(Part-2) 15 Essential Billing Engineer Technical Terms Explained in Hindi. BBS, DPR, RECONCILIATION.

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  • เผยแพร่เมื่อ 28 ธ.ค. 2024

ความคิดเห็น • 3

  • @SaifAli-wl8bg
    @SaifAli-wl8bg หลายเดือนก่อน

    Please make a complete course for billing.

  • @er.ravishankarsingh6109
    @er.ravishankarsingh6109 2 หลายเดือนก่อน

    Tax invoice ke bare me video bnaiye

    • @CivilEngineerShubhamGupta
      @CivilEngineerShubhamGupta  2 หลายเดือนก่อน

      टैक्स इनवॉइस एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ होता है, जो किसी व्यापार या सेवा के लेन-देन के समय तैयार किया जाता है। यह इनवॉइस वस्तुओं या सेवाओं पर लगाए गए टैक्स (जैसे GST) के साथ-साथ बिक्री की पूरी जानकारी देता है। इस दस्तावेज़ का उपयोग सरकार के सामने टैक्स रिपोर्टिंग के लिए किया जाता है और यह ग्राहकों के लिए भी यह जानने का माध्यम होता है कि वे किस चीज़ के लिए कितनी राशि दे रहे हैं, और उस पर कितना टैक्स लगाया गया है।
      टैक्स इनवॉइस क्यों बनाया जाता है:
      1. टैक्स रिपोर्टिंग: व्यापारियों को सरकार के लिए टैक्स का हिसाब रखना होता है। टैक्स इनवॉइस से यह पता चलता है कि कितनी वस्तुएं बेची गईं और उन पर कितना टैक्स लगाया गया।
      2. ग्राहक के लिए स्पष्टता: यह दस्तावेज़ ग्राहक को यह बताता है कि उसे किस वस्तु या सेवा के लिए कितनी राशि चुकानी है और उस पर कितना टैक्स लागू हुआ है।
      3. कानूनी आवश्यकता: GST जैसे टैक्स कानूनों के तहत व्यापारियों के लिए टैक्स इनवॉइस बनाना अनिवार्य होता है।
      4. लेन-देन का रिकॉर्ड: यह व्यापारियों और ग्राहकों दोनों के लिए एक आधिकारिक रिकॉर्ड होता है, जिसे भविष्य में संदर्भ के लिए रखा जा सकता है।
      टैक्स इनवॉइस के विभिन्न महत्वपूर्ण घटक:
      1. इनवॉइस नंबर:
      यह एक यूनिक नंबर होता है, जो हर इनवॉइस को पहचानने के लिए दिया जाता है। यह संख्या इनवॉइस को क्रमबद्ध तरीके से व्यवस्थित करने में मदद करती है।
      2. इनवॉइस की तारीख (Date):
      जिस दिन इनवॉइस तैयार की जाती है, उस तारीख का उल्लेख होता है। इससे यह पता चलता है कि कब बिक्री या सेवा दी गई थी।
      3. विक्रेता (Seller) और ग्राहक (Buyer) का नाम और पता:
      दोनों पक्षों के नाम और पते का विवरण होता है, ताकि यह स्पष्ट रहे कि किसने वस्तुएं या सेवाएं बेची और किसने खरीदीं।
      4. GST नंबर:
      विक्रेता का GSTIN (Goods and Services Tax Identification Number) इस पर लिखा जाता है, जो कानूनी रूप से अनिवार्य होता है।
      5. वस्तुओं या सेवाओं का विवरण:
      क्या वस्तु या सेवा बेची जा रही है, उसका पूरा विवरण, जैसे कि मात्रा, मूल्य, यूनिट प्राइस आदि, इसमें शामिल होता है।
      6. कर योग्य राशि (Taxable Amount):
      वस्तुओं या सेवाओं की कुल कीमत पर कितना टैक्स लगेगा, इसका विवरण इसमें दिया जाता है। टैक्स की दर (जैसे 5%, 12%, 18% आदि) भी इसमें लिखी होती है।
      7. टैक्स की कुल राशि (Total Tax Amount):
      इसमें टैक्स की कुल राशि का विवरण होता है, जैसे कि IGST, CGST, और SGST (केंद्र और राज्य के टैक्स) अलग-अलग दिखाई जाते हैं।
      8. कुल राशि (Total Amount):
      वस्तु या सेवा की कीमत और उस पर लगने वाले टैक्स को जोड़कर जो कुल राशि बनती है, वह इस सेक्शन में लिखी जाती है। यह वह राशि होती है, जो ग्राहक को भुगतान करनी होती है।
      9. विक्रेता के बैंक विवरण (Bank Details):
      अगर ग्राहक ऑनलाइन भुगतान कर रहा है तो विक्रेता के बैंक का नाम, खाता संख्या और IFSC कोड आदि का उल्लेख होता है।
      10. शर्तें और नियम (Terms and Conditions):
      भुगतान से संबंधित नियम और शर्तें, जैसे भुगतान की समय सीमा या लेन-देन की कोई और विशेष शर्तें, इनवॉइस पर लिखी जाती हैं।
      उदाहरण:
      मान लो तुमने एक कंपनी से कुछ सामान खरीदा, जिसकी कीमत ₹10,000 है। टैक्स इनवॉइस में यह सभी विवरण होंगे:
      इनवॉइस नंबर: 12345
      तारीख: 18/10/2024
      विक्रेता का नाम और पता
      ग्राहक का नाम और पता
      GST नंबर
      सामान का विवरण: 5 इकाई, प्रत्येक की कीमत ₹2,000
      कुल मूल्य: ₹10,000
      टैक्स (18% GST): ₹1,800
      कुल राशि: ₹11,800
      इस इनवॉइस से तुम्हें स्पष्ट होगा कि तुम्हें ₹11,800 क्यों देना है, जिसमें ₹1,800 टैक्स शामिल है।
      संक्षेप में:
      टैक्स इनवॉइस एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है जो बिक्री या सेवा पर लगाए गए टैक्स का विवरण देता है। यह व्यापार के रिकॉर्ड को व्यवस्थित और पारदर्शी रखने के लिए आवश्यक होता है।