explained this festival's beautiful meaning and promoting the correct version all over world. Thank you Acharya ji and thanks India News for this initiative.
हर पर्व का उद्देश्य यही होता है कि मनुष्य का प्रकृति से संबंध कैसा होना चाहिए। प्रकृति से संबंध नमन का होना चाहिए। नदियो ,तालाबो और जल स्त्रोतो को बचाना बहुत जरूरी है यही छठपर्व का मर्म है ,मूल है।रक्षा बंधन पर सुरक्षा प्रकृति को चाहिए, विलुप्त होती प्रजातियों को चाहिए ❤
मैंने ऐसी महिलाओं को भी छठ करते हुए देखा है जो पूरे साल जमकर मुर्गा ,मछली, बकरा, (प्रकृति के बच्चे)चबाएगी और एक दिन छठ पूजा (प्रकृति की पूजा) कर लेंगी क्या मतलब है ऐसी पूजा का सिर्फ और सिर्फ पाखंड
जैसा कि आचार्य जी हमेशा किसी पर्व को बहुत अच्छे और एक ऊंचे उद्देश्य के हिसाब से व्याख्यान करते हैं
ये छठ पूजा वाला व्याख्यान भी अद्भुत है
ऐसा अद्भूत व्याख्यान केवल आचार्य ही कर सकते हैं 🙏🔥🔥🔥🔥🔥❤️❤️🙂
छठ पूजा का विस्तार से वर्णन पहली बार आचार्य जी से जानाऔर जीव व प्रकृति का क्या संबंध होना चाहिए। ❤❤
जयश्री आचार्य प्रशांत जैसा बहादुर गुरु चाहिए आज हमें सही राह दिखानेवाले ❤❤
छठ पर्व का बहुत सुन्दर विवेचन आचार्य जी ने किया
आचार्य जी❤❤
🪔📚 आचार्य प्रशांत ✒️📖💐
bahut sundar
जय हिन्द श्रीमान जी 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🙏🙏
Best analysis of chhath Puja.
Acharya prashanth is god of new era.🎉🙏🏼🍱
Happy chhath Puja 🎉❤ from Bihar
♥️♥️♥️♥️♥️
हर् पर्व का बहुत अदभुत अर्थ समझाते है आचार्य जी हर एक पर्व समझ में आने लग गये है धन्यवाद आचार्य जी
Dil se thank you acharya ji❤
❤
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏ॐ🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
आचार्य जि!!!
Achrya ji ❤
nice
प्रणाम आचार्य जी❤❤❤🎉🎉
Aap donon ko bahut bahut dhanyvad
❤❤❤❤
Ekdam sahi baat bol rhe h
ऐसा अर्थ छठ पूजा का सायद ही किसी ने बताया होगा. आभार आपका आचार्य जी ❤
When everyone complains that Acharya ji hates tradition and wants to kill culture, this conversation should be eye opening to them. He has explained this festival's beautiful meaning and promoting the correct version all over world. Thank you Acharya ji and thanks India News for this initiative.
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✨✨✨😌👏👏👏
Naamn acharya ji
हर पर्व का उद्देश्य यही होता है कि मनुष्य का प्रकृति से संबंध कैसा होना चाहिए। प्रकृति से संबंध नमन का होना चाहिए। नदियो ,तालाबो और जल स्त्रोतो को बचाना बहुत जरूरी है यही छठपर्व का मर्म है ,मूल है।रक्षा बंधन पर सुरक्षा प्रकृति को चाहिए, विलुप्त होती प्रजातियों को चाहिए ❤
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏~~आचार्य जी ~~❤❤❤❤❤❤❤❤🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏~~आचार्य जी ~~❤❤❤❤❤❤❤❤
Acharya prashant ❤🎉
Acharya Prashant ❤
मैंने ऐसी महिलाओं को भी छठ करते हुए देखा है जो पूरे साल जमकर मुर्गा ,मछली, बकरा, (प्रकृति के बच्चे)चबाएगी और एक दिन छठ पूजा (प्रकृति की पूजा) कर लेंगी क्या मतलब है ऐसी पूजा का सिर्फ और सिर्फ पाखंड
Bilkul sahi.
🙏🏽
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Bina Arjun ke Geeta nahin ho sakta isiliye Rana ji aapko pranam Aacharya Ji ko court court Naman
कोई भी पर्व हो, उसका सीधा या परोक्ष संबंध प्रकृति से होता है।
पर्व हमें 'प्रकृति से संबंध कैसा हो?'
ये बताते हैं।
Hum pure saal aise hi q nai rahte
Sir bharat ka chinkish wala area dekhye aur bharat ke bahar ka north east mein pitay kiska extreme ab to samajh jayye bhagwan
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