hanuman chalisa
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- เผยแพร่เมื่อ 28 ม.ค. 2025
- हनुमान चालीसा के लेखन का श्रेय तुलसीदास को दिया जाता है, जो एक कवि-संत थे, जो 16वीं सदी के एक हिंदू कवि, संत और दार्शनिक थे।। उन्होंने भजन के अंतिम श्लोक में अपने नाम का उल्लेख किया है। हनुमान चालीसा के 39वें श्लोक में कहा गया है कि जो कोई भी हनुमान जी की भक्ति के साथ इसका जप करेगा, उस पर हनुमान जी की कृपा होगी।
: बात 1600 ईसवी की है यह काल अकबर और तुलसीदास जी के समय का काल था। एक बार तुलसीदास जी मथुरा जा रहे थे रात होने से पहले उन्होंने अपना पड़ाव आगरा में डाला। लोगों को पता लगा की तुलसी दास जी आगरा में पधारे हैं। यह सुनकर उनके दर्शनों के लिए लोगों का तांता लग गया। जब यह बात बादशाह अकबर को पता लगी तो उन्होंने बीरबल से पूछा की यह तुलसीदास कौन हैं…..?
तब बीरबल ने बताया, यह रामचरितमानस के रचयिता रामभक्त तुलसीदास जी हैं। मैं भी इनके दर्शन करके आया हूं।अकबर ने भी उनके दर्शन की इच्छा व्यक्त की और कहा में भी उनके दर्शन करना चाहता हूं। बादशाह अकबर ने अपने सिपाहियो की एक टुकड़ी को तुलसीदास जी के पास भेजा और तुलसीदास जी को अकबर का संदेश सुनाया, की आप लाल किले में हाजिर हों। यह संदेश सुन कर तुलसीदास जी ने कहा की मैं भगवान श्रीराम का भक्त हूं, मुझे बादशाह और लाल किले से क्या लेना-देना और लाल किले जाने से साफ मना कर दिया।
जब यह बात अकबर तक पहुंची तो उन्हें बहुत बुरी लगी और अकबर गुस्से में लाल-ताल हो गया। उन्होंने तुलसीदास जी को जंज़ीरों से जकड़वा कर लाल किला लाने का आदेश दिया। जब तुलसीदास जी जंजीरों से जकड़े लाल किला पहुंचे तो अकबर ने कहा की आप कोई करिश्माई व्यक्ति लगते हो, कोई करिश्मा करके दिखाओ। तुलसी दास ने कहा मैं तो सिर्फ भगवान श्रीराम जी का भक्त हूं, कोई जादूगर नही हूं, जो आपको कोई करिश्मा दिखा सकूं। अकबर यह सुन कर आग बबूला हो गया और आदेश दिया की इनको जंजीरों से जकड़ कर काल कोठरी में डाल दिया जाये।
दूसरे दिन इसी आगरा के लाल किले पर लाखों बंदरो ने एक साथ हमला बोल दिया। पूरा किला तहस-नहस कर डाला। लाल किले में त्राहि-त्राहि मच गई। तब अकबर ने बीरबल को बुलाकर पूछा की बीरबल यह क्या हो रहा है….? बीरबल ने कहा हुज़ूर आप करिश्मा देखना चाहते थे तो देखिये। अकबर ने तुरंत तुलसी दास जी को काल कोठरी से निकलवाया और जंजीरे खोल दी गई।
तुलसीदास जी ने बीरबल से कहा मुझे बिना अपराध के सजा मिली है। मैंने काल कोठरी में भगवान श्रीराम और हनुमान जी का स्मरण किया में रोता जा रहा था और मेरे हाथ अपने आप कुछ लिख रहे थे। यह 40 चौपाई, हनुमान जी की प्रेरणा से लिखी गई है। जो भी व्यक्ति कष्ट में या संकट में होगा और इसका पाठ करेगा, उसके कष्ट और सारे संकट दूर होंगे। इसको हनुमान चालीसा के नाम से जाना जायेगा।
अकबर बहुत लज्जित हुए और तुलसीदास जी से माफी मांगी। उन्हें पूरी इज्जत, हिफाजत और लाव लश्कर से मथुरा भिजवाया।
आज हनुमान चालीसा का पाठ सभी लोग कर रहे हैं। और हनुमान जी की कृपा उन सभी पर हो रही है। सभी के संकट दूर हो रहे हैं। हनुमान जी को इसीलिए संकट मोचन भी कहा जाता है।
Jai shree RAM
Jai mata sita
Jai ho hanuman ji ke jai