महिमा गोबिंद सिंह साहब जी ! MAHIMA GURU GOBIND SINGh SAHIB JI !

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  • เผยแพร่เมื่อ 14 ก.พ. 2024
  • महिमा गोबिंद सिंह साहब जी ! MAHIMA GURU GOBIND SINGh SAHIB JI !
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    गुरु गोविन्द सिंह में बचपन से ही अलौकिकता दिखायी देती थी। कश्मीरी पण्डितों को औरंगजेब ने जब मुसलमान बनाना चाहा, तो सब मिलकर गुरु तेगबहादुर के पास आनन्दपुर गये और उन्हें अपनी करुण कहानी सुनायी। उनकी बातों से गुरु तेगबहादुर मौन, उदास और दुखी हो गये। उसी समय नववर्षीय गोविन्दराय उनके पास आये। उन्होंने पिता से उनकी उदासी का कारण पूछा। पिता ने बताया, “पण्डितों पर घोर संकट है। औरंगजेब उन्हें मुसलमान बनाना चाहता है।" गोविन्दराय ने पूछा, "इससे बचने का उपाय क्या है।?" गुरु तेगबहुदर ने उत्तर दिया, "औरगजेब की प्रचण्ड धर्म की द्वेषाग्नि में किसी महान् धर्मात्मा की आहुति ही इससे बचने का उपाय है।" गोविन्दराय तुरन्त बोल उठे, "आपसे बढ़कर कौन धर्मात्मा भारतवर्ष में होगा? आप ही उस अग्नि की आहुति बनिए।" गुरु तेगबहादुर ने समझ लिया कि मेरा पुत्र मेरे न रहने पर गुरु-गद्दी का भार वहन कर लेगा। 1775 ई० में गुरु तेगबहादुर हँसते-हँसने दिल्ली में शहीद हुए।

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