जो ग़म-ए-हबीब से दूर थे वो ख़ुद अपनी आग में जल गए जो ग़म-ए-हबीब को पा गए वो ग़मों से हँस के निकल गए। जो थके थके से थे हौसले वो शबाब बन के मचल गए जो नज़र नज़र से गले मिली तो बुझे चिराग भी जल गए। ये शिक़स्त-ए-दीद की करवटें भी बड़ी लतीफ़-ओ-ज़मील मैं नज़र झुका के तड़प गया वो नज़र बचा के निकल गए। न ख़िज़ाँ में है कोई तीरगी न बहार में है कोई रोशनी ये नज़र-नज़र के चिराग हैं कहीं बुझ गए कहीं जल गए। जो सँभल-सँभल के बहक गए वो फ़रेब ख़ुर्द-ए-राह थे वो मक़ाम इश्क को पा गए जो बहक बहक के सँभल गए। जो खिले हुए हैं रविश-रविश वो हज़ार हुस्न-ए-चमन सही मग़र उन गुलों का जवाब क्या जो क़दम-क़दम पे कुचल गए। न है शायर अब ग़म-ए-नौ-ब-नौ न वो दाग़-ए-दिल न वो आरज़ू जिन्हें एतमाद-ए-बहार था वो ही फूल रंग बदल गए। Translate to English
जो ग़म-ए-हबीब से दूर थे वो ख़ुद अपनी आग में जल गए
जो ग़म-ए-हबीब को पा गए वो ग़मों से हँस के निकल गए।
जो थके थके से थे हौसले वो शबाब बन के मचल गए
जो नज़र नज़र से गले मिली तो बुझे चिराग भी जल गए।
ये शिक़स्त-ए-दीद की करवटें भी बड़ी लतीफ़-ओ-ज़मील
मैं नज़र झुका के तड़प गया वो नज़र बचा के निकल गए।
न ख़िज़ाँ में है कोई तीरगी न बहार में है कोई रोशनी
ये नज़र-नज़र के चिराग हैं कहीं बुझ गए कहीं जल गए।
जो सँभल-सँभल के बहक गए वो फ़रेब ख़ुर्द-ए-राह थे
वो मक़ाम इश्क को पा गए जो बहक बहक के सँभल गए।
जो खिले हुए हैं रविश-रविश वो हज़ार हुस्न-ए-चमन सही
मग़र उन गुलों का जवाब क्या जो क़दम-क़दम पे कुचल गए।
न है शायर अब ग़म-ए-नौ-ब-नौ न वो दाग़-ए-दिल न वो आरज़ू
जिन्हें एतमाद-ए-बहार था वो ही फूल रंग बदल गए।
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