राजस्थान में अन्य पिछड़ी जातियों (OBC) के साथ हो रहे भेदभाव पर विचार करते समय निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है: 1. **सामाजिक प्रतिष्ठा और प्रभुत्व**: ऐतिहासिक रूप से अगड़ी जातियों का समाज में उच्च स्थान रहा है, जबकि OBC वर्ग को पिछड़ा माना गया है। यह असमानता आज भी सरकारी दस्तावेजों में परिलक्षित होती है। 2. **आय आधारित आरक्षण**: अगड़ी जातियों के लोग जिनकी वार्षिक आय 8 लाख रुपये से अधिक है, वे Unreserved श्रेणी में आते हैं और आरक्षण का लाभ नहीं ले सकते। इसी तरह, OBC वर्ग के लोग भी यदि उनकी आय 8 लाख रुपये से अधिक हो, तो वे भी Unreserved श्रेणी में आ जाते हैं। 3. **आरक्षण का अनुपात**: राजस्थान में अगड़ी जातियों की जनसंख्या 16% है, जिन्हें 10% आरक्षण मिलता है। दूसरी ओर, OBC की जनसंख्या 50% है, लेकिन उन्हें केवल 21% आरक्षण मिलता है। यह अनुपातिक असमानता OBC के साथ अन्यायपूर्ण प्रतीत होती है। 4. **अधिक कट-ऑफ**: राजस्थान की भर्ती परीक्षाओं में OBC की कट-ऑफ EWS से अधिक रहती है, जो यह दर्शाता है कि OBC वर्ग के उम्मीदवारों को अधिक अंक लाने होते हैं। यह स्थिति OBC वर्ग के साथ भेदभावपूर्ण है। 5. **EWS आरक्षण का भेदभाव**: अगर कोई OBC व्यक्ति केवल गरीबी के आधार पर EWS आरक्षण का लाभ लेना चाहता है, तो उसे जाति के आधार पर यह लाभ नहीं मिलता है। यह आर्थिक आधार पर आधारित आरक्षण होते हुए भी जातिगत भेदभाव को दर्शाता है। 6. **OBC आरक्षण का विभाजन**: OBC आरक्षण को विभिन्न जातियों में बांटना OBC वर्ग की एकता को तोड़ने के समान है। अगर ऐसा विभाजन उचित है, तो SC, ST, और MBC आरक्षण का भी विभाजन किया जाना चाहिए। 7. **EWS आरक्षण का सीमित उपयोग**: EWS आरक्षण को केवल कुछ अगड़ी जातियों तक सीमित रखना और OBC वर्ग को इससे वंचित रखना न्यायसंगत नहीं है। इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, यह स्पष्ट है कि OBC वर्ग के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार हो रहा है, जिसे सुधारने के लिए नीतिगत बदलाव की आवश्यकता है। सरकार को सभी वर्गों के प्रति समान और न्यायसंगत दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
Sir, राजस्थान में अगड़ी जातियों और अन्य पिछड़ी जातियों के आरक्षण में भेदभाव के निम्नलिखित बिंदुओं पर गौर फरमाएं:- 1:- सरकार अपने सरकारी दस्तावेजों में कुछ जातियों को अगड़ी/सवर्ण कहती है और कुछ अन्य जातियों को पिछड़ी जाति कहती है। यानि कि अगड़ी जातियों के पास हज़ारों सालों से पिछड़ी जातियों के मुकाबले अधिक सामाजिक प्रतिष्ठा रहीं हैं। 2:- जो अगड़ी जातियां है उनके लोगों की वार्षिक आय यदि 8 लाख रुपये से अधिक होती है तो वे लोग Unreserved श्रेणी में आ जाते हैं और उन्हें किसी प्रकार के आरक्षण का लाभ नहीं मिलता। और ठीक इसी प्रकार जो अन्य पिछड़ी जातियों/वर्ग के लोगों की भी वार्षिक आय यदि 8 लाख रुपये से अधिक हो तो वे लोग भी Unreserved श्रेणी में आ जाते हैं और उन्हें भी किसी प्रकार के आरक्षण का लाभ नहीं मिलता। 3:- अब उक्त दोनों ही वर्गों के 8 लाख से कम आय वाले गरीब लोगों को राजस्थान सरकार द्वारा देय आरक्षण इस प्रकार है कि- राजस्थान की कुल जनसंख्या में 16 प्रतिशत हिस्सेदारी वाली अगड़ी जातियों को सरकार 10% आरक्षण देती है और राजस्थान की कुल जनसंख्या में 50 प्रतिशत जनसंख्या वाली अन्य पिछड़ी जातियों को मात्र 21% आरक्षण देती हैं। 4:- यानि कि अगड़ी जातियों को पिछड़ी जातियों के मुकाबले अधिक आनुपातिक आरक्षण। यह कहा का न्याय हुआ? कि किसी को पिछड़ा भी कहा जाए और फिर आरक्षण भी अगड़ी जातियों से आनुपातिक रूप से कम मिले । 5:- इस आरक्षण विसंगति के कारण वर्तमान में राजस्थान की प्रत्येक भर्ती परीक्षाओं में OBC की cutt off EWS से अधिक रहती हैं। यानि कि पिछड़ों को नौकरी पाने के लिए अगड़ी जातियों से अधिक अंक लाने होते है। यह कहा का न्याय हुआ? 6:- और यदि यह EWS आरक्षण जातिगत की बजाय आर्थिक आधार पर ही हैं तो यदि कोई पिछड़ी जाति का व्यक्ति अपनी जाति देखे बिना केवल ग़रीबी के आधार पर EWS आरक्षण का लाभ लेना चाहें तो सरकार उसे केवल उसकी जाति के आधार पर उसे EWS आरक्षण का लाभ देने से मना कर देती है। यह कहा का न्याय हुआ? 7:- सरकार उस आनुपातिक रूप से थोड़े से OBC आरक्षण को तो इतनी बड़ी जनसंख्या वाले OBC वर्ग की अलग अलग जातियों मे बांटने की बातें करती हैं। लेकिन EWS आरक्षण को सभी गरीब लोगों को देने की बजाय केवल कुछ अगड़ी जातियों तक ही सीमित रखना चाहती है। यह कहा का न्याय हुआ? 8:- सरकारों का रवैया एसा है कि किसी एक वर्ग को पिछड़ा हुआ भी कहेंगे और फिर भी उस पिछड़े वर्ग (OBC) को नौकरी पाने के लिए अगड़ी/सवर्ण जातियों से अधिक अंक लाने होंगे क्योंकि उन लोगों का दोष केवल इतना है कि वो पिछड़ी जातियों में जन्मे है अगर वे ही लोग अगड़ी जातियों में जन्म लेते तो शायद उन्हें नौकरी आसानी से कम अंक पर मिल जाती । यह कहा का न्याय है?
Sir, *राजस्थान में OBC वर्ग के साथ एसा अन्याय क्यूँ?* राजस्थान में अगड़ी जातियों और अन्य पिछड़ी जातियों के आरक्षण में भेदभाव के निम्नलिखित बिंदुओं पर गौर फरमाएं:- 1:- सरकार अपने सरकारी दस्तावेजों में कुछ जातियों को अगड़ी/सवर्ण कहती है और कुछ अन्य जातियों को पिछड़ी जाति कहती है। यानि कि अगड़ी जातियों के पास हज़ारों सालों से पिछड़ी जातियों के मुकाबले अधिक सामाजिक प्रतिष्ठा और प्रभुत्व रहा हैं। 2:- जो अगड़ी जातियां है उनके लोगों की वार्षिक आय यदि 8 लाख रुपये से अधिक होती है तो वे लोग Unreserved श्रेणी में आ जाते हैं और उन्हें किसी प्रकार के आरक्षण का लाभ नहीं मिलता। और ठीक इसी प्रकार अन्य पिछड़ी जातियों/वर्ग (OBC) के लोगों की भी वार्षिक आय यदि 8 लाख रुपये से अधिक हो तो वे लोग भी Unreserved श्रेणी में आ जाते हैं और उन्हें भी किसी प्रकार के आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है। 3:- अब उक्त दोनों ही वर्गों के 8 लाख से कम आय वाले गरीब लोगों को राजस्थान सरकार द्वारा देय आरक्षण इस प्रकार है कि- राजस्थान की कुल जनसंख्या में 16 प्रतिशत हिस्सेदारी वाली अगड़ी जातियों को सरकार 10% आरक्षण देती है और राजस्थान की कुल जनसंख्या में 50 प्रतिशत जनसंख्या वाली अन्य पिछड़ी जातियों को मात्र 21% आरक्षण देती हैं। 4:- यानि कि अगड़ी जातियों को पिछड़ी जातियों के मुकाबले अधिक आनुपातिक आरक्षण। यह कैसा न्याय हुआ? कि किसी को पिछड़ा भी कहा जाए और फिर आरक्षण भी अगड़ी जातियों से आनुपातिक रूप से कम मिले । 5:- इस आरक्षण विसंगति के कारण वर्तमान में राजस्थान की प्रत्येक भर्ती परीक्षाओं में OBC की cutt off EWS से अधिक रहती हैं। यानि कि पिछड़ों को नौकरी पाने के लिए अगड़ी जातियों से अधिक अंक लाने होते है। यह कैसा न्याय हुआ? 6:- और यदि यह EWS आरक्षण जातिगत की बजाय आर्थिक आधार पर ही हैं तो यदि कोई पिछड़ी जाति का व्यक्ति अपनी जाति देखे बिना केवल ग़रीबी के आधार पर EWS आरक्षण का लाभ लेना चाहें तो सरकार उसे केवल उसकी जाति के आधार पर उसे EWS आरक्षण का लाभ देने से मना कर देती है। यह कैसा न्याय हुआ? 7:- यदि 21% OBC आरक्षण को OBC की अलग अलग जातियों के बीच जातिवादी विभाजन कर बांटा जाना उचित है तो फिर SC,ST,MBC आरक्षण को भी इस तरह बांटा जाना चाहिए। केवल OBC आरक्षण को ही इस तरह बांटा जाए, यह कैसा न्याय हुआ? 8:-सरकार उस आनुपातिक रूप से थोड़े से OBC आरक्षण को तो इतनी बड़ी जनसंख्या वाले OBC वर्ग की अलग अलग जातियों मे बांटने की बातें करती हैं, ताकि OBC वर्ग की एकता को जातिवादी रूप देकर खत्म किया जा सके। लेकिन EWS आरक्षण को सभी गरीब लोगों को देने की बजाय केवल कुछ अगड़ी जातियों तक ही सीमित रखना चाहती है। यह कैसा न्याय हुआ? 9:- आज वर्तमान समय मे राजस्थान की प्रत्येक भर्ती/परीक्षा में OBC की कट-ऑफ EWS से हमेशा अधिक रहती है। लेकिन सरकारों का रवैया एसा है कि किसी एक वर्ग को सरकारी दस्तावेजों मे पिछड़ा हुआ (OBC) भी कहेंगे और फिर भी उस पिछड़े वर्ग (OBC) को नौकरी पाने के लिए अगड़ी/सवर्ण जातियों से अधिक अंक लाने होंगे क्योंकि उन लोगों का दोष केवल इतना है कि वो पिछड़ी जातियों (OBC) में जन्मे है, अगर वे ही लोग अगड़ी जातियों में जन्म लेते और सरकारों द्वारा सवर्ण कहलाए जाते तो शायद उन्हे नौकरी आसानी से कम अंक पर मिल जाती, जैसा कि आज राजस्थान में हो रहा है। यह OBC वर्ग के साथ बहुत बड़ा अन्याय हो रहा है।
ब्राह्मण भी तो शुद्र ब्राह्मण, चांडाल ब्राह्मण, म्लेच्छ ब्राह्मण, निषाद ब्राह्मण, पशु ब्राह्मण होते...अत्रि स्मृति के मुताबिक, ब्राह्मणों के दस प्रकार हैं (दस विध ब्राह्मण):- 1. शुद्र ब्राह्मण 2. वैश्य ब्राह्मण 3. क्षत्रिय ब्राह्मण 4. निषाद ब्राह्मण 5. पशु ब्राह्मण 6. म्लेच्छ ब्राह्मण 7. चांडाल ब्राह्मण 8. देव ब्राह्मण 9. मुनि ब्राह्मण 10. द्विज ब्राह्मण और तो और ब्राह्मण भी बहुत ओबीसी हैं, ब्राह्मण एवं पुरोहित समुदाय जो OBC (ओबीसी) है: --------------------------------------- 1. राजापुर सारस्वत ब्राह्मण महाराष्ट्र, केरल और कर्नाटक राज्यों में OBC है। 2. जोशी, भार्गव डाकू ब्राह्मण राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली राज्यों में OBC है। 3. कत्था ब्राह्मण राजस्थान राज्य में OBC है। 4. सौराष्ट्र ब्राह्मण तमिलनाडु और केरल राज्यों में OBC है। 5. गोस्वामी, नाथ, जोगी, योगी, गिरी ब्राह्मण उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड झारखंड, राजस्थान, गुजरात में OBC है।(असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, हरियाणा, पंजाब, बिहार केंद्रीय सूची में अधिसूचित सामान्य श्रेणियों में) में OBC है। 6. चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड राज्यों में धीमान और जांगिड़ ब्राह्मण OBC है। 7. बैरागी इन राज्यों में चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दिल्ली , हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में बैरागी ब्राह्मण OBC है। 8. महाराष्ट्र राज्य में गुरव, शैव ब्राह्मण OBC है।
आपको General और OBC के बीच सटीक अंतर जानने की आवश्यकता है। एक राज्य में जो जाति OBC में है, वही अन्य राज्यों में General में हो सकती है। OBC क्या है ? अन्य पिछड़ी जाति। इसका क्या मतलब है ? वे जातियाँ जो सामाजिक या आर्थिक रूप से गरीब हैं। सबसे पहले 1947 के बाद कुछ जातियों को आरक्षण प्रदान किया गया था जिन्हें अछूत माना जाता था (वर्ण व्यवस्था के कारण) और जनजातियाँ। अनुसूचित जाति के लिए SC और अनुसूचित जनजातियों के लिए ST शब्द का इस्तेमाल किया गया। फिर मंडल आयोग आया और उन्होंने कुछ जातियों को सामान्य से बाहर कर दिया जो आर्थिक या सामाजिक रूप से या शिक्षा के हिसाब से गरीब थीं। 1990 के बाद OBC को आरक्षण दिया गया। यह शूद्र/वैश्य/क्षत्रिय/ब्राह्मण जैसा नहीं है। वैश्य समुदाय कई राज्यों में OBC में आता है। राजपूत कर्नाटक में OBC में आते हैं। ब्राह्मणों की बात करें तो गिरि, गोस्वामी, सारस्वत और बैरागी बिहार, झारखंड और राजस्थान में OBC में हैं। ब्राह्मणों के कई संप्रदाय अलग-अलग राज्यों में OBC में हैं।
@@chaudharymitul3759Bihar ki tarah OBC ko devide karne ka plan h....1.ek group me dominant OBC aaegi ( jat, yadav etc.) 2. Dusre group me OBC ki pichhri jatiya aaegi ( kumhar,mali,dhobi,nai,daroga,darji,Charan etc.)
Sir, *राजस्थान में OBC वर्ग के साथ एसा अन्याय क्यूँ?* राजस्थान में अगड़ी जातियों और अन्य पिछड़ी जातियों के आरक्षण में भेदभाव के निम्नलिखित बिंदुओं पर गौर फरमाएं:- 1:- सरकार अपने सरकारी दस्तावेजों में कुछ जातियों को अगड़ी/सवर्ण कहती है और कुछ अन्य जातियों को पिछड़ी जाति कहती है। यानि कि अगड़ी जातियों के पास हज़ारों सालों से पिछड़ी जातियों के मुकाबले अधिक सामाजिक प्रतिष्ठा और प्रभुत्व रहा हैं। 2:- जो अगड़ी जातियां है उनके लोगों की वार्षिक आय यदि 8 लाख रुपये से अधिक होती है तो वे लोग Unreserved श्रेणी में आ जाते हैं और उन्हें किसी प्रकार के आरक्षण का लाभ नहीं मिलता। और ठीक इसी प्रकार अन्य पिछड़ी जातियों/वर्ग (OBC) के लोगों की भी वार्षिक आय यदि 8 लाख रुपये से अधिक हो तो वे लोग भी Unreserved श्रेणी में आ जाते हैं और उन्हें भी किसी प्रकार के आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है। 3:- अब उक्त दोनों ही वर्गों के 8 लाख से कम आय वाले गरीब लोगों को राजस्थान सरकार द्वारा देय आरक्षण इस प्रकार है कि- राजस्थान की कुल जनसंख्या में 16 प्रतिशत हिस्सेदारी वाली अगड़ी जातियों को सरकार 10% आरक्षण देती है और राजस्थान की कुल जनसंख्या में 50 प्रतिशत जनसंख्या वाली अन्य पिछड़ी जातियों को मात्र 21% आरक्षण देती हैं। 4:- यानि कि अगड़ी जातियों को पिछड़ी जातियों के मुकाबले अधिक आनुपातिक आरक्षण। यह कैसा न्याय हुआ? कि किसी को पिछड़ा भी कहा जाए और फिर आरक्षण भी अगड़ी जातियों से आनुपातिक रूप से कम मिले । 5:- इस आरक्षण विसंगति के कारण वर्तमान में राजस्थान की प्रत्येक भर्ती परीक्षाओं में OBC की cutt off EWS से अधिक रहती हैं। यानि कि पिछड़ों को नौकरी पाने के लिए अगड़ी जातियों से अधिक अंक लाने होते है। यह कैसा न्याय हुआ? 6:- और यदि यह EWS आरक्षण जातिगत की बजाय आर्थिक आधार पर ही हैं तो यदि कोई पिछड़ी जाति का व्यक्ति अपनी जाति देखे बिना केवल ग़रीबी के आधार पर EWS आरक्षण का लाभ लेना चाहें तो सरकार उसे केवल उसकी जाति के आधार पर उसे EWS आरक्षण का लाभ देने से मना कर देती है। यह कैसा न्याय हुआ? 7:- यदि 21% OBC आरक्षण को OBC की अलग अलग जातियों के बीच जातिवादी विभाजन कर बांटा जाना उचित है तो फिर SC,ST,MBC आरक्षण को भी इस तरह बांटा जाना चाहिए। केवल OBC आरक्षण को ही इस तरह बांटा जाए, यह कैसा न्याय हुआ? 8:-सरकार उस आनुपातिक रूप से थोड़े से OBC आरक्षण को तो इतनी बड़ी जनसंख्या वाले OBC वर्ग की अलग अलग जातियों मे बांटने की बातें करती हैं, ताकि OBC वर्ग की एकता को जातिवादी रूप देकर खत्म किया जा सके। लेकिन EWS आरक्षण को सभी गरीब लोगों को देने की बजाय केवल कुछ अगड़ी जातियों तक ही सीमित रखना चाहती है। यह कैसा न्याय हुआ? 9:- आज वर्तमान समय मे राजस्थान की प्रत्येक भर्ती/परीक्षा में OBC की कट-ऑफ EWS से हमेशा अधिक रहती है। लेकिन सरकारों का रवैया एसा है कि किसी एक वर्ग को सरकारी दस्तावेजों मे पिछड़ा हुआ (OBC) भी कहेंगे और फिर भी उस पिछड़े वर्ग (OBC) को नौकरी पाने के लिए अगड़ी/सवर्ण जातियों से अधिक अंक लाने होंगे क्योंकि उन लोगों का दोष केवल इतना है कि वो पिछड़ी जातियों (OBC) में जन्मे है, अगर वे ही लोग अगड़ी जातियों में जन्म लेते और सरकारों द्वारा सवर्ण कहलाए जाते तो शायद उन्हे नौकरी आसानी से कम अंक पर मिल जाती, जैसा कि आज राजस्थान में हो रहा है। यह OBC वर्ग के साथ बहुत बड़ा अन्याय हो रहा है।
Sir, *राजस्थान में OBC वर्ग के साथ एसा अन्याय क्यूँ?* राजस्थान में अगड़ी जातियों और अन्य पिछड़ी जातियों के आरक्षण में भेदभाव के निम्नलिखित बिंदुओं पर गौर फरमाएं:- 1:- सरकार अपने सरकारी दस्तावेजों में कुछ जातियों को अगड़ी/सवर्ण कहती है और कुछ अन्य जातियों को पिछड़ी जाति कहती है। यानि कि अगड़ी जातियों के पास हज़ारों सालों से पिछड़ी जातियों के मुकाबले अधिक सामाजिक प्रतिष्ठा और प्रभुत्व रहा हैं। 2:- जो अगड़ी जातियां है उनके लोगों की वार्षिक आय यदि 8 लाख रुपये से अधिक होती है तो वे लोग Unreserved श्रेणी में आ जाते हैं और उन्हें किसी प्रकार के आरक्षण का लाभ नहीं मिलता। और ठीक इसी प्रकार अन्य पिछड़ी जातियों/वर्ग (OBC) के लोगों की भी वार्षिक आय यदि 8 लाख रुपये से अधिक हो तो वे लोग भी Unreserved श्रेणी में आ जाते हैं और उन्हें भी किसी प्रकार के आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है। 3:- अब उक्त दोनों ही वर्गों के 8 लाख से कम आय वाले गरीब लोगों को राजस्थान सरकार द्वारा देय आरक्षण इस प्रकार है कि- राजस्थान की कुल जनसंख्या में 16 प्रतिशत हिस्सेदारी वाली अगड़ी जातियों को सरकार 10% आरक्षण देती है और राजस्थान की कुल जनसंख्या में 50 प्रतिशत जनसंख्या वाली अन्य पिछड़ी जातियों को मात्र 21% आरक्षण देती हैं। 4:- यानि कि अगड़ी जातियों को पिछड़ी जातियों के मुकाबले अधिक आनुपातिक आरक्षण। यह कैसा न्याय हुआ? कि किसी को पिछड़ा भी कहा जाए और फिर आरक्षण भी अगड़ी जातियों से आनुपातिक रूप से कम मिले । 5:- इस आरक्षण विसंगति के कारण वर्तमान में राजस्थान की प्रत्येक भर्ती परीक्षाओं में OBC की cutt off EWS से अधिक रहती हैं। यानि कि पिछड़ों को नौकरी पाने के लिए अगड़ी जातियों से अधिक अंक लाने होते है। यह कैसा न्याय हुआ? 6:- और यदि यह EWS आरक्षण जातिगत की बजाय आर्थिक आधार पर ही हैं तो यदि कोई पिछड़ी जाति का व्यक्ति अपनी जाति देखे बिना केवल ग़रीबी के आधार पर EWS आरक्षण का लाभ लेना चाहें तो सरकार उसे केवल उसकी जाति के आधार पर उसे EWS आरक्षण का लाभ देने से मना कर देती है। यह कैसा न्याय हुआ? 7:- यदि 21% OBC आरक्षण को OBC की अलग अलग जातियों के बीच जातिवादी विभाजन कर बांटा जाना उचित है तो फिर SC,ST,MBC आरक्षण को भी इस तरह बांटा जाना चाहिए। केवल OBC आरक्षण को ही इस तरह बांटा जाए, यह कैसा न्याय हुआ? 8:-सरकार उस आनुपातिक रूप से थोड़े से OBC आरक्षण को तो इतनी बड़ी जनसंख्या वाले OBC वर्ग की अलग अलग जातियों मे बांटने की बातें करती हैं, ताकि OBC वर्ग की एकता को जातिवादी रूप देकर खत्म किया जा सके। लेकिन EWS आरक्षण को सभी गरीब लोगों को देने की बजाय केवल कुछ अगड़ी जातियों तक ही सीमित रखना चाहती है। यह कैसा न्याय हुआ? 9:- आज वर्तमान समय मे राजस्थान की प्रत्येक भर्ती/परीक्षा में OBC की कट-ऑफ EWS से हमेशा अधिक रहती है। लेकिन सरकारों का रवैया एसा है कि किसी एक वर्ग को सरकारी दस्तावेजों मे पिछड़ा हुआ (OBC) भी कहेंगे और फिर भी उस पिछड़े वर्ग (OBC) को नौकरी पाने के लिए अगड़ी/सवर्ण जातियों से अधिक अंक लाने होंगे क्योंकि उन लोगों का दोष केवल इतना है कि वो पिछड़ी जातियों (OBC) में जन्मे है, अगर वे ही लोग अगड़ी जातियों में जन्म लेते और सरकारों द्वारा सवर्ण कहलाए जाते तो शायद उन्हे नौकरी आसानी से कम अंक पर मिल जाती, जैसा कि आज राजस्थान में हो रहा है। यह OBC वर्ग के साथ बहुत बड़ा अन्याय हो रहा है।
भैया OBC में तो सभी जात के लोग आते हैं, कौन से OBC वालों की बात कर रहे हो ?..😀 OBC और General Category एक ही वर्ग हैं, सभी आरक्षण के अपने फ़ायदे के लिए एक दूसरे के साथ हैं। जबरदस्ती OBC वालों को अपने साथ मत घसीटा करो, OBC एक Category है जात नहीं। OBC में अलग-अलग राज्यों में सभी जाति के लोग आते हैं, इसमें राजपूत भी आता है, ब्राह्मण भी आता है, जाट भी आता है, यादव भी आता है, पटेल भी आता है, अहीर भी आता है, और भी बहुत सारी जनरल और OBC श्रेणी की जातियां आती है। OBC सिर्फ एक वोट बैंक है। OBC में 80% से ज्यादा लोग जनरल कैटेगरी के ही हैं, सिर्फ रिजर्वेशन का फायदा लेने के लिए OBC है। बीपी सिंह ने बहुत बड़ी चाल चली थी, जनरल को फायदा देने के लिए उनको OBC Category में कन्वर्ट कर दिया। भारत में OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण भारत सरकार द्वारा प्रधान मंत्री के रूप में विश्वनाथ प्रताप सिंह के तहत पेश किया गया था। वर्ष 1990 में तत्कालीन प्रधान मंत्री वीपी सिंह ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार किया, जिसने अपनी सेवाओं के सभी स्तरों पर OBC उम्मीदवारों के लिए 27% आरक्षण की सिफारिश की थी। सरकार OBC को पूरी तरह से GENERAL मानती है। OBC पॉलीटेक्स में वोटो का लाभ लेने के लिए नेताओं द्वारा 1990 में बनाया गया ता की OBC को आरक्षण देकर खुश करके वोट पके किए जाए। देश भर में ओबीसी के तहत आने वाली करीब 2600 जातियां हैं। OBC श्रेणी की सूची राज्य दर राज्य अलग-अलग होती है और राज्य और केंद्र के बीच भी अलग-अलग होती है। एक जाति जो एक राज्य में General जाति है, दूसरे राज्य में OBC में हो सकती है। कई राज्यों में ओबीसी जाति केंद्र में General जाति हो सकती है। इसलिए OBC श्रेणी किसी भी समुदाय की सामाजिक स्थिति को आंकने का मानदंड नहीं है। उदाहरण के लिए; 1. त्यागी ब्राह्मण हरियाणा में OBC हैं 2. गिरी ब्राह्मण बिहार में OBC हैं 3. गोस्वामी ब्राह्मण बिहार में OBC हैं 4. राजपूत कर्नाटक में OBC हैं 5. उत्तराखंड में लोधी राजपूत OBC हैं 6. मराठा महाराष्ट्र में General जाति हैं 7. मराठा कर्नाटक में OBC हैं 8. पंजाब में कश्यप राजपूत OBC हैं 9. पटेल गुजरात में General जाति हैं 10. पाटीदार गुजरात में General जाति हैं 11. यूपी में पटेल/पाटीदार OBC जाति हैं 12. एमबीपी में पटेल/पाटीदार OBC जाति हैं 13. पटेल/पाटीदार केंद्र की ओबीसी सूची में OBC हैं जबकि गुजरात में पटेल/पाटीदार राज्य और केंद्र दोनों में General जाति में हैं 14. पंजाब और हरियाणा में जट सिख General जाति हैं 15. हरियाणा में जाट General जाति में हैं 16. जाट केंद्र में General जाति हैं, लेकिन दिल्ली, राजस्थान, एमपी और यूपी में OBC हैं 17. राजस्थान के जाट ओबीसी में हैं, लेकिन भरतपुर और धौलपुर के जाट General जाति में हैं 18. यादव यूपी और कई राज्यों और केंद्र में OBC में हैं लेकिन यादव कई राज्यों में General जाति हैं 19. राजपूत केंद्र में General जाति हैं, लेकिन पंजाब (सिख राजपूत), दक्षिण भारत और बिहार और बंगाल के कुछ हिस्सों में OBC हैं 20. ब्राह्मण केंद्र में General जाति हैं, लेकिन बंगाल और दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में OBC हैं 21. कई चुनिंदा ब्राह्मणों को विभिन्न राज्यों में OBC आरक्षण प्राप्त है 22. अहीर, गुर्जर (जम्मू और कश्मीर में SC/ST भी), कुर्मी आदि को केंद्र में OBC आरक्षण प्राप्त है 23. गुज्जर यूपी, हरियाणा राजस्थान में OBC हैं, लेकिन जम्मू और हिमाचल में SC हैं एक जाति के रूप में देखें तो जाटों और राजपूतों ने कई सदियों तक भारत के तमाम इलाकों पर राज किया। जाति क्रम में भी, योद्धा और शासक के रूप में उनका दर्जा हमेशा सबसे ऊंचा रहा। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, मध्य प्रदेश में जाट समुदाय प्रभावशाली है, जाटों ने यहां कई सदियों तक भारत के तमाम इलाकों पर राज किया और ग्रामीण इलाकों में अच्छी-खासी जमीन रखने वाले समुदायों का आज भी सामंतों जैसा दबदबा है। ऐसे में राज करने वाली जाति को OBC (पिछड़ा) कैसे कहा जा सकता है? राजपूत समुदाय भी इसी तरह का है।
Ye congress Sachin or ghelot ke baap or dada ki zagiri nhi ye gandhi ki party h ye dono ne milkar congress ko kamzor kiya h in dono ko party se nikal dena chahiye ye dono milkar kaam nhi kar sakte h
Matki se pani pine par ek bachche ko pit pitkar mar diya jata hai bat karte hai thakur ke kuan ki kitno ko kuan par unki parchai se door rakha gaya is खचरिया ko malum hona chahiye
सचिन पायलट बीजेपी को निपटा देंगे🇮🇳🇮🇳
Jai maa bhawani 🙏🙏
राजस्थान में अन्य पिछड़ी जातियों (OBC) के साथ हो रहे भेदभाव पर विचार करते समय निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है:
1. **सामाजिक प्रतिष्ठा और प्रभुत्व**: ऐतिहासिक रूप से अगड़ी जातियों का समाज में उच्च स्थान रहा है, जबकि OBC वर्ग को पिछड़ा माना गया है। यह असमानता आज भी सरकारी दस्तावेजों में परिलक्षित होती है।
2. **आय आधारित आरक्षण**: अगड़ी जातियों के लोग जिनकी वार्षिक आय 8 लाख रुपये से अधिक है, वे Unreserved श्रेणी में आते हैं और आरक्षण का लाभ नहीं ले सकते। इसी तरह, OBC वर्ग के लोग भी यदि उनकी आय 8 लाख रुपये से अधिक हो, तो वे भी Unreserved श्रेणी में आ जाते हैं।
3. **आरक्षण का अनुपात**: राजस्थान में अगड़ी जातियों की जनसंख्या 16% है, जिन्हें 10% आरक्षण मिलता है। दूसरी ओर, OBC की जनसंख्या 50% है, लेकिन उन्हें केवल 21% आरक्षण मिलता है। यह अनुपातिक असमानता OBC के साथ अन्यायपूर्ण प्रतीत होती है।
4. **अधिक कट-ऑफ**: राजस्थान की भर्ती परीक्षाओं में OBC की कट-ऑफ EWS से अधिक रहती है, जो यह दर्शाता है कि OBC वर्ग के उम्मीदवारों को अधिक अंक लाने होते हैं। यह स्थिति OBC वर्ग के साथ भेदभावपूर्ण है।
5. **EWS आरक्षण का भेदभाव**: अगर कोई OBC व्यक्ति केवल गरीबी के आधार पर EWS आरक्षण का लाभ लेना चाहता है, तो उसे जाति के आधार पर यह लाभ नहीं मिलता है। यह आर्थिक आधार पर आधारित आरक्षण होते हुए भी जातिगत भेदभाव को दर्शाता है।
6. **OBC आरक्षण का विभाजन**: OBC आरक्षण को विभिन्न जातियों में बांटना OBC वर्ग की एकता को तोड़ने के समान है। अगर ऐसा विभाजन उचित है, तो SC, ST, और MBC आरक्षण का भी विभाजन किया जाना चाहिए।
7. **EWS आरक्षण का सीमित उपयोग**: EWS आरक्षण को केवल कुछ अगड़ी जातियों तक सीमित रखना और OBC वर्ग को इससे वंचित रखना न्यायसंगत नहीं है।
इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, यह स्पष्ट है कि OBC वर्ग के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार हो रहा है, जिसे सुधारने के लिए नीतिगत बदलाव की आवश्यकता है। सरकार को सभी वर्गों के प्रति समान और न्यायसंगत दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
सचिन पायलेट सहाब ही चाहिए है जनता चाहती है पायलेट प्रोजेक्ट हीं चलेगा अब तो कमान देना चाहिए था
Sir,
राजस्थान में अगड़ी जातियों और अन्य पिछड़ी जातियों के आरक्षण में भेदभाव के निम्नलिखित बिंदुओं पर गौर फरमाएं:-
1:- सरकार अपने सरकारी दस्तावेजों में कुछ जातियों को अगड़ी/सवर्ण कहती है और कुछ अन्य जातियों को पिछड़ी जाति कहती है।
यानि कि अगड़ी जातियों के पास हज़ारों सालों से पिछड़ी जातियों के मुकाबले अधिक सामाजिक प्रतिष्ठा रहीं हैं।
2:- जो अगड़ी जातियां है उनके लोगों की वार्षिक आय यदि 8 लाख रुपये से अधिक होती है तो वे लोग Unreserved श्रेणी में आ जाते हैं और उन्हें किसी प्रकार के आरक्षण का लाभ नहीं मिलता।
और ठीक इसी प्रकार जो अन्य पिछड़ी जातियों/वर्ग के लोगों की भी वार्षिक आय यदि 8 लाख रुपये से अधिक हो तो वे लोग भी Unreserved श्रेणी में आ जाते हैं और उन्हें भी किसी प्रकार के आरक्षण का लाभ नहीं मिलता।
3:- अब उक्त दोनों ही वर्गों के 8 लाख से कम आय वाले गरीब लोगों को राजस्थान सरकार द्वारा देय आरक्षण इस प्रकार है कि-
राजस्थान की कुल जनसंख्या में 16 प्रतिशत हिस्सेदारी वाली अगड़ी जातियों को सरकार 10% आरक्षण देती है और राजस्थान की कुल जनसंख्या में 50 प्रतिशत जनसंख्या वाली अन्य पिछड़ी जातियों को मात्र 21% आरक्षण देती हैं।
4:- यानि कि अगड़ी जातियों को पिछड़ी जातियों के मुकाबले अधिक आनुपातिक आरक्षण। यह कहा का न्याय हुआ? कि किसी को पिछड़ा भी कहा जाए और फिर आरक्षण भी अगड़ी जातियों से आनुपातिक रूप से कम मिले ।
5:- इस आरक्षण विसंगति के कारण वर्तमान में राजस्थान की प्रत्येक भर्ती परीक्षाओं में OBC की cutt off EWS से अधिक रहती हैं। यानि कि पिछड़ों को नौकरी पाने के लिए अगड़ी जातियों से अधिक अंक लाने होते है। यह कहा का न्याय हुआ?
6:- और यदि यह EWS आरक्षण जातिगत की बजाय आर्थिक आधार पर ही हैं तो यदि कोई पिछड़ी जाति का व्यक्ति अपनी जाति देखे बिना केवल ग़रीबी के आधार पर EWS आरक्षण का लाभ लेना चाहें तो सरकार उसे केवल उसकी जाति के आधार पर उसे EWS आरक्षण का लाभ देने से मना कर देती है। यह कहा का न्याय हुआ?
7:- सरकार उस आनुपातिक रूप से थोड़े से OBC आरक्षण को तो इतनी बड़ी जनसंख्या वाले OBC वर्ग की अलग अलग जातियों मे बांटने की बातें करती हैं। लेकिन EWS आरक्षण को सभी गरीब लोगों को देने की बजाय केवल कुछ अगड़ी जातियों तक ही सीमित रखना चाहती है। यह कहा का न्याय हुआ?
8:- सरकारों का रवैया एसा है कि किसी एक वर्ग को पिछड़ा हुआ भी कहेंगे और फिर भी उस पिछड़े वर्ग (OBC) को नौकरी पाने के लिए अगड़ी/सवर्ण जातियों से अधिक अंक लाने होंगे क्योंकि उन लोगों का दोष केवल इतना है कि वो पिछड़ी जातियों में जन्मे है अगर वे ही लोग अगड़ी जातियों में जन्म लेते तो शायद उन्हें नौकरी आसानी से कम अंक पर मिल जाती । यह कहा का न्याय है?
Sir,
*राजस्थान में OBC वर्ग के साथ एसा अन्याय क्यूँ?*
राजस्थान में अगड़ी जातियों और अन्य पिछड़ी जातियों के आरक्षण में भेदभाव के निम्नलिखित बिंदुओं पर गौर फरमाएं:-
1:- सरकार अपने सरकारी दस्तावेजों में कुछ जातियों को अगड़ी/सवर्ण कहती है और कुछ अन्य जातियों को पिछड़ी जाति कहती है।
यानि कि अगड़ी जातियों के पास हज़ारों सालों से पिछड़ी जातियों के मुकाबले अधिक सामाजिक प्रतिष्ठा और प्रभुत्व रहा हैं।
2:- जो अगड़ी जातियां है उनके लोगों की वार्षिक आय यदि 8 लाख रुपये से अधिक होती है तो वे लोग Unreserved श्रेणी में आ जाते हैं और उन्हें किसी प्रकार के आरक्षण का लाभ नहीं मिलता।
और ठीक इसी प्रकार अन्य पिछड़ी जातियों/वर्ग (OBC) के लोगों की भी वार्षिक आय यदि 8 लाख रुपये से अधिक हो तो वे लोग भी Unreserved श्रेणी में आ जाते हैं और उन्हें भी किसी प्रकार के आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है।
3:- अब उक्त दोनों ही वर्गों के 8 लाख से कम आय वाले गरीब लोगों को राजस्थान सरकार द्वारा देय आरक्षण इस प्रकार है कि-
राजस्थान की कुल जनसंख्या में 16 प्रतिशत हिस्सेदारी वाली अगड़ी जातियों को सरकार 10% आरक्षण देती है और राजस्थान की कुल जनसंख्या में 50 प्रतिशत जनसंख्या वाली अन्य पिछड़ी जातियों को मात्र 21% आरक्षण देती हैं।
4:- यानि कि अगड़ी जातियों को पिछड़ी जातियों के मुकाबले अधिक आनुपातिक आरक्षण। यह कैसा न्याय हुआ? कि किसी को पिछड़ा भी कहा जाए और फिर आरक्षण भी अगड़ी जातियों से आनुपातिक रूप से कम मिले ।
5:- इस आरक्षण विसंगति के कारण वर्तमान में राजस्थान की प्रत्येक भर्ती परीक्षाओं में OBC की cutt off EWS से अधिक रहती हैं। यानि कि पिछड़ों को नौकरी पाने के लिए अगड़ी जातियों से अधिक अंक लाने होते है। यह कैसा न्याय हुआ?
6:- और यदि यह EWS आरक्षण जातिगत की बजाय आर्थिक आधार पर ही हैं तो यदि कोई पिछड़ी जाति का व्यक्ति अपनी जाति देखे बिना केवल ग़रीबी के आधार पर EWS आरक्षण का लाभ लेना चाहें तो सरकार उसे केवल उसकी जाति के आधार पर उसे EWS आरक्षण का लाभ देने से मना कर देती है। यह कैसा न्याय हुआ?
7:- यदि 21% OBC आरक्षण को OBC की अलग अलग जातियों के बीच जातिवादी विभाजन कर बांटा जाना उचित है तो फिर SC,ST,MBC आरक्षण को भी इस तरह बांटा जाना चाहिए। केवल OBC आरक्षण को ही इस तरह बांटा जाए, यह कैसा न्याय हुआ?
8:-सरकार उस आनुपातिक रूप से थोड़े से OBC आरक्षण को तो इतनी बड़ी जनसंख्या वाले OBC वर्ग की अलग अलग जातियों मे बांटने की बातें करती हैं, ताकि OBC वर्ग की एकता को जातिवादी रूप देकर खत्म किया जा सके। लेकिन EWS आरक्षण को सभी गरीब लोगों को देने की बजाय केवल कुछ अगड़ी जातियों तक ही सीमित रखना चाहती है। यह कैसा न्याय हुआ?
9:- आज वर्तमान समय मे राजस्थान की प्रत्येक भर्ती/परीक्षा में OBC की कट-ऑफ EWS से हमेशा अधिक रहती है। लेकिन सरकारों का रवैया एसा है कि किसी एक वर्ग को सरकारी दस्तावेजों मे पिछड़ा हुआ (OBC) भी कहेंगे और फिर भी उस पिछड़े वर्ग (OBC) को नौकरी पाने के लिए अगड़ी/सवर्ण जातियों से अधिक अंक लाने होंगे क्योंकि उन लोगों का दोष केवल इतना है कि वो पिछड़ी जातियों (OBC) में जन्मे है, अगर वे ही लोग अगड़ी जातियों में जन्म लेते और सरकारों द्वारा सवर्ण कहलाए जाते तो शायद उन्हे नौकरी आसानी से कम अंक पर मिल जाती, जैसा कि आज राजस्थान में हो रहा है। यह OBC वर्ग के साथ बहुत बड़ा अन्याय हो रहा है।
ब्राह्मण भी तो शुद्र ब्राह्मण, चांडाल ब्राह्मण, म्लेच्छ ब्राह्मण, निषाद ब्राह्मण, पशु ब्राह्मण होते...अत्रि स्मृति के मुताबिक, ब्राह्मणों के दस प्रकार हैं (दस विध ब्राह्मण):-
1. शुद्र ब्राह्मण
2. वैश्य ब्राह्मण
3. क्षत्रिय ब्राह्मण
4. निषाद ब्राह्मण
5. पशु ब्राह्मण
6. म्लेच्छ ब्राह्मण
7. चांडाल ब्राह्मण
8. देव ब्राह्मण
9. मुनि ब्राह्मण
10. द्विज ब्राह्मण
और तो और ब्राह्मण भी बहुत ओबीसी हैं, ब्राह्मण एवं पुरोहित समुदाय जो OBC (ओबीसी) है:
---------------------------------------
1. राजापुर सारस्वत ब्राह्मण महाराष्ट्र, केरल और कर्नाटक राज्यों में OBC है।
2. जोशी, भार्गव डाकू ब्राह्मण राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली राज्यों में OBC है।
3. कत्था ब्राह्मण राजस्थान राज्य में OBC है।
4. सौराष्ट्र ब्राह्मण तमिलनाडु और केरल राज्यों में OBC है।
5. गोस्वामी, नाथ, जोगी, योगी, गिरी ब्राह्मण उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड झारखंड, राजस्थान, गुजरात में OBC है।(असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, हरियाणा, पंजाब, बिहार केंद्रीय सूची में अधिसूचित सामान्य श्रेणियों में) में OBC है।
6. चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड राज्यों में धीमान और जांगिड़ ब्राह्मण OBC है।
7. बैरागी इन राज्यों में चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दिल्ली , हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में बैरागी ब्राह्मण OBC है।
8. महाराष्ट्र राज्य में गुरव, शैव ब्राह्मण OBC है।
आपको General और OBC के बीच सटीक अंतर जानने की आवश्यकता है। एक राज्य में जो जाति OBC में है, वही अन्य राज्यों में General में हो सकती है। OBC क्या है ? अन्य पिछड़ी जाति। इसका क्या मतलब है ? वे जातियाँ जो सामाजिक या आर्थिक रूप से गरीब हैं। सबसे पहले 1947 के बाद कुछ जातियों को आरक्षण प्रदान किया गया था जिन्हें अछूत माना जाता था (वर्ण व्यवस्था के कारण) और जनजातियाँ। अनुसूचित जाति के लिए SC और अनुसूचित जनजातियों के लिए ST शब्द का इस्तेमाल किया गया। फिर मंडल आयोग आया और उन्होंने कुछ जातियों को सामान्य से बाहर कर दिया जो आर्थिक या सामाजिक रूप से या शिक्षा के हिसाब से गरीब थीं। 1990 के बाद OBC को आरक्षण दिया गया। यह शूद्र/वैश्य/क्षत्रिय/ब्राह्मण जैसा नहीं है। वैश्य समुदाय कई राज्यों में OBC में आता है। राजपूत कर्नाटक में OBC में आते हैं। ब्राह्मणों की बात करें तो गिरि, गोस्वामी, सारस्वत और बैरागी बिहार, झारखंड और राजस्थान में OBC में हैं। ब्राह्मणों के कई संप्रदाय अलग-अलग राज्यों में OBC में हैं।
सरकार कृपया ओबीसी में सभी कास्ट कोटा हर ओबीसी कास्ट को पूरा मिलना चाहिए
Popution ke adharpar dediya Jaye har cast ko😂
@@chaudharymitul3759Bihar ki tarah OBC ko devide karne ka plan h....1.ek group me dominant OBC aaegi ( jat, yadav etc.)
2. Dusre group me OBC ki pichhri jatiya aaegi ( kumhar,mali,dhobi,nai,daroga,darji,Charan etc.)
OBC quota should again divide into OBC 1 ( Mool OBC - Npn dominant & ati pichhra) & OBC 2 ( Dominant caste)..🙏
Sir,
*राजस्थान में OBC वर्ग के साथ एसा अन्याय क्यूँ?*
राजस्थान में अगड़ी जातियों और अन्य पिछड़ी जातियों के आरक्षण में भेदभाव के निम्नलिखित बिंदुओं पर गौर फरमाएं:-
1:- सरकार अपने सरकारी दस्तावेजों में कुछ जातियों को अगड़ी/सवर्ण कहती है और कुछ अन्य जातियों को पिछड़ी जाति कहती है।
यानि कि अगड़ी जातियों के पास हज़ारों सालों से पिछड़ी जातियों के मुकाबले अधिक सामाजिक प्रतिष्ठा और प्रभुत्व रहा हैं।
2:- जो अगड़ी जातियां है उनके लोगों की वार्षिक आय यदि 8 लाख रुपये से अधिक होती है तो वे लोग Unreserved श्रेणी में आ जाते हैं और उन्हें किसी प्रकार के आरक्षण का लाभ नहीं मिलता।
और ठीक इसी प्रकार अन्य पिछड़ी जातियों/वर्ग (OBC) के लोगों की भी वार्षिक आय यदि 8 लाख रुपये से अधिक हो तो वे लोग भी Unreserved श्रेणी में आ जाते हैं और उन्हें भी किसी प्रकार के आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है।
3:- अब उक्त दोनों ही वर्गों के 8 लाख से कम आय वाले गरीब लोगों को राजस्थान सरकार द्वारा देय आरक्षण इस प्रकार है कि-
राजस्थान की कुल जनसंख्या में 16 प्रतिशत हिस्सेदारी वाली अगड़ी जातियों को सरकार 10% आरक्षण देती है और राजस्थान की कुल जनसंख्या में 50 प्रतिशत जनसंख्या वाली अन्य पिछड़ी जातियों को मात्र 21% आरक्षण देती हैं।
4:- यानि कि अगड़ी जातियों को पिछड़ी जातियों के मुकाबले अधिक आनुपातिक आरक्षण। यह कैसा न्याय हुआ? कि किसी को पिछड़ा भी कहा जाए और फिर आरक्षण भी अगड़ी जातियों से आनुपातिक रूप से कम मिले ।
5:- इस आरक्षण विसंगति के कारण वर्तमान में राजस्थान की प्रत्येक भर्ती परीक्षाओं में OBC की cutt off EWS से अधिक रहती हैं। यानि कि पिछड़ों को नौकरी पाने के लिए अगड़ी जातियों से अधिक अंक लाने होते है। यह कैसा न्याय हुआ?
6:- और यदि यह EWS आरक्षण जातिगत की बजाय आर्थिक आधार पर ही हैं तो यदि कोई पिछड़ी जाति का व्यक्ति अपनी जाति देखे बिना केवल ग़रीबी के आधार पर EWS आरक्षण का लाभ लेना चाहें तो सरकार उसे केवल उसकी जाति के आधार पर उसे EWS आरक्षण का लाभ देने से मना कर देती है। यह कैसा न्याय हुआ?
7:- यदि 21% OBC आरक्षण को OBC की अलग अलग जातियों के बीच जातिवादी विभाजन कर बांटा जाना उचित है तो फिर SC,ST,MBC आरक्षण को भी इस तरह बांटा जाना चाहिए। केवल OBC आरक्षण को ही इस तरह बांटा जाए, यह कैसा न्याय हुआ?
8:-सरकार उस आनुपातिक रूप से थोड़े से OBC आरक्षण को तो इतनी बड़ी जनसंख्या वाले OBC वर्ग की अलग अलग जातियों मे बांटने की बातें करती हैं, ताकि OBC वर्ग की एकता को जातिवादी रूप देकर खत्म किया जा सके। लेकिन EWS आरक्षण को सभी गरीब लोगों को देने की बजाय केवल कुछ अगड़ी जातियों तक ही सीमित रखना चाहती है। यह कैसा न्याय हुआ?
9:- आज वर्तमान समय मे राजस्थान की प्रत्येक भर्ती/परीक्षा में OBC की कट-ऑफ EWS से हमेशा अधिक रहती है। लेकिन सरकारों का रवैया एसा है कि किसी एक वर्ग को सरकारी दस्तावेजों मे पिछड़ा हुआ (OBC) भी कहेंगे और फिर भी उस पिछड़े वर्ग (OBC) को नौकरी पाने के लिए अगड़ी/सवर्ण जातियों से अधिक अंक लाने होंगे क्योंकि उन लोगों का दोष केवल इतना है कि वो पिछड़ी जातियों (OBC) में जन्मे है, अगर वे ही लोग अगड़ी जातियों में जन्म लेते और सरकारों द्वारा सवर्ण कहलाए जाते तो शायद उन्हे नौकरी आसानी से कम अंक पर मिल जाती, जैसा कि आज राजस्थान में हो रहा है। यह OBC वर्ग के साथ बहुत बड़ा अन्याय हो रहा है।
Jativadi jhar gholame walo ke khilaf karwai Karen nahi tau phir samaj isko jawab dega
I respecte P. S singh sb🙏🙏
Obc ka vargikaran karao rohini commission ki report lagu karao jai mool obc
Tu mat ro EWS kha gaye obc ka 😡
Harish chaudhary ji jindabad 😃🤣❤❤
ठाकुर का कुवा न जाने कितने लोगो को जान बचाई है...
Sir,
*राजस्थान में OBC वर्ग के साथ एसा अन्याय क्यूँ?*
राजस्थान में अगड़ी जातियों और अन्य पिछड़ी जातियों के आरक्षण में भेदभाव के निम्नलिखित बिंदुओं पर गौर फरमाएं:-
1:- सरकार अपने सरकारी दस्तावेजों में कुछ जातियों को अगड़ी/सवर्ण कहती है और कुछ अन्य जातियों को पिछड़ी जाति कहती है।
यानि कि अगड़ी जातियों के पास हज़ारों सालों से पिछड़ी जातियों के मुकाबले अधिक सामाजिक प्रतिष्ठा और प्रभुत्व रहा हैं।
2:- जो अगड़ी जातियां है उनके लोगों की वार्षिक आय यदि 8 लाख रुपये से अधिक होती है तो वे लोग Unreserved श्रेणी में आ जाते हैं और उन्हें किसी प्रकार के आरक्षण का लाभ नहीं मिलता।
और ठीक इसी प्रकार अन्य पिछड़ी जातियों/वर्ग (OBC) के लोगों की भी वार्षिक आय यदि 8 लाख रुपये से अधिक हो तो वे लोग भी Unreserved श्रेणी में आ जाते हैं और उन्हें भी किसी प्रकार के आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है।
3:- अब उक्त दोनों ही वर्गों के 8 लाख से कम आय वाले गरीब लोगों को राजस्थान सरकार द्वारा देय आरक्षण इस प्रकार है कि-
राजस्थान की कुल जनसंख्या में 16 प्रतिशत हिस्सेदारी वाली अगड़ी जातियों को सरकार 10% आरक्षण देती है और राजस्थान की कुल जनसंख्या में 50 प्रतिशत जनसंख्या वाली अन्य पिछड़ी जातियों को मात्र 21% आरक्षण देती हैं।
4:- यानि कि अगड़ी जातियों को पिछड़ी जातियों के मुकाबले अधिक आनुपातिक आरक्षण। यह कैसा न्याय हुआ? कि किसी को पिछड़ा भी कहा जाए और फिर आरक्षण भी अगड़ी जातियों से आनुपातिक रूप से कम मिले ।
5:- इस आरक्षण विसंगति के कारण वर्तमान में राजस्थान की प्रत्येक भर्ती परीक्षाओं में OBC की cutt off EWS से अधिक रहती हैं। यानि कि पिछड़ों को नौकरी पाने के लिए अगड़ी जातियों से अधिक अंक लाने होते है। यह कैसा न्याय हुआ?
6:- और यदि यह EWS आरक्षण जातिगत की बजाय आर्थिक आधार पर ही हैं तो यदि कोई पिछड़ी जाति का व्यक्ति अपनी जाति देखे बिना केवल ग़रीबी के आधार पर EWS आरक्षण का लाभ लेना चाहें तो सरकार उसे केवल उसकी जाति के आधार पर उसे EWS आरक्षण का लाभ देने से मना कर देती है। यह कैसा न्याय हुआ?
7:- यदि 21% OBC आरक्षण को OBC की अलग अलग जातियों के बीच जातिवादी विभाजन कर बांटा जाना उचित है तो फिर SC,ST,MBC आरक्षण को भी इस तरह बांटा जाना चाहिए। केवल OBC आरक्षण को ही इस तरह बांटा जाए, यह कैसा न्याय हुआ?
8:-सरकार उस आनुपातिक रूप से थोड़े से OBC आरक्षण को तो इतनी बड़ी जनसंख्या वाले OBC वर्ग की अलग अलग जातियों मे बांटने की बातें करती हैं, ताकि OBC वर्ग की एकता को जातिवादी रूप देकर खत्म किया जा सके। लेकिन EWS आरक्षण को सभी गरीब लोगों को देने की बजाय केवल कुछ अगड़ी जातियों तक ही सीमित रखना चाहती है। यह कैसा न्याय हुआ?
9:- आज वर्तमान समय मे राजस्थान की प्रत्येक भर्ती/परीक्षा में OBC की कट-ऑफ EWS से हमेशा अधिक रहती है। लेकिन सरकारों का रवैया एसा है कि किसी एक वर्ग को सरकारी दस्तावेजों मे पिछड़ा हुआ (OBC) भी कहेंगे और फिर भी उस पिछड़े वर्ग (OBC) को नौकरी पाने के लिए अगड़ी/सवर्ण जातियों से अधिक अंक लाने होंगे क्योंकि उन लोगों का दोष केवल इतना है कि वो पिछड़ी जातियों (OBC) में जन्मे है, अगर वे ही लोग अगड़ी जातियों में जन्म लेते और सरकारों द्वारा सवर्ण कहलाए जाते तो शायद उन्हे नौकरी आसानी से कम अंक पर मिल जाती, जैसा कि आज राजस्थान में हो रहा है। यह OBC वर्ग के साथ बहुत बड़ा अन्याय हो रहा है।
भैया OBC में तो सभी जात के लोग आते हैं, कौन से OBC वालों की बात कर रहे हो ?..😀 OBC और General Category एक ही वर्ग हैं, सभी आरक्षण के अपने फ़ायदे के लिए एक दूसरे के साथ हैं। जबरदस्ती OBC वालों को अपने साथ मत घसीटा करो, OBC एक Category है जात नहीं।
OBC में अलग-अलग राज्यों में सभी जाति के लोग आते हैं, इसमें राजपूत भी आता है, ब्राह्मण भी आता है, जाट भी आता है, यादव भी आता है, पटेल भी आता है, अहीर भी आता है, और भी बहुत सारी जनरल और OBC श्रेणी की जातियां आती है। OBC सिर्फ एक वोट बैंक है। OBC में 80% से ज्यादा लोग जनरल कैटेगरी के ही हैं, सिर्फ रिजर्वेशन का फायदा लेने के लिए OBC है।
बीपी सिंह ने बहुत बड़ी चाल चली थी, जनरल को फायदा देने के लिए उनको OBC Category में कन्वर्ट कर दिया। भारत में OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण भारत सरकार द्वारा प्रधान मंत्री के रूप में विश्वनाथ प्रताप सिंह के तहत पेश किया गया था। वर्ष 1990 में तत्कालीन प्रधान मंत्री वीपी सिंह ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार किया, जिसने अपनी सेवाओं के सभी स्तरों पर OBC उम्मीदवारों के लिए 27% आरक्षण की सिफारिश की थी। सरकार OBC को पूरी तरह से GENERAL मानती है। OBC पॉलीटेक्स में वोटो का लाभ लेने के लिए नेताओं द्वारा 1990 में बनाया गया ता की OBC को आरक्षण देकर खुश करके वोट पके किए जाए।
देश भर में ओबीसी के तहत आने वाली करीब 2600 जातियां हैं। OBC श्रेणी की सूची राज्य दर राज्य अलग-अलग होती है और राज्य और केंद्र के बीच भी अलग-अलग होती है। एक जाति जो एक राज्य में General जाति है, दूसरे राज्य में OBC में हो सकती है। कई राज्यों में ओबीसी जाति केंद्र में General जाति हो सकती है। इसलिए OBC श्रेणी किसी भी समुदाय की सामाजिक स्थिति को आंकने का मानदंड नहीं है। उदाहरण के लिए;
1. त्यागी ब्राह्मण हरियाणा में OBC हैं
2. गिरी ब्राह्मण बिहार में OBC हैं
3. गोस्वामी ब्राह्मण बिहार में OBC हैं
4. राजपूत कर्नाटक में OBC हैं
5. उत्तराखंड में लोधी राजपूत OBC हैं
6. मराठा महाराष्ट्र में General जाति हैं
7. मराठा कर्नाटक में OBC हैं
8. पंजाब में कश्यप राजपूत OBC हैं
9. पटेल गुजरात में General जाति हैं
10. पाटीदार गुजरात में General जाति हैं
11. यूपी में पटेल/पाटीदार OBC जाति हैं
12. एमबीपी में पटेल/पाटीदार OBC जाति हैं
13. पटेल/पाटीदार केंद्र की ओबीसी सूची में OBC हैं जबकि गुजरात में पटेल/पाटीदार राज्य और केंद्र दोनों में General जाति में हैं
14. पंजाब और हरियाणा में जट सिख General जाति हैं
15. हरियाणा में जाट General जाति में हैं
16. जाट केंद्र में General जाति हैं, लेकिन दिल्ली, राजस्थान, एमपी और यूपी में OBC हैं
17. राजस्थान के जाट ओबीसी में हैं, लेकिन भरतपुर और धौलपुर के जाट General जाति में हैं
18. यादव यूपी और कई राज्यों और केंद्र में OBC में हैं लेकिन यादव कई राज्यों में General जाति हैं
19. राजपूत केंद्र में General जाति हैं, लेकिन पंजाब (सिख राजपूत), दक्षिण भारत और बिहार और बंगाल के कुछ हिस्सों में OBC हैं
20. ब्राह्मण केंद्र में General जाति हैं, लेकिन बंगाल और दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में OBC हैं
21. कई चुनिंदा ब्राह्मणों को विभिन्न राज्यों में OBC आरक्षण प्राप्त है
22. अहीर, गुर्जर (जम्मू और कश्मीर में SC/ST भी), कुर्मी आदि को केंद्र में OBC आरक्षण प्राप्त है
23. गुज्जर यूपी, हरियाणा राजस्थान में OBC हैं, लेकिन जम्मू और हिमाचल में SC हैं
एक जाति के रूप में देखें तो जाटों और राजपूतों ने कई सदियों तक भारत के तमाम इलाकों पर राज किया। जाति क्रम में भी, योद्धा और शासक के रूप में उनका दर्जा हमेशा सबसे ऊंचा रहा। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, मध्य प्रदेश में जाट समुदाय प्रभावशाली है, जाटों ने यहां कई सदियों तक भारत के तमाम इलाकों पर राज किया और ग्रामीण इलाकों में अच्छी-खासी जमीन रखने वाले समुदायों का आज भी सामंतों जैसा दबदबा है। ऐसे में राज करने वाली जाति को OBC (पिछड़ा) कैसे कहा जा सकता है? राजपूत समुदाय भी इसी तरह का है।
Congress ke antim din chal rahe h to unke neta fadfda rahe h
Aapka Pura obc ka aarkshan h obc ka Pura aarkshan khha gaye jai mool obc jai yade mata
😂😂😂 acha bete kaha se Gyan laya ye😂
@@chaudharymitul3759 nakli obc chup
OBC category jaldi hi devide hogi Bihar ki tarah...Mool OBC and dominant OBC me
Ye congress Sachin or ghelot ke baap or dada ki zagiri nhi ye gandhi ki party h ye dono ne milkar congress ko kamzor kiya h in dono ko party se nikal dena chahiye ye dono milkar kaam nhi kar sakte h
Sachin or ghelot ki ladai ne rahul gandhi ko kamzor kiya h in dono ko party se nikal dena chahiye
Gehlot hi niklega ab to 😂😂
Matki se pani pine par ek bachche ko pit pitkar mar diya jata hai bat karte hai thakur ke kuan ki kitno ko kuan par unki parchai se door rakha gaya is खचरिया ko malum hona chahiye
Aaj congress ko vapas khada rahul gandhi ne kiya ye dono hi malai khane me lage h in dono ne milkar congress ka bantadhar kar diya h