रहस्यमय भर्तृहरि गुफा | राजा भर्तहरि की कहानी | बाबा गोरखनाथ | उज्जैन | Bharthari Gufa | Ujjain |
ฝัง
- เผยแพร่เมื่อ 7 ก.พ. 2025
- बेवफा रानी की वजह से उज्जैन के राजा भर्तहरि बने सन्यासी Bharthari Gufa Ujjain | राजा भर्तृहरि गुफा
#भर्तहरि_गुफा
#उज्जैन_पर्यटन
#bharthari_cave
#bharthari_story
#भर्तहरि_कथा • Ujjain Mahakaleshwar J...
उज्जैन की प्राचीन परंपरा में भर्तहरि उज्जैन के राजा तपस्वी और लेखक रहे हैं तीन शतकों की रचना की जाने के कारण उन्हें एक उत्तम लेखक माना जाता हैं। दोस्तों भर्तहरि जी के इतिहास और कहानी के बारे में विद्वानों के अलग अलग मत है हम उन सभी तथ्यों को छूने की कोशिश करेंगे।
विक्रम संवत के अनुसार आज से लगभग 2280 वर्ष पूर्व उज्जैन के परम प्रतापी राजा हुए थे विक्रमादित्य ओर विक्रमादित्य के पिता महाराज गंधर्वसेन सेन थे,गंधर्वसेन की दो पत्नियां थी जिनमे से एक पत्नी के पुत्र थे विक्रमादित्य ओर दूसरी पत्नी के पुत्र थे भर्तहरि,उनके पिता गंधर्वसेन की मृत्यु के बाद उज्जैन के सम्पूर्ण राज-पाट भर्तहरि को प्राप्त हुआ क्योकि वो विक्रमादित्य से बड़े थे वे धर्म और नीतिशास्त्र के ज्ञाता थे सब कुछ खुशहाल चल रहा था फिर वो अचानक सन्यासी कैसे बन गए ओर इस गुफा में तपस्या क्यो करने लगे इसके बारे?
इसके लिए भी कई किवंदन्तियाँ प्रचलित है।
राजा भर्तहरि की दो पत्नियां थी उनके अलावा भी उन्होंने तीसरा विवाह किया पिंगला से क्योकि पिंगला बहुत ही सुंदर थी इसलिए राजा भर्तहरि उस पर अत्यधिक मोहित हो गए ओर पत्नी मोह में अपने कर्तव्यों को भी भूल गए,ऐसे में उनके राज्य उज्जैन में एक तपस्वी गुरु का गोरखनाथ का आगमन हुआ ओर राजा के दरबार मे पहुंचे इस पर राजा भर्तहरि ने गोरखनाथ जी का उचित आदर सत्कार किया।इस से गुरु अत्यंत प्रसन्न हुए और राजा भर्तहरि को एक फल देकर कहा कि यह खाने आप सदैव जवान बने रहेंगे,कभी बुढापा नहीं आएगा,हमेशा सुंदरता बनी रहेगी यह कहकर गोरखनाथ जी वहाँ से चले गए।
उसके बाद भर्तहरी ने सोचा की उन्हें जवानी ओर सुंदरता को कोई आवश्यकता नहीं है ओर वह फल उन्होंने अपनी प्रिय तीसरी पत्नी पिंगला को दे दिया,अब यहाँ से कहानी में एक मोड़ आता है रानी पिंगला उनके पति भर्तहरि पर नही बल्कि उनके राज्य के एक कोतवाल पर मोहित थी इस बात को राजा नहीं जानते थे ओर वही फल रानी पिंगला ने उस कोतवाल को दे दिया ताकि वह पूरी उम्र सदैव जवान व सुंदर बना रहे लेकिन वह कोतवाल रानी पिंगला से नहीं बल्कि एक वेश्या से प्रेम करता था ओर वही फल उसने उस वेश्या को दे दिया,इस कहानी में वेश्या एक समझदार प्रवृत्ति का पात्र हैं उसने सोचा इस फल की मुझे कोई आवश्यकता नहीं है यह फल मुझे राजा को दे देना चाहिए ताकि वे लंबे समय तक जवान रहेंगे और प्रजा का पालन पोषण करते रहेंगे यही सोचकर वह चमत्कारी फल उसने राजा भर्तहरि को दे दिया,वह फल देखकर राजा चौकन्ने राह गए उन्होंने वेश्या से पूछा की यह फल कहाँ से आया तो उसने कोतवाल का नाम लिया,फिर कोतवाल से पूछा गया तो उसने रानी पिंगला का नाम लिया,सारी सच्चाई मालूम हुई तो वह समझ गए कि उनके साथ धौखा हुआ है ओर इस से उनके मन मे वैराग्य उत्पन्न हो गया और उन्होंने अपना सम्पूर्ण राज-पाट अपने छोटे भाई विक्रमादित्य को सौंप दिया और इस गुफा में आ गए यही पर उन्होंने 12 वर्षों तक लगातार तपस्या की।
Check Other Video also: -
Ujjain Mahakaleshwar Jyotirlinga | Ujjain Darshan Vlog | Shree Mahakaal Lok | Mahakaleshwar Ujjain : • Ujjain Mahakaleshwar J...
Kedarkantha Trek : One of the Most Beautiful Snow Trek in India | Sankri to KedarKantha | Vlog 2 : • Kedarkantha Trek : One...
Kedarkantha Trek - Most Memorable Journey of My Life | Best Snow Trek in India | Vlog 3 : • Kedarkantha Trek - Mos...
Ujjain Darshan in One day | Vlog 2 | Shree KaalBhairav Mandir | Gadkalika Mandir | Mangalnath Mandir : • Ujjain Darshan in One ...
I have been to Bharthari Gufa, but never knew about this story. Great content and information 😊❤
Thanks a lot 😊
👌👌🙏🌹
This history about Bharthari gufa amazed me. Wow 😲
yeah, the history is really strange !
❤❤❤🎉🎉🎉🙏🙏🌺🙏
Jai shree mahakal ji ❤❤❤❤❤❤
Jai Shree Mahakaal 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🚩
Very nice 👍
Thank you 😊🙏🏻
Jai shri 🚩 MAHAKAAL 🙏
Jai Shree Mahakal 🙏🏻🚩
Very beautifully narrated 👌
Glad you liked it 🙏🏻❤️
Very well explained ❤
Great content 😀
Thanks 😁
The story is really amazing. This is really good 👍❤
The History of such caves are extremely important to know 🙏🏻
Jai gurudev
Jai Gurudev 🙏🏻
Bhout sundar bhai ❤️
Dhanyawad Bhai 🙏🏻