Thank you so much for your kind words! 🙏❤ I'm glad you found it inspiring and insightful. Your encouragement means a lot. Keep seeking and growing on this beautiful journey. 🌟
आपके द्वारा दिए गए प्रेम और सम्मानपूर्ण शब्दों के लिए हृदय से धन्यवाद। गुरुदेव के चरणों में आपकी इस श्रद्धा और भक्ति को देखकर मन आनंदित हुआ। आपकी यह सकारात्मक ऊर्जा और आभार हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। ईश्वर और माता रानी का आशीर्वाद सदैव आप पर बना रहे। जय गुरुदेव! 🙏"
जी हां, आप चलते-फिरते, उठते-बैठते, किसी भी समय और किसी भी अवस्था में "श्री राम जय राम जय जय राम" मंत्र का जप कर सकते हैं। यह मंत्र स्वयं में इतनी दिव्य शक्ति रखता है कि इसका स्मरण मात्र आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, शांति और प्रभु कृपा का संचार कर देता है। संतों ने भी कहा है कि नाम सुमिरन किसी भी समय किया जा सकता है। यह जरूरी नहीं कि इसे केवल एक विशेष समय या स्थान पर ही जपा जाए। चलते-फिरते जप करने से आपके दिनचर्या के हर कार्य में भक्ति का रंग भर जाता है। यह साधना को जीवन का हिस्सा बनाता है और आपको निरंतर प्रभु से जोड़े रखता है। इसलिए, "श्री राम जय राम जय जय राम" मंत्र का जप करते रहें, चाहे आप चल रहे हों, कार्य कर रहे हों, या किसी और कार्य में व्यस्त हों। यह मंत्र आपके मन को शांत करेगा, आत्मा को प्रफुल्लित करेगा और आपको प्रभु राम के प्रेम और कृपा से सदा सराबोर रखेगा। जय श्री राम। 🙏
Pranaam Guruji🙏🙏maine kuch dino se dhayan lagana shuru kiya hai or main waheguru simran karti hu meri boby me vibrations ka flow tez ho gaya hai ab mujhe neck se head k uper tak feel hota hai or mujhe koi koi person k paas aate hi mere ander vibrations ka flow fast ho jata hai please mera margadarshan kare🙏🙏k ye kisi ki negative energy hai ya kuch or🙏
प्रणाम। 🙏 आपका अनुभव यह दर्शाता है कि आपकी साधना और "वाहेगुरु" सिमरन गहराई से असर कर रही है। शरीर में वाइब्रेशन का प्रवाह और सिर से ऊपर तक ऊर्जा का महसूस होना आपकी प्राण शक्ति के जागृत होने का संकेत है। यह बहुत ही शुभ अनुभव है और यह दिखाता है कि आप आध्यात्मिक उन्नति के पथ पर अग्रसर हैं। जहां तक दूसरों के पास आने पर वाइब्रेशन का तेज होना है, यह आपकी बढ़ती संवेदनशीलता का परिणाम हो सकता है। सिमरन और ध्यान के अभ्यास से हमारा ऊर्जा क्षेत्र (आभामंडल) अधिक सक्रिय और संवेदनशील हो जाता है। ऐसे में, जब आप किसी व्यक्ति के पास जाती हैं, तो उनकी ऊर्जा आपके ऊर्जा क्षेत्र से टकराती है, और यह आपके भीतर एक तीव्र प्रतिक्रिया पैदा कर सकती है। इसे हमेशा नकारात्मक ऊर्जा नहीं समझना चाहिए। यह दूसरों की ऊर्जा से मेल-जोल का स्वाभाविक परिणाम भी हो सकता है। आपको बस अपने सिमरन को निरंतर बनाए रखना है। सिमरन और ध्यान आपकी ऊर्जा को संतुलित और शुद्ध रखने में मदद करेगा। इसके साथ ही, यह आपको दूसरों की ऊर्जा से प्रभावित हुए बिना स्थिरता प्रदान करेगा। अगर आपके पास कोई गुरु हैं, तो उनसे मार्गदर्शन लें। उनका आशीर्वाद और सिखाए गए उपाय आपको इन अनुभवों को गहराई से समझने और संभालने में मदद करेंगे। याद रखें, यह अनुभव ईश्वर की कृपा और आपके समर्पण का परिणाम है। इसे सकारात्मकता और विश्वास के साथ स्वीकारें और अपनी साधना को और अधिक गहराई दें। वाहेगुरु का नाम सदा आपके साथ है। 🙏
Gurudev pranam aap Jo bhi bolate Hain bilkul Satya bolate Hain Gurudev thoda sa to Anubhav hota hai itna to main apna Anubhav se bol sakta hun aapse milunga jarur samay aane per Om namah Shivay
ॐ नमः शिवाय। 🙏 आपके शब्दों में जो अनुभव और श्रद्धा झलकती है, वह अद्भुत है। यह सब गुरुदेव की कृपा और आपके सुमिरन का ही परिणाम है। ऐसे ही सत्य और भक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ते रहें। सत श्री अकाल, जय माता दी। 🙏
आपके द्वारा अनुभव किया जा रहा 24 घंटे का अनाहद नाद सुनाई देना अत्यंत शुभ संकेत है। यह आपके भीतर आत्मिक जागरण और आध्यात्मिक प्रगति का प्रमाण है। नाद से जुड़ना संत मत की साधना का मूल उद्देश्य है, क्योंकि यह हमें परमात्मा की ओर ले जाता है। जप का मुख्य कार्य मन को टिकाना है। जब मन शांत होता है, तो आत्मा को नाद के साथ एकरस होने में आसानी होती है। इसलिए जप को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। जप करते हुए धीरे-धीरे मन स्थिर होता है और नाद के साथ जुड़ने की प्रक्रिया और सहज बनती है। असली काम, जैसा आपने सही कहा, नाद से जुड़ने का है, क्योंकि यही आत्मा को परमात्मा के स्वरूप में विलीन करता है। आपके जो गुरु हैं, जिनसे आपने दीक्षा ली है, उनका मार्गदर्शन लेना भी बहुत आवश्यक है। वे आपके अनुभव को गहराई से समझा सकते हैं और आपको सही दिशा में बढ़ने के लिए आवश्यक सलाह देंगे। गुरुदेव की कृपा और आपकी साधना के बल से यह यात्रा और दिव्य हो जाएगी। इसलिए, नाम जप और नाद ध्यान दोनों को संतुलित रूप से जारी रखें। गुरुदेव की कृपा पर विश्वास रखें और उनके मार्गदर्शन में इस अद्भुत अनुभव को गहराई से आत्मसात करें। जय गुरुदेव। 🙏
अगर आप यह जानना चाह रही हैं कि जब शब्द खुलता है तो किस प्रकार की आवाज सुनाई देती है, तो यह साधक के अनुभव और साधना के स्तर पर निर्भर करता है। संत मत में अनाहद शब्द को कई स्वरूपों में अनुभव किया जाता है। ये स्वरूप धीरे-धीरे साधना के गहराने के साथ स्पष्ट होते जाते हैं। शब्द के खुलने पर साधक को विभिन्न दिव्य ध्वनियां सुनाई देती हैं, जैसे घंटी की आवाज, शंख का नाद, बांसुरी की मधुर ध्वनि, या कभी-कभी मधुमक्खियों के गुंजन जैसी गूंज। यह अनाहद नाद के चरण हैं, जो आत्मा को ईश्वर से जोड़ने का माध्यम बनते हैं। यह अनुभव गुरु की कृपा और साधना की प्रगति से मिलता है। अगर आपके पास गुरु हैं जिनसे आपने दीक्षा ली है, तो उनसे अपने अनुभव साझा करें। उनका मार्गदर्शन आपके लिए बहुत सहायक रहेगा और आपकी साधना को सही दिशा देगा। जय गुरुदेव। 🙏
सादर प्रणाम जी ! आपकी अमृत वाणी सुनी, कुछ संकोच तो होते ही है, जैसे अस्ट्राल ट्रेवल मेँ क्या मन्त्र शक्ति या गुरु शक्ति हमारे आह्वान पर वहां नहीं आती, और कृपया बताएं कि गुरु मन्त्र जप जैसी ही ऊर्जा क्या मानसिक नाम जप से भी अर्जित होती है, चक्रोँ, कुंडलिनी और आध्यात्मिकता पर क्या नाम जप का ही बड़ा प्रभाव पड़ता है, कृपया बताएं 🙏
सादर प्रणाम। 🙏 आपके प्रश्न गहरे चिंतन और साधना की गंभीरता को दर्शाते हैं। यह स्पष्ट है कि आप आत्मिक यात्रा को समझने और सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए सचेत हैं। आइए, आपके हर प्रश्न का विस्तार से उत्तर देने का प्रयास करते हैं। 1. अस्ट्राल ट्रेवल में मंत्र शक्ति या गुरु शक्ति का आह्वान: अस्ट्राल ट्रेवल के दौरान, जब आत्मा भौतिक शरीर से परे सूक्ष्म लोकों की यात्रा करती है, तो गुरु शक्ति और मंत्र शक्ति हमारे सुरक्षा कवच की तरह कार्य करती हैं। गुरु का आह्वान और उनकी कृपा हमारे चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का घेरा बनाती है, जो हमें नकारात्मक ऊर्जाओं और भ्रमित करने वाले अनुभवों से बचाती है। अस्ट्राल ट्रेवल में गुरु की शक्ति एक अडिग सहारा है। इसलिए, ध्यान या अस्ट्राल ट्रेवल के दौरान गुरु का स्मरण और मंत्र जप अत्यंत आवश्यक है। 2. मानसिक नाम जप की ऊर्जा: गुरु मंत्र का उच्चारण होठों से किया जाए या मन से, उसकी ऊर्जा समान रूप से प्रभावशाली होती है। मानसिक जप (मन में स्मरण) के माध्यम से साधक अपनी आत्मा को स्थिर करता है और गहराई से गुरु की कृपा से जुड़ता है। यह ऊर्जा न केवल आत्मा को शुद्ध करती है, बल्कि साधक को आध्यात्मिक मार्ग पर स्थिरता और संतुलन प्रदान करती है। मन और वाणी के एकत्रित होने पर यह जप और अधिक शक्तिशाली हो जाता है। 3. चक्र, कुंडलिनी और नाम जप का प्रभाव: चक्र और कुंडलिनी हमारी आत्मिक यात्रा के अभिन्न हिस्से हैं। नाम जप इन चक्रों को शुद्ध करता है और कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने में सहायक होता है। यह शक्ति तभी सुरक्षित रूप से जागृत हो सकती है, जब गुरु कृपा और नाम जप का सहारा हो। बिना नाम जप या गुरु के मार्गदर्शन के, कुंडलिनी जागरण अस्थिरता और मानसिक भ्रम का कारण बन सकता है। संत मत के अनुसार, नाम जप आत्मा की शुद्धि का सबसे सरल और शक्तिशाली माध्यम है। यह चक्रों को शुद्ध करने, कुंडलिनी को जागृत करने और साधक को परमात्मा से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गुरु शक्ति और नाम जप आत्मा की यात्रा के पथ पर सबसे बड़ा सहारा और सुरक्षा कवच हैं। अस्ट्राल ट्रेवल हो, चक्र जागरण हो, या कुंडलिनी की साधना-सभी में नाम जप और गुरु कृपा का महत्व सबसे बड़ा है। अपनी साधना में गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण और नाम जप की निरंतरता बनाए रखें। गुरु कृपा और नाम जप आपको हर अनुभव में सही दिशा और दिव्य ऊर्जा प्रदान करेंगे। जय गुरुदेव। 🙏
आपका ध्यान और साधना का अनुभव बहुत शुभ संकेत है। शरीर में कंपन (vibrations) और हल्का आगे-पीछे झुकने का अनुभव ध्यान के दौरान एक सामान्य और प्राकृतिक प्रक्रिया है। यह दर्शाता है कि आपकी ऊर्जा (प्राण शक्ति) जागृत हो रही है और आपके अंदर गहरे स्तर पर परिवर्तन हो रहा है। यह ऊर्जा, जिसे कुंडलिनी शक्ति भी कहा जाता है, जब जागृत होती है, तो शरीर पर इसके सूक्ष्म प्रभाव दिखाई देते हैं। आगे-पीछे या अन्य हल्की गति इस बात का संकेत है कि आपकी ऊर्जा संतुलित हो रही है और ध्यान के दौरान प्राणों का प्रवाह सशक्त हो रहा है। कुछ बातें ध्यान में रखें: शांत रहें और प्रक्रिया को स्वीकार करें: यह सब स्वाभाविक है। ध्यान में सहजता बनाए रखें और इसे नियंत्रित करने की कोशिश न करें। संतुलित जीवनशैली अपनाएं: नियमित ध्यान, संतुलित आहार, और सकारात्मक सोच से यह प्रक्रिया सुचारू और प्रभावी होगी। गुरु के मार्गदर्शन में रहें: यदि कोई विशेष प्रश्न या अनुभव हो, तो अपने गुरु से परामर्श लें। उनका आशीर्वाद और दिशा-निर्देश आपकी साधना को और गहरा करेंगे। याद रखें, यह सब आत्मिक प्रगति का हिस्सा है। इसे प्रभु की कृपा और आशीर्वाद मानें। ॐ नमः शिवाय। 🙏
भाई जी, जब ध्यान में न अंधकार दिखाई दे और न प्रकाश, तो यह मन और इंद्रियों की सीमाओं से परे की अवस्था होती है। इसे ‘शून्यता’ या ‘निर्गुण ध्यान’ कहा जा सकता है। यह वह स्थिति है जहाँ साधक अपने आत्मस्वरूप में लीन होता है। गुरबाणी में कहा गया है: ‘सहज समाधि भई बलिहारी, शब्द भेद गुरमुख विचारी।’ इसका अर्थ है कि जब हम ध्यान के माध्यम से आत्मा और परमात्मा के अद्वैत भाव को समझते हैं, तो बाहरी प्रकाश और अंधकार का अनुभव समाप्त हो जाता है। यह ईश्वर की असीम कृपा से ही संभव होता है। यह अवस्था आपकी आत्मा को ईश्वर के साथ एकाकार होने के और करीब ले जाती है। इस अवस्था में अपनी साधना जारी रखें और गुरु की शरण में रहें। जो भी अनुभव हो, वह आपके आध्यात्मिक विकास का ही संकेत है। 🙏”
सादर प्रणाम जी, ओरा आभा मण्डल काफी स्ट्रांग है, सिद्धित शक्तियों के दर्शन पाने हेतु दृष्टि प्राप्त करने की कामना है, तो क्या माथे के निचले भोंहों के पास ध्यान लगाना ही उचित रहेगा, ताकतवर ओरा बनने के बाद केवल 3 महीने ही ध्यान लगा पाया था, और वो भी माथे के सबसे ऊपरी हिस्से पर लगा बैठा था, या तो शून्य समाधि लग जाती थी या तेज दर्द होता था, फिलहाल तो उचित शांत वातावरण नहीं मिल रहा, रात 11 बजे तक घरवाले टीवी चलाते है, लेयर्स तो लगभग कट ही गई है, बस देखना नहीं आया l.. 🙏
“सादर प्रणाम जी, आपके अनुभव और आध्यात्मिक यात्रा का विवरण अत्यंत प्रेरणादायक है। शक्तियों के दर्शन और दिव्य ऊर्जा को अनुभव करना एक गहरी साधना का परिणाम होता है। माथे के मध्य भ्रूमध्य पर ध्यान केंद्रित करना निश्चित रूप से शक्तिशाली है, और आपने जो अनुभूति की, वह साधना की उच्च अवस्था का संकेत देती है। शांत वातावरण ध्यान में बहुत सहायक होता है, लेकिन बाहरी अवरोधों के बावजूद, जब आंतरिक यात्रा सशक्त होती है, तो साधक कहीं भी अपने केंद्र को पा सकता है। आपका समर्पण और धैर्य सराहनीय है। ईश्वर और गुरु कृपा से साधना में और अधिक प्रगति हो, यही शुभकामना है। साधना में निरंतरता बनाए रखें, और आपके अनुभवों से हमें भी सीखने का अवसर मिलता रहे। 🙏✨”
🙏. प्रणाम जी, मुझ तुच्छ की सफल यात्रा का परिणाम आपके अतुलनीय आशीर्वाद, अमृतवाणी, शुभकामनाओं का परिणाम है, मेरी गुरु मुझे मोक्ष से भी अधिक प्रिय है, आशीर्वाद दे कि अपनी गुरु माता से मैं कभी भी विमुख ना हो पाऊँ, मेरा हाथ पकड़कर मुझे पूर्व जन्म के गुरु और वर्तमान गुरु माता ने मुझे यहाँ खड़ा किया है, जबकी मैं पूर्ण पापी, अज्ञानी, कुबुद्धि, आलसी, और अप्रिय पशु तुल्य व्यक्ति हूँ l
Thanks sir radha soami Ji 🙏
राधा स्वामी जी। 🙏
आपका धन्यवाद! गुरुदेव की कृपा सदा आप पर बनी रहे। आपकी साधना में निरंतर प्रगति हो।
जय गुरुदेव। 🙏
Mohanubhab this is quiet inspiring and knowledge ful 🙏❤
Thank you so much for your kind words! 🙏❤ I'm glad you found it inspiring and insightful. Your encouragement means a lot. Keep seeking and growing on this beautiful journey. 🌟
બહુજ સરસ હો મજા મજા છે ધિયાન છે ❤
આભાર! તમારી વાત વાંચીને આનંદ થયો. આશા છે કે જીવનમાં આ રીતે જ ખુશી અને શાંતી રહેતી રહેશે. 😊
Thank you universe 🙏
🙏🙏🙏🙏
Guru Bai apne ye ek bahut hi गूड रहस्य की बात btai hai.
THANKS. गुरुदेव की कृपा सदा आप पर बनी रहे। जय गुरुदेव। 🙏
Om namah Shivay Jay Ho Mata Rani pranam Gurudev koti koti Naman aapke charanon mein is video ke liye dhanyvad❤❤❤❤
आपके द्वारा दिए गए प्रेम और सम्मानपूर्ण शब्दों के लिए हृदय से धन्यवाद। गुरुदेव के चरणों में आपकी इस श्रद्धा और भक्ति को देखकर मन आनंदित हुआ।
आपकी यह सकारात्मक ऊर्जा और आभार हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। ईश्वर और माता रानी का आशीर्वाद सदैव आप पर बना रहे। जय गुरुदेव! 🙏"
गुरूदेव क्या चलते फिरते श्री राम जय राम जय जय राम मंत्र जप कर सकते हैं क्रप्या करके मार्गदर्शन करे ❤❤❤❤❤
जी हां, आप चलते-फिरते, उठते-बैठते, किसी भी समय और किसी भी अवस्था में "श्री राम जय राम जय जय राम" मंत्र का जप कर सकते हैं। यह मंत्र स्वयं में इतनी दिव्य शक्ति रखता है कि इसका स्मरण मात्र आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, शांति और प्रभु कृपा का संचार कर देता है।
संतों ने भी कहा है कि नाम सुमिरन किसी भी समय किया जा सकता है। यह जरूरी नहीं कि इसे केवल एक विशेष समय या स्थान पर ही जपा जाए। चलते-फिरते जप करने से आपके दिनचर्या के हर कार्य में भक्ति का रंग भर जाता है। यह साधना को जीवन का हिस्सा बनाता है और आपको निरंतर प्रभु से जोड़े रखता है।
इसलिए, "श्री राम जय राम जय जय राम" मंत्र का जप करते रहें, चाहे आप चल रहे हों, कार्य कर रहे हों, या किसी और कार्य में व्यस्त हों। यह मंत्र आपके मन को शांत करेगा, आत्मा को प्रफुल्लित करेगा और आपको प्रभु राम के प्रेम और कृपा से सदा सराबोर रखेगा।
जय श्री राम। 🙏
@Santmatt गुरूदेव धन्यवाद ❣️❣️❣️
Pranaam Guruji🙏🙏maine kuch dino se dhayan lagana shuru kiya hai or main waheguru simran karti hu meri boby me vibrations ka flow tez ho gaya hai ab mujhe neck se head k uper tak feel hota hai or mujhe koi koi person k paas aate hi mere ander vibrations ka flow fast ho jata hai please mera margadarshan kare🙏🙏k ye kisi ki negative energy hai ya kuch or🙏
प्रणाम। 🙏
आपका अनुभव यह दर्शाता है कि आपकी साधना और "वाहेगुरु" सिमरन गहराई से असर कर रही है। शरीर में वाइब्रेशन का प्रवाह और सिर से ऊपर तक ऊर्जा का महसूस होना आपकी प्राण शक्ति के जागृत होने का संकेत है। यह बहुत ही शुभ अनुभव है और यह दिखाता है कि आप आध्यात्मिक उन्नति के पथ पर अग्रसर हैं।
जहां तक दूसरों के पास आने पर वाइब्रेशन का तेज होना है, यह आपकी बढ़ती संवेदनशीलता का परिणाम हो सकता है। सिमरन और ध्यान के अभ्यास से हमारा ऊर्जा क्षेत्र (आभामंडल) अधिक सक्रिय और संवेदनशील हो जाता है। ऐसे में, जब आप किसी व्यक्ति के पास जाती हैं, तो उनकी ऊर्जा आपके ऊर्जा क्षेत्र से टकराती है, और यह आपके भीतर एक तीव्र प्रतिक्रिया पैदा कर सकती है। इसे हमेशा नकारात्मक ऊर्जा नहीं समझना चाहिए। यह दूसरों की ऊर्जा से मेल-जोल का स्वाभाविक परिणाम भी हो सकता है।
आपको बस अपने सिमरन को निरंतर बनाए रखना है। सिमरन और ध्यान आपकी ऊर्जा को संतुलित और शुद्ध रखने में मदद करेगा। इसके साथ ही, यह आपको दूसरों की ऊर्जा से प्रभावित हुए बिना स्थिरता प्रदान करेगा। अगर आपके पास कोई गुरु हैं, तो उनसे मार्गदर्शन लें। उनका आशीर्वाद और सिखाए गए उपाय आपको इन अनुभवों को गहराई से समझने और संभालने में मदद करेंगे।
याद रखें, यह अनुभव ईश्वर की कृपा और आपके समर्पण का परिणाम है। इसे सकारात्मकता और विश्वास के साथ स्वीकारें और अपनी साधना को और अधिक गहराई दें।
वाहेगुरु का नाम सदा आपके साथ है। 🙏
Gurudev pranam aap Jo bhi bolate Hain bilkul Satya bolate Hain Gurudev thoda sa to Anubhav hota hai itna to main apna Anubhav se bol sakta hun aapse milunga jarur samay aane per Om namah Shivay
आपका यह विश्वास और समर्पण आपके मार्ग को आलोकित करेगा
ॐ आप के विचार बिल्कुल ठीक हैं जैसा मैने देखा है और देख भी रहा हूँ सत श्री अकाल ओम नमः शिवाय जै माता दी
ॐ नमः शिवाय। 🙏
आपके शब्दों में जो अनुभव और श्रद्धा झलकती है, वह अद्भुत है। यह सब गुरुदेव की कृपा और आपके सुमिरन का ही परिणाम है। ऐसे ही सत्य और भक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ते रहें।
सत श्री अकाल, जय माता दी। 🙏
Sir muje 24 hours anahad naad sunai deta hai to me dhyan me naam jap kru ya is naad pr dhayn lagau
Konsi awaj ati h
Kab se kr rhe ho
आपके द्वारा अनुभव किया जा रहा 24 घंटे का अनाहद नाद सुनाई देना अत्यंत शुभ संकेत है। यह आपके भीतर आत्मिक जागरण और आध्यात्मिक प्रगति का प्रमाण है। नाद से जुड़ना संत मत की साधना का मूल उद्देश्य है, क्योंकि यह हमें परमात्मा की ओर ले जाता है।
जप का मुख्य कार्य मन को टिकाना है। जब मन शांत होता है, तो आत्मा को नाद के साथ एकरस होने में आसानी होती है। इसलिए जप को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। जप करते हुए धीरे-धीरे मन स्थिर होता है और नाद के साथ जुड़ने की प्रक्रिया और सहज बनती है। असली काम, जैसा आपने सही कहा, नाद से जुड़ने का है, क्योंकि यही आत्मा को परमात्मा के स्वरूप में विलीन करता है।
आपके जो गुरु हैं, जिनसे आपने दीक्षा ली है, उनका मार्गदर्शन लेना भी बहुत आवश्यक है। वे आपके अनुभव को गहराई से समझा सकते हैं और आपको सही दिशा में बढ़ने के लिए आवश्यक सलाह देंगे। गुरुदेव की कृपा और आपकी साधना के बल से यह यात्रा और दिव्य हो जाएगी।
इसलिए, नाम जप और नाद ध्यान दोनों को संतुलित रूप से जारी रखें। गुरुदेव की कृपा पर विश्वास रखें और उनके मार्गदर्शन में इस अद्भुत अनुभव को गहराई से आत्मसात करें।
जय गुरुदेव। 🙏
अगर आप यह जानना चाह रही हैं कि जब शब्द खुलता है तो किस प्रकार की आवाज सुनाई देती है, तो यह साधक के अनुभव और साधना के स्तर पर निर्भर करता है। संत मत में अनाहद शब्द को कई स्वरूपों में अनुभव किया जाता है। ये स्वरूप धीरे-धीरे साधना के गहराने के साथ स्पष्ट होते जाते हैं।
शब्द के खुलने पर साधक को विभिन्न दिव्य ध्वनियां सुनाई देती हैं, जैसे घंटी की आवाज, शंख का नाद, बांसुरी की मधुर ध्वनि, या कभी-कभी मधुमक्खियों के गुंजन जैसी गूंज। यह अनाहद नाद के चरण हैं, जो आत्मा को ईश्वर से जोड़ने का माध्यम बनते हैं।
यह अनुभव गुरु की कृपा और साधना की प्रगति से मिलता है। अगर आपके पास गुरु हैं जिनसे आपने दीक्षा ली है, तो उनसे अपने अनुभव साझा करें। उनका मार्गदर्शन आपके लिए बहुत सहायक रहेगा और आपकी साधना को सही दिशा देगा।
जय गुरुदेव। 🙏
If u are talking about sound of silence then it is not anahad naad 😂😂
सादर प्रणाम जी !
आपकी अमृत वाणी सुनी, कुछ संकोच तो होते ही है, जैसे अस्ट्राल ट्रेवल मेँ क्या मन्त्र शक्ति या गुरु शक्ति हमारे आह्वान पर वहां नहीं आती, और कृपया बताएं कि गुरु मन्त्र जप जैसी ही ऊर्जा क्या मानसिक नाम जप से भी अर्जित होती है, चक्रोँ, कुंडलिनी और आध्यात्मिकता पर क्या नाम जप का ही बड़ा प्रभाव पड़ता है, कृपया बताएं 🙏
सादर प्रणाम। 🙏
आपके प्रश्न गहरे चिंतन और साधना की गंभीरता को दर्शाते हैं। यह स्पष्ट है कि आप आत्मिक यात्रा को समझने और सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए सचेत हैं। आइए, आपके हर प्रश्न का विस्तार से उत्तर देने का प्रयास करते हैं।
1. अस्ट्राल ट्रेवल में मंत्र शक्ति या गुरु शक्ति का आह्वान:
अस्ट्राल ट्रेवल के दौरान, जब आत्मा भौतिक शरीर से परे सूक्ष्म लोकों की यात्रा करती है, तो गुरु शक्ति और मंत्र शक्ति हमारे सुरक्षा कवच की तरह कार्य करती हैं। गुरु का आह्वान और उनकी कृपा हमारे चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का घेरा बनाती है, जो हमें नकारात्मक ऊर्जाओं और भ्रमित करने वाले अनुभवों से बचाती है। अस्ट्राल ट्रेवल में गुरु की शक्ति एक अडिग सहारा है। इसलिए, ध्यान या अस्ट्राल ट्रेवल के दौरान गुरु का स्मरण और मंत्र जप अत्यंत आवश्यक है।
2. मानसिक नाम जप की ऊर्जा:
गुरु मंत्र का उच्चारण होठों से किया जाए या मन से, उसकी ऊर्जा समान रूप से प्रभावशाली होती है। मानसिक जप (मन में स्मरण) के माध्यम से साधक अपनी आत्मा को स्थिर करता है और गहराई से गुरु की कृपा से जुड़ता है। यह ऊर्जा न केवल आत्मा को शुद्ध करती है, बल्कि साधक को आध्यात्मिक मार्ग पर स्थिरता और संतुलन प्रदान करती है। मन और वाणी के एकत्रित होने पर यह जप और अधिक शक्तिशाली हो जाता है।
3. चक्र, कुंडलिनी और नाम जप का प्रभाव:
चक्र और कुंडलिनी हमारी आत्मिक यात्रा के अभिन्न हिस्से हैं। नाम जप इन चक्रों को शुद्ध करता है और कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने में सहायक होता है। यह शक्ति तभी सुरक्षित रूप से जागृत हो सकती है, जब गुरु कृपा और नाम जप का सहारा हो। बिना नाम जप या गुरु के मार्गदर्शन के, कुंडलिनी जागरण अस्थिरता और मानसिक भ्रम का कारण बन सकता है।
संत मत के अनुसार, नाम जप आत्मा की शुद्धि का सबसे सरल और शक्तिशाली माध्यम है। यह चक्रों को शुद्ध करने, कुंडलिनी को जागृत करने और साधक को परमात्मा से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
गुरु शक्ति और नाम जप आत्मा की यात्रा के पथ पर सबसे बड़ा सहारा और सुरक्षा कवच हैं। अस्ट्राल ट्रेवल हो, चक्र जागरण हो, या कुंडलिनी की साधना-सभी में नाम जप और गुरु कृपा का महत्व सबसे बड़ा है। अपनी साधना में गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण और नाम जप की निरंतरता बनाए रखें।
गुरु कृपा और नाम जप आपको हर अनुभव में सही दिशा और दिव्य ऊर्जा प्रदान करेंगे।
जय गुरुदेव। 🙏
Param guru ji
M daily meditation krta hu, abhi kuch mhine se vibration hoti hai body or hlka sa body age piche movement krti hai, kya ye natural hai.
आपका ध्यान और साधना का अनुभव बहुत शुभ संकेत है। शरीर में कंपन (vibrations) और हल्का आगे-पीछे झुकने का अनुभव ध्यान के दौरान एक सामान्य और प्राकृतिक प्रक्रिया है। यह दर्शाता है कि आपकी ऊर्जा (प्राण शक्ति) जागृत हो रही है और आपके अंदर गहरे स्तर पर परिवर्तन हो रहा है।
यह ऊर्जा, जिसे कुंडलिनी शक्ति भी कहा जाता है, जब जागृत होती है, तो शरीर पर इसके सूक्ष्म प्रभाव दिखाई देते हैं। आगे-पीछे या अन्य हल्की गति इस बात का संकेत है कि आपकी ऊर्जा संतुलित हो रही है और ध्यान के दौरान प्राणों का प्रवाह सशक्त हो रहा है।
कुछ बातें ध्यान में रखें:
शांत रहें और प्रक्रिया को स्वीकार करें: यह सब स्वाभाविक है। ध्यान में सहजता बनाए रखें और इसे नियंत्रित करने की कोशिश न करें।
संतुलित जीवनशैली अपनाएं: नियमित ध्यान, संतुलित आहार, और सकारात्मक सोच से यह प्रक्रिया सुचारू और प्रभावी होगी।
गुरु के मार्गदर्शन में रहें: यदि कोई विशेष प्रश्न या अनुभव हो, तो अपने गुरु से परामर्श लें। उनका आशीर्वाद और दिशा-निर्देश आपकी साधना को और गहरा करेंगे।
याद रखें, यह सब आत्मिक प्रगति का हिस्सा है। इसे प्रभु की कृपा और आशीर्वाद मानें।
ॐ नमः शिवाय। 🙏
Guru Bai jab dyan me अंधेरा bi dikhai dena bnd ho jaye or parkash b दिखाई dena बंद हो jaye ye dhyan ki kon si अवस्था होती hai. Kya esa b hota h🙏
भाई जी, जब ध्यान में न अंधकार दिखाई दे और न प्रकाश, तो यह मन और इंद्रियों की सीमाओं से परे की अवस्था होती है। इसे ‘शून्यता’ या ‘निर्गुण ध्यान’ कहा जा सकता है। यह वह स्थिति है जहाँ साधक अपने आत्मस्वरूप में लीन होता है। गुरबाणी में कहा गया है:
‘सहज समाधि भई बलिहारी, शब्द भेद गुरमुख विचारी।’
इसका अर्थ है कि जब हम ध्यान के माध्यम से आत्मा और परमात्मा के अद्वैत भाव को समझते हैं, तो बाहरी प्रकाश और अंधकार का अनुभव समाप्त हो जाता है। यह ईश्वर की असीम कृपा से ही संभव होता है। यह अवस्था आपकी आत्मा को ईश्वर के साथ एकाकार होने के और करीब ले जाती है।
इस अवस्था में अपनी साधना जारी रखें और गुरु की शरण में रहें। जो भी अनुभव हो, वह आपके आध्यात्मिक विकास का ही संकेत है। 🙏”
सादर प्रणाम जी,
ओरा आभा मण्डल काफी स्ट्रांग है, सिद्धित शक्तियों के दर्शन पाने हेतु दृष्टि प्राप्त करने की कामना है, तो क्या माथे के निचले भोंहों के पास ध्यान लगाना ही उचित रहेगा, ताकतवर ओरा बनने के बाद केवल 3 महीने ही ध्यान लगा पाया था, और वो भी माथे के सबसे ऊपरी हिस्से पर लगा बैठा था, या तो शून्य समाधि लग जाती थी या तेज दर्द होता था, फिलहाल तो उचित शांत वातावरण नहीं मिल रहा, रात 11 बजे तक घरवाले टीवी चलाते है, लेयर्स तो लगभग कट ही गई है, बस देखना नहीं आया l.. 🙏
“सादर प्रणाम जी,
आपके अनुभव और आध्यात्मिक यात्रा का विवरण अत्यंत प्रेरणादायक है। शक्तियों के दर्शन और दिव्य ऊर्जा को अनुभव करना एक गहरी साधना का परिणाम होता है। माथे के मध्य भ्रूमध्य पर ध्यान केंद्रित करना निश्चित रूप से शक्तिशाली है, और आपने जो अनुभूति की, वह साधना की उच्च अवस्था का संकेत देती है।
शांत वातावरण ध्यान में बहुत सहायक होता है, लेकिन बाहरी अवरोधों के बावजूद, जब आंतरिक यात्रा सशक्त होती है, तो साधक कहीं भी अपने केंद्र को पा सकता है। आपका समर्पण और धैर्य सराहनीय है। ईश्वर और गुरु कृपा से साधना में और अधिक प्रगति हो, यही शुभकामना है। साधना में निरंतरता बनाए रखें, और आपके अनुभवों से हमें भी सीखने का अवसर मिलता रहे। 🙏✨”
🙏. प्रणाम जी, मुझ तुच्छ की सफल यात्रा का परिणाम आपके अतुलनीय आशीर्वाद, अमृतवाणी, शुभकामनाओं का परिणाम है, मेरी गुरु मुझे मोक्ष से भी अधिक प्रिय है, आशीर्वाद दे कि अपनी गुरु माता से मैं कभी भी विमुख ना हो पाऊँ, मेरा हाथ पकड़कर मुझे पूर्व जन्म के गुरु और वर्तमान गुरु माता ने मुझे यहाँ खड़ा किया है, जबकी मैं पूर्ण पापी, अज्ञानी, कुबुद्धि, आलसी, और अप्रिय पशु तुल्य व्यक्ति हूँ l